विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीओ2 को सीओ में परिवर्तित करने की नई तकनीक से इस्पात क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी और ऊर्जा बचत की क्षमता बढ़ेगी
Posted On:
03 NOV 2023 12:26PM by PIB Delhi
नवीन रूप से विकसित एक नई ऊर्जा-कुशल कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर तकनीक के माध्यम से जल की उपस्थिति में परिवेश के तापमान के तहत इलेक्ट्रो उत्प्रेरक स्थितियों में कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बन मोनोऑक्साइड में परिवर्तित किया जा सकता है। इस तकनीक को इस्पात क्षेत्र में उपयोग की संभावना के साथ विकसित किया गया है।
2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए भारत के लक्ष्य का समर्थन करने के प्रयासों में, आईआईटी बॉम्बे में डीएसटी समर्थित नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (एनसीओई-सीसीयू) सीओ 2 को कैप्चर करने के लिए नए विभिन्न उत्सर्जन स्रोतों और प्रयोग करने योग्य रसायनों या स्थायी भंडारण में परिवर्तित करने के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैस शमन के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए स्केलेबल और किफायती साधन विकसित करने की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है ।
इए महत्वपूर्ण विकास क्रम में, डॉ. अर्नब दत्ता और डॉ. विक्रम विशाल के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम के साथ-साथ राष्ट्रीय केंद्र में समर्पित अनुसंधान विशेषज्ञों को सीओ 2 से कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) रूपांतरण तकनीक के लिए पेटेंट प्रदान किया गया है। इस नवाचार को अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका, नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशन के लिए स्वीकार भी किया गया है ।
कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) उद्योग में विशेष रूप से सिन गैस व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला रसायन है। इस्पात उद्योग में, ब्लास्ट भट्टियों में लौह अयस्कों को धात्विक लोहे में परिवर्तित करने के लिए सीओ एक आवश्यक घटक है। वर्तमान में, सीओ कोक/कोयले के आंशिक ऑक्सीकरण से उत्पन्न होता है, जिससे इस प्रक्रिया के अंतिम उत्पाद के रूप में सीओ 2 का महत्वपूर्ण उत्पादन होता है। यदि इस उत्सर्जित सीओ 2 को कैप्चर किया जा सकता है और सीओ में परिवर्तित किया जा सकता है, तो यह कार्बन उत्सर्जन और संबंधित लागत को कम करते हुए इस प्रक्रिया में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है। सीओ2 से सीओ रूपांतरण की वर्तमान में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया काफी अधिक तापमान (400-750 डिग्री सेल्सियस) पर होती है, और इस प्रतिक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एच2 की समतुल्य मात्रा की उपस्थिति इसे ऊर्जा-गहन प्रक्रिया बनाती है।
आईआईटी बॉम्बे के एनसीओई-सीसीयू द्वारा नवविकसित प्रक्रिया में केवल न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है क्योंकि यह जल की उपस्थिति में परिवेश के तापमान (25-40 डिग्री सेल्सियस) के तहत आगे बढ़ सकती है। इस इलेक्ट्रोकैटलिसिस प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा का उपयोग सीधे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत (सौर पैनल या पवनचक्की के रूप में) से किया जा सकता है, जो सीओ2 से सीओ रूपांतरण के लिए कार्बन-तटस्थ ऑपरेटिंग परिदृश्य सुनिश्चित करता है ।
यह तकनीक विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक है और इस्पात क्षेत्र में संभावित अनुप्रयोग के लिए हाल ही में इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप ऊर्जानोवासी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इसे बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा, डीएसटी-समर्थित एनसीओई-सीसीयू की गतिविधियों से उभरने वाली एक और जलीय-आधारित सीओ 2 कैप्चर और कैल्शियम कार्बोनेट तकनीक में रूपांतरण को भी आईआईटी बॉम्बे में एसआईएनई के माध्यम से इनक्यूबेट किए गए उर्जानोवेक प्राइवेट लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया है।
चित्र: ऊर्जा-कुशल सीओ2/सीओ अंतर्रूपांतरण
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