नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
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श्री प्रल्हाद जोशी का कहना है कि वर्तमान  केंद्रीय बजट नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए हमारे उस अटूट समर्थन को दर्शाता है, जिसमें आवंटन पिछले वर्ष से लगभग दोगुना है

प्रविष्टि तिथि: 25 JUL 2024 5:28PM by PIB Delhi

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज यहाँ नई दिल्ली में “कार्बन बाजारों से मूल्य अनलॉक करना: हरित हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा में तेजी लाना” विषय पर आयोजित  एक कार्यशाला में कहा, "वर्तमान  केंद्रीय बजट नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए हमारे उस अटूट समर्थन को दर्शाता है, जिसमें आवंटन पिछले साल से लगभग दोगुना है।" मंत्री महोदय ने नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और हाल के केंद्रीय बजट में इस क्षेत्र के लिए लगभग दोगुने आवंटन पर प्रकाश डाला।

मंत्री महोदय ने कहा कि, "भारत में सौर, पवन, पनबिजली और बायोमास स्रोतों से 2,109 गीगावॉट की विशाल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, और हम स्वच्छ विकल्पों की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

मंत्री महोदय ने प्रमुख नीतिगत बदलावों की रूपरेखा तैयार की, जिसमें कठिन उद्योगों को ऊर्जा दक्षता लक्ष्य से उत्सर्जन लक्ष्य तक ले जाना शामिल है। उन्होंने बताया, "भारतीय कार्बन मार्केट मोड में यह परिवर्तन उद्योगों के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए मजबूत बाजार प्रोत्साहन पैदा करेगा।"

श्री प्रल्हाद जोशी ने सौर बैटरियों (सोलर सेल्स) और पैनलों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीमा शुल्क में बदलाव के बारे में भी बात की। उन्होंने पुष्टि की, "ये उपाय वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करेंगे और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगे।"

मंत्री महोदय ने 19,744 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हमारे मिशन में स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण और हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन शामिल है, भारत का लक्ष्य इस क्षेत्र में एक प्रमुख निर्यातक बनना है।"

श्री जोशी ने भारतीय कार्बन बाजार (आईसीएम) के चल रहे विकास पर भी चर्चा की और इसे अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइजिंग करने के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बताया। उन्होंने कहा, "यह पहल हमारे आर्थिक हितों को पर्यावरणीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करेगी, जो हमारे जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।"

कार्यशाला में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ पाँच पैनल चर्चाएँ हुईं, जिनमें निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया गया:

- अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अवसर

- कार्बन बाजार की अखंडता और पारदर्शिता

- वैश्विक स्वैच्छिक कार्बन बाजार में भारत की स्थिति का लाभ उठाना

- पेरिस समझौते के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग दृष्टिकोण

- भारतीय स्वैच्छिक कार्बन बाजार में खरीदारों का परिचालन

इस कार्यक्रम ने स्वच्छ, हरित भविष्य की दिशा में अपनी यात्रा में वैश्विक विशेषज्ञता का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को भी  प्रदर्शित किया।

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