कोयला मंत्रालय
कोयला सचिव ने चेन्नई में खनन उपकरण विनिर्माण में मेक इन इंडिया पहल पर बैठक में हितधारकों को संबोधित किया
Posted On:
02 MAR 2024 9:25PM by PIB Delhi
कोयला मंत्रालय में सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने चेन्नई में खनन उपकरण के लिए मेक इन इंडिया पहल पर हितधारकों की बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री मीणा ने जोर देते हुए कहा कि देश में भारी अर्थ मूविंग मशीनरी और भूमिगत खनन मशीनरी बनाने के संबंध में भारतीय और विदेशी निर्माताओं के लिए अपार संभावनाएं हैं।
मेक इन इंडिया भारत सरकार की एक ऐसी पहल है जो भारत में उत्पादों के निर्माण, विकास और भारत में बने पुर्जो को आपस में जोड़कर नए उत्पाद विकसित करने के लिए कंपनियां बनाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का काम करता है। यह विनिर्माण में निवेश को प्रोत्साहित करने की पहल है। इसके पीछे नीतिगत दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी ढाँचा विकसित करना और विदेशी पूंजी के लिए नए क्षेत्रों को खोलना है। इस पहल ने रोजगार सृजन और कौशल वृद्धि के लिए 25 आर्थिक क्षेत्रों को लक्षित किया, और इसका उद्देश्य "भारत को एक वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण निर्यात केंद्र में बदलना" है।
"मेक इन इंडिया" पहल के तीन घोषित उद्देश्य है:
- विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर को 12-14% प्रति वर्ष तक बढ़ाना;
- विनिर्माण क्षेत्र में 10 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करना;
- सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाना सुनिश्चित करना।
कोयला सचिव ने सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने में कोयला उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने भारत में कोयला क्षेत्र के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास, तकनीकी नवाचार और निवेश के अवसरों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्र के सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों हितधारकों से आवश्यक सहयोगात्मक प्रयास करने पर जोर दिया।
कोयला सचिव श्री मीणा ने बीईएमएल, कैटरपिलर, टाटा-हिताची, कोमात्सु, एलएंडटी, गेनवेल और प्रमुख असेंबली/पार्ट्स निर्माताओं सहित विभिन्न उपकरण निर्माताओं के को संबोधन के दौरान साझेदारी को प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करके नवाचार और उत्पादकता को बढ़ावा दें। उन्होंने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने और खनन क्षेत्र के लिए आवश्यक मेक इन इंडिया उपकरण निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
कोयला मंत्रालय ने उच्च क्षमता वाली खनन मशीनरी के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सीआईएल के निदेशक (तकनीकी) की अध्यक्षता में एक अंतर अनुशासनात्मक समिति का गठन किया था। इस समिति में रेल मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, एनएलसीआईएल, एससीसीएल, एनटीपीसी, डब्ल्यूबीपीडीसीआईएल और उपकरण निर्माताओं के सदस्य शामिल थे।
कोयला सचिव ने बताया कि समिति की निम्नलिखित सिफारिशों को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने लागू किया है:
- भविष्य के परीक्षण निविदाओं में उच्च क्षमता वाले उपकरणों के लिए न्यूनतम गारंटीकृत उपलब्धता को संचालन के पहले दो वर्षों के लिए वार्षिक आधार पर 75% तक कम कर दिया गया है (85% और संचालन के तीन वर्षों के मौजूदा मानदंडों के स्थान पर)
- दुनिया भर में संचालित स्वदेशी मॉडल के समान विनिर्माण के लिए सिद्धता मानदंड में छूट।
- भूमिगत (यूजी) खदानों में सिद्धता के बिना नव विकसित स्वदेशी मास प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी (एमपीटी) उपकरणों को शर्तों में छूट के साथ किराए पर लेने के लिए अलग-अलग परीक्षण निविदाएं
- निर्माताओं और/या उनके डीलरों को ओपन कास्ट (ओसी) खदानों में खान विकास सह ऑपरेटर (एमडीओ) निविदाओं के राजस्व साझाकरण मोड में भाग लेने का विकल्प प्रदान किया गया है।
सीआईएल अब भी 20 क्यूबिक मीटर जैसी उच्च क्षमता वाली एचईएमएम के आयात पर निर्भर है। कोल इंडिया लिमिटेड की इन उच्च क्षमता वाली एचईएमएम का औसत वार्षिक आयात लगभग 750 करोड़ रुपये है जिसके लिए 250 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी चुकानी होती है। कोल इंडिया भारत में इन उपकरणों को विकसित करने हेतु निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए परीक्षण आदेश जारी कर रहा है और परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।
कोयला सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने बताया कि सीआईएल अगले कुछ वर्षों में इन उपकरणों के आयात को धीरे-धीरे कम करने और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया हमारे पीएम का शुरू किया गया सिर्फ एक अभियान नहीं है, बल्कि यह अधिक आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भारत की दिशा में एक आंदोलन है।
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एमजी/एआर/एके/आर
(Release ID: 2011053)
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