विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘विज्ञान का दशक’ संकलन जारी किया
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि , "वैज्ञानिक समुदाय के आत्मसम्मान और सशक्तिकरण के 3 स्तंभों पर आधारित विज्ञान के एक दशक, प्रौद्योगिकी के जीवन का एक तरीका बनने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सफलता की कहानियों ने भारत को विश्व स्तर पर स्थापित किया है "
'आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक' शीर्षक वाली रिपोर्ट भारत सरकार के 'प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय' द्वारा तैयार की गई है
भारतीय वैज्ञानिकों के पास पहले से ही विश्व स्तरीय नवाचार विकसित करने का कौशल था, लेकिन प्रधान मंत्री के नेतृत्व ने उन्हें हाल के वर्षों में एक सक्षम वातावरण दिया है: डॉ. सिंह
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि "भारत उभरते विज्ञान और प्रौद्योगिकियों में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है और विश्व भारत को एक पथप्रदर्शक बनने की ओर देख रहा है "
प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक महान लोकतांत्रिक समतावादी है जो समान अवसर प्रदान करता है और भारत के सबसे दूरदराज के हिस्सों से भीआने वाले छात्रों को समान अवसर प्रदान करता है "
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार "प्रधानमंत्री के नेतृत्व ने भारत को संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण की दिशा में काम करने और नागरिकों के लिए जीवन में आसानी को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित किया है "
Posted On:
14 MAR 2024 5:59PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ), परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के अंतर्गत "विज्ञान का दशक" संकलन जारी किया।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 'आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक' शीर्षक वाली रिपोर्ट आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में संकलन के विमोचन के बाद कहा कि "वैज्ञानिक समुदाय के आत्म-सम्मान और सशक्तिकरण के 3 स्तंभों पर आधारित विज्ञान के एक दशक, प्रौद्योगिकी जीवन का एक तरीका बन गए हैं तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सफलता की कहानियों ने भारत को विश्व स्तर पर स्थापित किया है।"
'आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पैनोरमा का एक दशक' नामक यह संकलन भारत सरकार के 'प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय' द्वारा फाउंडेशन ऑफ एडवांसिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (फास्ट- एफएएसटी)) इंडिया और 22 संबंधित मंत्रालयों, विभागों एवं संगठनों के सहयोग से तैयार किया गया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक दशक के अथक समर्पण और उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "भारतीय वैज्ञानिकों के पास पहले से ही विश्व स्तरीय नवाचार विकसित करने का कौशल था, फिर भी प्रधान मंत्री के नेतृत्व ने हाल के वर्षों में इसके लिए एक सक्षम वातावरण दिया है"। उन्होंने कहा कि भारत विकसित और वैज्ञानिक रूप से उन्नत देशों में अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरा है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि "भारत उभरते विज्ञान और प्रौद्योगिकियों में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार है और विश्व इसके लिए हमें एक पथप्रदर्शक बनने की ओर देख रहा है" I उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी 2047 तक भारत को विकसित भारत में बदलने में आधारशिला होगी। कोविड-19 के लिए स्वदेशी वैक्सीन के विकास को याद करते हुए उन्होंने कहा कि "भारत को अब केवल चिकित्सीय स्वास्थ्य देखभाल ही नहीं, बल्कि निवारक स्वास्थ्य देखभाल में भी अग्रणी माना जाता है।"
प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने कहा कि देर से शुरू होने के बावजूद, भारत का चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान था। 'आदित्य एल-1' मिशन भारत को यह उपलब्धि हासिल करने वाले कुछ ही देशों में शामिल कर देगा। 'गगनयान मिशन' के अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि अब अमेरिका भी उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाने के लिए कह रहा है, जो यह दर्शाता है कि भारत में अन्य देशों के साथ साझेदारी करने की क्षमता है।
