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एनएफडीसी फिल्म बाजार डॉक्यूमेंट्री को-प्रॉडक्शन मार्केट के संस्करण के लिए 12 आशाजनक डॉक्यूमेंट्री परियोजनाएं पेश कीं

Posted On: 26 OCT 2023 7:41PM by PIB Delhi

एनएफडीसी ने फिल्म बाजार के को-प्रॉडक्शन मार्केट में गैर-फीचर फिल्म (डॉक्यूमेंट्री) अनुभाग के आधिकारिक चयन के बारे में बताया है। इस चयन में 7 देशों (भारत, जर्मनी, जापान, पुर्तगाल, रूस, श्रीलंका और दक्षिण कोरिया) की 17 भाषाओं (असमिया, बंगाली, भोजपुरी, अंग्रेजी, गुजराती, हरियाणवी, हिंदी, कोरियाई, लद्दाखी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, सिंहली, सिंधी, तमिल और उर्दू) में 12 परियोजनाओं की एक विविध श्रृंखला शामिल है।

ये परियोजनाएं मध्य लंबाई और फीचर लंबाई की हैं और विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें ऐसे विषय शामिल हैं जो ताजा, विचारोत्तेजक और व्‍यवहार में नए हैं।

डॉक्यूमेंट्री को-प्रोडक्शन मार्केट एक ऐसा मंच है, जो कमीशनिंग, वित्तपोषण और सह-निर्माता साझेदार चाहने वाले फिल्म निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण गठजोड़ के रूप में कार्य करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य वैश्विक दर्शकों के लिए वास्तविक और सम्मोहक कहानियां लाने वाले को सुविधाजनक प्रदान करना, प्रोत्साहित करना और उन अवसरों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करना है। इन चयनित परियोजनाओं के निर्माताओं को फिल्‍म बाज़ार में उद्योग के पेशेवरों के साथ जुड़ने और सहयोग करने का अवसर मिलेगा, जहां उनके सपनों की परियोजनाएं साकार हो सकती हैं।

फिल्म महोत्सव के निदेशक, आईएफएफआई और फिल्म बाजार, संयुक्त सचिव (फिल्म) तथा प्रबंध निदेशक, एनएफडीसी श्री पृथुल कुमार ने कहा, “दुनिया भर में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में बढ़ती रुचि के कारण, इसके मौजूदा फीचर सेक्शन के साथ एक गैर-फीचर सेक्शन को इस वर्ष फिल्म बाजार के उल्लेखनीय को-प्रोडक्‍शन मार्केट में पेश किया गया है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय फिल्‍म निर्माताओं, वितरकों, बिक्री एजेंटों और फाइनेंसरों के साथ दक्षिण एशियाई डॉक्‍यूमेंट्री परियोजनाओं के बीच संबंधों को बढ़ावा देना है। हमने उन परियोजनाओं से आवेदन को प्रोत्साहित किया जो पर्यावरण एवं स्थिरता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, शहरीकरण, प्रेम और सीमाएं, महत्वपूर्ण सांस्कृतिक हस्तियों, शिक्षा, मानव विज्ञान, महिला आंदोलन, लिंग और कामुकता, बच्चों,  संगीत, कला एवं संस्कृति, स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और वन्य जीवन (लेकिन यहीं तक सीमित नहीं) के क्षेत्र से मानवीय कहानियों से भरी हैं। हमें 15 देशों से और 32 भाषाओं में 98 आवेदन प्राप्त हुए, जो एक बड़ी संख्या है। यह नया क्यूरेटेड समावेशन फिल्म बाज़ार की अहमियत को बढ़ाएगा और फिल्‍म निर्माण में उपयोगी सहयोग को बढ़ावा देगा जो शैली, भूगोल, भाषा, आवाज तथा पहचान के संदर्भ में सीमाओं को पार कर जाएगा। इसलिए हम फिल्‍म बाज़ार के माध्यम से इन परियोजनाओं के सफल परिणाम देखने के लिए उत्सुक हैं।”

2023 की चयनित परियोजनाएं हैं:

1)बिकमिंग | अंग्रेजी, कोरियाई, मलयालम | भारत, दक्षिण कोरिया

निर्देशक और निर्माता - विनीत मेनन | व्हाइट हॉर्स फ़िल्म्‍स

विनीत समृद्ध और विविध पृष्ठभूमि वाले एक स्वतंत्र निर्देशक हैं, जिन्‍होंने हिंदी और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उद्योगों में फैली छोटी और लंबी प्रारूप वाली परियोजनाओं में कई भूमिकाएं निभाई हैं। विशेष रूप से, उनकी रचनात्मक यात्रा एनडीटीवी प्राइम के लिए लंबे प्रारूप वाले शो बनाने और वायाकॉम में ब्रांडेड सामग्री के लिए प्रोमो निर्माता के रूप में काम करने तक फैली हुई है।

