विद्युत मंत्रालय
केंद्रीय विद्युत और नवीन नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने डिस्कॉम की उपभोक्ता सेवा रेटिंग का तीसरा संस्करण जारी किया; उत्तर प्रदेश की एनपीसीएल और दिल्ली की बीआरपीएल, बीवाईपीएल और टीपीडीडीएल को ए+ रेटिंग मिली
पावरथॉन 2024, डिस्कॉम की समस्याओं के समाधान के लिए एक स्टार्टअप इनक्यूबेशन कार्यक्रम लॉन्च किया गया
बिजली और एनआरई मंत्री ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा तैयार बिजली वितरण नेटवर्क योजना मानदंड जारी किया
बिजली क्षेत्र की दो दिवसीय समीक्षा योजना और निगरानी बैठक में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बिजली क्षेत्र की प्रक्रिया में और अधिक सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया
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19 JAN 2024 8:54PM by PIB Delhi
बिजली क्षेत्र की समीक्षा योजना और निगरानी (आरपीएम) बैठक 18 और 19 जनवरी, 2024 को राज्यों और राज्य बिजली उपयोगिताओं के साथ, केंद्रीय बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस बैठक में सचिव (विद्युत), सचिव (एमएनआरई), भारत सरकार; राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों/सचिवों/प्रधान सचिवों (विद्युत/ऊर्जा) और राज्य विद्युत उपयोगिताओं के मुख्य कार्यकारी निदेशक ने भाग लिया।
बैठक के दौरान, मंत्री ने डिस्कॉम की उपभोक्ता सेवा रेटिंग का तीसरा संस्करण लॉन्च किया, जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 के लिए डिस्कॉम के प्रदर्शन को शामिल किया गया। रेटिंग के अनुसार, एनपीसीएल (उत्तर प्रदेश), बीआरपीएल (दिल्ली), बीवाईपीएल (दिल्ली) और टीपीडीडीएल (दिल्ली) ने देश के सभी 62 रेटेड डिस्कॉम के बीच ए+ (सर्वोच्च) रैंकिंग प्राप्त की है। यह रिपोर्ट विभिन्न डिस्कॉम में उपभोक्ता सेवाओं की वर्तमान स्थिति को बताती है। रिपोर्ट डिस्कॉम के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी और उन्हें उपभोक्ताओं को प्रदान की जाने वाली प्रमुख सेवाओं में सुधार करने के लिए प्रेरित करेगी। रिपोर्ट यहां देखी जा सकती है। रिपोर्ट पर एक वीडियो यहां देखा जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री श्री आर के सिंह ने पावरथॉन 2024 भी लॉन्च किया, जो उभरते स्टार्टअप और उद्यमियों को पावर डिस्कॉम की प्रमुख समस्याओं का समाधान करने के लिए अवधारणाओं और विचारों को एक इन्क्यूबेशन कार्यक्रम में भाग लेने में सक्षम करेगा, जिसमें उन्हें स्थापित घरेलू इनक्यूबेटरों द्वारा प्रोटोटाइप निर्माण के लिए पूर्ण मार्गदर्शन, संसाधन और पोषण प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यहां पावरथॉन 2024 पर एक वीडियो है।
केंद्रीय मंत्री ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा तैयार विद्युत वितरण नेटवर्क योजना मानदंड भी जारी किया, जिसमें स्मार्ट प्रौद्योगिकियों की शुरूआत सहित उप-पारेषण और वितरण स्तर पर वितरण योजना प्रक्रियाओं के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

बिजली क्षेत्र के हितधारकों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि देश के बिजली क्षेत्र ने एक लंबा सफर तय किया है, वर्ष 2015-16 में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की औसत दैनिक उपलब्धता 12.5 घंटे प्रतिदिन से बढ़ कर ~21 घंटे हो गई है। इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में आपूर्ति के घंटे वर्ष 2015-16 में 20 घंटे से बढ़कर 23.8 घंटे प्रतिदिन हो गए। मंत्री महोदय ने कहा, बिजली की कमी अब इतिहास बन गई है।
श्री सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र ने संयुक्त प्रयासों से कई उपलब्धियां प्राप्त कीं, जिनके प्राप्त होने की कोई आशा नहीं थी। 29 मिलियन घरों का विद्युतीकरण किया गया। एटीएंडसी घाटे को वर्ष 2014-15 में 27 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2023 में 15.41 प्रतिशत कर दिया गया है। फिर भी उन्होंने पिछले एक वर्ष में एसीएस-एआरआर अंतर में 0.15 रुपये प्रति यूनिट से 0.45 रुपये प्रति यूनिट से वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। इस संबंध में, वितरण उपयोगिताओं को व्यवहार्य बनने के लिए ठोस प्रयास करने का निर्देश दिया गया, अन्यथा भविष्य में निवेश आकर्षित करने में चुनौतियों का सामना करना पढ़ सकता है।
