कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और श्री गिरिराज सिंह ने आज नई दिल्ली में कृषि क्षेत्र की तीन प्रमुख पहलों जैसे संशोधित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम और केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान पोर्टल का शुभारंभ किया


मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल को नया रूप दिया गया है और मिट्टी के नमूना संग्रह और परीक्षण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन प्रस्तुत किया गया है

Posted On: 07 MAR 2024 5:23PM by PIB Delhi

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली के कृषि भवन में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह के साथ संयुक्त सम्मेलन में कृषि क्षेत्र की तीन प्रमुख पहलों यानी संशोधित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम और उर्वरक नमूना परीक्षण के लिए केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान (सीएफक्यूसीटीआई) के पोर्टल का शुभारंभ किया।

श्री अर्जुन मुंडा ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि इन पहलों का उद्देश्य दूरदराज के इलाकों में भी किसानों को लाभ पहुंचाना और उन्हें आसानी से खेती करने में सक्षम बनाना है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे किसानों को ऐसी सभी सुविधाओं से सशक्त किया जाएगा तो वे केवल अपने लिए बल्कि देश और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार सहकारिता आधारित भारत के निर्माण के लिए सहकारिता से समृद्धि के मूल मंत्र के साथ यह कार्य कर रही है।

श्री अर्जुन मुंडा ने मिट्टी के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मिट्टी हमारी धरती माता है और प्रत्येक प्राणी के हित में मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा रखना हमारा दायित्व है। श्री मुंडा ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने में कृषि सखी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में यह बड़ी ताकत उभर कर सामने आई है, जो किसानों को मृदा स्वास्थ्य के बारे में जागरूक कर सकती है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के साथ हम लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाते हुए सार्थक परिणाम की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में विद्यार्थियों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण पहल है जो विद्यार्थियों को मिट्टी और हमारे पर्यावरण के महत्व को समझने में मार्गदर्शन करेगा। इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ केन्द्रीय और नवोदय विद्यालयों में मृदा प्रयोगशालाएँ स्थापित की गईं। विद्यार्थियों और शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया, जो अपने गांवों और कृषि क्षेत्र के विकास में योगदन देंगे।

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श्री गिरिराज सिंह ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम को कृषि सखियों को "पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स" के रूप में प्रमाणित करने के लिए एक संयुक्त पहल के रूप में शुरू किया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया कि केंद्र में उनके सत्ता में आने के बाद से मृदा स्वास्थ्य को प्रमुखता से महत्व दिया गया है। श्री सिंह ने कहा कि कृषि सखी और ड्रोन दीदी जैसे कार्यक्रमों के रूप में एक बड़ी ताकत देश में अच्छा काम करने में लगी है। उन्होंने मिट्टी को स्वस्थ बनाने में मृदा कार्बनिक कार्बन की भूमिका पर बल दिया और कहा कि जब मिट्टी और जानवरों का स्वास्थ्य बेहतर होता है, तो मनुष्य का स्वास्थ्य भी अपने आप बेहतर हो जाता है।

श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि आज शुरू की गई सुविधाओं से वास्तविक समय डेटा भी प्राप्त होगा। उन्होंने किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए जागरूक करने में कृषि सखी की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कृषि सखी से केवल खेती को फायदा होगा, बल्कि समाज में इसकी विश्वसनीयता भी बढ़ेगी और किसानों में आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। उन्होंने संपूर्ण मानवता की भलाई के लिए जैविक और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का उपयोग करने का भी परामर्श दिया। श्री सिंह ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में जैविक उत्पादों का बाजार काफी बढ़ेगा। उन्होंने जैविक खेती को प्रोत्साहन देने में सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों का योगदान सुनिश्चित करने का आग्रह किया। केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कृषि से जुड़े संस्थानों को कार्बन का वास्तविक समय डेटा भी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी सुविधाओं के माध्यम से देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकलपना को शत-प्रतिशत लागू करने का काम किया जा रहा है।