इसके अलावा, विनीत ने दसलखिया नामक डॉक्‍यूमेंट्री के निर्माण और फिल्मांकन का चुनौतीपूर्ण कार्य किया, जो स्वदेशी बैगा जनजाति के निष्कासन पर फोकस करने वाली एक मार्मिक कथा है।

समर्थकों की उत्साही भीड़ द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित डॉक्‍यूमेंट्री दसलखिया को ईएफआईएफडी, एडिनबर्ग, 2017 में ऑडियंस चॉइस द्वारा सर्वश्रेष्ठ डॉक्‍यूमेंट्री का सम्मानित खिताब मिला।

व्यावसायिक और डॉक्‍यूमेंट्री निर्माण के विभिन्न पहलुओं में विविध प्रकार के अनुभवों के साथ, रचनात्मक प्रक्रिया पर उनकी समझ विकसित हुई है। उनका जुनून कहानियों को जीवन में उतारने और विचारों को ऐसे प्रारूपों में ढालने में निहित है जो न केवल विचारोत्तेजक हों बल्कि दर्शकों को लुभाने वाले भी हों।

निर्माता - रोहन के. मेहता | व्हाइट हॉर्स फ़िल्म्‍स

रोहन के. मेहता ने स्कूल ऑफ आर्ट्स, बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी से विजुअल कम्युनिकेशन में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर विज्ञापन कंपनी साची एंड साची, लंदन की क्रिएटिव टीम में विज़ुअलाइज़र के रूप में काम किया। व्यावहारिक माध्यम से फिल्म निर्माण की अधिक समग्र जमीनी समझ प्राप्त करने के लिए उन्होंने निर्देशक के सहायक और सहायक निर्देशक जैसी भूमिकाओं में काम करना शुरू कर दिया। रोहन ने एक रचनात्मक निर्माता के रूप में काम किया है, जहां शुरुआत से लॉन्च होने तक फिल्मों और श्रृंखलाओं का मार्गदर्शन करना, सामग्री की समीक्षा करना तथा कमीशन करना, प्रस्तुत स्क्रिप्ट पर प्रतिक्रिया देना और लेखकों, निर्देशकों और रचनात्मक भागीदारों के साथ संबंध बनाए रखना उनकी प्रमुख जिम्मेदारियां थीं। रोहन की पहली फीचर फिल्म स्नेकबाइट अभी पोस्ट-प्रोडक्शन के तहत है। यह फिल्‍म सपेरों और बड़े पैमाने पर आधुनिक हेलुसीनोजेन पार्टी ड्रग के साथ उनके आश्चर्यजनक संबंधों की खोज करती है। रोहन व्हाइट हॉर्स फ़िल्म्‍स में रोरी ओ'डोनोवन के साथ निर्देशक, रचनात्मक विकास और निर्माता साझीदार हैं।

निर्माता - रोरी ओ'डोनोवन | व्हाइट हॉर्स फ़िल्म्‍स

रोरी ओ'डोनोवन लंदन में एक ब्रिटिश-आयरिश वकील हैं, जो ऊर्जा और जलवायु पर फोकस करते हैं। ओ'डोनोवन अब बिकमिंग जैसी परियोजनाओं के जरिए फिल्म निर्माण में अपना करियर शुरू कर रहे हैं। ओ'डोनोवन को भारत की प्राचीन स्वदेशी संस्कृतियों और प्रथाओं में गहरी रुचि है, उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की है। भारत की सांस्कृतिक विरासत की विविधता को समझते हुए ओ'डोनोवन सिक्किम और हिमाचल प्रदेश में आदिवासी समूहों के साथ रहे हैं। इसके बाद, ओ'डोनोवन ने मुंबई में रहकर समय बिताया, जहां उन्होंने फिल्म उद्योग के तौर-तरीकों और आंतरिक कामकाज को समझा। ओ'डोनोवन अभी व्हाइट हॉर्स फ़िल्म्‍स में रोहन के. मेहता के साथ अनुसंधान, विकास और निर्माता साझेदार हैं।

 

2) होती कटवा और उत्तर भारत के अन्य आधुनिक मिथक

(ब्रेड चॉपर और अन्य आधुनिक मिथक) | भोजपुरी, हिंदी, हरियाणवी, पंजाबी | भारत

निर्देशक - अपूर्वा जायसवाल

अपूर्वा जायसवाल स्कूल ऑफ मीडिया एंड कल्चरल स्टडीज से स्नातक हैं। रोजमर्रा की बातचीत और दृश्य मीडिया में लैंगिक राजनीति के प्रदर्शन में उनकी गहरी रुचि है। मेरे लिए फ़िल्में हमारी आकांक्षाओं और आशंकाओं के दस्तावेज़ीकरण तथा अन्वेषण का एक माध्यम हैं।

