मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों के लिए सॉफ्टवेयर और नस्लों के बारे में 21वीं पशुधन जनगणना का क्षेत्रीय प्रशिक्षण आयोजित किया


भारत में पशुधन की सबसे अधिक संख्या ने भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए पशुधन क्षेत्र के महत्व पर बल दिया: प्रो. एस.पी. सिंह बघेल

Posted On: 20 JUL 2024 6:42PM by PIB Delhi

पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी), मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार और मेजबान राज्य ओडिशा ने अपने यहां के, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों (एसएनओ/डीएनओ) के लिए सॉफ्टवेयर (मोबाइल और वेब एप्लिकेशन/डैशबोर्ड) और नस्लों के बारे में 21वीं पशुधन जनगणना का क्षेत्रीय प्रशिक्षण आयोजित किया। कार्यशाला आज पुरी, ओडिशा में आयोजित की गई, जिसमें इन राज्यों के राज्य/जिला नोडल अधिकारियों को 21वीं पशुधन जनगणना के कराने के लिए नये प्रारंभ किए गए मोबाइल और वेब एप्लिकेशन पर प्रशिक्षण दिया गया, जो सितम्‍बर-दिसम्‍बर 2024 के दौरान निर्धारित है।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, भारत सरकार द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री गोकुलानंद मलिक, राज्य मंत्री, एफ एंड एआरडी, ओडिशा सरकार, श्री सुनील कुमार मोहंती, विधान सभा सदस्य, पुरी, श्री सुरेश कुमार वशिष्ठ, प्रधान सचिव, एएच एंड वीएस, ओडिशा सरकार, डॉ. बी पी मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएजीआर, श्री जगत हजारिका, सलाहकार (सांख्यिकी), पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार और श्री रामाशीष हाजरा, निदेशक, पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान, ओडिशा उपस्थित थे।

राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह ने कार्यशाला को संबोधित किया और जमीनी स्तर पर व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भारत में सबसे अधिक पशुधन है, साथ ही उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए पशुधन क्षेत्र के महत्व पर भी जोर दिया। इस बात पर जोर देते हुए कि एकत्र किए गए डेटा भविष्य की पहल को आकार देने और क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, उन्होंने जनगणना की सावधानीपूर्वक योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने का आह्वान किया।  

श्रीमती अलका उपाध्याय ने 21वीं पशुधन गणना के लिए वर्चुअल माध्यम से शुभकामनाएं और बधाई दी। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर पशुधन क्षेत्र के प्रभाव और पशुधन क्षेत्र के उत्पादों के वैश्विक व्यापार के संदर्भ में भारत की स्थिति के बारे में जानकारी साझा की।

श्री गोकुलानंद मल्लिक ने पशुधन क्षेत्र में स्‍थायी कार्य प्रणालियों को जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पशुधन गणना के बाद प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण और तार्किक उपयोग से भविष्य की विभागीय नीतियों के निर्माण और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होगा, साथ ही पशुपालकों के लाभ के लिए पशुपालन के क्षेत्र में नई योजनाएं बनाने और रोजगार सृजन का मार्ग खुलेगा।

अपने संबोधन में श्री सुरेश कुमार वशिष्ठ ने पशुधन को धन और संपत्ति के समान बताया, जिसे आमतौर पर "पशुधन" कहा जाता है। उन्होंने हाल ही में अपने विभाग का नाम बदलकर पशु संसाधन विकास करने पर भी जोर दिया, ताकि मानव संसाधन विकास के समान इसका महत्व दर्शाया जा सके। उन्होंने ओडिशा सरकार द्वारा बिहार से दूध उत्पादन में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने पर प्रकाश डाला और बताया कि पशुधन किस तरह किसानों के वित्तीय सशक्तिकरण में योगदान देता है, जिससे उनकी नकदी की ज़रूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों के बारे में भी बात की, जैसे कि सेक्स-सॉर्टेड वीर्य का उपयोग। उन्होंने सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें सफल प्रशिक्षण सत्र की शुभकामनाएँ दीं।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के सलाहकार (सांख्यिकी) श्री जगत हजारिका ने अपने संबोधन में इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला तथा सटीक एवं कुशल डेटा संग्रह के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने 21वीं पशुधन जनगणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया, जो पशुपालन क्षेत्र की भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी तथा उन्होंने उनसे जनगणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाने का आग्रह किया।

कार्यशाला में पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग द्वारा 21वीं पशुधन जनगणना के संक्षिप्त विवरण के साथ कई सत्र आयोजित किए गए, जिसके बाद श्री बी पी मिश्रा और आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (एनबीएजीआर) की टीम ने जनगणना में शामिल की जाने वाली प्रजातियों की नस्लों के विवरण पर विस्तृत प्रस्तुति दी। सटीक नस्ल पहचान के महत्व पर जोर दिया गया, जो विभिन्न पशुधन क्षेत्र कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले सटीक आंकड़े तैयार करने और स्‍थायी विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के राष्ट्रीय संकेतक ढांचे (एनआईएफ) के लिए महत्वपूर्ण है।

कार्यशाला में भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सॉफ्टवेयर टीम द्वारा 21वीं पशुधन गणना के सॉफ्टवेयर के तरीकों और लाइव एप्लीकेशन पर विस्तृत सत्र शामिल थे। इस टीम को राज्य और जिला नोडल अधिकारियों के लिए मोबाइल एप्लीकेशन और डैशबोर्ड सॉफ्टवेयर पर प्रशिक्षण दिया गया। ये नोडल अधिकारी अपने-अपने जिला मुख्यालयों पर गणनाकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण आयोजित करेंगे।

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पशुपालन एवं डेयरी विभाग के पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग के निदेशक श्री वी.पी. सिंह ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और हितधारकों की उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया तथा आशा व्यक्त की कि जनगणना कार्य सफल होगा।

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