मंत्री महोदय ने देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए निरंतर आर्थिक विकास हेतु संसाधन पर्याप्तता सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने देश में कुछ डिस्कॉम द्वारा अत्यधिक लोड शेडिंग के बारे में चिंता व्यक्त की और उल्लेख किया कि लोड शेडिंग कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उपभोक्ताओं को 24x7 विश्वसनीय बिजली आपूर्ति का अधिकार है और लोड शेडिंग के मामले में नियमों के अनुसार मुआवजा दिया जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि फीडर पृथक्करण किसानों और डिस्कॉम दोनों के लिए लाभदायक है और इसे मिशन मोड में लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य को दिन में स्थानांतरित करना समय की मांग है। इससे सस्ती बिजली के रूप में लाभ मिलेगा और राज्य सरकारों पर सब्सिडी का बोझ कम होगा। उन्होंने राज्यों को मंजूरी के लिए अपने प्रस्ताव शीघ्रता से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
मंत्री महोदय ने पीएम-जनमन मिशन के अंतर्गत शीघ्र सर्वेक्षण और कार्यों में राज्यों के प्रयासों की सराहना की।
देश में रूफ टॉप सोलर इंस्टॉलेशन बढ़ाने पर जोर दिया गया था और रूफ टॉप सोलर इंस्टॉलेशन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए राज्यों/डिस्कॉम के साथ-साथ केंद्र सरकार से आवश्यक विभिन्न हस्तक्षेपों पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
मंत्री ने गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ मांग में अनुमानित वृद्धि को पूरा करने की तैयारी पर बल दिया। इन चुनौतियों का सामना करने और परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने पर बल देने का सुझाव दिया गया।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि टैरिफ आपूर्ति की लागत को प्रतिबिंबित करने वाले होने चाहिए और अद्यतित होने चाहिए और आगे यह सुझाव दिया गया कि डिस्कॉम की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए नियामक आयोगों द्वारा यथार्थवादी/विवेकपूर्ण नुकसान में कमी लाने के तरीकों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने डिस्कॉम द्वारा सही सब्सिडी लेखांकन और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी और सरकारी बकाया के समय पर भुगतान के महत्व पर बल दिया। सरकारी विभाग के बकाया के मुद्दे को दूर करने के लिए डिस्कॉम को प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और सरकारी कार्यालयों को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई।
बैठक की अन्य मुख्य बातें
- राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि टैरिफ आदेश समय पर जारी किए जाएं और लागत प्रतिबिंबित हो। इससे यह सुनिश्चित होगा कि डिस्कॉम व्यवहार्य बने रहेंगे और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति प्रदान करने में सक्षम होंगे। इसके लिए राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपूर्ति की लागत और प्राप्त राजस्व के बीच अंतर को शून्य पर लाया जाए।
- अनावश्यक लोड-शेडिंग की अनुमति नहीं है और उपभोक्ताओं को डिस्कॉम द्वारा लोड-शेडिंग के लिए मुआवजा दिया जाएगा।
- राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि डिस्कॉम रुकावटों की आवृत्ति और अवधि दोनों में कमी करके बिजली की आपूर्ति में वैश्विक मानकों को पूरा करने का प्रयास करें।
- राज्यों को भविष्य के अनुमानों के आधार पर बढ़ती बिजली मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन क्षमता सुनिश्चित करनी होगी क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था तीव्र गति से बढ़ रही है। मांग को पूरा करने के लिए बिजली परियोजनाओं में नया निवेश लाकर प्राथमिकता के आधार पर उत्पादन क्षमता वृद्धि सुनिश्चित करनी होगी। राज्यों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कार्यान्वयन के तहत परियोजनाएं भी समयसीमा के अनुसार पूरी की जाएं।
- राज्यों को बिजली आपूर्ति में अपनी विश्वसनीयता में सुधार के लिए आरडीएसएस के तहत वितरण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के कार्यों को प्राथमिकता पर लागू करना चाहिए।
- स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं और डिस्कॉम दोनों के लिए लाभ की स्थिति है और सभी राज्यों को इसे प्राथमिकता पर लेना चाहिए। यह उपभोक्ताओं को अपने बिजली खर्चों पर नियंत्रण रखने का अधिकार देता है और डिस्कॉम के घाटे को कम करने और उन्हें व्यवहार्य बनाने में भी मदद करता है।
- राज्यों को रूफ टॉप सोलर मिशन मोड में लगाना होगा, जहां डिस्कॉम को प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए और अपनी प्रक्रियाओं में सरलीकरण भी लाना चाहिए।
- राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर कृषि फीडर-पृथक्करण करना होगा और पीएम कुसुम के तहत उनका सौर्यीकरण करना होगा।
