उप राष्ट्रपति सचिवालय
शांतिगिरी आश्रम के रजत जयंती समारोह के उपलक्ष्य पर उपराष्ट्रपति का संबोधन (अंश)
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20 NOV 2023 8:39PM by PIB Delhi
आप सभी को शुभ संध्या! इस महान संस्थान से जुड़े सभी लोगों को मेरा विनम्र अभिवादन।
माननीय संसद सदस्य, डॉ. शशि थरूर, राज्य महासचिव, भाजपा, श्री ए.एन. राधाकृष्णन, केरल सरकार के विशेष प्रतिनिधि, प्रोफेसर के.वी. थॉमस, भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, श्री पी.के. दास, महासचिव, शांतिगिरि आश्रम, स्वामी ज्ञान थापस्वी, शांतिगिरि आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चैतन्य ज्ञान थापस्वी, अखिल भारतीय मलयाली एसोसिएशन के अध्यक्ष, श्री गोकुलम गोपालम।
मैं अपने हृदय की बात बताऊँ तो, जब से मैं यहां आया हूं, मुझे जिस तरह की अनुभूति हुई है, उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता। कर्म में उदात्तता। मैंने यहां जो भी पल बिताए हैं, वह हमेशा के लिए मेरी स्मृति में अंकित हो जाएगा।
प्रिय भाइयों और बहनों, मैं इस स्थान से पूरी तरह उत्साहित, ऊर्जावान, उन सिद्धांतों का पालन करने के प्रेरित होकर जाऊंगा, जिनका अनुसरण और समर्थन शांतिगिरी आश्रम कर रहा है। मैं इसे एक व्यक्तिगत उपलब्धि और बड़े सम्मान की बात मानता हूं कि मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर शांतिगिरि आश्रम से जुड़ा।
25 वर्षों की इस यात्रा में, लोगों के जीवन को बेहतर बनाते हुए इसने प्रभाव और प्रशंसा के साथ बहुत दूरी तय की है। नई दिल्ली में केरल स्थित शांतिगिरि आश्रम के रजत जयंती केंद्र के समर्पण के इस अवसर पर मैं संगठन से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।
इस शुभ अवसर पर शांतिगिरि आश्रम के राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर के विभिन्न केंद्रों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को मेरी शुभकामनाएं। मैं समझ गया हूं कि यह एक उल्लेखनीय यात्रा रही है। इस तरह का प्रभाव डालने के लिए 25 साल कोई लंबा समय नहीं है, लेकिन जितनी मुझे जानकारी है, जो मैंने जाना है और मैंने खुद देखा है वह यह है कि आप उन लोगों की सहायता करें जिन्हे आपकी सहायता की निश्चित रूप से आवश्यकता है, उनका हाथ थाम कर आप एक बड़े सामाजिक परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं।
भारत जहां मानवता का 1/6 भाग निवास करता है, को बदलने में आप कौशल विकास में संलग्न होकर लोगों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
भाइयों और बहनों, आप संपूर्ण परिवर्तन के केंद्र बिन्दु हैं। आज इस देश में हमें एक ऐसी मानसिकता की आवश्यकता है जो हमारी सभ्यतागत लोकाचार को प्रतिबिंबित करे। किसी व्यक्ति की जेब को सशक्त बनाने के बजाय, यह आवश्यक है कि हम उनके दिमाग को सशक्त बनाएं, हम उनकी क्षमताओं को सशक्त बनाएं और आप कौशल विकास के माध्यम से मानव संसाधन को सशक्त बनाकर बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। आपको मेरी बधाई!
