पंचायती राज मंत्रालय
अपर सचिव डॉ. चंद्र शेखर कुमार ने सीएलजीएफ वार्षिक बोर्ड की कोलंबो, श्रीलंका में आयोजित तीन दिवसीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया
इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रमंडल में लोकतांत्रिक स्थानीय सरकारों को बढ़ावा देना और उन्हें मजबूत बनाना तथा सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है
मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निर्वाचित महिला नेताओं को अवसर और अनुभव प्रदान किया है: डॉ. चंद्र शेखर कुमार
Posted On:
27 JUN 2024 5:35PM by PIB Bhopal
पंचायती राज मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. चंद्र शेखर कुमार ने सीएलजीएफ वार्षिक बोर्ड की 25 से 27 जून 2024 के दौरान कोलंबो, श्रीलंका में तीन दिवसीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस सम्मेलन ने राष्ट्रमंडल एशिया में वर्तमान पहलों के लिए क्षेत्रीय आदान-प्रदान और प्राथमिकता निर्धारण की सुविधा प्रदान की। इसने सीएलजीएफ के स्थानीय सरकार नेटवर्क में राष्ट्रमंडल महिलाओं के भविष्य के काम का भी मार्गदर्शन किया। 25 जून 2024 को, श्रीलंका के प्रधानमंत्री, श्री दिनेश गुणवर्धन ने "रीइनफोर्सिंग सोशल रीजीलिएंस थ्रू वुमन्स पॉलीटिकल रिप्रेजेंटेशन" विषय पर सीएलजीएफ की स्थानीय सरकार में नेटवर्क दक्षिण एशिया राष्ट्रमंडल महिला क्षेत्रीय बैठक का उद्घाटन किया।
सीएलजीएफ सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. चंद्रशेखर कुमार ने राष्ट्रमंडल के सबसे बड़े सदस्य देश भारत में अगली सीएलजीएफ बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया। इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रमंडल में लोकतांत्रिक स्थानीय सरकारों को बढ़ावा देना और उन्हें मजबूत करना तथा सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है।
डॉ. चंद्रशेखर कुमार ने “इंटरनेशनल एक्सपीरियंस : केसेज फ्रॉम द कॉमनवैल्थ -इकोनॉमिक एंड स्पेटियल इन्क्लूजन” विषय पर सत्र के दौरान जानकारी और विचार साझा किए। उन्होंने कोलंबो, श्रीलंका में “रीइनफोर्सिंग सोशल रीजीलिएंस थ्रू वुमन्स पॉलीटिकल रिप्रेजेंटेशन” विषय पर सीएलजीएफ सम्मेलन के दौरान 60 प्रतिशत आबादी को शामिल करने और सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देने में भारत के लगभग 2.6 लाख पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए डॉ. चंद्रशेखर कुमार ने कहा कि 2022-23 में श्रम बल भागीदारी दर 41.5 प्रतिशत होने के साथ ग्रामीण आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत है। 73वें संविधान संशोधन में स्थानीय शासन को बढ़ाने के लिए “महिला एवं बाल विकास” सहित पंचायतों को शक्तियों का हस्तांतरण अनिवार्य किया गया है।
अपर सचिव डॉ. चंद्र शेखर कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि भारत जमीनी स्तर पर लैंगिक प्रतिनिधित्व में वैश्विक नेता होने पर गर्व करता है, जहां पंचायती राज संस्थाओं/ग्रामीण स्थानीय निकायों में 46 प्रतिशत स्थानीय निकाय पद महिलाओं के पास हैं, जबकि वैश्विक औसत 36 प्रतिशत है। उन्होंने निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं के महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व को उजागर किया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र का निरंतर विकास का 2030 का एजेंडा प्राप्त करने के लिए महिलाओं के नेतृत्व में विकास महत्वपूर्ण है। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का समर्थन करती है, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक सशक्तिकरण, डिजिटल साक्षरता, नेतृत्व कौशल और सुरक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में योगदान देती है। साथ ही, मंत्रालय की ई-गवर्नेंस पहलों ने पंचायत प्रतिनिधियों को डिजिटल रूप से कुशल बना दिया है, जिसमें 90 प्रतिशत ग्राम पंचायतें ऑनलाइन विकास योजनाओं और वित्तीय लेनदेन को अपलोड कर रही हैं।
डॉ. कुमार ने निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) को अंतर्राष्ट्रीय दिशा प्रदान करने और “महिला हितैषी पंचायत” विषय वस्तु सहित एसडीजी के स्थानीयकरण (एलएसडीजी) दृष्टिकोण को अपनाने में पंचायती राज मंत्रालय के प्रयासों को भी रेखांकित किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों और कार्यक्रमों में निर्वाचित महिला नेताओं के लिए अवसर और दिशा प्रदान की है, जैसे 3 मई, 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में “लोकलाइजिंग द एसडीजीज: वुमन इन लोकल गवर्नेंस इन इंडिया लीड द वे” और अक्टूबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र में “वुमन लीडर्स ऐज चेंज मेकर्स: जेंडर इक्वेलिटी फॉर गुड गवर्नेंस”।