वह वाइस इंडिया के साथ कई डॉक्यूमेंट्री के विकास और निर्माण पर काम कर रही हैं। उन्होंने पिछले 3 वर्षों में नेटफ्लिक्स श्रृंखला इंडियन प्रीडेटर सहित कई फिक्शन और नॉन-फिक्शन परियोजनाओं पर एक अभिलेखीय निर्माता और शोधकर्ता के रूप में भी काम किया है। उन्होंने अपने सह-निर्देशक मानस कृष्ण के साथ वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के नवीनीकरण के कारण बहुजन समुदायों के विस्थापन पर नागरी लघु फिल्म अनुदान के तहत एक लघु डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया।

निर्माता - प्रतीक बागी | रेजिंग फिल्‍म्‍स

प्रतीक बागी कोलकाता स्थित सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान में फिल्म निर्माण विभाग के पूर्व छात्र हैं। प्रतीक को इंडियाना यूनिवर्सिटी, अमरीका से फिल्म निर्माण में फेलोशिप भी प्राप्त हुई है। प्रतीक ने तब से 50 से अधिक फिल्म, वेब और नॉन-फिक्शन प्रस्तुतियों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। उन्होंने एक मलयालम फिल्म लाइक ए मिडनाइट ड्रीम (मलयालम नाम: ओरु पथिरा स्वप्नम पोल) का निर्माण किया, जिसे 51वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में आधिकारिक रूप से शामिल किया और 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 2019 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। प्रतीक बागी वर्तमान में एक मलयालम फीचर फिल्म नारायणेन्ते मूननमक्कल पर काम कर रहे हैं जो अब पोस्ट-प्रोडक्शन चरण में है। 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में उनकी फिल्म कल्कोख' ने सर्वश्रेष्ठ बंगाली फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता।

3) डाउनहिल कारगिल | हिंदी, लद्दाखी, उर्दू | भारत

निर्देशक एवं निर्माता - नूपुर अग्रवाल | ऑटमवुल्व्स मीडिया एलएलपी

नूपुर अग्रवाल भारत में नॉन-फिक्‍शन फिल्म निर्माता हैं। वह बॉर्डरलैंड्स में एसोसिएट डायरेक्टर और कार्यकारी निर्माता थीं। यह फिल्‍म बताती है कि भारतीय उपमहाद्वीप में रोजमर्रा की जिंदगी सीमाओं के साथ कैसे जुड़ी हुई है। कान फिल्म मार्केट 2020 में प्रदर्शित, इस फिल्‍म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। नूपुर सीमा पार पहल के लिए अमेरिकी वाणिज्य दूतावास द्वारा भारत और पाकिस्तान से चुने गए 42 फिल्म निर्माताओं में से एक थीं। उन्होंने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर व्यंग्यपूर्ण कॉमेडी का सह-निर्देशन और निर्माण किया, जो अब ज़ी5 पर देखने के लिए उपलब्ध है। नूपुर अग्रवाल अभी अपनी पहली फिल्म डाउनहिल कारगिल का निर्देशन और निर्माण कर रही हैं।

4) फेयर-होम परी-कथाएं | बंगाली, अंग्रेजी | भारत

निर्देशक - सौरव सारंगी

सौरव सारंगी दक्षिण एशिया के सबसे प्रमुख फिल्म निर्माताओं में से एक हैं। उनकी पहली फिल्म  टुसु कथा (द टेल ऑफ़ टुसु) पूर्वी भारत में हाशिए पर रह रहे लोगों के जीवन और उनकी संस्कृति पर आधारित थी। बाद में उन्होंने कई क्षेत्रीय टेलीविजन फिक्शन फिल्में बनाईं। उनकी डॉक्यूमेंट्री बिलाल ने भारत में स्वर्ण-के अमल सहित कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शीर्ष पुरस्कार जीते। यह डॉक्‍यूमेंट्री अंधे माता-पिता के साथ रहने वाले एक छोटे बच्चे की कहानी है। मोद्धिखाने चार (चार... द नो-मैन्स आइलैंड) एक फीचर डॉक्यूमेंट्री है जो कहानी कहने की उनकी पकड़ और लोगों के प्रति प्रेम को दर्शाती है। इस फिल्म को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समारोहों में कई पुरस्कार और भारत में रजत कमल भी मिले हैं।

उन्होंने हाल ही में कर्बला मेम्वार्ज़ नामक एक डॉक्‍यूमेंट्री पूरा की। इराक में फिल्माई गई यह फिल्म शांति और सहिष्णुता पर एक नया दृष्टिकोण पेश करती है। सौरव ने पुणे में एफ टी आई आई से संपादन की कला सीखी। उन्होंने कई कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं और कई अवसरों पर अंतर्राष्ट्रीय जूरी के रूप में भी कार्य किया है।

