उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने भारतीय राजस्व सेवा समुदाय से आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को प्रोत्साहन देने का आग्रह किया
उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ‘वोकल फॉर लोकल’ स्वदेशी के लिए प्यार समय की जरूरत है
उपराष्ट्रपति ने कहा, आज कोई भी व्यक्ति कर प्रशासक से नहीं डरता है, यह एक आदर्श बदलाव है
उपराष्ट्रपति ने परामर्श और समर्थन के माध्यम से करदाताओं की संख्या बढ़ाने का आह्वान किया
आज करदाता आश्वस्त है कि उसके कर भुगतान का अधिकतम उपयोग राष्ट्रीय विकास के लिए किया जा रहा है-उपराष्ट्रपति
अनुकरणीय अधिकारी और नागरिक बनने का सबसे सुरक्षित मार्ग शॉर्टकट लेने से परहेज करना और कानून के शासन का अनुपालन करना है: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने आज भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 77वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया
Posted On:
12 MAR 2024 2:31PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने आज भारतीय राजस्व सेवा समुदाय से "देश में आर्थिक राष्ट्रवाद की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए सक्रिय मिशन मोड" में रहने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परिहार्य आयात भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी बोझ था, जो रोजगार और उद्यमिता के अवसरों को भी प्रभावित कर रहा था। उन्होंने बल देते कहा कि 'वोकल फॉर लोकल' और स्वदेशी के लिए प्यार समय की आवश्यकता थी और इस प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
आज संसद भवन परिसर में भारतीय राजस्व सेवा के 77वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1.4 बिलियन की आबादी के साथ, हमारी कर संग्रह क्षमता काफी हद तक अप्रयुक्त है। उन्होंने जबरदस्ती करके नहीं, बल्कि परामर्श और समर्थन के माध्यम से करदाताओं की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री धनखड़ ने कहा कि पिछले दशक में परिवर्तनकारी कराधान सुधारों ने कर बोझ को कम किया है और विरूपण प्रोत्साहनों को हटाया है, जिससे विकास और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए कर आधार बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना करते हुए कहा कि करदाता अब कर प्रशासकों से डरते नहीं हैं। उन्होंने इसे एक 'प्रतिमान बदलाव' बताते हुए कहा कि आज करदाताओं और कर प्रशासकों के बीच संबंध "सामंजस्य, एकजुटता और सहमति के रुख में एकता के हैं"।
पिछले दशक के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में हुई तीन गुना वृद्धि के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, "एक अच्छी बात यह है कि अब करदाता को आश्वासन दिया गया है कि उसके कर भुगतान का राष्ट्रीय विकास के लिए पूरी तरह से और अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कर सेवाओं में अभी हाल की पहलों पर भी ध्यान आकर्षित किया, जिससे देश में कर प्रशासन में लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है और उस पर भरोसा करने में भी मदद मिली है, जिससे देश में ‘ईज ऑफ डूइंग’ बिजनेस में वृद्धि हुई है।
यह चेतावनी देते हुए कि "कानून का अतिक्रमण और अधिक महत्वाकांक्षा संभावित रूप से विनाशकारी है", उपराष्ट्रपति ने कहा, "संभावित करदाताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने के लाभों और ऐसा नहीं होने के कष्टों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षुओं अधिकारियों को लोगों में यह भावना पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया कि "सफलता का सबसे पक्का मार्ग कर अनुपालन और कानून का पालन करना है।
विकासशील Bharat@2047 की नींव रखने में युवा अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, "आपको गर्व, उत्तरदायित्व और उचित अखंडता के साथ इस जिम्मेदारी को धारण करना चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों को लोगों में इस भावना का समावेश करने के लिए प्रोत्साहित किया कि सफलता का सबसे सुरक्षित मार्ग शॉर्टकट अपनाने से बचना और कानून का शासन बनाए रखना है।
इस अवसर पर श्री पी. सी. मोदी, महासचिव, राज्य सभा, श्री सुनील कुमार गुप्ता, उपराष्ट्रपति के सचिव; श्री नितिन गुप्ता, अध्यक्ष, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी); श्री सीमांचल दास, प्रधान महानिदेशक (प्रशिक्षण), सीबीडीटी, श्री आनंद बैवर, महानिदेशक, राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी), के 77वें बैच के भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के 77वें बैच के लिए उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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