कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
किसानों के लिए भंडारण सुविधाओं का प्रावधान
Posted On:
26 JUL 2024 6:27PM by PIB Delhi
सरकार भंडारण सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई) को लागू कर रही है, जो कृषि विपणन के लिए एकीकृत योजना (आईएसएएम) की एक उप-योजना है। इसके तहत राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में गोदामों के निर्माण/नवीनीकरण के लिए सहायता प्रदान की जाती है ताकि कृषि उपज के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके। इस योजना के तहत, सरकार पात्र लाभार्थी की श्रेणी के आधार पर परियोजना की पूंजीगत लागत पर 25 प्रतिशत और 33.33 प्रतिशत की दर से सब्सिडी प्रदान करती है। यह सहायता व्यक्तियों, किसानों, किसानों/उत्पादकों के समूह, कृषि-उद्यमियों, पंजीकृत किसान उत्पाद संगठनों (एफपीओ), सहकारी समितियों और राज्य एजेंसियों आदि के लिए उपलब्ध है। यह योजना मांग आधारित है।
इस योजना की शुरुआत से यानी 01.04.2001 से और 30.06.2024 तक, 93.99 मिलियन मीट्रिक टन भंडारण क्षमता के साथ कुल 48,512 भंडारण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (गोदाम) को इस योजना के तहत मंजूरी दी गई है और इसके लिए 4,734.73 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई है। भंडारण बुनियादी ढांचे की राज्यवार प्रगति अनुलग्नक-I में है।
इसके अलावा, देश में कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से फसल कटाई के बाद प्रबंधन से जुड़े बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के उद्देश्य से जुलाई 2020 में कृषि बुनियादी ढांचा कोष (एआईएफ) योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत, बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सब्सिडी के साथ ऋण के रूप में 1 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए जाते हैं और सीजीटीएमएसआई के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर क्रेडिट गारंटी कवरेज है। एआईएफ योजना के तहत, 18.07.2024 तक बैंकों और अन्य ऋणदाता संस्थानों से 11258 करोड़ रुपये की मंजूरी के साथ कुल 13353 गोदाम स्थापित किए गए हैं। दिशानिर्देशों के अनुसार, एआईएफ योजना में भंडारण सुविधाओं की स्थापना के लिए विशेष आवंटन निर्धारित नहीं किया गया है। कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) में कृषि आर्थिक अनुसंधान (एईआर) के प्रभाव आकलन अध्ययन के अनुसार, प्रति भंडारण परियोजना औसत भंडारण क्षमता 7000 मीट्रिक टन है।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की दी गई जानकारी के अनुसार, 01.07.2024 तक, केंद्रीय पूल खाद्यान्न स्टॉक के भंडारण के लिए एफसीआई और राज्य एजेंसियों के पास उपलब्ध कवर्ड स्टोरेज क्षमता 604.02 एलएमटी के भंडार किए गए स्टॉक के मुकाबले 837.68 लाख मीट्रिक टन है। इसका विवरण अनुलग्नक-II के रूप में संलग्न हैं।
अनुलग्नक-I
30.06.2024 तक एएमआई के तहत सहायता प्राप्त भंडारण अवसंरचना की प्रगति
(स्थापना से अर्थात 01.04.2001 से अब तक)
30.06.2024 तक भंडारण अवसंरचना की राज्यवार प्रगति
|
क्र. सं.