निर्माता - मिरियम चांडी मेनाचेरी | फिलामेंट पिक्‍चर्स

मिरियम, फिलामेंट पिक्चर्स की संस्थापक निदेशक हैं, जो सामाजिक डॉक्‍यूमेंट्री का ब्रांड बनाने के लिए समर्पित है जिसने अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा हासिल की है। उनकी पुरस्कार विजेता फिल्में हैं -  फ्रॉम द शैडोज़, ‘मिसिंगगर्ल्स (2022), द लेपर्ड्स ट्राइब (2022), ल्यारी नोट्स (2015), द रैट रेस (2011), रोबोट जॉकी (2007), स्टंटमेन ऑफ बॉलीवुड (2005) और बीबीसी वर्ल्ड पर 7 भाग की श्रृंखला। उनकी फिल्मों का प्रीमियर एम्स्टर्डम के अंतर्राष्ट्रीय डॉक्‍यूमेंट्री महोत्सव में हुआ है और एनजीसी, बीबीसी, अल जज़ीरा तथा आर्टे जैसे चैनलों पर प्रसारित किया गया है। उन्होंने आईडीए अवार्ड्स (यूएसए), कशिश एलजीबीटीक्यू फेस्टिवल और इंडियन डॉक्यूमेंट्री प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन अवार्ड्स में जूरी सदस्य के रूप में काम किया। 2019-20 में वह फिल्म इंडिपेंडेंट और यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा ग्लोबल मीडिया मेकर्स फेलोशिप के लिए चुने गए 18 फेलो में से एक हैं।

5) फाइंडिंग लंका | अंग्रेजी, उड़िया, सिंहली, तमिल | भारत, श्रीलंका

निदेशक - नीला माधब पांडा और विमुक्ति जयसुंदरा

निर्माता - नीला माधब पांडा

नीला माधब पांडा पुरस्कार विजेता निर्देशक, लेखक और निर्माता हैं, जिन्‍हें भारत के जलवायु परिवर्तन, बाल श्रम, शिक्षा और जल एवं स्वच्छता की समस्‍या जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर 70 से अधिक फिल्मों, डॉक्‍यूमेंट्री और लघु फिल्मों में अपने काम के लिए जाना जाता है। उनकी पहली फिल्म, आई एम कलाम (2010) ने 34 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और एक राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।  जलपरी (2012) ने कान में एमआईपी जूनियर पुरस्कार जीता। पांडा ने 'बबलू हैप्पी है' (2014) और 'कौन कितने पानी में' (2015) जैसी प्रभावशाली फिल्में बनाईं। उनकी फिल्‍म कड़वी हवा (2017) ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीतकर भारतीय सिनेमा में जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाई। उनकी डॉक्यूमेंट्री गॉड्स ओन पीपल (2016) आस्था और प्रकृति की खोज करती है। नीला माधब पांडा को 2016 में सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री पुरस्कार मिल। हाल ही में उन्होंने भारत की पहली क्लाइमेट फिक्शन वेब सीरीज द जेंगाबुरु कर्स के साथ ओटीटी पर डेब्यू किया। उनकी फिल्में व्यक्तिगत अनुभवों और मानवीय भावनाओं को प्रतिबिंबित करती हैं।

विमुक्ति जयसुंदरा का जन्म 1977 में श्रीलंका में हुआ था। उन्‍होंने फ्रांस में ले फ्रेस्नोय, स्टूडियो नेशनल डेस आर्ट्सकंटेम्पोरेन्स में अध्ययन किया। उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म, द फोरसेकेन लैंड ने 2005 में कान फिल्‍म समारोह में कैमरा डी'ओर पुरस्कार जीता। उनकी दूसरी फिल्म बिटवीन टू वर्ल्ड्स को 2009 में वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुना गया था, जबकि मशरूम को 2011 में कान में क्विंज़ैन डेस रीलिसेटर्स में प्रदर्शित किया गया था। जयसुंदरा ने 2001 में द लैंड ऑफ साइलेंस नामक एक डॉक्‍यूमेंट्री और 2002 में एक लघु फिल्म एम्प्टी फॉर लव का भी निर्देशन किया है।

6) हबसपुरी वीविंग (द सेकेंड एंड लास्‍ट डेथ) | अंग्रेजी, उड़िया | भारत

निर्देशक- मयूर महापात्रा

मयूर महापात्रा भुवनेश्वर के रहने वाले हैं। वह एक मार्मिक एवं अनुभवी फिल्म निर्देशक के साथ-साथ सिनेमैटोग्राफर भी हैं, जिन्होंने लॉस्ट एंड फाउंड (ओडिया) और वन मोर फ्रेम (अंग्रेजी) नामक दो प्रशंसित लघु डॉक्‍यूमेंट्री की शूटिंग और निर्देशन किया है। उन्होंने एवरीडे नामक एक मराठी लघु फिल्म में डीओपी के रूप में भी काम किया है जो वर्तमान में दो राष्ट्रीय स्तर के ओटीटी प्लेटफार्मों: हंगामा प्ले और एमएक्स प्लेयर पर दिखाई जा रही है। मयूर महापात्रा पिछले दो वर्षों से पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता बिश्वनाथ रथ के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कई डॉक्‍यूमेंट्री परियोजनाओं के लिए शोध, दस्तावेज़ीकरण कार्य किया है।

