उप राष्ट्रपति सचिवालय

अंतर्राष्ट्रीय सामरिक सहभागिता कार्यक्रम (इन-स्टेप) के प्रतिभागियों को उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 21 MAR 2024 2:07PM by PIB Delhi

मैं इस बहुत महत्वपूर्ण बातचीत के लिए उपराष्ट्रपति निवास में आप सभी का स्वागत करता हूं। मैं इसके आयोजन के लिए एनडीसी का आभारी हूं।

वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने और गंभीर महत्व के सामरिक विषयों पर साझा समझ को बढ़ावा देने वाली एक दूरदर्शी पहल अंतर्राष्ट्रीय सामरिक सहभागिता कार्यक्रम (इन-स्टेप) के विशिष्ट प्रतिभागियों के बीच होना अत्यंत प्रसन्नता की बात है।

भारत मानवता के छठे हिस्से का घर है। शांति और सद्भाव के अपने सभ्यतागत लोकाचार के साथ-साथ सभी स्तरों पर संवैधानिक रूप से संरचित और क्रियाशील लोकतंत्र के साथ, वैश्विक शांति के लिए स्पष्ट नेतृत्वकर्ता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में एनडीसी नई दिल्ली में दो सप्ताह का अंतर्राष्‍ट्रीय सामरिक सहभागिता कार्यक्रम 21 देशों और 8 भारतीय अधिकारियों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ एक सामयिक सहयोग का प्रयास है।

मुझे ज्ञात हुआ है कि नेशनल डिफेंस कॉलेज और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन ने सामरिक क्षेत्र में इस अत्यावश्यक व्यावहारिक कार्यक्रम को सोच-समझकर तैयार किया है।

दो सप्ताह से अधिक सेमिनार और इंटरैक्टिव सत्र निश्चित रूप से लाभकारी होंगे।

यह भू-राजनीतिक गतिशीलता और सुरक्षा चुनौतियों से लेकर राजनयिक वार्ता और संघर्ष समाधान रणनीतियों तक विविध विषयों का पता लगाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

विकास के लिए वैश्विक शांति और सुरक्षा मौलिक हैं। शक्ति की स्थिति से ही शांति को सबसे अच्छी तरह से सुरक्षित किया जा सकता है। युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहना शांतिपूर्ण वातावरण का सबसे सुरक्षित मार्ग है।

पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा चिंताओं और उससे निपटने की कार्यप्रणाली में व्यापक परिवर्तन आया है। पारंपरिक युद्ध और सुरक्षा खतरों के दिन लद गए हैं।

अब सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों पर तकनीकी प्रगति और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का सीधा असर पड़ रहा है।

विश्व के किसी भी भाग में होने वाली अशांति वैश्विक चुनौती बन जाती है। सहयोग के प्रयासों से संकल्प निकल सकते हैं। अलगाव का दृष्टिकोण अब अतीत की बात हो गई है।

ऐसे तेजी से बदलते भू-राजनीतिक और सामरिक परिदृश्य में ज्ञान का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह समसामयिक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य और चुनौतियों को समझने और उनका समाधान करने में सहायक होगा।

ऐसे तेजी से बदलते भू-राजनीतिक और रणनीतिक परिदृश्य में, यह ज्ञान विनिमय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह समकालीन रूप से जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य और चुनौतियों को समझने और उनका समाधान करने में मदद करेगा।

आज विश्व जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद, साइबर खतरों और अंतरिक्ष, समुद्र और जमीन आदि पर वैश्विक व्यवस्था के संगठित विघटन जैसे जटिल मुद्दों के रूप में अस्तित्व संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है, विश्व पहले इस तरह कभी नहीं जूझा है।

इन मिश्रित चुनौतियों में शामिल है तेजी से विकसित हो रहा सूचना प्रसार क्षेत्र, सूचना का मुक्त रूप से आना जहां सोशल मीडिया क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है कि कैसे कथाओं को आकार दिया जाता है और बातचीत कैसे होती है।

खतरनाक प्रेरणाओं के साथ भयावह डिजाइन इस तरह से प्रस्तुत किए जाते हैं कि मशीन लर्निंग बहुत प्रासंगिक हो जाती है। ये वे मुद्दे हैं जिनसे आप सभी जूझ रहे होंगे। मैं उनकी गहराई में नहीं जाना चाहता।

सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इन बदलावों को कुशलतापूर्वक अपनाना रचनात्मक और लचीले वैश्विक सहयोग के लिए अनिवार्य हो गया है। यह एक ऐसा मंच है जो सतही खरोंच से परे जाकर झगड़ों और वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए प्रतिक्रियाओं को गहराई से जांचने की कोशिश करता है।

इन-स्टेप प्रभावी नीति निर्माण और तनाव समाधान के आधार के रूप में आपसी संवाद और एकजुटता में काम करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

राष्ट्रों के लिए सार्थक चर्चा में शामिल होने की आवश्यकता इन अशांत समयों से अधिक कभी नहीं रही। विश्व के किसी भी हिस्से में होने वाली हिंसा टकराव वाले देशों से परे वैश्विक अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करती है। इस तरह के टकराव का समाधान कूटनीति और बातचीत में निहित है, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने बल दिया है।

यह कार्यक्रम विशिष्ट है क्योंकि भारतीय सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों, विदेश सेवाओं और 21 विदेशी देशों के प्रतिनिधियों के दृष्टिकोण के समृद्ध टेपेस्ट्री का संमिलन है। इस तरह का विविध प्रतिनिधित्व हमारे मतभेदों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग और एकता को बढ़ावा देने के हमारे सामूहिक संकल्प को दिखाता है।

मुझे कोई संदेह नहीं है कि जब आप दो सप्ताह से अधिक समय तक विचार-विमर्श सत्रों में संलग्न होंगे। निश्चित रूप से जुड़ाव, अधिक समझ, मूल्यवर्धन होगा, जो सभी के लाभ के लिए मुद्दों के समाधान की ओर ले जाएगा।

प्रत्येक राष्ट्र शांति, सुरक्षा और विकास चाहता है। फिर भी इन आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए व्यापक और समन्वित प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता वाली बहुआयामी, परस्पर जुड़ी चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है।

चिंताजनक बात यह है कि ये समस्याएं अंकगणितीय रूप से नहीं बल्कि ज्यामितीय रूप से जटिल होती जा रही हैं, जिसके लिए आप जैसे समूहों से संबंधित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है ताकि हम इन चुनौतियों को सबसे प्रभावशाली तरीके से बेअसर कर सकें।

जटिलताओं का विश्लेषण करना और हमारे मूल मूल्यों में निहित अनुकूल रणनीतियों को विकसित करना महत्वपूर्ण है।

इसके लिए पारंपरिक विचार प्रक्रियाओं से परे जाने की आवश्यकता है। पारंपरिक व्यवस्था अब लागू नहीं है क्योंकि पारंपरिक युद्ध पूरी तरह से बदल गया है। पारंपरिक व्यवस्था ने विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकी और कार्यप्रणाली को जन्म दिया है।

अपनी विशेषज्ञता और अनुभवों को एकत्रित करके हम आम बाधाओं को दूर करने और साझा अवसरों का लाभ उठाने के लिए अपनी सामूहिक शक्तियों का लाभ उठा सकते हैं। इस तरह की घटनाएं आगे बढ़ने का उचित तरीका हैं।

भारत, अपनी समृद्ध विरासत के साथ लंबे समय से "वसुधैव कुटुंबकम" – विश्‍व एक परिवार है - के लोकाचार को अपनाता रहा है।

यह हजारों वर्षों से हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है। कोविड महामारी के दौरान अपने लोगों की मदद करके इसे बखूबी प्रदर्शित किया गया, भारत 100 अन्य देशों की मदद के लिए आगे आया।

यह मार्गदर्शक सिद्धांत इसके वर्ष भर के जी20 प्रेसीडेंसी के दौरान स्पष्ट था, जिसमें सहयोग, समावेशिता और पारस्परिक सम्मान पर बल दिया गया था क्योंकि इसने ग्लोबल साउथ के स्वर के रूप में उभरते हुए अफ्रीकी संघ के समावेश को उत्प्रेरित किया था।

जैसा कि कुछ लोगों ने संकेत दिया है। भारत अब संभावनाओं वाला या सोता हुआ विशाल देश नहीं रह गया है। यह बढ़ रहा है और बढ़त अजेय है। भारत की असाधारण विकास गाथा संशयवादियों से परे है, जो दूरदर्शी नेतृत्व, समावेशी विकास और अटूट दृढ़ता का उदाहरण है।

और हमेशा याद रखें कि यह अभूतपूर्व विकास और तेजी से उपलब्धियां उस देश में हो रही हैं जो 1.4 अरब लोगों का निवास स्थान है।