ग्रामीण और ऐसे गरीब परिवारों से आकर जिन्होंने सार्वजनिक सेवा परीक्षाओं में अपनी जगह बनाने वाले गरीब छात्रों के हाल के चयन के संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक ऐसा महान लोकतंत्र है जो समान अवसर प्रदान करता है, और भारत के सबसे दूरदराज के हिस्सों से भी आने वाले छात्रों को समान अवसर प्रदान करता है" । एक उदाहरण साझा करते हुए उन्होंने कहा कि अब छात्र रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई की सुविधा के साथ स्मार्ट फोन पर अध्ययन करते के बाद सफल भी होते हैं और यह नागरिकों के तकनीकी सशक्तिकरण का प्रमाण है।
डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार "प्रधानमंत्री के नेतृत्व ने हमें संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण में काम करने और नागरिकों के लिए जीवन में आसानी को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन दिया है ।" उन्होंने 'अरोमा मिशन' की सफलता को याद किया जिसमें किसानों ने 80 लाख रुपये मूल्य के 800 लीटर से अधिक लैवेंडर तेल का उत्पादन किया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है। आगे बढ़ते हुए डॉ. सिंह ने कहा, "भारत की जैव-अर्थव्यवस्था पिछले 10 वर्षों में 13 गुना बढ़कर 2014 में 10 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है"। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हाल के लेखानुदान (वोट ऑफ अकाउंट बजट) में सरकार ने जैव- विनिर्माण (बायो-मैन्युफैक्चरिंग) के लिए विशेष योजना का प्रावधान किया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तीसरे कार्यकाल में भारत 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर और आगे बढ़ेगा।" यह उनका नेतृत्व ही है जिसने भारत की स्टार्टअप यात्रा को 352 स्टार्टअप से लगभग 1 लाख स्टार्टअप और उनमें से भी 100 से अधिक को यूनिकॉर्न तक बना दिया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आर्थिक विकास के चालक होने पर आगे बोलते हुए डॉ. सिंह ने नीली अर्थात समुद्री अर्थव्यवस्था (ब्लू इकोनॉमी) में भारत द्वारा उठाए गए कदमों और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, सेमी-कंडक्टर मिशन आदि और सहयोगात्मक विकास प्राप्त करने के लिए निजी भागीदारी के लिए क्षेत्रों को खोलने का उल्लेख किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा की "आईआईटी में विकसित और संचालित ड्रोन गांवों की महिलाओं तक पहुंच गया है और इसने उन्हें ड्रोन-दीदी बना दिया है।" डॉ. सिंह ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि अनुसंधान राष्ट्र अनुसंधान फाउंडेशन भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय सूद और डॉ. वी.के. के नेतृत्व को स्वीकार किया I नीति आयोग के सदस्य वी . के. सारस्वत ने पीएसए कार्यालय की टीम के प्रयासों की भी सराहना की, जिन्होंने इस व्यापक रिपोर्ट को तैयार करने में फाउंडेशन ऑफ एडवांसिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (फास्ट- एफएएसटी) इंडिया और 22 संबंधित मंत्रालयों, विभागों और संगठनों के साथ सहयोग किया।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर ए.के. सूद ने इस पूरी प्रक्रिया में उनके निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया और अरोमा मिशन की सफलता के लिए भी आभार व्यक्त किया जिसमें डॉ. जितेंद्र सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रोफेसर सूद ने साझा किया कि यह रिपोर्ट व्यवस्थित क्षमता निर्माण, भविष्य की तैयारियों के लिए अनुसंधान की सीमाओं को आगे बढ़ाना, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं वाले क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास को सक्षम करने के साथ वैज्ञानिक सुधार के नागरिक प्रभाव को सुनिश्चित करना के 4 स्तंभों पर आधारित है । प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि “यह रिपोर्ट क्षमता निर्माण, ऊर्जा, अन्वेषण, सार्वजनिक सेवा, कृषि, पशुधन और जैव प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य जैसे विभिन्न डोमेन में विज्ञानं और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) के प्रयासों की जांच करती है।
इया कार्यक्रम में डॉ. परविंदर मैनी, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी और फाउंडेशन ऑफ एडवांसिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (फास्ट- एफएएसटी)के संस्थापक श्री वरुण अग्रवाल के साथ प्रेस सूचना ब्यूरो के अपर महानिदेशक डॉ. धीरज सिंह भी उपस्थित थे ।
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(Release ID: 2014775)
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