- राज्यों को 31.03.2024 तक कृषि बिजली आपूर्ति को सौर ऊर्जा पर स्थानांतरित करना होगा ताकि किसानों के जीवन को सरल बनाया जा सके और बिजली आपूर्ति की लागत में भी कमी लाई जा सके।
- बिजली एक ऐसा विषय है जहां पूरा भारत एकीकृत है, इसका उत्पादन एक राज्य में होता है और इसका वितरण कई राज्यों में होता है।
- राज्यों को पंप भंडारण क्षमता का लाभ प्राप्त करने के लिए सीपीएसई के साथ साझेदारी करने की सलाह दी गई। परियोजनाओं की राज्यवार स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। राज्यों को पंप भंडारण संयंत्रों पर कोई उपकर या कर लगाने से बचने की सलाह दी गई।
- सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पहले 10 वर्षों की अवधि वर्ष 2024-25 से वर्ष 2033-34 के लिए अपने संसाधन पर्याप्तता अध्ययन/योजनाएं मार्च, 2024 तक पूरी करने की सलाह दी गई। मंत्री महोदय ने इस बात पर बल दिया कि संसाधन पर्याप्तता योजना उत्पादन क्षमता में तेजी से वृद्धि के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बनाई गई है ताकि उपलब्ध क्षमता अनुमानित मांग से आगे रहे।
- यह नोट किया गया कि अधिकांश विकसित देशों का वार्षिक औसत आपूर्ति रुकावट अवधि (एसएआईडीआई) और आपूर्ति रुकावट आवृत्ति (एसएआईएफआई) 1 घंटे और 1 रुकावट से कम है। डिस्कॉम को सलाह दी गई कि वे बिजली की विश्वसनीयता के इस स्तर की आशा करें जो बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियमों के अनुरूप भी हो और लोड शेडिंग को अतीत की बात बना दें।
- बिजली आपूर्ति की राज्य-वार स्थिरता और एमएनआरई के तहत पीएम-कुसुम जैसे प्रमुख हस्तक्षेपों, देश में ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और बीएलडीसी पंखे, अतिकुशल एसी आदि जैसे ऊर्जा कुशल उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने पर भी विस्तार से चर्चा की गई। महाराष्ट्र द्वारा पीएम-कुसुम के सफल कार्यान्वयन में सर्वोत्तम प्रक्रियाओं पर एक प्रस्तुति भी दी गई।
- राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर कृषि फीडरों के 100 प्रतिशत पृथक्करण और उसके बाद अलग किए गए कृषि फीडरों का सौर्यीकरण करने के लिए कहा गया था।
- बैठक में आरडीएसएस के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा की गयी। सभी प्रतिभागी डिस्कॉम के लिए आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों की निविदा/पुरस्कार और प्रगति की स्थिति की समीक्षा की गई। डिस्कॉम को कार्यों के कार्यान्वयन में तेजी लाने और योजना के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया। बिजली मंत्री ने राज्यों को मंजूरी के लिए आधुनिकीकरण और सिस्टम संवर्द्धन के लिए डीपीआर जल्द से जल्द प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
- असम द्वारा आरडीएसएस के अंतर्गत स्मार्ट मीटर परियोजना के सफल कार्यान्वयन पर एक प्रस्तुति दी गई। राज्य ने चुनौतियों और उनके कार्यान्वयन में अपनाई गई प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, राज्य ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि स्मार्ट मीटर का कार्यान्वयन उपभोक्ताओं और डिस्कॉम दोनों के लिए एक विजय की स्थिति साबित हुई है और यह दीर्घकाल में डिस्कॉम की वित्तीय व्यवहार्यता लाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। राज्य ने प्रस्तुत किया कि केवल 10.5 लाख स्मार्ट मीटरों की स्थापना के साथ, 100 फीडरों में जहां ये मीटर स्थापित किए गए हैं, एटी एंड सी नुकसान 17.9 प्रतिशत से घटकर 8.6 प्रतिशत हो गया है। इसके अलावा, प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बचाई गई ऊर्जा के कारण उपभोक्ता प्रति माह ~ 400 रुपये की बचत करने में सक्षम हुए हैं।
- सौर क्षमता वृद्धि पर प्रस्तुति के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिया कि राज्यों को नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) तरीकों का अनुपालन करना होगा और गैर-अनुपालन पर ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत दंडित किया जाएगा। इस कमी को नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्रों की खरीद से पूरा किया जा सकता है। आरपीओ पूरा न करने पर भारी जुर्माना होगा।
- यह सलाह दी गई कि रूफ टॉप सोलर, पीएम कुसुम जैसे वितरित नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि इसके लिए किसी निकासी प्रणाली की आवश्यकता नहीं होगी। इससे वितरण कंपनियों के लिए आपूर्ति की लागत भी कम हो जाएगी। राज्यों को उन समस्याओं के समाधान के लिए भी निर्देशित किया गया जिनके कारण वर्तमान में सौर-आधारित परियोजनाओं में विलंब हो रही है।
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एमजी/एआर/पीकेए/एचबी
(Release ID: 1998110)