रक्षा मंत्रालय

अपने विरोधियों पर बढ़त बनाए रखने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कई पहल की जा रही हैं: सीडीएस जनरल अनिल चौहान


"कारगिल युद्ध, हमारे सशस्त्र बलों की दृढ़ता, निस्वार्थ भावना, प्रचंड साहस और दृढ़ संकल्प का पर्याय बन गया है"

Posted On: 18 JUL 2024 6:03PM by PIB Delhi

अपने विरोधियों पर बढ़त बनाए रखने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा कई पहल की जा रही हैं तथा संभावित खतरे के अनुरूप हमारे युद्ध लड़ने के सिद्धांतों, रणनीति और अवधारणाओं में सुधार किया गया है। यह बात चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने 18 जुलाई, 2024 को कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे होने के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कही।

कारगिल सम्मान प्रदान करते हुए, सीडीएस ने कारगिल युद्ध के दौरान अपने अपार योगदान और बलिदान के लिए पूर्व सैन्यकर्मियों और वीर नारियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रीय प्रयास का समर्थन करने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग की भी सराहना की।

जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों के निर्माण के लिए स्वदेशी साधनों के जरिये प्रगतिशील तरीके से क्षमता विकास का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें अवसंरचना और मजबूत परिचालन लॉजिस्टिक्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध लड़ने की दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पुनर्गठन और पुनर्संरचना से जुड़ी कई पहल चल रही हैं।

सीडीएस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भविष्य की सैन्य और गैर-सैन्य सुरक्षा चुनौतियों की प्रकृति; सशस्त्र बलों के लिए बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी चुनौतियों के प्रति तैयार रहने की अनिवार्य आवश्यकता को सामने लाती है। उन्होंने कहा, "भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष, सूचना और साइबरस्पेस जैसे सभी क्षेत्रों में निर्बाध एकीकरण और सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं के बीच अंतर-संचालन योग्य प्रणालियों को शामिल किये जाने की अपरिहार्य आवश्यकता है।"

कारगिल एक ऐसा संघर्ष था, जिसने एक मजबूत और जवाबी रक्षा रणनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया। सीडीएस ने कहा, "कारगिल संघर्ष ने हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सतर्कता और तैयारी बनाए रखने के महत्व को उजागर किया। इसने सार्वजनिक और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के महत्व पर भी जोर दिया, एक ऐसी रणनीति, जिसका उपयोग शत्रु देशों की तटस्थता बनाए रखने और वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए प्रभावी ढंग से किया गया।"

सशस्त्र बलों के एकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि संयुक्त होने से आगे बढ़ते हुए तीनों सेवाएं अब संयुक्त संस्कृति को बढ़ावा देने और कई क्षेत्रों में खुद को एकीकृत करने की दिशा में काम कर रही हैं।

कारगिल युद्ध को भारत में पहला टेलीविजन युद्ध बताते हुए, जहाँ स्वतंत्र और खुला मीडिया मौजूद था, सीडीएस ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया भर में धारणाओं को आकार देने की कोशिश करने वाले आख्यानों के बीच निरंतर लड़ाई के साथ, 'सूचना क्षेत्र' एक और प्रमुख युद्ध क्षेत्र के रूप में उभरा है।

जनरल अनिल चौहान ने कहा कि कारगिल युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की दृढ़ता, निस्वार्थ भावना, प्रचंड साहस और दृढ़ संकल्प का पर्याय बन गया है और यह राष्ट्र को भविष्य के खतरों और चुनौतियों पर सामूहिक रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है।

 

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