मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
मत्स्य पालन विभाग आज तमिलनाडु के मदुरै में 'मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024' का आयोजन कर रहा है
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने 114 करोड़ रुपये के निवेश से देश भर के 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 312 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन किया
श्री सिंह ने उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों, ब्रूड बैंकों, आरएएस, बायोफ्लोक, गहरे समुद्र में चलने वाले जहाजों और प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया
मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024 का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास के लिए मछली किसानों, जल उद्यमियों और मछुआरों द्वारा किए गए योगदान को मान्यता देना है
Posted On:
12 JUL 2024 8:44PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने आज मदुरै, तमिलनाडु में 'मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024' का आयोजन किया। 'मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024' का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास में मछली किसानों, जल उद्यमियों और मछुआरों द्वारा किए गए योगदान को मान्यता देना, मत्स्य पालन विभाग (भारत सरकार) की उपलब्धियों को बताना और इस क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
114 करोड़ रुपये के निवेश से देश भर के 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 312 मत्स्य पालन परियोजनाओं, जो भारत सरकार की प्रमुख मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत समर्थित हैं का उद्घाटन, केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने किया। इस अवसर पर मत्स्य पालन एवं पशुपालन तथा पंचायती राज, राज्य मंत्री, प्रो. एसपी सिंह बघेल, मत्स्य पालन एवं पशुपालन तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री, श्री जॉर्ज कुरियन, भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मत्स्य पालन क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों की भूमिका और पीएमएमएसवाई योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य आधुनिक मत्स्य पालन और जलीय कृषि विधियों के माध्यम से मछली उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। श्री सिंह ने उत्पादन बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों, ब्रूड बैंकों, आरएएस, बायोफ्लोक, गहरे समुद्र के जहाजों और प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को केसीसी, बीमा आदि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र की असंगठित प्रकृति से उत्पन्न चुनौतियों को भी स्वीकार किया, लेकिन यह विश्वास व्यक्त किया कि हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों से इन मुद्दों का समाधान हो जाएगा।
मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने विभिन्न राज्यों के लाभार्थियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच ज्ञान और दृष्टिकोण के आदान-प्रदान की सराहना की। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मत्स्य पालन क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया और खाद्य एवं पोषण की बढ़ती मांग को पूरा करने में मछुआरों और मछली किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने टिकाऊ मछली पकड़ने की प्रथाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए उत्पादकता को बढ़ाती हैं। इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन और मत्स्य पालन क्षेत्रों के लाभार्थियों को केसीसी की मंजूरी देने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्री जॉर्ज कुरियन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री ने भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, तथा अंतर्देशीय मत्स्य पालन के अद्वितीय योगदान का उल्लेख किया। योजनाओं में पर्याप्त निवेश तथा मछुआरों और मछली किसानों के लिए सामाजिक-आर्थिक समृद्धि को प्राथमिकता देते हुए समग्र विकास के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण पर बल दिया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित राज्य मत्स्यपालन मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में मत्स्यपालन क्षेत्र में वृद्धि और विकास के बारे में जानकारी साझा की। मंत्रियों ने अपने राज्यों में मत्स्यपालन क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्य-विशिष्ट समस्याओं और ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। उन्होंने तकनीकी प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, सहायता, प्रौद्योगिकी संचार और अनुसंधान को प्रमुख रूप से ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों के रूप में अपनाने पर जोर दिया, उन्होंने पारंपरिक मछुआरों और मछलीपालक परिवारों के कल्याण और समर्थन को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव रखा।
वरिष्ठ नेतृत्व की इस गरिमामयी सभा का स्वागत भारत सरकार के वित्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने किया, जिसके बाद वित्त विभाग (भारत सरकार) की उपलब्धियों पर एक प्रभावशाली वीडियो दिखाया गया।
संयुक्त सचिव (आईएफ) श्री सागर मेहरा ने विभिन्न फोकस क्षेत्रों को कवर करते हुए क्षेत्र की समग्र प्रगति और डीओएफ (भारत सरकार) द्वारा किए गए प्रयासों को प्रस्तुत किया। इसमें उत्पादन और जलीय कृषि, भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं और पहल, चल रही योजनाओं की प्रगति और प्रभाव, और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए फोकस क्षेत्रों पर चर्चा शामिल थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के बारे में जानकारी साझा की, जो पीएमएमएसवाई के तहत एक नई उप-योजना है, के लक्ष्यों और घटकों को रेखांकित किया और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों से उनकी सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा से अवगत कराया।
विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लाभार्थियों जैसे श्री हरेंद्र राभा, असम, श्री प्रेम शंकर, बिहार, श्रीमती पूर्णिमा साहू, छत्तीसगढ़, श्री क्लेमेंट फर्नांडिस, गोवा, श्री विनोद कुमार, हिमाचल प्रदेश, श्रीमती शिफा जहूर हकीम, महाराष्ट्र, श्रीमती गीता सक्सेना, उत्तर प्रदेश, श्री हजरोम्माबी एम., लक्षद्वीप, श्री नितीश कुमार, कर्नाटक और श्री निशांत कुमार, झारखंड ने केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह से बातचीत की। लाभार्थियों ने अपने अनुभवों पर चर्चा की, अपनी समस्याओं को साझा किया और मत्स्य पालन विभाग (भारत सरकार) के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और पीएमएमएसवाई के तहत वित्तीय सहायता के रूप में प्राप्त सहयोग ने उनकी कोशिश और व्यवसायों को सफल बनाने में उनकी मदद की और उनका समर्थन किया।
आईसीएआर के डीडीजी (मत्स्य) डॉ. जेके जेना ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि में किए गए अनुसंधान और विकास पहलों पर एक प्रस्तुति दी। इसके बाद एक विचार-विमर्श हुआ जिसमें विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों में हरियाणा के प्रधान सचिव श्री राजीव रंजन, तमिलनाडु के मत्स्य पालन आयुक्त श्री थिरु शुंचोंगम जातक चिरु, झारखंड के मत्स्य पालन सचिव श्री अबूबकर सिद्दीकी पी, अंडमान निकोबार द्वीप की आयुक्त-सह-सचिव श्रीमती नंदिनी पालीवाल, गोवा के सचिव श्री ई. वल्लवन शामिल थे। चर्चा के दौरान जिन क्षेत्रों और प्राथमिकताओं पर चर्चा की गई उनमें बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, एक व्यापक मत्स्य पालन डेटाबेसकी सार-संभाल, मछुआरों और मछली किसानों द्वारा केसीसी का आसानी से लाभ उठाना, गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता, राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय, पर्यटन को बढ़ावा देना आदि शामिल थे।
मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024 के दौरान प्राप्त टिप्पणियों से परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्राथमिकताओं को परिभाषित करने और भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत, न्यायसंगत और समावेशी विकास के लिए क्षेत्रीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
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