|
राज्य
|
स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या
|
स्वीकृत क्षमता (एमटी)
|
जारी की गई सब्सिडी की राशि
(लाख रुपये में)
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
1543
|
6122043
|
31758.85
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
1
|
945
|
6.30
|
3
|
असम
|
367
|
1135319
|
7183.19
|
4
|
बिहार
|
1234
|
1111749
|
5373.90
|
5
|
छत्तीसगढ
|
1396
|
2287472
|
8914.09
|
6
|
गोवा
|
1
|
299
|
0.94
|
7
|
गुजरात
|
12376
|
5992142
|
35442.91
|
8
|
हरियाणा
|
2307
|
7679871
|
44422.19
|
9
|
हिमाचल प्रदेश
|
88
|
30826
|
180.77
|
10
|
जम्मू एवं कश्मीर
|
17
|
98027
|
801.45
|
11
|
झारखंड
|
243
|
223327
|
959.84
|
12
|
कर्नाटक
|
5062
|
4490366
|
21616.63
|
१३
|
केरल
|
207
|
113742
|
637.95
|
14
|
मध्य प्रदेश
|
8324
|
28484839
|
168412.14
|
15
|
महाराष्ट्र
|
4071
|
8096142
|
35109.50
|
16
|
मेघालय
|
17
|
26012
|
253.41
|
17
|
मिजोरम
|
4
|
705
|
6.45
|
18
|
नगालैंड
|
36
|
26887
|
354.38
|
19
|
ओडिशा
|
717
|
1069718
|
4393.69
|
20
|
पंजाब
|
1819
|
7056792
|
25231.94
|
21
|
राजस्थान
|
1873
|
3764757
|
14920.65
|
22
|
तमिलनाडु
|
1233
|
1486554
|
5378.94
|
23
|
तेलंगाना
|
1330
|
6017717
|
31999.69
|
24
|
त्रिपुरा
|
5
|
28764
|
296.61
|
25
|
उत्तर प्रदेश
|
1294
|
6036950
|
20324.60
|
26
|
उत्तराखंड
|
321
|
879331
|
3971.02
|
27
|
पश्चिम बंगाल
|
2626
|
1737343
|
5521.11
|
|
कुल
|
48512
|
93998641
|
473473.15
|
अनुलग्नक-II
एफसीआई में भंडारण क्षमता की आवश्यकता मुख्य रूप से चावल और गेहूं के लिए खरीद के स्तर, बफर मानदंडों की आवश्यकता और पीडीएस संचालन पर निर्भर करती है। एफसीआई लगातार भंडारण क्षमता का आकलन और निगरानी करता है तथा भंडारण क्षमता में कमी के आकलन के आधार पर, निम्नलिखित योजनाओं के माध्यम से भंडारण क्षमता बनाई जाती या किराए पर ली जाती है:-
- निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना
- केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस)
- पीपीपी मोड के तहत भंडारण सुविधा का निर्माण
- सीडब्ल्यूसी/एसडब्ल्यूसी/राज्य एजेंसियों से गोदाम किराए पर लेना
- निजी भंडारण योजना (पीडब्ल्यूएस) के माध्यम से गोदाम किराए पर लेना
- संपत्ति मुद्रीकरण के तहत गोदामों का निर्माण
कुशल भंडारण प्रणाली विकसित करने के लिए भंडारण सुविधाओं को बढ़ाने के लिए प्रभावी उपाय निम्नानुसार हैं:
i. साइलो (भंडारण सुविधा) - भारत सरकार ने भंडारण सुविधाओं को उन्नत और आधुनिक बनाने के लिए देश में पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मोड पर स्टील साइलो के निर्माण के लिए कार्य योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के अंतर्गत, देश भर में विभिन्न स्थानों पर 23.75 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से 16.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण पूरा हो चुका है तथा शेष 7.50 लाख मीट्रिक टन साइलो का निर्माण विभिन्न चरणों में चल रहा है। इसके अतिरिक्त, 7 स्थानों पर 5.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण पहले ही किया जा चुका है तथा सर्किट बेस मॉडल के तहत वर्ष 2007-09 में इनका उपयोग शुरू किया जा चुका है।
इसके अलावा, हब एंड स्पोक मॉडल के तहत पीपीपी मोड में 111.125 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण प्रस्तावित है। इसे तीन चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा। प्रथम चरण में एफसीआई की अपनी जमीन पर 14 स्थानों पर 10.125 लाख मीट्रिक टन तथा निजी भूमि पर 66 स्थानों पर 24.75 लाख मीट्रिक टन के साइलो के निर्माण का टेंडर दिया जा चुका है।