निर्माता - बिश्वनाथ रथ | बीएनआर फिल्म्स एलएलपी

बिश्वनाथ रथ एक पुरस्कार विजेता लेखक, निर्देशक, निर्माता हैं जिन्‍हें फिल्म निर्माण और पटकथा लेखन के क्षेत्र में 11 वर्षों का अनुभव है। उनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित डॉक्‍यूमेंट्री कोटपैड वीविंग: द स्टोरी ऑफ ए रेस अगेंस्ट टाइम (अंग्रेजी-उड़िया), ए जीरो टू हीरो कोलैबोरेटिव अप्रोच (अंग्रेजी), वॉर: रेस्क्यू. रिलीज. रिपीट (उड़िया) और उनकी प्रशंसित सामाजिक लघु फिल्में रवैया (हिंदी), कर भला (हिंदी), द 'राइट' ग्लास (मूक), देश दोस्ती ईटीसी (हिंदी), म्यूजिक वीडियो 'इंडिया जीतेगा (हिंदी), फील द पैशन (अंग्रेजी), वो भी क्या दिन थे यार (हिंदी), कहिदे थारे (उड़िया) आदि जैसी उनके द्वारा लिखित-निर्देशित फिल्‍मों ने दुनिया भर के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में कुल 468 पुरस्कार/सम्मान जीते हैं। वह पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माण कंपनी 'बीएनआर फिल्म्स' के संस्थापक और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी हैं।

फिल्‍म निर्माता के रूप में  बिश्वनाथ रथ कम-ज्ञात सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों के बारे में आवश्यक जागरूकता पैदा करने में फिल्मों की शक्ति और भूमिका में काफी विश्वास करते हैं। उनकी डॉक्‍यूमेंट्री में पर्यावरण, वन्यजीव संरक्षण, कृषि, कला/संस्कृति/परंपरा जैसे विविध सामाजिक विषय होते हैं।

7) राग रॉक – द जैज़ ओडिसी ऑफ ब्रेज़ गोंसाल्वेस | अंग्रेजी | भारत, जर्मनी, पुर्तगाल

निर्देशक एवं निर्माता - नलिनी एल्विनो डी सूसा | लोटस फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन

वॉटर (2010) नलिनी एल्विनो डी सूसा की निर्देशित डॉक्यूमेंट्री है जो वैश्विक जल संकट के समाधान के रूप में जल संचयन के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस डॉक्‍यूमेंट्री को वसुधा पुरस्कार और किर्लोस्कर वसुंधरा अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव (केवीआईएफ) के लिए चुना गया था।

नलिनी एल्विनो डी सूसा ने 2011 में डांसेस ऑफ गोवा का निर्देशन किया, जो दर्शकों को गोवा के गांवों की यात्रा पर ले जाती है और नृत्य के माध्यम से राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करती है। इस डॉक्यूमेंट्री को बुल्गारिया में इन द पैलेस शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल और भारत में आदिवासी, कला और संस्कृति पर अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जैसे त्योहारों में मान्यता मिली है।

उन्होंने 2018 में  स्‍पेशल एन्वॉइ डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन किया, जो मुक्ति, सामाजिक न्याय और विरोध विषयों की खोज के लिए पहचानी जाती है। इसके अतिरिक्त, डॉक्यूमेंट्री द क्लब (2021) दार एस सलाम और ज़ंज़ीबार में गोवा प्रवासी के अनुभव पर प्रकाश डालती है। यह तंजानिया में साझा जगहों, जीवन की कहानियों और गोवावासियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को प्रदर्शित करती है। दोनों फिल्म फेस्टिवल सर्किट का हिस्सा रही हैं।

8) द अनलाइकली हीरो | गुजराती, सिंधी | भारत

निर्देशक - इशानी रॉय

इशानी रॉय ने अपने फिल्म निर्माण करियर की शुरुआत डॉक्‍यूमेंट्री बनाने से की। उन्होंने बोर्नमाउथ यूनिवर्सिटी, यू.के. से सिनेमैटोग्राफी में एमए की पढ़ाई की। फोटोग्राफी के निदेशक के रूप में, उन्होंने रॉबर्ट बॉश फाउंडेशन, अवर बेटर वर्ल्ड, सिंगापुर के साथ काम किया और फीचर लंबाई की डॉक्‍यूमेंट्रीज को फिल्माया, जो आईडीएसएफएफके जैसे प्रतिष्ठित समारोहों में प्रदर्शित हुई। वह हाइकु कवयित्री भी हैं। वह भारतीय महिला सिनेमैटोग्राफर कलेक्टिव की सदस्य भी हैं।

