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18वें मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव को शानदार विदाई, और भी सुंदर वापसी का वादा


भारतीय डॉक्‍यूमेंट्री ‘द गोल्डन थ्रेड’ को इस महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार प्रदान किया गया

फिल्म निर्माता हमारे देश के कोहिनूर हैं: महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार

Posted On: 21 JUN 2024 9:51PM by PIB Delhi

मुंबई के आइकॉनिक स्‍काईलाइन की टिमटिमाती रोशनी में डॉक्‍यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्‍शन और एनीमेशन फिल्मों के लिए 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) का समापन हुआ। इसने सिनेमाई कलात्मकता की चमक के साथ सपनों के इस शहर को रोशन कर दिया और कभी न सोने वाला यह शहर कहानी सुनाने के अंदाज और रचनात्मकता की प्रतिध्‍वनि से गूंज उठा। महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार की मौजूदगी में आयोजित एक शानदार समापन समारोह के साथ यह महोत्‍सव अपने चरम पर पहुंच गया।

इस महोत्सव की शानदार सफलता और गैर-फीचर सिनेमा के करामाती जादू का जश्न मनाने के लिए फिल्म एवं मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां, फिल्म निर्माता और कई दिग्गज एकत्र हुए। इनमें शेखर सुमन, शाजी एन. करुण, सुब्बैया नल्लामुथु, पूनम ढिल्लों, छाया कदम, एमी बरुआ, अक्षय ओबेरॉय और विशाल आदि शामिल थे।

(फोटो में: महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार समापन समारोह में मुख्य वक्‍तव्‍य देते हुए)

 

महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति मंत्री श्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि हमारे फिल्म निर्माता हमारे देश के कोहिनूर हैं। उन्होंने कहा, 'जब हम आगे बढ़ेंगे, तो हमारी विरासत और हमारी फिल्मों से संबंधित हर मामला आगे बढ़ेगा। यहां बैठे लोगों की क्षमता ऐसी है कि वे अपनी कला के जरिये हमारी आत्मा की गहराई तक पहुंच सकते हैं। वे उन गहराइयों तक पहुंच सकते हैं जहां डॉक्टर भी नहीं पहुंच सकते।' उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव को एक नए नजरिये से और आने वाले वर्षों में अपनी क्षमता बढ़ाने की प्रतिबद्धता के साथ अलविदा करें।

मंत्री ने इस प्रतिष्ठित माध्यम के जरिये प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं को प्रोत्‍साहित करने के प्रयासों के लिए भारत सरकार को भी बधाई दी। उन्‍होंने फिल्मों की बदलावकारी ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'फिल्म समाज का दर्पण है और वह सामाजिक बदलाव का मार्ग प्रशस्त करती है। इस क्षेत्र का महज एक संवाद भी किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है।'

श्री मुनगंटीवार ने फिल्मों की बहुमुखी भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, 'फिल्में न केवल मनोरंजन का स्रोत हैं, बल्कि व्यक्तित्व का विकास करने वाली ताकत भी हैं। जब व्यक्तित्व का विकास होता है, तो समाज विकसित होता है और जब समाज विकसित होता है, तो राष्ट्र विकसित होता है।' उन्होंने सभी को फिल्म के जरिये एकजुट होकर हमारे देश के गौरव को दुनिया के हर घर और हर दिल तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसी आह्वान के साथ उन्‍होंने अपना वक्‍तव्‍य समाप्‍त किया।

प्रतिस्पर्धी फिल्मों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के विचारों को साझा करते हुए निर्णायक मंडल की अध्यक्ष श्री भरत बाला ने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों की दुनिया भर की कहानियों से प्रेरित हैं। ये कहानियां मानवता और परिवार को हमारे जीवन के केंद्र में रखती हैं और इसलिए आज भी लोगों को बेहतर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने कहा, 'सभी डॉक्‍यूमेंट्री में बुनियादी तौर पर मानवता और उस संस्‍कृति को दर्शाती जाती है जिसमें हम रहते हैं और सांस लेते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हम सब डॉक्‍यूमेंट्री में अधिक से अधिक निवेश करेंगे ताकि मानवता को बढ़ावा मिल सके।'

मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव के राष्ट्रीय निर्णायक मंडल की अध्यक्ष भारतीय निर्माता अपूर्वा बख्शी ने कहा कि निर्णायक मंडल को भारत के विभिन्न हिस्सों से उभरने वाली दमदार, गंभीर और मार्मिक कहानियों को देखने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, 'देखने के अनुभव का मुख्य आकर्षण यह था कि विभिन्न फिल्म निर्माताओं ने किस प्रकार पितृसत्तात्‍म ढांचे को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और पुरुष संबंधों को एक ऐसे मार्मिक नजरिये से चित्रित किया जिसे शायद ही कभी देखा गया हो।'

‘द गोल्डन थ्रेड’ के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार

इस महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में प्रतिष्ठित गोल्डन कोंच पुरस्कार निष्ठा जैन द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म ‘द गोल्डन थ्रेड’ को दिया गया। कोलकाता में जूट के काम के ताने-बाने को दर्शाती यह फिल्म आर्थिक बदलाव से प्रभावित औद्योगिक क्रांति के अंतिम अवशेषों के प्रति श्रद्धांजलि और अवलोकन दोनों है। निर्णायक मंडल ने कहा कि यह फिल्म मनुष्य और मशीन के रिश्ते को दर्शाती है। साथ ही यह उस समीकरण पर सवाल उठाती है जिसके तहत पूंजीवाद मनुष्य को केवल उसके श्रम के आधार पर महत्व देता है। इसमें शानदार कल्पना और ध्वनि के साथ एक सुंदर कहानी का तानाबाना बुना गया है जो डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म निर्माण की आकर्षक प्रकृति को रेखांकित करती है। इस पुरस्कार में प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये नकद शामिल है। महोत्सव के समापन फिल्म के रूप में भी ‘द गोल्डन थ्रेड’ दिखाई गई।

(फोटो: ‘द गोल्डन थ्रेड’ की निर्देशक निष्ठा जैन इस महोत्सव की सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार प्राप्त करते हुए)

 

सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय शॉर्ट फिक्‍शन फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार वेरा पिरोगोवा द्वारा निर्देशित एस्टोनियाई फिल्म 'सॉर मिल्क' को दिया गया। इस फिल्म में मां और बेटे के बीच के जटिल बंधन को बखूबी दर्शाया गया है, जो उम्मीद और निराशा से भरपूर कहानी का तानाबाना बुनती है। इस पुरस्कार में एक प्रमाण पत्र और 5 लाख रुपये नकद शामिल है।

टोमेक पोपाकुल और कासुमी ओजेकी द्वारा निर्देशित पोलैंड की फिल्म 'जिमा' को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ एनिमेशन फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार मिला। इसके तहत प्रमाण पत्र और 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।

मैट वाल्डेक द्वारा निर्देशित फिल्‍म 'लवली जैक्सन' को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी में जूरी का स्‍पेशल मेंशन पुरस्‍कार मिला। जूरी यानी निर्णायक मंडल ने इस फिल्म की आध्यात्मिकता और इसकी आकर्षक कहानी को बयां करने के लिए इस्तेमाल की गई रचनात्मक तकनीकों की काफी सराहना की।

सर्वश्रेष्ठ ध्वनि डिजाइन के लिए तकनीकी पुरस्कार नीरज गेरा और अभिजीत सरकार को संयुक्त रूप से 'द गोल्डन थ्रेड' और 'धारा का टेम' (दूध निकालने का समय) फिल्मों में उनकी उत्कृष्टता के लिए दिया गया। मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव में सर्वश्रेष्ठ संपादक का पुरस्कार संयुक्त रूप से विग्नेश कुमुलाई को ‘करपारा’ के लिए और आइरीन धर मलिक को ‘फ्रॉम द शैडोज’ के लिए दिया गया। सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी का पुरस्कार बाबिन दुलाल और सूरज ठाकुर को क्रमशः ‘धोरपाटन: नो विंटर हॉलीडेज’ और ‘एंटैंगल्ड’ के लिए दिया गया।

