जनजातीय कार्य मंत्रालय
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सरकार ने अनुसूचित जनजातियों के समावेशी विकास और सशक्तिकरण पर केन्द्रित कई योजनाओं की शुरूआत की

Posted On: 13 DEC 2023 3:18PM by PIB Delhi

भारत सरकार समावेशी वृद्धि पर ध्यान केन्द्रित कर रही है जैसा कि उसकी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की प्रतिबद्धता से दिखाई देता है और इस दिशा में आगे बढ़ते हुये उसने अनुसूचित जनजातियों को उपर उठाने तथा उनके सशक्तिकरण के लिये कई कदम उठाये हैं।

सरकार अनुसूचित जनजातियों और जनजातीय सद्यनता वाले क्षेत्रों के विकास की एक रणनीति के तौर पर अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) को लागू कर रही है। केन्द्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय सहित 42 मंत्रालय/विभाग हर साल अपने कुल योजना बजट का कुछ प्रतिशत डीएपीएसटी के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवासन, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिये आवंटित कर रहे हैं।

अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिये शुरू की गई योजनाओं/ कार्यक्रमों/कदमों और उपलब्धियों/सफलताओं का विवरण नीचे दिया गया हैः

केन्द्रीय बजट 2023-24 में 42 मंत्रालयों/विभागों के कुल योजना बजट आवंटन में से 1,17,943.73 करोड़ रूपये डीएपीएसटी कोष के तौर पर आवंटित किये गये। यह राशि वित्त वर्ष 2013-14 में आवंटित वास्तविक कोष के मुकाबले डीएपीएसटी कोष में साढे पांच गुना वृद्धि दर्शाती है।

भारत सरकार ने 2021 में घोषणा की थी कि भगवान बिरसा मुडा की जन्म जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जायेगा। यह दिन बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सैनानी की याद कों समर्पित किया गया है ताकि आने वाली पीढ़ीयों को देश के लिये उनके बलिदान के बारे में पता चल सके और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा और वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ाने के लिये जनजातीय लोगों के प्रयासों को जान सकें।

सरकार ने विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू की है। यात्रा का मकसद लोगों तक पहुंचकर जागरूकता बढ़ाना और उनके बीच स्वच्छता सुविधाओं, आवश्यक वित्तीय सेवाओं, बिजली कनेक्शन, एलपीजी सिलेंडर की सुविधा, गरीबों के लिये मकान, खाद्य सुरक्षा, उचित पोषण, विश्वसनीय स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ पीने का पानी जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

सरकार ने पीएम जनमन (पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) की शुरूआत की है। इस योजना का उद्देश्य 18 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में रहने वाले 75 विशेषरूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) जो कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के सामाजिक आर्थिक संकेतकों में लगातार पिछड़ रहे हैं, का समुचित विकास करना है। इसके लिये 24,104 करोड़ रूपये का कुल बजट रखा गया है।

जनजातीय गांवों के विकास में आये अंतर को पाटने के लिये प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना शुरू की गई है जिसका उद्देश्य 4.22 करोड़ जनसंख्या (कुल आदिवासी जनसंख्या का करीब 40 प्रतिशत) वाले गांवों की कायापलट करना है। इसके तहत 2025-26 अधिसूचित एसटी वाले राज्यों/यूटी के कम से कम 50 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या और 500 एसटी वाले 36,428 गांवों को कवर किया जायेगा। योजना के तहत राज्यों के लिये 2,205.21 करोड़ रूपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है।

आदिवासी छात्रों को उनके अपने परिवेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिये एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) की भौगोलिक पहुंच में सुधार के लिये 2018 में केन्द्रीय क्षेत्र की एक अलग योजना तैयार की गई जिसमें 2011 की जनगणना के आधार पर 50 प्रतिशत से अधिक एसटी जनसंख्या और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लाक में यह पहुंच सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 38,000 अध्यापकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। इसका 3.5 लाख आदिवासी छात्रों को लाभ पहुंचेगा। आज की स्थिति के मुताबिक 694 विद्यालयों को मंजूरी दी गई है जिसमें से देशभर में 401 ईएमआरएस काम कर रहे हैं और 1,18,982 छात्रों को इसका लाभ मिल रहा है। इस योजना को अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ दिया गया है और यह सुनिश्चित किया जायेगा कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो जिसमें कक्षाओं में समावेशी और समान परिवेश हो और जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषीय जरूरतों, भिन्न अकादमिक क्षमता का ध्यान रखा जाये और उन्हें पढ़ाई लिखाई की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाया जा सके।