निर्माता - निशीथ कुमार | इंडी फिल्म कलेक्टिव प्राइवेट लिमिटेड,

निशीथ कुमार 2018 में स्थापित इंडी फिल्म कलेक्टिव (आईएफसी), भारत के कार्यकारी निदेशक हैं। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक गुरविंदर सिंह की तीसरी फीचर फिल्म, खनौर (द बिटर चेस्टनट, 2019) का सह-निर्माण किया है। इस फिल्म का विश्व प्रीमियर 2019 में बुसान इंटरनेशनल फिल्म समारोह में हुआ था। फिल्म का यूरोपीय प्रीमियर जनवरी 2020 में रॉटरडैम इंटरनेशनल फिल्म समारोह में आयोजित किया गया था। उन्होंने सिद्धार्थ चौहान द्वारा लिखित और निर्देशित फीचर फिल्म अमर कॉलोनी (2022) का निर्माण किया है। फिल्‍म अमर कॉलोनी 2018 में एनएफडीसी के फिल्म बाजार के को-प्रॉडक्‍शन बाजार में थी।  समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस फिल्म ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय (केरल के 27वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक) और अंतर्राष्ट्रीय (26वें तेलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल में विशेष जूरी पुरस्कार) जीता है। इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेस में उत्कृष्ट समीक्षा मिल रही है।

9) द विलेज गर्ल हू रैन| बंगाली | भारत, जापान, रूस

निर्देशक - दयाली मुखर्जी

दयाली मुखर्जी भारत की स्वतंत्र फिल्म निर्माता हैं। उनकी पहली लघु डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म इवनिंग सॉन्ग का प्रीमियर 2013 में केरल के अंतर्राष्ट्रीय डॉक्‍यूमेंट्री और लघु फिल्म महोत्सव में किया गया था। वह भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे और बुसान एशियन फिल्म स्कूल, दक्षिण कोरिया से स्नातक हैं। द विलेज गर्ल हू रैन उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री फीचर है जिस पर अभी काम चल रहा है और इसे डॉक्यूमेंट्री रिसोर्स इनिशिएटिव इंडिया द्वारा लेट्सडॉक फ़ेलोशिप प्रोग्राम में सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट के रूप में सम्मानित किया गया था। दयाली ने फिल्म्स डिवीजन, भारत की डॉक्‍यूमेंट्री  द फ्लावर्स एंड द जेमस्टोन्स के लिए फोटोग्राफर के रूप में भी काम किया है।

निर्माता - श्रीराम राजा | एसआरडीएम प्रोडक्शंस

श्रीरामराजा भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से स्नातक हैं। उन्होंने अपना करियर एक फिल्म संपादक के रूप में शुरू किया और एक सहयोगी निर्माता के रूप में भारत के पहले इंडो-ब्राजील सह-उत्पादन में काम किया। श्रीराम ने कार्यकारी निर्माता के रूप में फिल्म डिवीजन इंडिया के लिए दो डॉक्‍यूमेंट्री फिल्मों पर भी काम किया है। श्रीराम ने 2014 में अपने फिल्म प्रोडक्शन हाउस एसआरडीएम प्रोडक्शंस की सह-स्थापना की। उन्होंने फिक्शन फीचर थ्री ऑस्पिशियस आवर्स का निर्माण किया, जो 2020 की शुरुआत में भारतीय थिएटरों पर रिलीज हुई थी। द विलेज गर्ल हू रैन उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री फीचर है जिसे अंतर्राष्ट्रीय सह-प्रोडक्शन के रूप में पेश किया गया है।

10) टोकोरा सोरै'र बाह (ए वीवर बर्ड्स नेस्‍ट) | असमिया | भारत

निदेशक - अलविना जोशी और राहुल राभा

अलविना जोशी मुंबई में फिल्‍म निर्देशक और संपादक हैं और व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल की पूर्व छात्रा हैं। उनकी पिछली डॉक्यूमेंट्री पीएसबीटी डॉक कम्यून कार्यक्रम 2022 का हिस्सा है। उन्होंने पिचिंग सत्र जीता और उन्हें फिल्म बनाने के लिए अनुदान से सम्मानित किया गया। इसका प्रीमियर इस साल बेलग्रेड में 32वें इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ एथ्नोलॉजिकल फिल्म में हो रहा है। वीवर बर्ड्स नेस्ट के साथ, उन्हें इस वर्ष डॉक-इन-प्रोग्रेस, सर्बिया और सनडांस इग्नाइट फ़ेलोशिप के लिए चुना गया है जहाँ उन्हें मार्गदर्शन दिया जा रहा है और उन्हें अनुदान भी दिया गया है। अलविना ने पहले डोसेज कोलकाता और ढाका डॉक लैब में पिच की थी। ढाका डॉक लैब में, उन्हें ए वीवर्स बर्ड्स नेस्ट के लिए "सर्वश्रेष्ठ दक्षिण एशियाई प्रोजेक्ट" से सम्मानित किया गया।

