विद्युत मंत्रालय
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का 22वां स्थापना दिवस मनाया गया, केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बीईई की उसके नवोन्मेषी और विश्व-अग्रणी कार्यक्रमों के लिए प्रशंसा की
पैकेज्ड बॉयलर और विसी कूलर के लिए मानक और लेबलिंग कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया
भारत ईवी डाइजेस्ट का पहला संस्करण जारी किया गया, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर वर्तमान ई-मोबिलिटी नीति और नियामक व्यवस्थाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है
राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2023 जारी किया गया; ऊर्जा दक्षता नीतियों के कार्यान्वयन में कर्नाटक शीर्ष प्रदर्शन करने वाला और आंध्र प्रदेश उपविजेता रहा
बीईई ने भारत को अपनी ऊर्जा खपत लगभग 3.5 प्रतिशत कम करने और प्रति वर्ष 306 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद की है: केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह
विद्युत और एनआरई मंत्री ने ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने में लघु और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला
Posted On:
01 MAR 2024 2:14PM by PIB Delhi
आज ही के दिन (1 मार्च को) 22 वर्ष पूर्व, भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा इंटेंसिटी को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ, ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत, केन्द्र सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन की स्थापना की गई थी। हमारा राष्ट्र ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और आज हम ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का 22वां स्थापना दिवस मना रहे हैं और इसका मुख्य आयोजन राष्ट्रीय राजधानी में हो रहा है।
22वें स्थापना दिवस समारोह, जिसका विषय "भारत में विद्युतीकरण और डीकार्बोनाइजेशन के माध्यम से ऊर्जा परिवर्तन" है, में केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह उपस्थित थे। विद्युत सचिव श्री पंकज अग्रवाल; अपर सचिव, विद्युत मंत्रालय, श्री अजय तिवारी; अध्यक्ष, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, श्री घनश्याम प्रसाद; और महानिदेशक, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) श्री अभय बकरे भी इस मौके पर मौजूद थे।
इस अवसर पर, केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बीईई के दो मानक और लेबलिंग कार्यक्रमों का शुभांरभ किया, एक पैकेज्ड बॉयलर के लिए और दूसरा वाणिज्यिक पेय कूलर के लिए, जिसे विसी कूलर भी कहा जाता है। मंत्री महोदय ने इंडिया ईवी डाइजेस्ट का उद्घाटन संस्करण और राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक का पांचवां संस्करण भी जारी किया।
स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन सत्र यहां देखा जा सकता है:
"बीईई ने भारत को अपनी ऊर्जा खपत लगभग 3.5 प्रतिशत कम करने में मदद की है"
इस अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने बीईई को बधाई दी और कहा कि बीईई न केवल अपने उद्देश्य पर खरा उतरा है, बल्कि इसने अपेक्षा से अधिक काम किया है। “बीईई एक ऐसा संगठन है, जिसने हमारे कार्बन लोड को काफी कम कर दिया है। बीईई के प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत की ऊर्जा खपत में लगभग 3.5 प्रतिशत की कमी आई है, जो हमारे जैसे देश के लिए बहुत बड़ी बात है। आपके प्रयासों से प्रति वर्ष 306 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। यह मुख्य रूप से बीईई के कारण ही है कि भारत सकल घरेलू उत्पाद की एमिशन इंटेंसिटी को कम करने के अपने एनडीसी लक्ष्य को लक्ष्य से 11 वर्ष पहले हासिल कर सका। बीईई की योजनाएं और कार्यक्रम नवोन्वेषी, विश्व-अग्रणी रहे हैं और पूरे विश्व में इनकी नकल की जा रही है।'' मंत्री महोदय ने बताया कि और भी नवोन्मेषी कार्यक्रम आने वाले हैं।
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"ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत"