अपर सचिव, डॉ. कुमार ने उल्लेख किया कि पंचायती राज मंत्रालय के मार्गदर्शन में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने स्थानीय शासन में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए आरक्षण, भागीदारी कार्यक्रम और प्रशिक्षण पहल जैसे उपायों को लागू किया है। मंत्रालय के मार्गदर्शन में, 23 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण को अपनाया है, जो कि पीआरआई/आरएलबी में 33 प्रतिशत आरक्षण के संवैधानिक प्रावधान से अधिक है।
भारत जमीनी स्तर पर लैंगिक प्रतिनिधित्व में वैश्विक नेता के रूप में उभरा है, स्थानीय निकायों में 46 प्रतिशत प्रतिनिधित्व के साथ, जो वैश्विक औसत 36 प्रतिशत से अधिक है। पीआरआई में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रमुख कारकों में संवैधानिक प्रावधान, सामाजिक-आर्थिक सुधार और विभिन्न महिला-उन्मुख योजनाओं के माध्यम से सरकारी सहायता शामिल है। डॉ. कुमार ने स्थानीय शासन में महिला सशक्तिकरण के लिए एसडीजी के स्थानीयकरण को अपनाने के साथ-साथ महिला नेताओं के लिए डिजिटल सशक्तिकरण और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में मंत्रालय की पहलों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. चंद्रशेखर कुमार ने कोलंबो में सीएलजीएफ वार्षिक बोर्ड बैठक में दुनिया भर के राष्ट्रमंडल स्थानीय सरकार संगठनों के सहकर्मियों के साथ विचार-विमर्श किया, जानकारी का आदान-प्रदान किया और स्थानीय शासन और सामुदायिक लचीलापन बढ़ाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण समुदायों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। सीएलजीएफ फोरम स्थानीय सरकार के प्रतिभागियों के एक विविध समूह को एक साथ लाया, जिसमें स्थानीय सरकार के मंत्रालय, निर्वाचित स्थानीय महापौर और नेता, स्थायी सचिव, सरकार के सभी क्षेत्रों के अधिकारी, शिक्षाविद और विकास भागीदार शामिल थे।
महाराष्ट्र की तीन महिला सरपंच - श्रीमती अर्चना पवार (कुंभरी ग्राम पंचायत, यवतमाल जिला), श्रीमती शारदा गायधाने (बेला ग्राम पंचायत, भंडारा जिला), और श्रीमती कविता वारे (किसल ग्राम पंचायत, ठाणे जिला) गुजरात (कनकपर ग्राम पंचायत, कच्छ जिला) की चंद्रिका रंगानी ने भी 25-27 जून, 2024 के दौरान कोलंबो, श्रीलंका में सीएलजीएफ सम्मेलन में भाग लिया, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में स्थानीय सरकार के लिए लैंगिक समानता के चार्टर की समीक्षा और पुष्टि करना था।
चारों सरपंचों ने अपने केस स्टडी, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियां और सफलता की कहानियां प्रस्तुत कीं। सीओएमडब्ल्यूएलजी- कॉमनवेल्थ वीमेन इन लोकल गवर्नमेंट नेटवर्क साउथ एशिया मीटिंग के दौरान स्थानीय स्वशासन के प्रतिनिधियों के लिए डिजिटल और सोशल मीडिया में प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इस मंच ने महिलाओं को जमीनी स्तर के नेताओं के रूप में अपने अनुभव साझा करने, स्थानीय सरकार में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने, निर्वाचित महिलाओं और महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने के लिए कार्रवाई योग्य बिंदुओं पर सहमत होने और स्थानीय नेताओं के लिए विशिष्ट फोकस क्षेत्रों में क्षमता निर्माण का अवसर प्रदान किया।
सीएलजीएफ की पृष्ठभूमि: 1995 में अपनी स्थापना के बाद से, राष्ट्रमंडल स्थानीय सरकार मंच (सीएलजीएफ) ने स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाने, शासन और सेवा वितरण में सुधार करने वाले विकेंद्रीकरण और सुधारों का समर्थन करने के लिए एशिया में सक्रिय रूप से काम किया है। सीएलजीएफ एक सदस्यता संगठन के रूप में अद्वितीय है जो स्थानीय सरकार, स्थानीय सरकार के मंत्रालयों, स्थानीय सरकार के राष्ट्रीय संघों और 56 राष्ट्रमंडल देशों की व्यक्तिगत परिषदों को एकजुट करता है। इसमें अनुसंधान, प्रशिक्षण और पेशेवर संगठन भी सदस्य के रूप में शामिल हैं।
सीएलजीएफ का काम स्थानीय लोकतंत्र को बढ़ावा देने, अनुभवों और अच्छी कार्य प्रणालियों को साझा करने और नीति निर्माण को बढ़ाने, स्थानीय सरकारी संस्थानों को मजबूत करने और स्थानीय स्तर पर सेवा वितरण और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए क्षमता निर्माण पर केन्द्रित है। सीएलजीएफ सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की पूर्ण और सक्रिय भागीदारी का समर्थन करने, विशेष रूप से स्थानीय शासन में समान प्रतिनिधित्व प्राप्त करने में, एसडीजी 5 के साथ संरेखित: लैंगिक समानता प्राप्त करने और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है।
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