पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

प्रधानमंत्री ने केरल के कोच्चि में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवसंरचना परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की


श्री सोनोवाल ने नई परियोजनाओं को राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बताया

इंजीनियरिंग का करिश्मा : 1799 करोड़ रुपए के निवेश से बना 310 मीटर लंबा नया ड्राई डॉक का उद्घाटन

भारत का पहला पूरी तरह से विकसित जहाज मरम्मत इकोसिस्टम, अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा, दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत सुविधा का उद्घाटन

आईओसीएल के 15,400 मीट्रिक टन क्षमता वाले एलएनजी आयात टर्मिनल का उद्घाटन

” आज जब भारत वैश्विक व्यापार का एक बड़ा केंद्र बन रहा है, हम देश की समुद्री शक्ति बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं”

‘बंदरगाहों, पोत परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग क्षेत्र में 'व्यवसायिक सुगमता' बढ़ाने के लिए पिछले 10 वर्षों में अनेक सुधार किए गए हैं"

"दुनिया वैश्विक व्यापार में भारत की क्षमता और स्थिति को पहचान रही है"

"समुद्री अमृत काल विजन विकसित भारत के लिए भारत के समुद्री कौशल को सुदृढ़ करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत करता है"

राष्ट्रीय गौरव की प्रतीक ये परियोजनाएं भारत की इंजीनियरिंग और परियोजना प्रबंधन क्षमताओं के उदाहरण हैं : श्री सोनोवाल

प्रमुख समुद्री क्लस्टर बनने के लिए कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) का लक्ष्य 2028 तक बिक्री दोगुनी कर 7,000 करोड़ रुपए करना है

Posted On: 17 JAN 2024 5:18PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोच्चि, केरल में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की तीन प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया। आज उद्घाटन की गई परियोजनाओं में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में न्यू ड्राई डॉक (एनडीडी), सीएसएल की अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) और पुथुविपीन, कोच्चि में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का एलपीजी आयात टर्मिनल शामिल हैं। ये प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएं भारत के बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र को बदलने तथा इसमें क्षमता सृजन और आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप हैं।

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन तथा जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इन चार परियोजनाओं के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने अमृत काल के दौरान भारत को 'विकसित भारत' बनाने की यात्रा में प्रत्येक राज्य की भूमिका पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले के समय में भारत की समृद्धि में बंदरगाहों की भूमिका को याद किया और अब बंदरगाहों के लिए एक समान भूमिका की परिकल्पना की जब भारत नए कदम उठा रहा है और वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में सरकार कोच्चि जैसे बंदरगाह शहरों की शक्ति को बेहतर बनाने में जुटी है। उन्होंने सागरमाला परियोजना के अंतर्गत बंदरगाह क्षमता में वृद्धि, बंदरगाह अवसंरचना में निवेश और बंदरगाहों की बेहतर कनेक्टिविटी की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने आज कोच्चि को मिले देश के सबसे बड़े ड्राई डॉक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और एलपीजी आयात टर्मिनल जैसी अन्य परियोजनाएं भी केरल और देश के दक्षिणी क्षेत्र में विकास को गति प्रदान देंगी। उन्होंने कोच्चि शिपयार्ड के साथ 'मेड इन इंडिया' विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के निर्माण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नई सुविधाओं से शिपयार्ड की क्षमताएं कई गुना बढ़ जाएंगी।