मंत्री महोदय ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाने के लिए लघु और कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बोले। “मैं भारी उद्योग को बधाई देता हूं जिन्होंने ऊर्जा दक्षता उपायों को अपनाया है। हालांकि, हमारे पास बड़ी संख्या में छोटे और कुटीर उद्योग हैं, जो ऊर्जा दक्षता में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। छोटे और कुटीर उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होगा, क्योंकि इनकी संख्या बहुत ज्यादा है। हमें राज्यों को इसमें सहयोग करने के लिए मनाना होगा; जब तक राज्य इसके प्रति गंभीर नहीं होंगे, हम लघु और कुटीर उद्योगों तक नहीं पहुंच पाएंगे तथा ऊर्जा दक्षता और हरित भवन जैसे उपायों को लागू नहीं कर पाएंगे।’’ श्री सिंह ने कहा कि हमें वस्तुशिल्पियों के पाठ्यक्रमों में ग्रीन ऑस्पेक्ट्स को शामिल करने की आवश्यकता होगी, ताकि वस्तुशिल्पियों द्वारा डिजाइन की गई इमारतों में ऊर्जा दक्षता विशेषताएं हों।
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विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए हमें बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने की भी जरूरत है। जिम्मेदारी के साथ विकास करने की जरूरत पर बोलते हुए, श्री सिंह ने कहा कि भारत विकसित देशों द्वारा अपनाए गए रास्ते की तरह नहीं, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बगैर स्वच्छ तरीके से विकास करेगा। "लोगों के साथ संवाद करना और उन्हें शिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है, जिस पर हमें अधिक ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।"
आज जारी राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2023 के बारे में बोलते हुए, मंत्री महोदय ने कहा कि अधिक विकसित राज्य बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों को इन राज्यों से सीखना चाहिए और अपनी सोच और दृष्टिकोण में अधिक दूरदर्शी होना चाहिए।
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पैकेज्ड बॉयलरों के लिए मानक और लेबलिंग कार्यक्रम का शुभारंभ
इस मौके पर, पैकेज्ड बॉयलरों की ऊर्जा दक्षता में सुधार करने और उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने में आसानी प्रदान के लिए, पैकेज्ड बॉयलरों के लिए एक मानक और लेबलिंग कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया है। [पैकेज्ड बॉयलर एक कारखाना-निर्मित रेडी-टू-यूज़ बॉयलर है, जिसका उपयोग सभी प्रसंस्करण उद्योगों के लिए भाप और गर्म पानी की आवश्यकता के लिए किया जाता है।]
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प्रत्येक पैक किए गए बॉयलर को प्रतिशत में नेट कैलोरिफिक वैल्यू (एनसीवी) के बेसिस पर उसकी तापीय दक्षता के आधार पर एक स्टार से पांच स्टार तक दिया जाएगा, जिसमें 1-स्टार न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन स्तर होगा। यह प्रोग्राम आईएस 13979:1994 के दायरे के तहत भारत में निर्मित, व्यावसायिक रूप से खरीदे, बेचे या आयात किए जा रहे पैकेज्ड बॉयलरों के लिए आवश्यक विशेषताओं को निर्दिष्ट करता है। यह प्रोग्राम स्वैच्छिक चरण के तहत शुरू किया जा रहा है, जो 31 दिसंबर, 2026 तक वैध है ।
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ईई लेबल बॉयलरों की पहुंच 2024 में 10 प्रतिशत से बढ़कर 2033 में 100 प्रतिशत होने की उम्मीद है। 2024 से 2033 तक पैकेज्ड बॉयलरों के लिए एस एंड एल प्रोग्राम के कार्यान्वयन के अगले 10 वर्षों में लगभग 3.1 मिलियन टन तेल समतुल्य (टीओई) की संचयी ऊर्जा बचत होने की और 7.23 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य उत्सर्जन में कमी होने की उम्मीद है।
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पैकेज्ड बॉयलरों के लिए एस एंड एल प्रोग्राम पर एक संक्षिप्त नोट यहां पाया जा सकता है और इस पर एक अधिक विस्तृत ब्रोशर यहां पाया जा सकता है।
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विसी कूलर के लिए मानक और लेबलिंग प्रोग्रैम का शुभारंभ
इस अवसर पर, बीईई के एस एंड एल प्रोग्रैम्ज में एक और उत्पाद – वाणिज्यिक पेय कूलर, जिसे विसी कूलर भी कहा जाता है, को शामिल किया गया। वाणिज्यिक पेय कूलर के लिए मानक और लेबलिंग प्रोग्रैम स्वैच्छिक चरण के तहत शुरू किया गया है, जिसकी वैधता 31 दिसंबर, 2026 तक है ।
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स्टार रेटिंग समतुल्य मात्रा (लीटर) और वार्षिक ऊर्जा खपत पर आधारित होगी। प्रत्येक इकाई (वाणिज्यिक पेय कूलर) पर लेबल चिपकाने के लिए लेबलिंग शुल्क पहले वर्ष के लिए 5 रुपये, दूसरे वर्ष के लिए 10 रुपये और तीसरे वर्ष के लिए 15 रुपये होगा, जब तक यह अनिवार्य नहीं हो जाता। अनिवार्य व्यवस्था में लेबलिंग शुल्क 35 रुपये होगा।