सबसे नवोन्‍मेषी/प्रयोगात्मक फिल्म के लिए प्रमोद पति पुरस्कार लियाम लोपिंटो द्वारा निर्देशित जापानी फिल्म ‘द ओल्ड यंग क्रो’ को दिया गया। यह फिल्म विभिन्‍न द्वंद्वों की कहानी बयां करने की अपनी नई एवं जादुई शैली के लिए सराही गई। इस पुरस्कार के तहत ट्रॉफी और 1 लाख रुपये प्रदान किए गए।

सर्वश्रेष्ठ भारतीय डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार निर्मल चंद्र डंडरियाल द्वारा निर्देशित ‘6-ए आकाश गंगा’ को दिया गया। यह फिल्म दर्शकों को महान संगीतकार अन्नपूर्णा देवी की एकांतप्रिय दुनिया में ले जाती है। इस पुरस्‍कार के तहत 5 लाख रुपये नकद प्रदान किए गए।

(फोटो: ‘6-ए आकाश गंगा’ के निर्देशक निर्मल चंद्र डंडरियाल सर्वश्रेष्ठ भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार प्राप्त करते हुए)

 

सर्वश्रेष्ठ भारतीय शॉर्ट फिक्‍शन फिल्म (30 मिनट तक) के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार बरखा प्रशांत नाइक द्वारा निर्देशित 'साल्ट' को दिया गया। यह फिल्म एक मार्मिक और खूबसूरती से गढ़ी गई पिता-पुत्र की कहानी में कामुकता की समझ में पीढ़ीगत अंतर को बारीकी से दर्शाती है। इस पुरस्कार के तहत 3 लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं।

गौरव पति द्वारा निर्देशित फिल्‍म 'निर्जरा' ने सर्वश्रेष्ठ भारतीय एनिमेशन फिल्म के लिए सिल्वर कोंच पुरस्कार जीता। यह फिल्म गंगा के घाटों पर शोकगुल भरे अनुष्ठानों के दौरान दो भाइयों के पुनर्मिलन की कहानी बयां करती है। इस पुरस्‍कार के तहत 3 लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं।

जोशी बेनेडिक्ट द्वारा निर्देशित फिल्‍म 'अ कोकोनट ट्री' को प्रवास और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्‍यान केंद्रित करने के लिए राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी में जूरी का स्‍पेशन मेंशन पुरस्‍कार प्राप्त हुआ।

(फोटो: श्रीमई सिंह मुंबई अतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 में सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक के लिए दादा साहब फाल्के चित्रनगरी पुरस्कार प्राप्त करते हुए)

 

मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 में सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक के लिए दादा साहब फाल्के चित्रनगरी पुरस्कार श्रीमोई सिंह को उनकी फिल्म 'टुअर्ड्स हैप्पी एलीज' के लिए दिया गया। इस फिल्‍म ने महोत्‍सव का एफआईपीआरईएससीआई अंतर्राष्ट्रीय क्रिटिक जूरी पुरस्कार भी जीता है। इस पुरस्कार के तहत ट्रॉफी और 1 लाख रुपये का नकद प्रदान किए जाते हैं।

मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव में सर्वश्रेष्ठ छात्र फिल्म के लिए आईडीपीए पुरस्कार 'चांचिसोआ (उम्मीद)' को दिया गया, जो एल्वाचिसा संगमा और दीपांकर दास द्वारा निर्देशित एक गारो फिल्म है। इस पुरस्कार के तहत ट्रॉफी और 1 लाख रुपये का नकद प्रदान किए जाते हैं।

'अमृत काल में भारत' पर सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार एडमंड रैनसन द्वारा निर्देशित 'लाइफ इन लूम' को दिया गया, जो भारत में बुनकर समुदायों के सामने आने वाली सामाजिक-आर्थिक और जलवायु चुनौतियों पर केंद्रित है। इस पुरस्कार के तहत ट्रॉफी, प्रमाण पत्र और 1 लाख रुपये नकद प्रदान किए जाते हैं।