आज की गतिशील भू-राजनीति के बीच भारत की अभूतपूर्व वृद्धि सबसे अलग है। एक विस्तारित अर्थव्यवस्था, प्रभावी कूटनीति और बढ़ती सॉफ्ट पावर के साथ एक महत्वपूर्ण वैश्विक देश के रूप में स्पष्ट रूप से उभरने के साथ विश्‍व शांति के लिए सकारात्मक इकोसिस्‍टम को उत्प्रेरित करने के लिए भारत की ओर देखता है। इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है।

भारत चुनौतियों का सामना करने और अपनी मानव पूंजी के पूरक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव प्रौद्योगिकी जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में भी अग्रणी है। मित्रों, नेशनल क्वांटम मिशन के साथ-साथ नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भी नवीनतम तकनीक का अग्रदूत है।

दशकों पहले यह राष्ट्र प्रौद्योगिकी के विकास की प्रतीक्षा करता था, जहां अब यह राष्ट्र व्यापक मानवता के कल्याण के लिए इन ऊर्जाओं को क्रियान्वित करने की बड़ी लीग की पहल में सबसे आगे है।

भारत इस तरह के नवाचारों को आगे बढ़ाकर सतत वैश्विक विकास और समृद्धि के लिए भविष्य के लिए तैयार इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देता है।

भारत वैश्विक शांति, स्थिरता और सद्भाव को पोषित करने और बनाए रखने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत की स्थिति विशिष्‍ट है। भारतीय कभी भी विस्तार में शामिल नहीं होते हैं, भारत कभी भी शांति और संवाद का मार्ग नहीं छोड़ता है तथा राष्ट्रों के समुदायों में हमेशा याद किया जाता है। 1.4 बिलियन लोगों वाला भारत उच्च विश्वसनीयता के साथ एक क्रियाशील संरचित लोकतंत्र है। इसलिए भारत सभी के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

हमारे हितों को संरेखित करने से हमारी साझा आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने वाली विश्व व्यवस्था को आकार देने के लिए हमारी सामूहिक आवाज को बढ़ाने की अनुमति मिलती है।

यूरोपीय संघ पहले से ही जी20 का सदस्य था। एक ऐतिहासिक घटनाक्रम को देखें जब जी20 की अध्यक्षता भारत के साथ थी। अफ्रीकी संघ को शामिल किया गया। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम था।

अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रतिष्ठा में भारत का उदय वैश्विक शांति और सद्भाव का आश्वासन है। राष्ट्र शक्ति में आगे बढ़ सकते हैं, राष्ट्र बड़ी तकनीकी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं, लेकिन क्या यह वैश्विक शांति और सद्भाव के साथ समन्वित है।

मैं प्रतिबद्धता और विश्वास के साथ कहता हूं कि विश्व शांति, सद्भाव और वैश्विक व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा आश्वासन के साथ अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी में भारत का उत्कर्ष हुआ है।

विभिन्न पृष्ठभूमि से विचारों का क्रॉस-परागण इन-स्टेप का सबसे अमूल्य पहलू है। यह क्षितिज को व्यापक बनाने, धारणाओं को चुनौती देने तथा समग्र समाधान पर पहुंचने के लिए मुक्‍त और रचनात्मक संवाद को गले लगाएगा।

यह वह समय है जब हमें धारणाओं को चुनौती देनी चाहिए। हमारी धारणाएं तथ्यात्मक जमीनी हकीकत पर आधारित नहीं हैं; हम अब इन धारणाओं को हमें बैकफुट पर नहीं आने दे सकते; प्रतिभाशाली मष्तिष्‍कों के इस तरह के इंटरैक्टिव सत्र निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी और रणनीतियों के प्रभावी उद्भव के लिए एक मार्ग प्रदान करेंगे।

आपका अनुभव समृद्ध, ज्ञानवर्धक और सशक्त हो। और बंधन मित्रता और वैश्विक साझेदारी की स्थायी विरासत के रूप में कायम रहते हुए इस कार्यक्रम से आगे बढ़ें।

मैं ऐसे प्रतिभाशाली मष्तिष्‍कों के समक्ष अपने कुछ विचार प्रकट करने का अवसर उपलब्ध कराने के लिए एनडीसी का आभारी हूं।

मैं आपके इस प्रयास में बड़ी सफलता की कामना करता हूं ताकि इस ग्रह को भावी पीढ़ियों के लिए उस तरीके से संरक्षित किया जा सके जैसा हम सभी चाहते हैं।

धन्यवाद!

***

एमजी/एआर/एजी/एसएस



(Release ID: 2015949) Visitor Counter : 185