इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
एमईआईटीवाई सचिव एस कृष्णन ने सी-मैट, हैदराबाद में ई-कचरा प्रबंधन पर उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) का उद्घाटन किया
Posted On:
03 FEB 2024 6:44PM by PIB Delhi
इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी के लिए सामग्री केन्द्र (सी-एमईटी) भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के अंतर्गत एक स्वायत्त वैज्ञानिक समिति है। इसकी तीन अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाएँ पुणे, हैदराबाद और त्रिशूर में स्थित हैं जो महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों पर विभिन्न मुख्य विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। सी-मेट, हैदराबाद प्रयोगशाला धातुओं और मिश्र धातुओं सहित इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों और युद्ध कौशल संबंधी सामग्रियों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
सी-मेट, हैदराबाद के मुख्य विषयों में से एक देश में संसाधन कौशल और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल ई-कचरा रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। जैसा कि 2019 में जानकारी दी गई थी, भारत प्रति वर्ष लगभग 3.2 मिलियन टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें सीसा, कैडमियम, क्रोमियम, पारा आदि जैसी खतरनाक सामग्रियों के अलावा सोना, तांबा, पैलेडियम, चांदी आदि जैसी कई कीमती सामग्रियां शामिल होती हैं, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अपूरणीय खतरे का कारण बन सकती हैं।
ई-कचरा प्रबंधन सुविधा पर उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) का उद्घाटन एमईआईटीवाई सचिव श्री एस कृष्णन ने आईटी ईएंडसी, जीओटी में मुख्य सचिव श्री जयेश रंजन; एमईआईटीवाई में जेएस एवं एफए श्री राजेश सिंह; मैसर्स ग्रीनको में सीई एवं एमडी डॉ. अनिल कुमार सी; एमईआईटीवाई में जीसी डॉ. संदीप चटर्जी; सी-मेट के महानिदेशक श्री ई मगेश; सीपीडब्ल्यूडी के सीई श्री अशोक कुमार खटवा की उपस्थिति में किया। सी-मेट ने पीपीपी मॉडल के तहत देश में अपनी तरह का पहला (सीओई) स्थापित किया है। सीओई ने विभिन्न ई-कचरा रीसाइक्लिंग तकनीकें यानी खर्च किए गए पीसीबी, ली आयन बैटरी, स्थायी चुंबक और सी-सौर सेल आदि विकसित की हैं। सी-मेट ने न केवल रीसाइक्लिंग तकनीक विकसित की है बल्कि इसके लिए आवश्यक प्रसंस्करण उपकरण भी डिजाइन और निर्मित किए हैं।
इस अवसर पर, श्री एस कृष्णन ने उल्लेख किया कि ई-कचरा प्रबंधन के प्रति एक सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण संसाधन दक्षता, कार्बन फुट प्रिंट में कमी, कीमती सामग्रियों की वसूली और स्वास्थ्य खतरों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि सी-मेट ने विभिन्न पर्यावरण अनुकूल ई-कचरा रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और व्यावसायीकरण के लिए इसे कई उद्योगों में स्थानांतरित करने की दिशा में सराहनीय काम किया है। ई-कचरे से निकाली गई सामग्री आगामी सेमीकंडक्टर उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन के लिए फायदेमंद होगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि स्वदेशी रूप से विकसित ई-कचरा रीसाइक्लिंग तकनीक भारत के आत्मनिर्भर भारत के मिशन और सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देगी।
सी-मेट, हैदराबाद के निदेशक डॉ. आर. रथीश ने जनसमूह का स्वागत किया। इसमें सी-मेट वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और छात्रों, सीपीडब्ल्यूडी, जीओटी अधिकारियों ने भी भाग लिया।
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(Release ID: 2002325)
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