(फोटो: समापन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम का दृश्य)

 

समापन समारोह में अक्षय ओबेरॉय, शीबा चड्ढा, एमी बरुआ, मान्या सिंह, छाया कदम, विशाल मल्होत्रा, चंद्र प्रसाद ठाकुर, साई देवधर, सांविका और दीपक पाराशर जैसी फिल्मी हस्तियां मौजूद थीं। शाम को रंगारंग, जीवंत और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मंच पर धूम मचा दी और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में महोत्सव की तकनीकी समिति और फिल्मी हस्तियों को सम्मानित किया गया। एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक और इस महोत्सव के निदेशक श्री पृथुल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

(फोटो: समापन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम का दृश्य)

 

एमआईएफएफ 2024 के बारे में संक्षेप में:

मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव (एमआईएफएफ) के इस संस्करण में 59 देशों की 314 फिल्मों की विविधता को शानदार तरीके से प्रदर्शित किया गया। इन फिल्‍मों को 61 भाषाओं में प्रस्तुत किया गया। इस महोत्सव में 8 वर्ल्‍ड प्रीमियर, 5 इंटरनेशनल प्रीमियर, 18 एशिया प्रीमियर और 21 इंडिया प्रीमियर सहित कई शानदार फिल्में शामिल थीं, जो दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं की वैश्विक अपील और कहानी बयां करने की अद्भुत क्षमता को उजागर करती हैं। एमआईएफएफ 2024 का एक महत्वपूर्ण आकर्षण डॉक्यूमेंट्री फिल्म बाजार की शुरुआत थी। यह एक अभूतपूर्व पहल है जिसने फिल्म निर्माताओं को खरीदारों, प्रायोजकों और सहयोगियों के साथ जुड़ने के लिए एक असाधारण मंच प्रदान किया। इस अभिनव कार्यक्रम ने 10 देशों से 27 भाषाओं में लगभग 200 परियोजनाओं को आकर्षित किया। इस प्रकार इससे विचारों और अवसरों का जीवंत आदान-प्रदान हुआ।

इस महोत्‍सव में उपस्थित लोगों को अल्फोंस रॉय, नेमिल शाह, शाजी एन. करुण, ऑड्रियस स्टोनिस, संतोष सिवन और सुब्बैया नल्लामुथु जैसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं द्वारा मास्टरक्लास भी दी गई। इन सत्रों ने फिल्म निर्माण की कला में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे महत्वाकांक्षी और स्थापित फिल्म निर्माताओं के ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि हुई। मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 की पैनल परिचर्चाओं में डॉक्‍यूमेंट्री, शॉर्ट फिक्‍शन और एनीमेशन फिल्म निर्माण से संबंधित समकालीन और नवोन्‍मेषी विषयों पर गहन चर्चा की गई। प्रतिनिधियों ने फिल्म निर्माण, प्रचार और वितरण के नए पहलुओं की खोज की। इससे उद्योग में उभरते रुझान के बारे में उनकी समझ बेहतर हुई। इसके अलावा, वार्नर ब्रदर्स के एक वरिष्ठ एनिमेटर के नेतृत्व में एनीमेशन और वीएफएक्स पाइपलाइन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जो अत्याधुनिक तकनीकों की गहन खोज से प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भारतीय डॉक्यूमेंट्री निर्माता संघ द्वारा आयोजित ओपन फोरम ने डॉक्यूमेंट्री फंडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के इस दौर में फिल्म निर्माण जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर आकर्षक और गर्मजोशी से भरी चर्चा आयोजित की। इन मंचों ने पेशेवरों को उद्योग के सामने आने वाली मौजूदा चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा करने और अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक डायनेमिक जगह उपलब्‍ध कराया। मुंबई अंतरराष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव 2024 ने वैश्विक सिनेमाई आदान-प्रदान, रचनात्मकता को बढ़ावा देने, सहयोग करने और दुनिया भर से कहानी बयां करने की विविध परंपराओं का जश्न मनाने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत की है।

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एमजी/एएम/एसकेसी



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