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मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन को नया रूप दिया गया - मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल को नया रूप दिया गया है और मिट्टी के नमूना संग्रह और परीक्षण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन प्रस्तुत किया गया है। पोर्टल में मृदा प्रयोगशाला रजिस्ट्री है और प्रयोगशालाओं की स्थिति वास्तविक समय के आधार पर देखी जा सकती है। प्रयोगशालाओं को पोर्टल पर भू-निर्देशांक के साथ मैप किया जाता है। पोर्टल में मृदा नमूना संग्रह, प्रयोगशालाओं में परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण का वास्तविक समय डेटा दिखाने की सुविधा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मोबाइल एप्लिकेशन में ऐप आधारित क्यूआर कोड से युक्त मिट्टी नमूना संग्रह प्रणाली शुरू की गई है। नए पोर्टल के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर केंद्रीकृत डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया है। भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) विश्लेषण वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हैं। किसान एसएमएस सूचना के माध्यम से और पोर्टल पर मोबाइल नंबर दर्ज करके मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) डाउनलोड कर सकते हैं। पोर्टल में उर्वरक प्रबंधन, इमोजी आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व डैशबोर्ड, पोषक तत्वों के हीट मैप हैं। इस पहल के माध्यम से अब वास्तविक समय के आधार पर प्रगति की निगरानी की जा सकती है। अब, जहां से नमूने एकत्र किए जाते हैं, वहां किसानों के भू-निर्देशांक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से स्वचालित रूप से कैप्चर किए जा रहे हैं। ऐप प्लॉट विवरण भी पंजीकृत करता है और ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से काम करता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनने तक किसान अपनी मिट्टी के नमूने का लेखा-जोखा रख सकते हैं।

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स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम- स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सहयोग से विभाग ने स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम पर एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है। परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रीय और नवोदय विद्यालय के 20 स्कूलों में 20 मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। अध्ययन मॉड्यूल विकसित किए गए और विद्यार्थियों और शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। मोबाइल एप्लिकेशन को स्कूल कार्यक्रम के लिए अनुकूलित किया गया था और पोर्टल में कार्यक्रम के लिए एक अलग खंड है जहां विद्यार्थियों की सभी गतिविधियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। अब, इस कार्यक्रम को 1000 स्कूलों में बढ़ाया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एकलव्य मॉडल स्कूलों को शामिल किया गया है। स्कूलों को पोर्टल पर जोड़ा जा रहा है और ऑनलाइन समूह बनाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय इन स्कूलों में मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित करेगा। स्कूली विद्यार्थी मिट्टी के नमूने एकत्र करेंगे, स्कूलों में स्थापित प्रयोगशालाओं में परीक्षण करेंगे और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाएंगे। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने के बाद, वे किसानों के पास जाएंगे और उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा के बारे में शिक्षित करेंगे। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को प्रयोग करने, मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण करने और मिट्टी के भीतर आकर्षक जैव विविधता का पता लगाने का अवसर प्रदान करेगा। व्यावहारिक गतिविधियों में संलग्न होकर, विद्यार्थियों में महत्वपूर्ण सोच कौशल, समस्या सुलझाने की क्षमता और इकोसिस्टम के अंतर्संबंध की समग्र समझ विकसित होगी। इसके अलावा, मृदा प्रयोगशाला कार्यक्रम केवल वैज्ञानिक अन्वेषण के बारे में नहीं है; यह हमारे पर्यावरण के प्रति दायित्व और सम्मान की भावना पैदा करने के बारे में है। विद्यार्थी टिकाऊ कृषि पद्धतियों, मिट्टी के स्वास्थ्य पर मानव गतिविधियों के प्रभाव और हमारे इकोसिस्टम के नाजुक संतुलन को संरक्षित करने में हममें से प्रत्येक की भूमिका के बारे में सीखेंगे।

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कृषि सखी अनुकूलन कार्यक्रम- ग्रामीण भारत के हृदय में एक मूक क्रांति जड़ें जमा रही है। कृषि सखियाँ ग्रामीण परिवर्तन के पीछे प्रेरक शक्ति हैं। इस क्रांति को और प्रोत्साहन देने के लिए, अनुकूलन पहल के एक भाग के रूप में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच - अपने कार्यक्रमों को एकजुट करने के लिए 30.08.2023 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन के एक हिस्से के रूप में, 70,000 कृषि सखियों को "पैरा-एक्सटेंशन वर्कर्स" के रूप में प्रमाणित करने के लिए एक संयुक्त पहल यानी कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया था। कृषि सखियाँ राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ), जैव संसाधन केंद्र, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और कई अन्य योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि उनकी ताकत उनकी प्रतिबद्धता, उत्साह, जुनून, कड़ी मेहनत में समाहित है। स्थानीय होने के नाते, स्थानीय भाषा, संस्कृति, प्रथाओं को जानने और ग्रामीणों और किसानों के साथ मिलकर सभी सुख-दुख सहने के कारण, वे इकोसिस्टम को बेहतर ढंग से समझते हैं। कृषि सखियाँ, जिनमें से अधिकांश किसान स्वयं बेहतर समझ रखते हैं और अपने दोस्तों, परिवारों, गाँवों को अधिक भरोसेमंद तरीके से समझाने में लाभदायक स्थिति में हैं।

