आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
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शहरों के बारे में आंकड़े

Posted On: 21 DEC 2023 5:25PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और पहुंच नीति (एनडीएसएपी) वर्ष 2012 में प्रकाशित हुई थी। राष्ट्रीय नीति ने वैज्ञानिक, आर्थिक और सामाजिक विकासात्मक उद्देश्यों के लिए गैर-व्यक्तिगत डेटा की पहुंच और आसान साझाकरण को प्रोत्साहन देने में सहायता की है। स्मार्ट सिटीज़ मिशन (एससीएम) द्वारा वर्ष 2019 में डेटा स्मार्ट सिटीज़ रणनीति की शुरुआत भारत के शहरों में डेटा-संचालित शासन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इस रणनीति ने 100 स्मार्ट शहरों में डेटा-संचालित नीतियों और कार्यान्वयन पर व्यापक कार्य को प्रेरित करने में मदद की है। वर्ष 2022 में शहरी परिणाम रूपरेखा के शुभारंभ ने रहने योग्य, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरी भारत के लिए मूल्यांकन और निगरानी मंच (एएमपीएलआईएफ़आई) नामक पोर्टल - रहने योग्य, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरी भारत के लिए मूल्यांकन और निगरानी मंच का संक्षिप्त रूप, पर 200 से अधिक शहरों के लिए 400 से अधिक मापदंडों पर 14 क्षेत्रों में डेटा साझा करने में सक्षम बनाया। इस पर उपलब्ध डेटा की मात्रा और विविधता के कारण, रहने योग्य, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरी भारत के लिए मूल्यांकन और निगरानी मंच (एएमपीएलआईएफ़आई) शहरी डेटा आवश्यकताओं के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है।

रहने योग्य, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरी भारत के लिए मूल्यांकन और निगरानी मंच (एएमपीएलआईएफ़आई) के अलावा, मिशन ने विशिष्ट संस्थाओं के बीच संवेदनशील डेटा साझा करने के लिए एक एक्सेस नियंत्रित, सुरक्षित व्यवस्था के रूप में इंडिया अर्बन डेटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स) बनाया है। इससे देश के कई स्मार्ट शहरों में गतिशीलता, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में नवीन समाधान बनाने में मदद मिली है। सभी मिशन शहर सक्रिय रूप से भारत सरकार के खुले डेटा पोर्टल पर गैर-व्यक्तिगत डेटा साझा करते हैं। कई स्मार्ट शहरों ने शहरों में डेटा को कैसे प्रबंधित और साझा किया जाना चाहिए और डेटा प्रशासन, सुरक्षा, सहयोग और नवाचार के आसपास व्यवस्था को परिभाषित करने के सिद्धांतों को निर्धारित करने के लिए सिटी डेटा पुलिस तैयार की है। शहर अपनी सिटी डेटा नीतियों का उपयोग करके डेटा साझाकरण, मानकीकरण, गोपनीयता, सुरक्षा और स्वामित्व की रूपरेखा तय करने में सक्षम हैं।

मिशन ने एक साइबर सुरक्षा ढांचा तैयार किया है जो साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर शहरों का मार्गदर्शन करता है। इसके अलावा, शहरों से सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित डेटा गोपनीयता और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। इस उद्देश्य के लिए कई दौर का प्रशिक्षण आयोजित किया गया है। विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा बड़ी मात्रा में और विभिन्न प्रकार के डेटा उत्पन्न और संकलित किए जाते हैं। डेटा तक पहुंच से नागरिक समाज को कई लाभों के अलावा, वैज्ञानिक समझ के साथ-साथ आर्थिक और सार्वजनिक भलाई में भी सफलता मिलती है। डेटा के संग्रह में सार्वजनिक धन के पर्याप्त स्तर के निवेश की तैनाती और समाज को लाभ की अप्रयुक्त संभावनाओं को देखते हुए, गैर-संवेदनशील डेटा को वैध उपयोग के लिए उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।

डेटा की व्यापक पहुंच और साझाकरण नागरिकों को शासन में सम्मिलित करने और उन्हें जानकारी के साथ सशक्त बनाने पर सरकार के विशेष ध्यान का समर्थन करता है। यह नवप्रवर्तकों के बीच सहयोग और सह-निर्माण, शिक्षा जगत और उद्योग में अनुसंधान और विकास को सक्षम बनाता है। यह सरकारों, शहरी योजनाकारों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को शहरों के कामकाज और विकास में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सहायता करता है।

केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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