एक सामाजिक और वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन के रूप में भारत सरकार द्वारा आपकी मान्यता उचित है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भारत सरकार बहुत ही वस्तुनिष्ठ मापदंडों पर काम कर रही है तभी सरकार ने इस मान्यता के लिए एक ऐसे संस्थान, एक ऐसी जगह को चुना है।
भाइयों और बहनों, जहां डॉक्टर शशि थरूर केरल में आश्रम के बहुत करीब के क्षेत्र से सांसद हैं, वहीं मेरे गृह राज्य का भी आश्रम से बहुत बड़ा रिश्ता है।
शांतिगिरी आश्रम के संस्थापक का अंतिम विश्राम स्थल, पर्णशाला- मकराना के सफेद संगमरमर में पूर्ण खिले कमल की आकृति का स्मारक है। संगमरमर मेरे गृह राज्य का है। यह एक दैवीय संयोग है कि जी20 के दौरान मकराना का कमल और संगमरमर विश्व स्तर पर छाया रहा और यह जी20 की पहचान बन गया, जो व्यापक रूप से सफल रहा और जिसने दुनिया भर के भारतीयों को उत्साहित किया, और दुनिया को एक संदेश दिया जिसका केंद्र बिन्दु आप को भी होना है। जीवन में अपनी संस्कृति को संरक्षित करने और लोगों के स्वास्थ्य में योगदान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। यदि हम अपने उपनिषदों की ओर जाएं, तो उनमें से एक उपनिषद में स्वास्थ्य के बारे में बहुत सारी जानकारी है और इस दुनिया के किसी भी देश के पास वह नहीं है जो हमारे पास है, हजारों वर्षों की सभ्यता, जो अद्वितीय है और सभी के देखने लायक है।
आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी इस पर विश्वास करें। यह भारत के लिए ऐतिहासिक समय है। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है, भारत का उत्थान कोई रोक नहीं सकता, उत्थान क्रमिक है, इस उत्थान को वैश्विक संस्थानों ने सराहा है। अगर आईएमएफ आज कहता है कि हमारा भारत बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, अगर वह कहता है कि भारत निवेश के अवसर का पसंदीदा स्थान है, तो यह आप लोगों द्वारा किए गए कार्यों के कारण है।
आपने इस स्थिति पर पहुंचकर देश की मनोदशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह आपकी तरह के प्रयासों के कारण है, यह बड़े पैमाने पर लोगों के योगदान के कारण है कि एक दशक में, भारत की अर्थव्यवस्था नाजुक 5 से बिग फाइव तक पहुंच गई और 2022 में, हमें इंग्लैंड और फ्रांस को पीछे छोड़कर 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने का गौरव प्राप्त हुआ। कुछ ही समय में 2030 तक हम जापान और जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जायेंगे।
इन सबका एक कारण है, एक ऐसे पारिस्थितिकी का उदय हो रहा है जो देश में प्रत्येक व्यक्ति को अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने के लिए प्रतिभा और क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने के लिए अपनी ऊर्जा का उपयोग करने की अनुमति देता है। यह जानकर खुशी हो रही है कि कौशल विकास में बड़े पैमाने पर योगदान देकर आप लोगों को उनके सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने में मदद करने कर रहे हैं, ऐसे व्यक्ति की मदद करना जो उम्मीद खो चुका है, एक दिव्य गतिविधि है, आप इस दिव्यता में लगे हुए हैं।
भाइयों और बहनों, दुनिया की कोई भी संस्कृति सभ्यतागत विकास की उस उदात्तता पर गर्व नहीं कर सकती जो भारत के पास है। हमारी रीढ़ हमारी संस्कृति है 'वसुधैव कुटुंबकम' शब्द, युगों-युगों से हमारे दर्शन को परिभाषित करती रही है और हम दुनिया को एक परिवार मानते हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में, भारत की जी20 प्रेसीडेंसी का विषय बिल्कुल सही 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' को प्रतिबिंबित करता है, जो अत्यधिक प्रभावशाली था और सभी ने इसकी सराहना की।
हम एक ऐसा देश हैं जो केवल उपदेश नहीं देते बल्कि हम कर्म करने के बाद उपदेश देते हैं और ऐसा तब हुआ जब हमने महामारी कोविड का सामना किया। आपका आश्रम उन लोगों की मदद के लिए 24x7 लगा हुआ था, जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी लेकिन वैश्विक स्तर पर, हमारे भारत ने लगभग 100 देशों को वैक्सीन मैत्री के साथ सहायता की और उनमें से कई को उनके स्वास्थ्य में योगदान के रूप में टीका दिया गया।