वाणिज्यिक पेय कूलर के लिए स्टार लेबल के कार्यान्वयन से 2024 और 2034 के बीच 11.67 बिलियन किलोवॉट प्रति घंटे की ऊर्जा बचत होने की उम्मीद है, साथ ही इसी अवधि में 8.35 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में संभावित कमी आएगी।
विसी कूलर पारदर्शी कांच के सामने वाले दरवाजे के साथ स्वयं-निहित बोतल कूलर हैं, जिनका उपयोग खुदरा दुकानों में बिक्री के लिए बोतलबंद या डिब्बाबंद पेय पदार्थों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इनका उपयोग किराने की दुकानों, रेस्तरां और सुपरमार्केट जैसे विभिन्न व्यवसायों द्वारा किया जाता है जो पैकेज्ड पेय पदार्थ बेचते हैं। इन कूलरों की अनुमानित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए और इसलिए उनकी ऊर्जा दक्षता में सुधार करने के लिए एस एंड एल कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
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विसी कूलर्स के लिए एस एंड एल प्रोग्रैम पर एक संक्षिप्त नोट यहां पाया जा सकता है और इस पर एक अधिक विस्तृत ब्रोशर यहां पाया जा सकता है।
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भारत ईवी डाइजेस्ट के प्रथम संस्करण का विमोचन
स्थापना दिवस पर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास के साथ-साथ देश को अपने वर्ष 2030 तक समग्र वाहन बिक्री में ईवी की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के लक्ष्य के अनुरूप बने रहने के लिए ईवी अपनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बीईई द्वारा लाए गए भारत ईवी डाइजेस्ट के पहले संस्करण का विमोचन किया गया। 2022-2030 के दौरान ईवी में 49 प्रतिशत अपेक्षित सीएजीआर और ई-मोबिलिटी को अपनाने के लिए अनुकूल नीतियों के माध्यम से प्रभाव पैदा करने में राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, बीईई ने 15 मानदंडों के आधार पर राज्य स्तर पर ई-मोबिलिटी प्रोग्रैम के कार्यान्वयन की स्थिति की जांच की। इन मानदंडों में राज्य ईवी नीतियों में प्रावधान, राज्य टैरिफ आदेशों में टैरिफ-संबंधी प्रावधान, सार्वजनिक ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे की तैनाती, ई-मोबिलिटी जागरूकता गतिविधियों के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन सेग्मेंट में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना शामिल है।
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"इंडिया ईवी डाइजेस्ट-2023" संस्करण राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर वर्तमान ई-मोबिलिटी नीति और नियामक व्यवस्था, ई-मोबिलिटी ईको सिस्टम में बाजार के रुझान और राज्यों के लिए आगे के तरीकों की सिफारिश करता है। सिफारिशों में जागरूकता पैदा करना, राज्य ईवी नीतियों के अनुसार ई-मोबिलिटी अपनाने के लिए मांग और आपूर्ति-पक्ष प्रोत्साहन का प्रबंधन करना, राज्य वितरण कंपनियों के साथ समन्वय करना, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को समय पर कनेक्शन देने की निगरानी करना और राज्य नोडल एजेंसियों के लिए और अधिक सक्रिय भूमिका जैसे ईवी एक्सेलेरेटर सेल का निर्माण, ताकि संबंधित राज्यों में ई-मोबिलिटी प्रोग्रैम के समन्वय और कार्यान्वयन के लिए एकल-खिड़की इकाई के रूप में काम करें, शामिल है।
भारत ईवी डाइजेस्ट पर एक नोट यहां पाया जा सकता है , और संपूर्ण डाइजेस्ट यहां देखा जा सकता है।
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राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2023 जारी किया गया
इस अवसर पर जारी किया जाने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण उत्पाद राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) का पांचवां संस्करण है, जिसे ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने अलायंस फॉर एन एनर्जी एफिशिएंट इकोनॉमी (एईईई) के सहयोग से शुरू किया है, ताकि राज्यों में ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन की वार्षिक प्रगति आकलन किया जा सके। राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) राज्य-स्तरीय ऊर्जा दक्षता नीतियों, कार्यक्रमों और निवेशों से संबंधित कमियों की पहचान और उनका समाधान करता है। यह इस बात को ध्यान में रखते हुए महत्व रखता है कि जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने में नवीकरणीय ऊर्जा के पूरक के लिए ऊर्जा दक्षता (ईई) सबसे सस्ता, तीव्र और स्वच्छ समाधान है।
