रक्षा मंत्रालय

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने महाराष्ट्र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम रक्षा प्रदर्शनी 2024 के दौरान रक्षा उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए 23 अनुज्ञा समझौता पत्र सौंपे


कार्य संबंधी अधिकार-क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स, लेजर तकनीक, लड़ाकू वाहन, नौसेना प्रणाली और वैमानिकी शामिल हैं

Posted On: 25 FEB 2024 9:00PM by PIB Delhi

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने रक्षा उद्योग के साथ सहयोग व तालमेल बढ़ाने के उद्देश्य से 25 फरवरी, 2024 को पुणे में महाराष्ट्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम रक्षा प्रदर्शनी 2024 के दौरान डीआरडीओ-रक्षा उद्योग की एक बैठक का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और स्टार्ट-अप्स को डीआरडीओ की विभिन्न उद्योग-अनुकूल गतिविधियों तथा नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करना व नए विचारों से अवगत कराना और साथ ही इस क्षेत्र की चिंताओं को दूर करना था।

डीआरडीओ ने इस बैठक के दौरान, रक्षा विभाग (अनुसंधान व विकास) के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति में  22 रक्षा उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (एलएटीओटी) के लिए 23 अनुज्ञा समझौता पत्र सौंपे। हस्तांतरित होने वाली प्रौद्योगिकियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, लेजर तकनीक, आयुध, जैविक विज्ञान, धातु विज्ञान, लड़ाकू वाहन, नौसेना प्रणाली और वैमानिकी उत्पादन करने के लिए तैयार हैं। इनमें हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए कार्बन/कार्बन एयरक्राफ्ट ब्रेक का निर्माण, 100 मीटर इन्फैंट्री फुट ब्रिज फ्लोटिंग, यूबीजीएल हेतु 40 मिलीमीटर हाई एक्सपलोसिव एंटी-पर्सनल (एचईएपी) ग्रेनेड, एमबीटी अर्जुन एमके - 1 ए के लिए 70टी टैंक ट्रांसपोर्टर का पूरा ट्रेलर, एक्सपेंडेबल मोबाइल शेल्टर सोलर हीटेड शेल्टर, एनएमआर-सुपरकैपेसिटर, एलआरएफ (डब्ल्यूएचएचटीआई) के साथ हैंड-हेल्ड थर्मल इमेजर को हथियारों से युक्त करना और हाई प्रेशर वॉटर मिस्ट फायर सप्रेशन सिस्टम (एचपी डब्लूएमएफएसएस) शामिल हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की इन प्रौद्योगिकियों पर आधारित उत्पाद रक्षा विनिर्माण क्षेत्र तथा भारत में आत्मनिर्भरता को और भी बढ़ावा देंगे।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने रक्षा उद्योग जगत के नौ भागीदारों को समर (उन्नत विनिर्माण मूल्यांकन और रेटिंग के लिए प्रणाली) मूल्यांकन प्रमाण पत्र सौंपे। यह रक्षा विनिर्माण उद्यमों की योग्यता को मापने के लिए एक स्थापित मानदंड है। समारोह के दौरान समर पर संक्षिप्त विवरण भी प्रस्तुत किया गया।

इस अवसर पर डॉ. कामत ने रक्षा उद्योग जगत के भागीदारों को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के लक्ष्य के साथ भारतीय रक्षा उद्योगों के विकास के उद्देश्य से सभी प्रकार की प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करने के लिए डीआरडीओ की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने विस्तार से बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के उत्पादों की हालिया सफलता ने न केवल देश को रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भर बना दिया है, बल्कि रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत उद्योगों को अपार अवसर भी प्रदान किए हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि रक्षा उद्योग हमारे महत्वपूर्ण भागीदार हैं और यह भारतीय रक्षा उद्योग के लिए सरकार की नवीनतम गतिविधियों एवं नीतियों का लाभ उठाने तथा देश को रक्षा विनिर्माण का केंद्र बनाने का उपयुक्त समय है।

बैठक के दौरान एक ओपन हाउस सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें रक्षा उद्योग के साझेदारों को कार्य क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों, अपेक्षाओं एवं आवश्यक सहयोग के बारे में चर्चा करने का अवसर प्रदान किया गया ताकि व्यापार करने में आसानी और रक्षा उद्योग की सुविधा के लिए रूपरेखा में आवश्यकता के अनुसार बदलाव किया जा सके।

इस दौरान रक्षा उद्योग को उन नवीनतम नीतियों व प्रक्रियाओं के बारे में भी जानकारी दी गई, जिनके माध्यम से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन रक्षा उद्योगों को सहयोग दे रहा है। चर्चा की गई कुछ नीतियों में प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण, परीक्षण व मूल्यांकन सहायता, तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग, टीडीएफ के तहत रक्षा उद्योग को अनुसंधान एवं विकास हेतु वित्त पोषण व उद्योग तथा समर योजना के माध्यम से डीआरडीओ पेटेंट का निःशुल्क उपयोग सम्मिलित है।

******

एमजी/एआर/एनके/एजे



(Release ID: 2008969) Visitor Counter : 177


Read this release in: English , Urdu