पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर, भोपाल और उदयपुर शहरों के लिए आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत वेटलैंड सिटी प्रमाणन के लिए प्रस्ताव दिया

Posted On: 04 JAN 2024 7:56PM by PIB Delhi

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इंदौर (मध्य प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश) और उदयपुर (राजस्थान) शहरों के लिए आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत वेटलैंड सिटी प्रमाणन (डब्ल्यूसीए) के लिए भारत से तीन नामांकन प्रस्तुत किए हैं। ये पहले तीन भारतीय शहर हैं जिनके लिए नगर निगमों के सहयोग से संबंधित राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरणों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर डब्ल्यूसीए के लिए नामांकन प्रस्तुत किए गए हैं। इन शहरों में और उसके आसपास स्थित आर्द्रभूमि अपने नागरिकों को बाढ़ विनियमन, आजीविका के अवसरों, मनोरंजक और सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में अनेक लाभ प्रदान करती है। सिरपुर वेटलैंड (इंदौर में रामसर साइट), यशवंत सागर (इंदौर के समीप रामसर साइट), भोज वेटलैंड (भोपाल में रामसर साइट) और उदयपुर और उसके आसपास कई वेटलैंड्स (झीलें) इन शहरों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम करते हैं।

तीन नामांकित शहरों में शामिल हैं:

इंदौर: इंदौर शहर की स्थापना होलकर ने की थी और यह भारत का सबसे स्वच्छ शहर है और अपने सर्वश्रेष्ठ स्वच्छता, पानी और शहरी पर्यावरण के लिए भारत के स्मार्ट सिटी अवार्ड 2023 का विजेता है। सिरपुर झील, शहर में एक रामसर स्थल, को जल पक्षी समागम के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता दी गई है और इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया जा रहा है। 200 से ज्यादा आर्द्रभूमि मित्रों का एक मजबूत नेटवर्क पक्षी संरक्षण और सारस क्रेन की रक्षा के लिए स्थानीय समुदाय को संवेदनशील बनाने का काम कर रहा है।

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इंदौर में सिरपुर

 

भोपाल: भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक है, जिसने अपने नगर विकास योजना 2031 के प्रारूप में आर्द्रभूमि के आसपास संरक्षण क्षेत्रों का प्रस्ताव दिया है। भोज वेटलैंड, रामसर साइट शहर की जीवन रेखा है, जो विश्व स्तरीय वेटलैंड व्याख्या केंद्र, जल तरंग से सुसज्जित है। इसके अतिरिक्त, भोपाल नगर निगम के पास एक समर्पित झील संरक्षण सेल है। 300 से ज्यादा आर्द्रभूमि मित्रों का एक नेटवर्क आर्द्रभूमि प्रबंधन और सारस क्रेन के संरक्षण कार्य में लगा हुआ है।

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भोपाल में भोज वेटलैंड

उदयपुर: राजस्थान में स्थित यह शहर पांच प्रमुख आर्द्रभूमियों से घिरा हुआ है, अर्थात् पिछोला, फतेह सागर, रंग सागर, स्वरूप सागर और दूध तलाई। ये आर्द्रभूमि शहर की संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग हैं, शहर के सूक्ष्म जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं, और चरम घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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उदयपुर में फतेह सागर वेटलैंड

वेटलैंड सिटी प्रमाणन (डब्ल्यूसीए): शहरी और अर्ध-शहरी वातावरण में आर्द्रभूमि के महत्व को स्वीकार करते हुए और इन आर्द्रभूमि का संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु उचित उपाय करने के लिए, वर्ष 2015 में आयोजित सीओपी12 में रामसर कन्वेंशन ने संकल्प XII.10 के अंतर्गत एक स्वैच्छिक आर्द्रभूमि शहर मान्यता प्रणाली को मंजूरी प्रदान की, जो उन शहरों को प्रमाणन देता है जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए असाधारण कदम उठाए हैं। वेटलैंड सिटी प्रमाणन योजना का उद्देश्य शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि के संरक्षण और चतुर उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय आबादी के लिए स्थायी सामाजिक-आर्थिक लाभ भी है। इसके अतिरिक्त, प्रमाणन उन शहरों को प्रोत्साहित करता है जो आर्द्रभूमि के समीप हैं और उन पर निर्भर हैं, मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि और अन्य संरक्षण श्रेणी वाले आर्द्रभूमि, इन मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्रों के साथ सकारात्मक संबंध विकसित करने और मजबूत करने के लिए। औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त करने के लिए, वेटलैंड सिटी प्रमाणन के लिए एक उम्मीदवार को आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के डब्ल्यूसीए के लिए परिचालन मार्गदर्शन में उल्लिखित छह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों में से प्रत्येक को लागू करने के लिए उपयोगी मानकों को पूरा करना चाहिए। यह स्वैच्छिक योजना उन शहरों के लिए एक अवसर प्रदान करती है जो अपने प्राकृतिक या मानव निर्मित आर्द्रभूमि को महत्व देते हैं जिससे वे आर्द्रभूमि के साथ मजबूत सकारात्मक संबंधों का प्रदर्शन करने में अपनी कोशिशों के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सकारात्मक ब्रांडिंग का अवसर प्राप्त कर सकें।

इस वर्ष के बजट के भाग के रूप में घोषित पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की चल रही अमृत धरोहर पहल का उद्देश्य रामसर साइटों के अद्वितीय संरक्षण मूल्यों को बढ़ावा देकर इसी प्रकार के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। इस संदर्भ में, डब्ल्यूसीए न केवल शहरी और अर्ध-शहरी आर्द्रभूमि के संरक्षण के बारे में जन जागरूकता उत्पन्न करेगा, बल्कि पूरे देश में अमृत धरोहर के कार्यान्वयन में भी सहायता प्रदान करेगा।

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