मैट्रिक से पहले और मैट्रिक-बाद छात्रवृत्ति के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय हर साल 33-35 लाख एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।

शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) समग्र शिक्षा योजना को लागू कर रहा है, यह 2018-19 से प्रभावी है। स्कूली शिक्षा के हर स्तर पर लैंगिक और सामाजिक वर्गीय अंतर को पाटना इस योजना का एक सबसे प्रमुख उद्देश्य है। योजना एससी, एसटी, अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों और लड़कियों तथा ट्रांसजेंडर तक पहुंच रही है। योजना के तहत पहचान किये गये विशेष फोकस जिलों (एसएफडी) पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इसमें इन जिलों में स्कूलों में नामांकन, पढ़ाई में बने रहने और लैंगिक समानता के साथ साथ एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदायों पर ध्यान देने जैसे विभिन्न संकेतकों के आधार पर प्रतिकूल प्रदर्शन पर भी गौर किया जाता है।

सरकार के प्रयासों के परिणाम स्वरूप अनुसूचित जातियों की साक्षरता दर 2011 (की जनगणना) के 59 प्रतिशत से सुधरकर (आवधिक श्रम बल सर्वे (पीएलएफएस) की जुलाई 2021- जून 2022) रिपोर्ट के मुताबकि 72.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 2013-14 के 91.3 से बढ़कर 2021- 2022 में 98.0 पर पहुंच गया वहीं एसटी छात्रों के मामले में जीईआर सैंकडरी स्तर (नौवी- दसवीं) पर 2013- 14 के 70.2 से बढ़कर 2021- 2022 में 78.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। वहीं सीनियन सैकंडरी स्तर (11वीं - 12वी) की पढ़ाई में एसटी छात्रों का सकल नामांकन अनुपात 2013- 14 के 35.4 से बढ़कर 2021- 2022 में 52.0 पर पहुंच गया। उच्च शिक्षा की यदि बात की जाये तो एसटी छात्रों का जीईआर 2013- 14 के 11.3 से बढ़कर 2020- 2021 में 18.9 प्रतिशत हो गया।

प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) का उद्देश्य जनजातीय उद्यमशीलता प्रयासों को मजबूती देने और अधिक सक्षम, समान, स्व- व्यवस्थित, प्राकृतिक संसाधनों का ईष्टतम उपयोग, कृषि/गैर- टिम्बर वन उत्पादों (एनटीएफपी)/ गैर-कृषि उद्यमों को बढ़ावा देकर आजीविका के अवसरों को बढ़ाना है। भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) इस योजना की केन्द्रीय क्रियान्वयन एजेंसी है। योजना के तहत ‘‘वोकल फोर लोकल बाय ट्राइबल’’ को समर्थन पर जोर दिया गया है। पीएमजेवीएम के तहत गौण वनीय उत्पादों (एमएफपी) की न्यूनतम समर्थन मूलय पर खरीद, वन धन विकास केन्द्रों के जरिये एमएफपी/गैर-एमएफपी मूल्य श्रंृखला और मूल्य वर्धित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास के लिये अवसंरचना सुविधाओं के सृजन के लिये मंत्रालय वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराता है। 3,958 वन धन विकास केन्द्रों को मंजूरी दी जा चुकी है जिससे 11,83,412 व्यक्तियों को लाभ पहुंचा है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजातीय वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी), जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत काम करने वाला केन्द्रीय क्षेत्र का सार्वजनिक उपक्रम है। यह अपनी एजेंसियों के जरिये पात्र अनुसूचित आदिवासी व्यक्तियों को आय सृजन गतिविधियों/स्व- रोजगार के लिये रियायती दर पर ऋण उपलब्ध कराता है। एनएसटीएफडीसी की योजनाओं के तहत पिछले नौ साल के दौरान लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या 8,71,101 रही है।

कौशल भारत मिशन के तहत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) आदिवासी समुदायों सहित समाज के सभी वर्गो के लिये कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है। इनका संचालन प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप संवर्धन योजना (एनएपीएस) और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के जरिये शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत देशभर में फैले कौशल विकास केन्द्रों/संस्थानों के व्यापक नेटवर्क के जरिये किया जाता है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 6.5 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (पीएमएवाई - जी) ग्रामीण विकास विभाग 01 अप्रैल 2016 से पीएमएवाई - जी को चला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिये मकान लक्ष्य को हासिल करने के लिये इसके तहत पात्र ग्रामीण परिवारों को मूलभूत सुविधाओं के साथ पक्का मकान बनाने के लिये सहायता दी जाती है। प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण के तहत एसटी के लिये 65.54 लाख आवासों के लिये मंजूरी दी जा चुकी है जिसमें से 52.54 लाख मकानों का निर्माण पूरा हो चुका है।