जब हम मानवता का 1/6 हिस्सा हैं, तो यह हमारा दायित्व है कि हम इस ग्रह को स्वस्थ स्थिति में रखें, एक ऐसी स्थिति जिसे हम भावी पीढ़ी को सौंप सकें।
हम ट्रस्टी हैं लेकिन कुछ चिंताएँ हैं जिन्हें हम नज़रअंदाज कर देते हैं। मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि इससे अधिक अनुचित और निंदनीय कुछ नहीं हो सकता कि कुछ पढे-लिखे लोग, राजनीतिक समानता के लिए लोगों की अज्ञानता का लाभ उठा रहे हैं; जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. एक प्रबुद्ध व्यक्ति को आध्यात्मिक होना चाहिए और राष्ट्रवादी तथा गैर-शोषक होना चाहिए।
आपका आश्रम महिलाओं के सशक्तिकरण में लगा हुआ है। मानवता के विकास के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण कोई विकल्प नहीं, एकमात्र रास्ता है और इसीलिए 21 सितंबर को एक युगांतकारी विकास हुआ। तीन दशकों की अवधि में अनेक प्रयास किये गये, किसी न किसी कारण से प्रयास फलीभूत नहीं हो सके। 21 सितंबर को भारत में लोकसभा और राज्य विधानमंडल में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण हो गया। आरक्षण क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर है जो दर्शाता है कि यह सामाजिक रूप से न्यायसंगत है।
इसी संदर्भ में, मैंने कहा कि कुछ लोग जो जानते थे कि यह कब हो सकता है, जो जानते थे कि 2024 के चुनावों में ऐसा नहीं हो सकता, उन्होंने इसे एक मुद्दा बनाया इसलिए मैं कहता हूं कि बुद्धिमान दिमागों को चुप नहीं रहना चाहिए। उन्हें उचित जवाब देना चाहिए और ऐसे भयावह आख्यानों को बेअसर करना चाहिए जो क्षुद्र राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोगों की अज्ञानता का फायदा उठाना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि आप जो कर रहे हैं वह उत्कृष्टता से भरा है और चीजें सही दिशा में जाएंगी।
एक और बहुत महत्वपूर्ण पहलू मुझे पता चला है। यह जानते हुए मैं सम्मान और गर्व से भर जाता हूँ कि नए संन्यासियों ने प्रबुद्ध मार्ग पर चलने का चुनाव किया है, यह आसान नहीं है, यह एक महान बलिदान है, यह एक दिव्य आह्वान है और उनमें से दो दैनिक आश्रम से हैं।
भाइयों और बहनों, ऐसे युग में जहां जीवन की गति निष्ठुर है और भौतिकवाद का बोलबाला है और इसे आसपास के लोगों से बेहतर कौन जानता है। उन्होंने मानवीय होने, दयालु होने, करुणा प्रदर्शित करने की सारी भावना खो दी है। वे भौतिकवाद, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन में लगे हुए हैं। वे सोचते हैं कि उनका राजनीतिक सशक्तिकरण, उनकी संपत्ति यह निर्धारित कर सकती है कि वे कितने प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग कर सकते हैं।
मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि एक अच्छा भारतीय बनने के लिए, इस ग्रह का एक अच्छा सदस्य बनने के लिए, हमें यह महसूस करना होगा कि यह ग्रह केवल मनुष्यों के लिए नहीं है, यह सभी जीवित प्राणियों के लिए है, यह सिर्फ हमारे लिए नहीं है। प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना होगा। आपकी जेब, आपकी राजकोषीय शक्ति, आपकी राजकोषीय ताकत यह निर्धारित नहीं कर सकती कि आप कितनी गैस, पेट्रोल का उपयोग करेंगे। उस मानसिकता को पैदा करना होगा।
मैं यह बात सही स्थान पर कर रहा हूँ और मुझे यकीन है कि इस स्थान से जाने वाला संदेश अधिक विश्वसनीय और दृढ़ आस्था वाला होगा।
हम एकलव्य को इसलिए याद करते हैं क्योंकि एकलव्य को कोई गुरु नहीं मिल रहा था इसलिए उसने गुरु बना लिया, गुरु को इसकी जानकारी नहीं थी। उस स्थिति के होने मात्र से ही वह उस ऊंचाई तक जा सका था। हमें गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से खोजना होगा। गुरु बिना कोई ज्ञान नहीं है, गुरु बिना ज्ञान होकर भी हम अज्ञानी रहते हैं।
मैंने अपनी शिक्षिका मिस रत्नावली नायर को सम्मान देने के लिए केरल की यात्रा की, जहां प्राथमिक शांतिगिरि आश्रम है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मेरा जैविक जन्म एक गाँव में हुआ, लेकिन मेरा वास्तविक जन्म मेरे गुरु द्वारा संभव हुआ। यही गुरुओं की क्षमता है।
