विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जरिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सही शब्दावली का उपयोग करके विज्ञान का संचार कैसे करें, पर कार्यशालाओं का आयोजन किया

Posted On: 07 MAR 2024 11:37AM by PIB Delhi

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (एनआईएससीपीआर) ने 6 मार्च 2024 को एक ओरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया, जिसके द्वारा उसने प्रख्यात विशेषज्ञों की मूल्यवान अंतर्दृष्टि के साथ अपने विज्ञान मीडिया संचार सेल (एसएमसीसी) को सशक्त बनाया। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, पूसा, नई दिल्ली में आयोजित कार्यशालाओं का उद्देश्य भारतीय विज्ञान की विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) संबंधी जानकारी को बड़े पैमाने पर समाज और जनता तक पहुंचाने के लिए प्रभावी रणनीतियों के साथ एसएमसीसी को सफलतापूर्वक अपना काम करने के लिए प्रोत्साहित करना था।

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वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) के सहायक निदेशक डॉ. अशोक सेलवटकर ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रसार में तकनीकी शब्दावली की भूमिका पर अपना ज्ञान साझा किया। उन्होंने कार्यशाला के प्रतिभागियों को विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों की नवीनतम वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली के उपयोग में भी प्रशिक्षित किया। उपस्थित लोगों को जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार में तकनीकी शब्दों के उपयोग के महत्व की गहरी समझ हासिल हुई।

ऑल इंडिया रेडियो (दिल्ली स्टेशन) के विज्ञान सेल की कार्यक्रम कार्यकारी सुश्री प्रियंका तिवारी ने आकाशवाणी के माध्यम से भारतीय प्रयोगशालाओं की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उपलब्धियों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करने के तरीके पर अपने विचार साझा किए। सुश्री तिवारी ने रेडियो पर विज्ञान को प्रभावी ढंग से संचारित करने में शामिल तकनीकों और तरीकों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

दूरदर्शन के सलाहकार श्री भारत भूषण ने सोशल मीडिया के माध्यम से विज्ञान के प्रसार के नवीन तरीकों पर एक प्रस्तुतिकरण दिया। श्री भूषण ने सोशल मीडिया सहभागिता बढ़ाने के लिए ऑडियो, विजुअल और सामग्री निर्माण के लिए एआई के उपयोग के महत्व को संबोधित किया। प्रतिभागियों ने सोशल मीडिया में नवीनतम रुझानों की स्पष्ट समझ प्राप्त की और सीखा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सामग्री को बढ़ावा देने के लिए उनका प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुमन रे ने विशेषज्ञों को सम्मानित किया। डॉ. मनीष मोहन गोरे, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर और प्रधान अन्वेषक, एसएमसीसी ने एसएमसीसी के उद्देश्यों, इसकी प्रमुख गतिविधियों और ओरिएन्टेशन कार्यशाला के प्रयोजन के बारे में एक संक्षिप्त रूपरेखा प्रदान की।

कार्यशाला में एसएमसीसी परियोजना से जुड़े कर्मचारी और पीएच.डी. कर रहे छात्रों ने भाग लिया, जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रसार के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं। सरकार का ध्यान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बारे में जन जागरूकता और समझ बढ़ाने पर रहा है और इस तरह की कार्यशालाएँ विज्ञान और समाज के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

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श्री भारत भूषण ओरिएंटेशन कार्यशाला में अपना व्याख्यान देते हुए

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर कार्यशाला ने विभिन्न मीडिया क्षेत्रों के विशेषज्ञों को एक साथ आने और जनता तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रसार पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। प्रतिभागियों को बहुमूल्य अंतर्दृष्टि मिल रही है और वे नई तकनीकें सीख रहे हैं, जिनका उपयोग जटिल वैज्ञानिक अवधारणाओं को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने के लिए किया जा सकता है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) विज्ञान संचार, साक्ष्य-आधारित एस एंड टी नीति अनुसंधान को आगे बढ़ाने और जनता के बीच वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। नवीन पहलों और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर वैज्ञानिक समुदाय और आम जनता के बीच की दूरी को पाटने की कोशिश करता है। विज्ञान मीडिया संचार सेल (एसएमसीसी) विभिन्न जनसंचार और प्रारूपों के माध्यम से भारतीय प्रयोगशालाओं की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उपलब्धियों का प्रसार करने के लिए सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की एक हालिया पहल है।

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