कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय
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एआईएफ के तहत बजट संवितरण

Posted On: 12 DEC 2023 5:21PM by PIB Delhi

एग्रिकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) एक मध्यम-दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा योजना है जिसे फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए 2020 में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत, पात्र उधारकर्ताओं को बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 3% की दर से ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी सुविधा के साथ एक लाख करोड़ रुपये प्रदान किए जाने हैं। आज तक एआईएफ के तहत 43,318 परियोजनाओं के लिए 32,472 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस कुल स्वीकृत राशि में से 20102 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। इन स्वीकृत परियोजनाओं ने कृषि क्षेत्र में 55,248 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया है।

इस हिसाब से, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ब्याज छूट और सीजीटीएमएसई शुल्क के भुगतान के लिए 2022-23 में बी.ई. के रूप में 500 करोड़ रुपये और आर.ई. के रूप में 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) योजना के शुरू होने के शुरुआती वर्षों के दौरान, पूरे देश में फैले कोविड-19 के संक्रमण ने इस योजना की प्रगति को बुरी तरह प्रभावित किया। साथ ही, घातक वायरस के खतरे ने विभिन्न हितधारकों तक इस योजना के पहुंचने में बाधा डाली जिससे योजना के बारे में जागरूकता नहीं फैलाई जा सकी। स्वीकृत ऋण के वितरण की धीमी गति इस वजह से भी है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के शुरू करने में समय लगता है और वितरण समय के साथ चरणबद्ध तरीके से होता है। हालांकि, वित्त वर्ष 22-23 के दौरान, पिछले वर्ष यानी वित्त वर्ष 21-22 की तुलना में लगभग 251% की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 की प्रगति से अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है। 9854 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं जिसमें 01.12.2023 तक 7272 करोड़ रुपये का वितरण कर दिया गया है। कुल मिलाकर, एआईएफ के तहत 43,318 परियोजनाओं के लिए 32,472 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इस कुल स्वीकृत राशि में से 20102 करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं।

कृषि और किसान कल्याण विभाग केंद्रीय परियोजना निगरानी इकाई (सीपीएमयू), राज्य परियोजना निगरानी इकाइयों (एसपीएमयू), बैंकों और राज्य सरकारों के नोडल अधिकारियों के साथ भौतिक और आभासी दोनों तरीकों से समय-समय पर समीक्षा सत्र आयोजित करता है। कृषि और किसान कल्याण विभाग विभिन्न राज्यों के एआईएफ सम्मेलन में शामिल होता है और एआईएफ पर जागरूकता फैलाने के एकमात्र उद्देश्य से बैंकों के सम्मेलन का आयोजन करता है। स्वीकृत ऋणों की अधिक मंजूरी और शीघ्र वितरण के लिए बैंकों के साथ आमने-सामने की बैठक करना इस विभाग का एक नियमित अभ्यास रहा है। बैंकों के बीच एनओबीओएल (राष्ट्रव्यापी एक शाखा एक ऋण), बीईएसटी (सतत बदलाव को सक्षम करने वाले बैंक), बीएचएआरएटी यानी भारत (ग्रामीण और कृषि परिवर्तन में तेजी लाने वाले बैंक) आदि जैसे अभियान समय-समय पर चलाए जा रहे हैं। अब तक, 5 अभियान चलाए जा चुके हैं, जिससे 16937 करोड़ रुपये यानी एआईएफ के तहत कुल मंजूरी का 52% से अधिक का योगदान मिला। पिछले वर्ष इन प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैंकों और राज्यों को एक पुरस्कार समारोह में कृषि मंत्री ने सम्मानित किया था। इसके अलावा, यह विभाग एआईएफ योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण संस्थानों/बैंकों के कॉलेजों और केंद्रीय तथा राज्य स्तरीय प्रदर्शनियों के साथ विभिन्न कार्यशालाओं में भाग लेता है। इन गतिविधियों से बैंकों और अन्य ऋण देने वाले संस्थानों द्वारा अधिक आवेदन प्राप्त करने और ऋण स्वीकृत करने में मदद मिलती है। राज्यों और बीएलबीसी, डीएलसी की एसएलबीसी बैठकों के साथ समन्वय करने के अलावा, यह विभाग उक्त उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कृषि उद्यमियों और किसानों, पीएसीएस, एफपीओ और सीबीएनबीओ, एपीएमसी आदि जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ कई अन्य आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करता है।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के उत्पादन के कुल मूल्य के अनुपात के आधार पर वित्तपोषण सुविधा का आवंटन अस्थायी रूप से राज्य-वार किया गया है।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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