दूसरा पहलू यह है कि हम भूल गए थे कि हमारे पास किस प्रकार का भंडार है, हमारे पास स्वास्थ्य प्रबंधन की कितनी गहराई है। यह जानना सुखद है कि इसे अब विश्व स्तर पर बहुत व्यापक पैमाने पर स्वीकार किया जा रहा है। शांतिगिरी आश्रम जब आयुर्वेद पंचकर्म प्रशिक्षण केंद्र संचालित करता है तो उसके प्रयास वास्तव में उल्लेखनीय हैं। ये केंद्र कुछ लोगों के लाभ तक सीमित नहीं हैं। संदेशों को लाखों लोगों तक पहुंचाया जाता है, यह एक गेम चेंजर है और यह हमारी भविष्य की स्वास्थ्य सेवा को परिभाषित करेगा।
कोई भी देश सिर्फ उद्योगों या इंफ्रास्ट्रक्चर के दम पर ही आगे नहीं बढ़ सकता। हमारे पास विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा है, लेकिन हमारा देश तब महान ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा जब इसके युवाओं के पास एक ऐसी पारिस्थितिकी होगी, जो उन्हें समान अवसर प्रदान करता है, जो उन्हें अपनी ऊर्जा को इस तरह से कार्य करने का अवसर प्रदान करता है कि उनकी योग्यता वास्तविक रूप लेती है। यही स्थिति आज हम देश में ला रहे हैं। इस आधार पर हमारा उत्थान विस्तार योग्य है। आश्रम जिस प्रकार का योगदान दे रहा है वह सराहनीय है। मैं आश्रम से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं कि इस तरह के प्रयास का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए और यह दूसरों के लिए अनुकरणीय है।
सच्ची प्रगति को धन, आपके बड़े घर, आपकी बड़ी कार के संदर्भ में नहीं गिना जाना चाहिए। सच्ची प्रगति खुशी, आनंद है और वह तब आती है जब आप स्वस्थ होते हैं। कोई भी महान कार्य करने के लिए स्वस्थ दिमाग आवश्यक है। हो सकता है कि आपके पास महान दृष्टिकोण, प्रतिभा, कौशल हो, लेकिन यदि आप स्वस्थ नहीं हैं, तो आप किसी भी क्षेत्र में योगदान नहीं दे पाएंगे।
आजकल हम स्वास्थ्य के एक और पहलू से रूबरू हो रहे हैं और वह है मानसिक स्वास्थ्य। आश्रम अच्छा काम कर रहा है, लेकिन मैं आश्रम से आग्रह करूंगा कि मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा जो हमारे सामने खड़ा है। हमें गंभीर परामर्श और सहयोग के माध्यम से इसका समाधान खोजने के लिए नवोन्मेषी होने की जरूरत है ताकि लोग उम्मीद न खोएं।
जिस समाज में लोग आशा खो देते हैं, वह समाज पठार की तरह नहीं उठ सकता, वह पिरामिड की तरह ऊपर उठता है। एक देश में हम सबको शामिल कर समावेशी विकास करते हैं।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे देश में जहां 400 मिलियन लोग बैंक खाते के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, आज उनके पास बैंक खाते हैं। क्या आप ऐसे देश की कल्पना कर सकते हैं जहां हर घर को गैस कनेक्शन की जरूरत है और यह संख्या 100 मिलियन से अधिक है, सरकार ने आज यह उपलब्ध करा दिया है। डॉ. शशि को पता होगा कि 1989 में जब मैं लोकसभा के लिए चुना गया था तो मेरे हाथ में बड़ी ताकत थी क्योंकि मैं एक साल में 50 लोगों को गैस कनेक्शन दे सकता था। देखिए सरकार ने क्या किया, इसलिए हमें हर चीज को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखने की आदत नहीं रखनी चाहिए। जब शासन की बात हो तो हमें अपने कार्यों को उच्च स्तर निष्पक्षता के साथ निर्देशित करना होगा।
देश के उपराष्ट्रपति के रूप में उच्च सदन, राज्यसभा में भाग लेना मेरा दायित्व है। आप उस सदन से क्या अपेक्षा करते हैं कि हम संवाद, वाद-विवाद, विचार-विमर्श करें, यही आपकी उम्मीद होगी। लेकिन, जब मैं अपनी आंखों से दर्द और पीड़ा के साथ देखता हूं, तो वहाँ व्यवधान और अशांति को हथियार बना लिया गया है।
इस प्रकार की प्रवृत्तियों को बेअसर करने के लिए समाज में एक सोच बनानी होगी और राष्ट्र को इसमें भूमिका निभानी होगी। अगर आप इसे नहीं तोड़ेंगे और लोगों से यह नहीं कहेंगे कि जिस कर्तव्य के लिए उन्हें संसद में भेजा गया है, उसे निभाएं। आपकी चुप्पी आने वाली पीढ़ी के कानों में गूंजती रहेगी।