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में बंदरगाहों, पोत परिवहन और जलमार्ग क्षेत्र में किए गए सुधारों पर प्रकाश डाला और कहा कि इससे भारत के बंदरगाहों में नए निवेश आए हैं और रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय नाविकों से संबंधित नियमों में सुधार से देश में नाविकों की संख्या में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के भीतर अंतर्देशीय जलमार्गों के उपयोग से यात्री और कार्गो परिवहन को बड़ा प्रोत्साहन मिला है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबके प्रयास के बेहतर परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय बंदरगाहों ने पिछले 10 वर्षों में दो अंकों की वार्षिक वृद्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि 10 वर्ष पहले तक जहाजों को बंदरगाहों पर काफी लंबा इंतजार करना पड़ता था और उतारने में बहुत लंबा समय लगता था। श्री मोदी ने कहा कि आज स्थिति बदल गई है और जहाज टर्नअराउंड समय के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के संबंध में किए गए समझौतों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "दुनिया वैश्विक व्यापार में भारत की क्षमता और स्थिति को पहचान रही है।” श्री मोदी ने रेखांकित किया कि मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा भारत की तटीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर विकसित भारत के निर्माण को और मजबूत बनाएगा। प्रधानमंत्री ने हाल ही में शुरू किए गए समुद्री अमृत काल विजन का भी उल्लेख किया, जो विकसित भारत के लिए भारत के समुद्री कौशल को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करता है। उन्होंने देश में मेगा बंदरगाहों, जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत अवसंरचना निर्माण के लिए सरकार के प्रयासों को दोहराया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि नया ड्राई डॉक भारत का राष्ट्रीय गौरव है। इससे न केवल बड़े जहाजों को उतारा जा सकेगा बल्कि यहां जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत का काम भी संभव हो सकेगा, परिणामस्वरूप विदेशों पर निर्भरता कम होगी और विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

न्यू ड्राई डॉक (एनडीडी), 310 मीटर की लंबाई के साथ, 1799 करोड़ रुपये के निवेश से अंतरराष्ट्रीय मानक पर बनाया गया है। यह राष्ट्रीय गौरव इंजीनियरिंग का चमत्कार है जो आईएनएस विक्रांत या अन्य बड़े जहाजों जैसे सुएज़मैक्स, केपसाइज़, एलएनजी जहाजों और जैक अप रिग्स के विस्थापन से दोगुना विमान वाहक को संभालने में सक्षम है। यह रणनीतिक संपत्ति आपात स्थिति में नौसेना और अन्य वाणिज्यिक जहाजों के लिए महत्वपूर्ण क्षमताओं के साथ भी सक्षम है। भारत के इंजीनियरिंग कौशल और परियोजना प्रबंधन क्षमताओं को दर्शाने वाली एक प्रमुख परियोजना एनडीडी इस क्षेत्र के सबसे बड़े समुद्री अवसंरचना में से एक है। इसने दक्षता, सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीक और नवाचारों को शामिल किया है।

अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा (आईएसआरएफ) भारत का पहला पूरी तरह से विकसित शुद्ध जहाज मरम्मत इकोसिस्टम है जो देश में जहाज मरम्मत उद्योग की 25 प्रतिशत क्षमता जोड़ देगा। 970 करोड़ रुपए के निवेश से निर्मित यह आपातकालीन स्थिति के दौरान भारत के नौसेना और तटरक्षक जहाजों के लिए तेजी से बदलाव प्रदान करेगा। आईएसआरएफ प्रति वर्ष लगभग 80 जहाजों या उससे अधिक के लिए क्षमता जोड़ देगा। कोच्चि के विलिंगडन द्वीप में कोच्चि बंदरगाह प्राधिकरण के 42 एकड़ पट्टे के परिसर में स्थापित आईएसआरएफ सीएसएल की वर्तमान जहाज मरम्मत क्षमताओं का आधुनिकीकरण और विस्तार करेगा तथा इसे एक वैश्विक जहाज मरम्मत केंद्र के रूप में परिवर्तित करेगा और भारत में जहाज मरम्मत क्लस्टर बनाने और वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की स्थिति को बनाने करने के प्रधानमंत्री के विजन के साथ जोड़ेगा।

आईओसीएल के लिए एक एलपीजी आयात टर्मिनल का भी आज कोच्चि के पुथुविपीन में उद्घाटन किया गया, जिसमें 3.5 किलोमीटर लंबी क्रॉस कंट्री पाइपलाइन के माध्यम से मल्टी-यूजर लिक्विड टर्मिनल जेट्टी से जुड़े अत्याधुनिक अवसंरचना के साथ काम किया गया है। 15,400 मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता के साथ  टर्मिनल का उद्देश्य 1.2 एमएमटीपीए का व्यवसाय प्राप्त करना है। टर्मिनल सड़क और पाइपलाइन हस्तांतरण के माध्यम से एलपीजी वितरण सुनिश्चित करेगा, जिससे केरल और तमिलनाडु में बॉटलिंग संयंत्रों को सीधे लाभ होगा। यह एलपीजी की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करके भारत के ऊर्जा अवसंरचना में काफी वृद्धि करेगा, जिससे इस क्षेत्र में और आसपास के लाखों परिवारों और व्यवसायों को लाभ होगा। यह परियोजना सभी के लिए सुलभ और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत के प्रयासों को और मजबूत बनाएगी।

इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आज इन परियोजनाओं का उद्घाटन करना भारत के पोत परिवहन उद्योग के लिए एक महान दिन है। ये परियोजनाएं न केवल श्री मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को बढ़ावा देंगी, बल्कि केरल और देश के लोगों के लिए बड़े पैमाने पर विकास और रोजगार के अच्छे साधन के रूप में भी काम करेंगी। 'सबका साथ, सबका विकास' का सही मायने में यही अर्थ है। राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में ये परियोजनाएं भारत की इंजीनियरिंग और परियोजना प्रबंधन क्षमता का प्रमाण हैं। कोच्चि, जिसका एक समृद्ध समुद्री इतिहास है, मूल्य को बढ़ाना जारी रखता है क्योंकि इन परियोजनाओं से एमएसएमई, सहायक उद्योगों, लॉजिस्टिक्स, परिवहन, बैंकिंग, बीमा, आतिथ्य आदि क्षेत्र में आय बढ़ाने के लिए गुणक प्रभाव के साथ लगभग 4000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करने की संभावना है, जिससे चौतरफा आर्थिक विकास होगा। ये परियोजनाएं कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के विकास को भी बढ़ावा देंगी क्योंकि इसका लक्ष्य 2028 तक अपने कारोबार को दोगुना करना है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस परियोजना से प्रति वर्ष 18 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी के साथ-साथ 150 करोड़ रुपये की वार्षिक लॉजिस्टिक बचत होगी। एलपीजी आयात टर्मिनल के निर्माण के परिणामस्वरूप निर्माण चरण के दौरान 3.7 लाख मानव दिवस का सृजन हुआ है और संचालन चरण के दौरान प्रति वर्ष 19,800 मानव दिवस होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि परियोजनाएं एक वैश्विक मानक स्थापित कर रही हैं और वे प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन के अनुरूप हैं और 2047 तक विकसित भारत के लिए संपन्न अवसंरचना का विकास कर रही हैं। मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (एमआईवी) के ढांचे के भीतर भारत जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत दोनों में शीर्ष 10 वैश्विक रैंकिंग में पहुंचने के लिए तैयार है। समुद्री अमृत काल विजन 2047 में निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ भारत का लक्ष्य कोच्चि को अपने ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) के साथ एक प्रमुख समुद्री क्लस्टर और ग्रीन शिप के लिए एक वैश्विक केंद्र में विकसित करना है। यह रणनीतिक दृष्टि समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्टता और नवाचार के लिए प्रतिबद्धता को दिखाती है, विकास और वैश्विक मान्यता को बढ़ावा देती है। समुद्री अमृत काल विजन 2047 के अंतर्गत  मंत्रालय जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत को बढ़ाने तथा 2047 तक विश्व स्तर पर शीर्ष पांच देशों में शामिल होने के लिए भारतीय टन भार बढ़ाने के लिए अनेक पहल कर रहा है। इन पहलों से 50,000 से अधिक लोगों के रोजगार सृजन के साथ इस क्षेत्र में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का निवेश आने की आशा है।

उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में समुद्री अमृतकाल विजन, 2047 के अनुसार विश्व स्तर पर शीर्ष पांच में शामिल होने के लिए जहाज-निर्माण, जहाज-मरम्मत और भारत के टन भार को बढ़ाने की दिशा में एक ठोस प्रयास किया गया है। इन पहलों के शुभारंभ के साथ, हमें 50,000 से अधिक लोगों के रोजगार सृजन के साथ इस क्षेत्र में लगभग 45,000 करोड़ रुपये का निवेश लाने की उम्मीद है। आत्मनिर्भर बनने के प्रयास के साथ हम भारतीय ध्वज वाले बेड़े को बढ़ाने और विदेशी जहाजों पर हमारी निर्भरता को यथासंभव कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। पोत परिवहन को अवसंरचना क्षेत्रों की सुसंगत मास्टर सूची में शामिल किए जाने के साथ इस क्षेत्र को भारतीय पोत परिवहन कंपनियों को शिपिंग टनेज के अधिग्रहण के लिए दीर्घकालिक, कम लागत वाले वित्त पोषण का लाभ मिलेगा। शिपिंग क्षेत्र को प्रतिस्पर्धात्मक दीर्घकालिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक समुद्री विकास निधि (एमडीएफ) भी स्थापित की जा रही है। हाल ही में नॉर्वे में ऑटोनोमश इलेक्ट्रिक बार्ज की सफल डिलिवरी के बाद सीएसएल को वैश्विक मान्यता मिली है। हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन, हाइड्रोजन फ्यूल सेल फेरी आदि जैसे अगली पीढ़ी के ग्रीन टेक्नोलॉजी जहाजों जैसे मजबूत उत्पादों के साथ सीएसएल दुनिया में एक प्रमुख समुद्री भागीदार के रूप में भारत के पुनरुत्थान में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन, केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक भी अन्य लोगों के साथ उपस्थित थे।

यह उल्लेखनीय है कि, जहाज के आकार के अनुसार भारत ने सफलतापूर्वक सबसे बड़े जहाजों का निर्माण किया है, जिसमें 93के टैंकर और हाल ही में विक्रांत को शामिल किया गया है। जबकि सीएसएल पूर्ण जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत क्षमताओं के साथ एकमात्र यार्ड के रूप में काम करता है। सीएसएल के पास अगली पीढ़ी के हरित प्रौद्योगिकी जहाजों जैसे हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन, हाइड्रोजन फ्यूल सेल फेरी आदि की एक मजबूत पाइपलाइन है। प्रौद्योगिकी में ये प्रगति समुद्री उद्योग के भविष्य को फिर से परिभाषित करेगी। अपने ग्रीन वेसल्स ट्रांजिशन प्रोग्राम के अंतर्गत सीएसएल आईडब्ल्यूएआई के लिए 8 ग्रीन वेसल्स का निर्माण करेगा, जिसमें 2 पहले ही डिलिवर किए जा चुके हैं और शेष को नियत समय में डिलिवर किया जाएगा। भारत में प्रमुख जहाज मरम्मतकर्ता के रूप में सीएसएल भारत के पश्चिमी तट पर जहाज मरम्मत क्लस्टर स्थापित करने के लिए काउंटी की पहल का नेतृत्व कर रहा है। सीएसएल की नई अंतर्राष्ट्रीय जहाज मरम्मत सुविधा कोच्चि जहाज मरम्मत क्लस्टर का हिस्सा होगी।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय विशेष रूप से बड़े और आगामी पोत वर्गों के लिए जहाज निर्माण और मरम्मत में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जहाज निर्माण और मरम्मत में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने पर काम कर रहा है। भविष्य में भारतीय समुद्री क्षेत्र के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए कोच्चि, चेन्नई और मुंबई जैसे रणनीतिक स्थानों में जहाज मरम्मत क्लस्टर बनाए जाएंगे। मंत्रालय भारतीय नाविकों को विश्व स्तरीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण सुविधाएं भी प्रदान करेगा। जहाज मरम्मत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय 'फ्री ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन' (एफटीडब्ल्यूजेड) की शर्तों में ढील देने, पोत की मरम्मत के लिए आयात सामग्री पर सीमा शुल्क छूट प्रदान करने, शिपयार्ड में एक मुक्त व्यापार डिपो स्थापित करने पर काम कर रहा है जो निर्माताओं, सहायक पार्टियों, व्यापारियों और उद्यमियों को सक्षम बनाता है। भविष्य की योजनाओं के हिस्से के रूप में दीनदयाल पत्तन प्राधिकरण, कांडला द्वारा वाडिनार में एक जहाज मरम्मत सुविधा के लिए भी बातचीत चल रही है। इसके लिए तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य मुंबई-गुजरात जहाज मरम्मत क्लस्टर को गति देना है।

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