एक संपादक के रूप में, उन्होंने कई वेब-सीरीज़, फीचर लेंथ फिल्में, लघु फिल्में और विज्ञापनों पर काम किया है।

राहुल राभा एफटीआईआई, भारत के पूर्व छात्र हैं। वह 2013 बैच के साउंड डिजाइनर हैं। उन्होंने साउंड डिजाइनर के रूप में मुकुल हलोई की टेल्स फ्रॉम अवर चाइल्डहुड (यामागाटा डॉक्यूमेंट्री फेस्टिवल) पर काम किया है। उन्होंने साउंड रिकॉर्डिस्ट और डिजाइनर के रूप में बॉबी शर्मा बरुआ की फीचर लेंथ फिक्शन मिशिंग पर काम किया है। उन्होंने भास्कर हजारिका की आमिस  (ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल) और किसलय की ऐसे ही (बीआईएफएफ) में काम किया है। उन्होंने राहुल जैन के साथ उनकी डॉक्यूमेंट्री इनविजिबल डेमन्स (कान 2021) और फिल्म अगेंस्ट द टाइड (सनडांस 2023) में भी काम किया। 2020 में, उन्होंने निर्देशक रीमा दास के साथ फिल्म तोराज़ हस्बैंड पर काम किया। 2019 में उन्होंने फिल्मार्ट, सर्बिया और एशियन फिल्म अकादमी, बुसान, दक्षिण कोरिया द्वारा वृत्तचित्र रेजीडेंसी कार्यक्रम "इंटरेक्शन - आईएसएफसी" में भाग लिया।

निर्माता - अलविना जोशी और बनज़ेर अख्तर | मोपेड फिल्म्स

अलविना जोशी मुंबई में फिल्‍म निर्देशक और संपादक हैं और व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल की पूर्व छात्रा हैं। उनकी पिछली डॉक्यूमेंट्री पीएसबीटी डॉक कम्यून कार्यक्रम 2022 का हिस्सा है। उन्होंने पिचिंग सत्र जीता और उन्हें फिल्म बनाने के लिए अनुदान से सम्मानित किया गया। इसका प्रीमियर इस साल बेलग्रेड में 32वें इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ एथ्नोलॉजिकल फिल्म में हो रहा है। वीवर बर्ड्स नेस्ट के साथ, उन्हें इस वर्ष डॉक-इन-प्रोग्रेस, सर्बिया और सनडांस इग्नाइट फ़ेलोशिप के लिए चुना गया है जहाँ उन्हें मार्गदर्शन दिया जा रहा है और उन्हें अनुदान भी दिया गया है। अलविना ने पहले डोसेज कोलकाता और ढाका डॉक लैब में पिच की थी। ढाका डॉक लैब में, उन्हें ए वीवर्स बर्ड्स नेस्ट के लिए "सर्वश्रेष्ठ दक्षिण एशियाई प्रोजेक्ट" से सम्मानित किया गया।

एक संपादक के रूप में, उन्होंने कई वेब-सीरीज़, फीचर लेंथ फिल्में, लघु फिल्में और विज्ञापनों पर काम किया है।

बनज़ेर अख्तर एसआरएफटीआई, भारत के प्रोडक्शन कोर्स की पूर्व छात्र हैं। उन्होंने असम में साज एंटरटेनमेंट प्रोडक्शन हाउस के लिए कार्यकारी निर्माता के रूप में काम किया है। उनकी पहली फीचर फिल्म बोरोक्सन: सॉन्ग्स फॉर रेन को एनवाईआईएफएफ, ओआईएफएफए, मॉन्ट्रियल के दक्षिण एशियाई फिल्म महोत्सव और अन्य समारोहों में प्रदर्शित किया गया है। बोरोक्सुन: सॉन्ग्स फॉर रेन ने एनएफडीसी फिल्म बाजार में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की, जहां इसे 2020 की फिल्म बाजार अनुशंसा सूची में सूचीबद्ध किया गया था। वह एक परियोजना कार्यकारी निर्माता के रूप में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म और मीडिया अकादमी, ढाका, बांग्लादेश के साथ काम कर रही थी।

उनकी शोध फिल्म, धुंधगिरी के फूल (ए फ्लावर इन ए फॉगलाइट) ने 2023 में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव रॉटरडैम (आईएफएफआर) में अपना विश्व प्रीमियर किया। इसे इमामी आर्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म फेस्टिवल में "सर्वश्रेष्ठ प्रायोगिक फिल्म" के खिताब से सम्मानित किया गया और 2023 में 15वें अंतर्राष्ट्रीय डॉक्‍यूमेंट्री और केरल लघु फिल्म महोत्सव (आईडीएसएफएफके) में "सर्वश्रेष्ठ लघु फिक्शन फिल्म" का पुरस्कार मिला।