समग्र विकास से ही प्रगति प्रस्फुटित होती है। मैं इसे चारों ओर देखता हूं। मैं एक किसान का बेटा हूं, मैं जीवन भर कल्पना नहीं कर सका कि हमारे जैसे देश में जहां 11 करोड़ से अधिक किसान होंगे, उन्हें साल में तीन बार सरकारी किश्तों का लाभ मिलता होगा। सरकार किस्त दे रही है ये मेरी चिंता नहीं है, सरकार पैसे भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है ये मेरी चिंता नहीं है, मेरा गर्व है कि दूर-दराज के गांव का किसान लाभ पाने के लिए पूरी तरह से टेक्नोलॉजी से लैस है।
हमारी संसद में कुछ बेहतरीन मस्तिष्क हैं, उन्होंने दुनिया देखी है। वे वैश्विक घटनाक्रमों को जानते हैं। वे जानते हैं कि 2022 में भारत में इंटरनेट की प्रति व्यक्ति डेटा खपत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन की तुलना में अधिक थी। उन्हें पीछे क्यों रहना चाहिए? एक राजनीतिक प्रतिबद्धता या किसी राजनीतिक विचारधारा में विश्वास आपको उस स्तर तक नहीं बांध सकता है, कि आप राष्ट्रवाद को नहीं पहचान सकें, यह उस तरह की क्रांति की कल्पना करने के लिए बहुत मौलिक है जो इस देश में तकनीकी रूप से हर गांव तक पहुंच गई है। इसीलिए 2022 में 46% डिजिटल लेनदेन भारत में हुए। हमारा डिजिटल लेनदेन संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन के संयुक्त लेनदेन से चार गुना था।
इसलिए मैं राजनीतिक बिरादरी से अपील करूंगा कि राजनीति में रहना अच्छा है, आपकी पार्टी की मांग के अनुसार राजनीति खेलना अच्छा है। राजनीति में हितधारक बनें लेकिन राष्ट्र को राजनीति से ऊपर भी रखें। हम ऐसे आख्यानों की अनुमति नहीं दे सकते जो हमारे देश को अस्थिर, कलंकित, करते हों और नीचा दिखाते हों। लोग हमें नीचा दिखाने के लिए ही यह देश छोड़ते हैं।' हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी चौंधियाने वाली प्रतिष्ठित स्थिति है। आपको एक ऐसे तंत्र के लिए काम करना होगा जहां केवल योग्य लोगों को ही वह स्थान मिले।
भाइयों और बहनों, मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि पिछले कुछ वर्षों से पद्म पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। पुरस्कार पाने वाले गुमनाम लोग थे। लेकिन पुरस्कार दिए जाने के बाद हर किसी ने कहा कि पुरस्कार सही व्यक्ति को दिया गया है। समाज में सही व्यक्ति की पहचान मौलिक है। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। हम राष्ट्र के लिए इसके ऋणी हैं। आपके काम की सराहना करना मानवता के प्रति हमारा दायित्व है। मैं जानता हूं आपको सराहना नहीं चाहिए। आप बिना सराहना के भी कार्य जारी रख सकते हैं। लेकिन अच्छे काम की सराहना संबंधित लोगों द्वारा न किया जाना समाज में अच्छी बात नहीं है। हमें राष्ट्रहित में, मानवता के हित में और जरूरतमंद लोगों के कल्याण में होने वाली हर चीज की सराहना करनी ही चाहिए और आप यही कर रहे हैं, ।
मित्रों, यह केंद्र व्यापक देखभाल का प्रमाण है। मैंने इसे अपनी संक्षिप्त प्रवास के दौरान देखा है। मुझे सरचार्ज मिल गया। मैं सिल्वर जुबली सेंटर को मानवता को समर्पित करते हुए अनुगृहित हूं। एक अभयारण्य जहां पेशेवर प्रशिक्षण और आध्यात्मिक विकास का संगम होता है, जो समग्र कल्याण और प्रबुद्ध प्रगति से रोशन भविष्य का वादा करता है। भाइयों और बहनों, यह मानवता के घायल हृदय की सेवा करने और उन्हें ठीक करने की आश्रम की स्थायी प्रतिबद्धता का एक मार्मिक प्रमाण है।
मैं एक बार फिर शांतिगिरी आश्रम और सभी शुभचिंतकों को उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। जो समय मेरे पास था उसमें मैं एक राष्ट्र, एक विश्व के लिए अपनी सच्ची प्रार्थना करता हूँ। मैं निष्कर्ष निकालता हूं- मैं भावुक हूं। मैंने अपनी आँखों से जो देखा है, जो मैंने महसूस किया है - सब कुछ प्राचीन, उदात्त, प्रामाणिक है, पूरी प्रतिबद्धता के साथ, जिसमें कोई स्वार्थ नहीं, केवल बड़े पैमाने पर समाज को देने का भाव है। कृपया इसे जारी रखें.
धन्यवाद।
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एमजी/एआर/पीएस
(Release ID: 1978428)
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