"वे वही सिखाते हैं जो वे अभ्यास करते हैं, वे ग्रामीण विकास के उत्प्रेरक हैं।"

कृषि सखियाँ सिर्फ कृषि मार्गदर्शक नहीं हैं; वे किसान हैं, किसानों की मित्र हैं, सामुदायिक संसाधन हैं और जागरूकता पैदा करने वाली हैं, जो प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए अनुसंधान संस्थानों को जमीनी स्तर से जोड़ रही हैं। कृषि सखी, एसआरएलएम द्वारा पहचाने गए गांवों की महिलाओं को उनकी जन्मजात क्षमता और खेती तथा गांवों से मजबूती से जुड़ी ग्रामीण कृषि सेवाओं में अंतर को पाटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह कृषि के भविष्य को आकार देने वाले परिवर्तन और सशक्तिकरण की कहानी है।

प्रमाणित कृषि सखियाँ किसानों में जागरूकता पैदा करने और क्षमता निर्माण के लिए पैरा-विस्तार कार्यकर्ता, सामुदायिक संसाधन व्यक्ति बन जाती हैं और किसानों, कृषि विकास केंद्र, कृषि और संबद्ध विभागों के बीच एक कड़ी के रूप में भी कार्य करती हैं। कृषि में एक कुशल संचारक से लेकर एक अभिनव समस्या समाधानकर्ता तक, कृषि सखी असाधारण व्यक्ति के रूप में उभरती हैं। कृषि सखियाँ कृषि इकोसिस्टम, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल विविधता, स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा पर ज्ञान से सुसज्जित अपने गांवों में टिकाऊ खेती की रीढ़ बन गई हैं।

कृषि सखियाँ प्रमुख संसाधनों के रूप में कार्य करती हैं, किसानों को इन पहलों के लाभों तक पहुँचने के लिए मार्गदर्शन करती हैं। वे जनभागीदारी के हिस्से के रूप में प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और परीक्षण पर जागरूकता सृजन बैठकें करेंगी। इन पहलों का कृषि सखियों की आजीविका बढ़ाने पर सीधा प्रभाव पड़ेगा और कृषि कार्यक्रम और योजनाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी। अब तक लगभग 3500 कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और यह कार्यक्रम एक साथ 13 राज्यों में लागू किया जा रहा है।

परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में कृषि सखियाँ: परिवर्तन के क्षेत्र में, कृषि सखियाँ प्रगति के बीज हैं, जो टिकाऊ कृषि के भविष्य का पोषण करती हैं। ये कृषि सखियाँ ग्रामीण भारत को नया आकार देने वाली असाधारण महिलाएँ हैं।

उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली सीएफक्यूसीटीआई पोर्टल- उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली (एफक्यूसीएस) पोर्टल में बंदरगाहों पर नमूना संग्रह और उसके परीक्षण के लिए वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) / एसएमएस एप्लिकेशन सुविधा शुरू की गई है। नए पोर्टल में, सिस्टम द्वारा एक ओटीपी उत्पन्न किया जाएगा और आयातक के अधिकृत व्यक्तियों के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, जिसमें व्यक्ति सत्यापित कर सकता है कि विवरण एफसीओ के रूप में निर्धारित फॉर्म-जे 1985 में उर्वरक निरीक्षक द्वारा भरे गए हैं। किसी भी विसंगति के मामले में, अधिकृत व्यक्ति ओटीपी की पुष्टि करने से इनकार कर सकता है। नमूना सिस्टम द्वारा संबंधित प्रयोगशालाओं को यादृच्छिक आधार पर स्वचालित रूप से आवंटित किया जाएगा और विश्लेषण रिपोर्ट प्रणाली के माध्यम से आयातक के अधिकृत व्यक्ति की ईमेल-आईडी पर या सीधे आयातक को, जैसा भी मामला हो, जारी की जाएगी। दूसरे चरण में, पोर्टल को बंदरगाहों/डीलर बिक्री बिंदु आदि पर लाइव सैंपलिंग सहित स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरकों के नमूने के लिए अपडेट किया जा सकता है।

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बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीए&एफडब्ल्यू) के सचिव; सचिव, ग्रामीण विकास; महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुए। सभी राज्यों के कृषि विभाग; नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) के विभिन्न स्कूल; केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के विद्यालय और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); कृषि सखी; कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) कार्यकर्ता; विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के कर्मचारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस अवसर पर सम्मिलित हुए।

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