जनजातीय कार्य मंत्रालय

श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय परम्‍पराओं और संस्कृति की जटिलताओं की गहरी समझ और उनके अस्तित्व की चुनौतियों का पता लगाने के लिए दो दिवसीय आदिवासी अभिविन्यास कार्यक्रम - 'आदि व्याख्यान' का उद्घाटन किया।


आदिवासी पहचान के संरक्षण के लिए जनजातीय भाषा और साहित्य महत्वपूर्ण: श्री अर्जुन मुंडा

उद्घाटन कार्यक्रम में 5 राज्यों - छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम - के मुंडा समुदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया

Posted On: 21 DEC 2023 6:05PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय जनजातीय कार्य और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली में दो दिवसीय जनजातीय अभिविन्यास कार्यक्रम - आदि व्याख्यान - का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) ने किया, जिसका उद्देश्य जनजातीय परम्‍पराओं और संस्कृति की जटिलताओं की गहरी समझ और उनके अस्तित्व की चुनौतियों का पता लगाना है। यह आदिवासी पहचान और देश की सांस्कृतिक विविधता में आदिवासी योगदान का पता लगाने की एक पहल है।

आदि व्याख्यान आदिवासी समुदायों को भारत की सांख्यिकीय जानकारी और संवैधानिक सुरक्षा उपायों से परिचित कराएगा ताकि पंचायतों (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) (पीईएसए) कानून, 1996, वन अधिकार कानून (एफआरए), 2006, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून, 1989 की बारीकियों को उजागर किया जा सके। इसके जनजातीय शासन और भूमि अधिकारों को आकार देने वाले कानूनी ढांचे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है और यह जनजातीय लोगों की गहरी समझ के लिए मंच तैयार करेगा। उद्घाटन कार्यक्रम में 5 राज्यों (छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम) के मुंडा समुदायों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

उद्घाटन भाषण देते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी पहचान, उन्‍हें मान्‍यता देने और संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी पहचान को संरक्षित करने के लिए आदिवासी भाषा और साहित्य महत्वपूर्ण हैं। मंत्री ने जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) पहल सहित विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। श्री मुंडा ने एफआरए, 2006; पेसा, 1996; अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून, 1989 पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए आदि मंथन की भी सराहना की और आदिवासी समुदाय के बीच जागरूकता फैलाने के लिए एनटीआरआई जैसे अनुसंधान संस्थानों की आवश्यकता बताई। मंत्री ने जनजातीय लोगों को उनसे संबंधित भारत के संविधान के प्रावधानों के बारे में अवगत कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए अतीत, वर्तमान और भविष्य पर नया नजरिया अपनाने और उस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता को स्वीकार किया।

एनटीआरआई की विशेष निदेशक प्रो. नूपुर तिवारी ने अभिविन्‍यास कार्यक्रम की रूपरेखा रखी और कहा कि आदि व्याख्यान भारत में आदिवासी समुदायों के साथ चर्चा और बातचीत को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत मुंडा समाज के अध्यक्ष श्री एतवा मुंडा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह के सेमिनार से आदिवासियों की भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद मिलेगी और उन्हें भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी। भारत मुंडा समाज की उपाध्यक्ष श्रीमती रूपलक्ष्मी मुंडा ने आदिवासी समाज में महिलाओं की प्रगति और उनकी चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार आदि व्याख्यान चर्चा आदिवासी महिलाओं की मुक्ति के लिए एक मंच के रूप में काम कर सकती है।

अभिविन्‍यास कार्यक्रम जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) के तहत जनजातीय विकास में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का प्रदर्शन करेगा। इसके अलावा, एनटीआरआई के नेतृत्व में कला निधि और जनजातीय संग्रहालय का दौरा भी होगा, जो हमारी जनजातीय विरासत की सांस्कृतिक समृद्धि की एक मूल्यवान झलक पेश करेगा।

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