11) हू एम आई| मलयालम, अंग्रेजी | भारत

निर्देशक - ससी कुमार

ससी कुमार ने मलयालम और तमिल फिल्म उद्योग में श्री लेनिन राजेंद्रन (महान फिल्म निर्माता) के सहायक निर्देशक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने लगभग सात फीचर फिल्मों में काम किया और कई टेलीविजन वाणिज्यिक फिल्मों, डॉक्‍यूमेंट्री फिल्मों, लघु फिल्मों और टेलीविजन शो में सहायक के रूप में काम किया। उन्होंने स्वतंत्र रूप से डीडी-1, त्रिशूर पूरम 1999, जानकीसुथ्रम (2000) के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 97 का निर्देशन किया। उनकी डॉक्यूमेंट्री द जर्नी ऑफ नेकेड गॉड 22 मिनट की अवधि की 35 मिमी. अंग्रेजी में पहली सेल्युलाइड डॉक्यूमेंट्री थी। इस डॉक्यूमेंट्री को 2003 में केरल में आयोजित 8वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया गया था। इस डॉक्यूमेंट्री ने केरल फिल्म क्रिटिक्स अवार्ड 2002, जॉन अब्राहम पुरस्कारम 2002 (फेडरेशन ऑफ फिल्म सोसाइटीज ऑफ इंडिया) जैसे पुरस्कार जीते थे।

 

निर्माता - सुरेश नायर | 9 फिल्‍म्‍स

सुरेश नायर निर्माता, अभिनेता, लेखक और निर्देशक हैं। उन्होंने पंद्रह से अधिक फीचर फिल्मों में लाइन प्रोड्यूसर के रूप में काम किया। उन्‍होंने स्वतंत्र रूप से एक फीचर फिल्म का निर्माण किया। उनका प्रोडक्शन हाउस प्रमुख रूप से टेलीविजन विज्ञापनों, लघु फिल्मों, फीचर फिल्मों और डॉक्‍यूमेंट्री का निर्माण करता है। उन्होंने स्वतंत्र रूप से एक फीचर फिल्म और कई टेलीविजन विज्ञापनों का निर्माण एवं निर्देशन किया है।  अब इस डॉक्‍यूमेंट्री का निर्माण करने के लिए श्री ससी कुमार के साथ जुड़े हैं। वह न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी (एनवाईएफए) और बैरी जॉन स्कूल ऑफ एक्टिंग (बीजेएएस) के पूर्व छात्र हैं।

12) वूमेन ऑफ फायर| अंग्रेजी, हिंदी, मराठी | भारत

निर्देशक - अनुष्का मीनाक्षी

अनुष्का मीनाक्षी को सहयोगात्मक वातावरण, समुदायों में निर्मित होने वाले संगीत और समय के साथ गहराती मित्रता में सबसे अधिक रुचि है। वह एक निर्देशक, संपादक और साउंड डिजाइनर के रूप में काम करती हैं और उन्होंने कई लंबे और छोटे प्रारूपों में काम किया है।

उनकी आखिरी फीचर फिल्म अप डाउन एंड साइडवेज (2017) है जो नागालैंड के फेक में चावल किसानों के एक समुदाय के पॉलीफोनिक संगीत के बारे में है। फिल्म 2014 में फिल्म बाजार डब्ल्यूआईपी लैब में थी, 70 से अधिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में गई, 13 पुरस्कार जीते, जापान में नाटकीय रिलीज हुई और कोच्चि-मुजिरिस बिएननेल, 2022 में प्रस्तुत की गई।

निर्माता - तरूण सलदान्हा | बंदोबस्‍त फिल्म्स

तरुण सलदान्हा एक डॉक्‍यूमेंट्री फिल्म निर्माता और गैर-फिक्शन टेलीविजन व्यवसायी हैं, जिनके पास एसवीओडी और वैश्विक प्रसारकों के लिए उच्च-स्तरीय, सिनेमाई और अभिनव सामग्री का निर्माण करने का उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड है। फिल्‍म निर्माण में उनका व्यापक अनुभव बैड बॉय बिलियनेयर्स, ग्रेट इंडियन रेलवे जर्नीज़ और हू डू यू थिंक यू आर जैसी प्रशंसित फिल्‍मों तक फैला हुआ है। उन्होंने अग्रणी नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला क्राइम स्टोरीज़: इंडिया डिटेक्टिव्स के निर्माण में अभूतपूर्व पहुंच और सुविधा प्रदान की। हाल ही में, उन्होंने मदर टेरेसा के बहुआयामी जीवन के रहस्योद्घाटन पर तीन-भाग की श्रृंखला विकसित की है और एक डॉक्‍यूमेंट्री फीचर पर काम किया है जिसमें मुंबई अंडरवर्ल्ड की सच्ची कहानियां दिखाई गई है।

वह पुरस्कार विजेता फीचर लेंथ डॉक्यूमेंट्री अप, डाउन और साइडवेज़ में मुख्य सहयोगी और छायाकार भी रहे हैं। तरुण का जोर दक्षिण भारत की डॉक्यूमेंट्री कहानियों को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने पर है।

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