रक्षा मंत्रालय

हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2023 (आईपीआरडी-2023)


भारतीय नौसेना का शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय संपर्क

एक समृद्ध एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दिशा में

Posted On: 14 NOV 2023 11:05AM by PIB Delhi

भारतीय नौसेना का वार्षिक शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन - हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद (आईपीआरडी) - 15 से 17 नवंबर 2023 के दौरान नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 15 नवंबर 23 को माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का मुख्य भाषण और विभिन्न केन्द्रीय मंत्रियों व भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के विशेष संबोधनों की एक श्रृंखला शामिल होगी, जो इस मेगा सम्मेलन (https://maritimeindia.org/indo-pacific-regional-dialogue-2023/) में होने वाले विचार-विमर्शों को व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु डिजाइन की गई है।

आईपीआरडी, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 2023 के अनुसरण में है। यह कॉन्क्लेव भारतीय नौसेना द्वारा 29 से 31 अक्टूबर 2023 के दौरान गोवा में आयोजित किया गया था (https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1973395)। वैचारिक दृष्टि से, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना प्रमुखों और समुद्री एजेंसियों के प्रमुखों को एक मंच प्रदान करके रणनीतिक-परिचालन स्तर पर भारतीय नौसेना की सहकारी भागीदारी को पेश करना था। दूसरी ओर, आईपीआरडी रणनीतिक स्तर पर नौसेना की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की प्रमुख अभिव्यक्ति है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘समग्र’ समुद्री सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है।

आईपीआरडी के पहले दो संस्करण क्रमशः 2018 और 2019 में नई दिल्ली में आयोजित किए गए थे। आईपीआरडी 2020 को कोविड-19 के प्रकोप के कारण रद्द कर दिया गया था। आईपीआरडी का तीसरा संस्करण 2021 में ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया था और चौथा संस्करण 2022 में नई दिल्ली में भौतिक प्रारूप में आयोजित किया गया था।

नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) भारतीय नौसेना का ज्ञान संबंधी भागीदार और आईपीआरडी के प्रत्येक संस्करण का मुख्य आयोजक है, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भीतर विभिन्न समुद्री रुझानों, क्षेत्रीय अवसरों और वहां उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की समीक्षा करना और प्रमुख हितधारकों के बीच समाधान-उन्मुख संवाद के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।

आईपीआरडी 2023 का विषय

आईपीआरडी-2023 का व्यापक विषय “हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभाव” है। आईपीआरडी का इस वर्ष का संस्करण पिछले संस्करण पर आधारित है, जो विशेष रूप से “हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) के ‘व्यापार, कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन’ स्तंभ पर ध्यान केन्द्रित करके आईपीओआई को संचालित करने” पर केन्द्रित था। निस्संदेह, ‘व्यापार’ और ‘समुद्री परिवहन’ दोनों समुद्री कनेक्टिविटी के खंड हैं।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 09 अगस्त 2021 को “समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना: अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक मामला" विषय पर यूएनएससी में आयोजित उच्च-स्तरीय खुली बहस में अपने संबोधन में “जिम्मेदार समुद्री कनेक्टिविटी” के सिद्धांत का समर्थन किया था। उस संबोधन में उन्होंने विशेष रूप से समुद्री बुनियादी ढांचे के निर्माण के तीन प्रमुख पहलुओं यानीऐसी परियोजनाओं की भौतिक स्थिरता, उन देशों की अवशोषण क्षमता जहां इस तरह के बुनियादी ढांचे को विकसित करने का प्रस्ताव है, और समुद्री बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उपयुक्त वैश्विक मानदंडों एवं मानकों पर जोर दिया था।

हालांकि भू-राजनैतिक व्यवधान, चाहे वे कहीं भी हों, महत्वपूर्ण समुद्री चुनौतियां पैदा करते हैं, जिनमें व्यापार और समुद्री कनेक्टिविटी पर प्रतिकूल प्रभाव भी शामिल है। ये चुनौतियां हाल के वर्षों में घटित घटनाओं - कोविड-19 महामारी से लेकर बढ़ते तनाव की सामुद्रिक अभिव्यक्तियों के साथ-साथ भू-राजनैतिक होड़ में तेजी से उलझती दुनिया में फैलते सशस्त्र संघर्षों - में स्पष्ट रही हैं।

इसलिए, आईपीआरडी-2023, विश्व स्तर पर प्रसिद्ध विषय-वस्तु विशेषज्ञों और प्रख्यात वक्ताओं की एक श्रृंखला की एजेंसी के माध्यम से, तीन-दिवसीय अवधि में विस्तृत छह पेशेवर सत्रों के माध्यम से हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभावों का पता लगाएगा। ये सत्र हैं:

(1) समुद्री कनेक्टिविटी की गुत्थियां (नोड्स);

(2) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कनेक्टिविटी पर चीन का प्रभाव;

(3) नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी;

(4) नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी (भाग 2);

(5) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार और नौवहन की संरक्षा एवं सुरक्षा में निजी उद्योग; और

(6) नियमों पर आधारित, संरक्षित एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र की व्यवस्था को बनाए रखना।

भारत सरकार, भारतीय रक्षा उद्योग और भारतीय शिक्षा जगत से जुड़े पेशेवर व विषय-विशेषज्ञ भी अपनी उपस्थिति और योगदान से इस सम्मेलन को समृद्ध करेंगे।

आईपीआरडी 2023 में अंतरराष्ट्रीय भागीदारी 16 देशों के प्रतिष्ठित वक्ताओं के माध्यम से होगी। इन वक्ताओं की ओर से इस विषय पर विविध क्षेत्रीय दृष्टिकोणों को पेश किए जाने की उम्मीद है। साथ ही, नई दिल्ली स्थित विभिन्न दूतावासों और उच्च आयोगों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति भी होगी।

आईपीआरडी के पिछले संस्करणों की तरह, जीवंत छात्र समुदाय एवं विद्वानों, प्रतिष्ठित नागरिकों, सैन्य अभ्यासकर्ताओं, राजनयिक कोर के सदस्यों और भारत एवं विदेश के थिंक-टैंकों की भागीदारी इस आयोजन में उत्साह का संचार करेगी।

 

एमजी / एआर / आर



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