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एसईईआई 2023 65 गुणात्मक, मात्रात्मक और परिणाम-आधारित संकेतक उपायों का उपयोग करके 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन का आकलन करता है। सात मांग क्षेत्रों में वितरित: भवन, उद्योग, नगरपालिका सेवाएं, परिवहन, कृषि, विद्युत वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) और क्रॉस-सेक्टर पहलें।
एसईईआई 2023 में, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके कुल अंक के आधार पर 'फ्रंट रनर' (>=60), 'अचीवर' (50-59.75), 'कंटेंडर' (30-49.75), और 'एस्पिरेंट' (<30) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसके अलावा, प्रदर्शन की सहकर्मी से सहकर्मी की तुलना को सक्षम करने के लिए, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी कुल अंतिम ऊर्जा खपत (टीएफईसी) के आधार पर चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है: समूह 1 (>15 मिलियन टन तेल समकक्ष (एमटीओई)), समूह 2 (5-15 एमटीओई), समूह 3 (1-5 एमटीओई) और समूह 4 (<1 एमटीओई)। प्रत्येक समूह में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य कर्नाटक (समूह 1), आंध्र प्रदेश (समूह 2), असम (समूह 3) और चंडीगढ़ (समूह 4) हैं।
100 में से 86.5 के समग्र स्कोर के साथ, कर्नाटक एसईईआई 2023 में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य है। एकमात्र सक्रिय "ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता नीति" के साथ, इस राज्य ने इमारतों, उद्योगों, परिवहन, कृषि और नगरपालिका सेवाओं में महत्वपूर्ण उपायों को कार्यान्वित किया है। 100 में से 83.25 अंक के साथ दूसरा सर्वोच्च प्रदर्शन करने वाला राज्य आंध्र प्रदेश है, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में नीति निर्माण, वित्तीय प्रोत्साहन, क्षमता निर्माण और सहयोगात्मक पहलों को शामिल करते हुए ऊर्जा दक्षता के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है।
एसईईआई 2023 में, पंद्रह (15) राज्यों ने एसईईआई 2021-22 की तुलना में अपने स्कोर में सुधार किया है। विशेष रूप से, चार राज्यों- गोवा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा ने एसईईआई 2021-22 के सापेक्ष 10 अंकों से अधिक सुधार करते हुए महत्वपूर्ण प्रगति का प्रदर्शन किया है। विशेष रूप से, इस आकलन में सबसे बेहतर राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा हैं, जहां क्रमशः 18.5 और 17 अंकों की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक का कुल स्कोर 72 हो गया।
एसईईआई 2023 पर अधिक विवरण यहां पाया जा सकता है और सूचकांक को यहां देखा जा सकता है।
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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर प्रदर्शनी और इलेक्ट्रिक कुकिंग पर एक दूसरी प्रदर्शनी
इसमें इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक कुकिंग पर एक प्रदर्शनी भी शामिल थी जिसका उद्घाटन केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने किया। यह प्रदर्शनी सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने और घरों में कुशल तरीके से खाना पकाने के उद्देश्य में योगदान देने के लिए स्थापित की गई है।
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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रदर्शनी में इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जर, बैटरी और बैटरी स्वैपिंग सिस्टम प्रस्तुत किए गए। प्रमुख निर्माताओं के ईवी उत्पाद, जैसे डेल्टा, टीवीएस मोटर्स, स्टेटिक, सर्वोटेक, सुकून, मर्सिडीज, एमजी मोटर्स, किआ इंडिया, हुंडई मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, सन मोबिलिटी, पियाजियो व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड, टाटा मोटर्स, एथर एनर्जी, जीओडीआई, महिंद्रा और ईईएसएल जनता के समक्ष प्रस्तुत किये गये।
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भारत ने सीओपी 26 में वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की एमिशन इंटेंसिटी को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। सतत परिवहन इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार द्वारा की गई कई पहलों में से एक है। तेल आयात और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और अपनाने को बढ़ावा दे रही है।