ii. पीईजी योजना- इस योजना के अंतर्गत निजी निवेश को आकर्षित करके 24 राज्यों में पारंपरिक गोदामों का निर्माण किया जा रहा है। पीईजी योजना वर्ष 2008 में शुरू की गई थी तथा यह अपने अंतिम चरण में है। 01.07.2024 तक गोदामों के लिए स्वीकृत कुल क्षमता 151.95 एलएमटी है। इसमें से 147.01 एलएमटी का निर्माण पूरा हो चुका है, 3.94 एलएमटी निर्माणाधीन है और 1.0 एलएमटी का निर्माण अभी शुरू होना बाकी है।
iii. केंद्र क्षेत्र योजना- भारत सरकार एफसीआई के माध्यम से केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत पहाड़ी/दुर्गम राज्यों में खाद्यान्न भंडारण डिपो (एफएसडी) का निर्माण कर रही है, जहां निजी निवेशक आगे नहीं आते हैं। वर्ष 2017 से 16 स्थानों पर 78,770 मीट्रिक टन की क्षमता बनाई गई है। वित्त वर्ष 2017-18 से निर्मित और निर्माणाधीन गोदामों का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-III में संलग्न है।
iv. परिसंपत्ति मुद्रीकरण - परिसंपत्ति मुद्रीकरण के तहत, एफसीआई की खाली जमीन पर गोदामों का निर्माण किया जाएगा। 177 स्थानों की पहचान कर ली गई है, जिन पर 17.47 एलएमटी का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार (डीएफपीडी) ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
v. कवर्ड और आई प्लिंथ (सीएपी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना - परंपरागत रूप से, गेहूं को राज्य एजेंसियों/एफसीआई द्वारा खरीद क्षेत्रों में सीएपी में भी संग्रहीत किया जाता है। हालांकि, सरकार ने सीएपी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का नीतिगत निर्णय ले लिया है। राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एफसीआई ने विस्तृत कार्य योजना तैयार कर ली है, जिसे भारत सरकार (डीएफपीडी) ने मंजूरी दे दी है। एचएलसी ने 10 वर्षीय गारंटी योजना के तहत, पंजाब के लिए 31 स्थानों (9 एलएमटी) और हरियाणा में 10 स्थानों (4 एलएमटी) को मंजूरी दी।
अनुलग्नक-III
केंद्रीय क्षेत्र की योजना (2017-18 से 2024-25 तक)
|
(01.07.2024 तक की स्थिति)
|
वर्ष
|
क्षेत्र (उत्तर पूर्वी/उत्तर पूर्वी के अलावा)
|
राज्य
|
क्र. सं.
|
स्थानों
|
क्षमता
(एमटी)
|
स्थिति
|
वित्तीय वर्ष
2017-18
|
पूर्वोत्तर
|
नगालैंड
|
1
|
कोहिमा
|
4590
|
पूर्ण
|
अरुणाचल प्रदेश
|
2
|
बोमडिला
|
3340
|
वित्तीय वर्ष
2018-19
|
मणिपुर
|
3
|
थौबल
|
2500
|
4
|
इम्फाल पूर्व
|
10000
|
5
|
बिश्नुपुर
|
4600
|
वित्तीय वर्ष
2019-20
|
मणिपुर
|
6
|
छुरछंदपुर
|
2500
|
वित्तीय वर्ष
2021-22
|
असम
|
7
|
जोनाई (धेमाजी)
|
20000
|
वित्तीय वर्ष
2022-23
|
मणिपुर
|
8
|
तामेंगलांग
|
4730
|
अरुणाचल प्रदेश
|
9
|
आलो
|
1670
|
मेघालय
|
10
|
बाघमारा
|
2500
|
वित्तीय वर्ष
2023-24
|
अरुणाचल प्रदेश
|
11
|
रोइंग
|
1120
|
वित्तीय वर्ष
2018-19
|
पूर्वोत्तर के अलावा
|
केरल
|
12
|
पश्चिमी पहाड़ी
|
10000
|
१३
|
अंगदिपुरम
|
5000
|
हिमाचल प्रदेश
|
14
|
कांगड़ा
|
3340
|
वित्तीय वर्ष
2022-23
|
हिमाचल प्रदेश
|
15
|
पालमपुर
|
2240
|
वित्तीय वर्ष
2023-24
|
हिमाचल प्रदेश
|
16
|
रिकांगपिओ
|
640
|
कुल
|
78770
|
|
यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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एमजी/एआर/एके/एसके
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