जल जीवन मिशन: यह केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के जरिये पानी का कनेक्शन उपलब्ध कराया जाना है। इसका लक्ष्य देशभर में सभी ग्रामीण परिवारों को इसके तहत कवर किया जाना है और इस प्रकार इसमें सभी ग्रामीण एसटी जनसंख्या/ परिवार भी शामिल हो जाते हैं। जल जीवन मिशन के तहत एसटी सघनता वाले आवासीय क्षेत्रों में करीब 1.35 करोड़ परिवारों को पाइप के जरिये जलापूर्ति सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम - जी) - सरकार ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों (आदिवासी इलाकों सहित) को 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच से मुक्त करने के उद्देश्य के साथ 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (एसबीएम-जी) की शुरूआत की थी। देश के सभी गांव (आदिवासी क्षेत्रों सहित) अपने आप को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण के तहत 2014- 15 के बाद से 1.48 करोड़ एसटी परिवारों के लिये शौचालय का निर्माण किया जा चुका है।

सरकार सिकल सेल बीमारी को समाप्त करने के लिये भी काम कर रही है। यह एक रक्त समस्या से जुड़ी अनुवांशिक बीमारी है जिससे आदिवासी जनसंख्या प्रभावित है। इसके उन्मूलन के लिये प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में 1 जुलाई 2023 को सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की शुरूआत की है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम - किसान) के तहत देशभर में खेती करने वाले सभी भूमिधारी किसान परिवारों को वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि, इसमें कुछ मानदंड भी हैं जो इस सुविधा से अलग करते हैं। योजना के तहत लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में 2000 रूप्ये की तीन किस्तों में सालाना 6000 रूप्ये की राशि सीधे हस्तांतरित की जाती है। करीब 1 करोड़ एसटी किसानों को भी पीएम- किसान योजना का लाभ मिल रहा है।

सरकार ने चार मिशन मोड परियोजनायें भी शुरू की हैं, इनके नाम हैं पीएम- आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम- एबीएचआईएम), आयुष्मान आरोग्य मंदिर जिसका पूववर्ती नाम आयुष्मान भारत हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर (एबी- एचडब्ल्यूसी) था, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम)।

पीएम-एबीएचआईएम की शुरूआत देश में प्राथमिक, द्वितीय और त्रितिय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की क्षमता बढ़ाने, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करने और नई तथा उभरती बीमारियों का पता लगाने और उनका इलाज करने की सुविधा के लिये नये संस्थानों का सृजन करने के लिये की गई। पीएम- एबीएचआईएम एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसमें कुछ केन्द्रीय क्षेत्र का हिस्सा है। योजना के लिये 2025-26 तक 64,180 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) के अनुसार अनुसूचित जनजातीयों में नवजात शिशु मृत्यू दर 2015- 16 के 44.4 से घटकर 2019- 21 में 41.6 प्रतिशत रह गई। पांच वर्ष तक की मृत्यू दर 2015-16 के 57.2 से घटकर 2019- 2021 में 50.3 प्रतिशत रह गई। वहीं बच्चों की संस्थानों में डिलीवरी की दर 2015-16 के 68 प्रतिशत से बढ़कर 2019-2021 में 82.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहीं, 12-23 माह के बच्चों का पूर्ण टीकाकरण 2015-16 में जहां 55.8 प्रतिशत था वह 2019- 2021 में बढ़कर 76.8 प्रतिशत पर पहुंच गया।

सरकार ने गरीब लाभार्थियों के वित्तीय बोझ को दूर करने और राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता सुनिश्चित करने तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों और प्राथमिक परिवारों (पीएचएच) लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है।

नीति आयोग ने जुलाई 2023 में ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें यह कहा गयया कि 2015-16 और 2019-2021 के बीच 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। हालांकि, इस रिपोर्ट में एसटी के जिलावार आंकड़े स्पष्ट तौर पर नहीं दिये गये हैं, लेकिन इसमें कहा गया है कि करीब सभी आदिवासी प्राथमिकता वाले जिलों में बहुआयामी गरीबी में सुधार दिखा है।

यह जानकारी जनजातीय कार्य राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण पवार ने आज राज्य सभा में एक अतारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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