सड़क परिवहन में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर परिवर्तन भारत को आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होती है और जीवाश्म ईंधन का आयात कम होता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चर्र है, जो ईवी को आर्थिक विकास और निर्यात का संभावित स्रोत बनाता है। विभिन्न सरकारी पहलों और प्रोत्साहनों के परिणामस्वरूप हाल के दिनों में ईवी अपनाने में जबरदस्त वृद्धि हुई है, पिछले पांच वर्षों में औसत ईवी बिक्री में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
भारत में कुल समग्र ऊर्जा खपत में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है। सड़क परिवहन भारत में सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला क्षेत्र है (2021 में समग्र खपत का 44 प्रतिशत हिस्सा था) और यह परिवहन क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ रहा है। सड़क परिवहन देश के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का 12 प्रतिशत हिस्सा है और सभी परिवहन-संबंधी ऊर्जा मांग का 92 प्रतिशत और परिवहन-संबंधी CO2 उत्सर्जन का 94 प्रतिशत हिस्सा है।
मंत्री महोदय ने ई-कुकिंग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन और उसका दौरा किया।
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"ऊर्जा दक्षता हमारे ऊर्जा परिवर्तन के रास्ते में एक आसान विकल्प है"
अपर सचिव, श्री अजय तिवारी ने बीईई को बधाई दी और कहा कि यह संगठन अब ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में काम करने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ इंट्रिकेटली जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कार्बन बाजारों में से एक बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि जबकि ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता ऊर्जा संक्रमण के दो स्तंभ हैं, ऊर्जा दक्षता एक आसान विकल्प है, जिसमें बीईई ने बहुत योगदान दिया है। “ प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) , उपकरणों की स्टार लेबलिंग और उजाला योजना ने अपनी पहचान बनाई है। अब इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ई-कुकिंग का समय आ गया है।”
अपने स्वागत भाषण में, बीईई के महानिदेशक, श्री अभय बकरे ने कहा: "मैं सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के साथ-साथ बहुपक्षीय एजेंसियों के हमारे भागीदारों के प्रयासों की सराहना करता हूं। प्रमुख बीईई कार्यक्रमों और पहलों को आगे बढ़ाने में उनका अटूट समर्थन और मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है और यह एक स्थायी और ऊर्जा-कुशल भविष्य के लिए साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"
तकनीकी सत्र
इस समारोह में कार्बन बाजार पर एक तकनीकी सत्र और विद्युतीकरण के माध्यम से परिवहन क्षेत्र में ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने के लिए नीति और नियामक परिदृश्य पर भी एक तकनीकी सत्र होगा। ईवी बुनियादी ढांचे पर राज्यों की प्रस्तुतियां भी होंगी।
तकनीकी सत्रों को यहां , यहां देखा जा सकता है।
बीईई पर और अधिक
बीईई कई अन्य नवीन ऊर्जा दक्षता योजनाओं और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है, जैसे पीएटी योजना, ऊर्जा कुशल उपकरणों के लिए मानक और लेबलिंग, ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) और डिमांड साइड प्रबंधन।
बीईई केन्द्र सरकार के विद्युत मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा इंटेंसिटी को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करता है। बीईई ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत उसे सौंपे गए कार्यों को करने में मौजूदा संसाधनों और बुनियादी ढांचे की पहचान करने और उनका उपयोग करने के लिए नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।
ब्यूरो का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के समग्र ढांचे के भीतर स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर जोर देने के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) का विजन भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा इंटेंसिटी में सुधार करना और इस तरह देश के सतत विकास में योगदान देना है। बीईई के बारे में यहां और पढ़ें ।
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