शिक्षा मंत्रालय

‘चंद्रयान-3 विशेष मॉड्यूल’ पर समाचार रिपोर्टों के बारे में शिक्षा मंत्रालय का स्पष्टीकरण

एनसीईआरटी ने चंद्रयान-3 पर पूरी बारीकी से दस विशेष मॉड्यूल तैयार किए हैं जिनमें वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को शामिल करते हुए इस मिशन के विभिन्न पहलुओं का व्यापक अवलोकन प्रस्‍तुत किया गया है

इन मॉड्यूल की सामग्री को काफी सोच-समझकर परस्पर संवादात्मक और दिलचस्‍प बनाया गया है

इस पहल के माध्यम से एनसीईआरटी का उद्देश्य न केवल वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना है, बल्कि इसके साथ ही शैक्षणिक समुदाय और आम जनता के बीच हमारे देश की उपलब्धियों के बारे में गर्व, प्रेरणा, एवं गहरी समझ विकसित करना है

Posted On: 25 OCT 2023 6:03PM by PIB Delhi

‘चंद्रयान-3 विशेष मॉड्यूल’ के संदर्भ में ‘विज्ञान को पौराणिक कथाओं के साथ जोड़ने’ के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्टों पर शिक्षा मंत्रालय ने स्पष्टीकरण दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर अत्‍यंत तेजी से हुई प्रगति और उल्लेखनीय उपलब्धियों के मद्देनजर हमारे शिक्षकों और छात्रों को पारंपरिक पाठ्यपुस्तकों से परे आवश्‍यक जानकारियां भी प्रदान करना अनिवार्य हो गया है। इस अनुपम कोशिश का वास्‍तविक उद्देश्य यह है कि हमारे देश के साथ-साथ इसकी उल्लेखनीय उपलब्धियों पर भी समस्‍त देशवासी गर्व करें। इसे सुनिश्चित करने के लिए हमारी पाठ्यचर्या सामग्री को पाठ्यपुस्तकों से परे विस्तारित करते हुए देश की उपलब्धियों को इस तरीके से प्रस्तुत करना अत्यंत आवश्यक है जो हमारे शैक्षणिक समुदाय के लिए सुलभ और दिलचस्‍प दोनों हो।

ऐसी ही एक अत्‍यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर भारत के चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग है। भारत की इस नायाब अंतरिक्ष पहल से हमारी स्कूली शिक्षा प्रणाली के 26 करोड़ छात्रों को अवगत कराने के विशेष महत्व को ध्‍यान में रखते हुए एनसीईआरटी ने इस दिशा में अत्‍यंत सक्रियतापूर्वक ठोस कदम उठाया है।

पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण उपलब्धियों को एकीकृत करने की आकांक्षा के साथ एनसीईआरटी ने शैक्षणिक रूप से उत्‍कृष्‍ट पाठ्यचर्या संसाधन विकसित किए हैं जिसमें अनगिनत थीम को कवर किया गया है। इन थीम में नारी शक्ति वंदन (महिला सशक्तिकरण), कोविड से निपटना, स्थिरता, भारत - लोकतंत्र की जननी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, चंद्रयान -3 की सफलता, इत्‍यादि शामिल हैं।

इन विशेष मॉड्यूल को बनाने के लिए चुना गया शुरुआती विषय चंद्रयान-3 है। एनसीईआरटी ने चंद्रयान-3 पर बड़ी बारीकी से 10 विशेष मॉड्यूल तैयार किए हैं। ये मॉड्यूल वैज्ञानिक, तकनीकी, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को शामिल करते हुए इस मिशन के विभिन्न पहलुओं की व्यापक जानकारी देते हैं। इसके अतिरिक्त, ये इस मिशन में शामिल वैज्ञानिकों की भावनात्मक यात्रा और टीम भावना पर भी प्रकाश डालते हैं।

इन मॉड्यूल की सामग्री को बहुत सोच-समझकर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वह इंटरैक्टिव और आकर्षक हो। इसमें ग्राफिक्स, तस्वीरें, चित्र, गतिविधियां, चुनौतीपूर्ण प्रश्न और अन्य चीजें शामिल हैं। ये मॉड्यूल स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों की जरूरतों को पूरा करते हैं। ख़ास बात यह है कि इन्हें इस सजग नज़रिए से बनाया गया है कि विभिन्न चरणों पर इन विषयों की प्रासंगिकता बनी रहे। इन मॉड्यूल में कहानियां, उदाहरण, क्विज़ के सवाल और कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे छात्रों को अपनी रफ्तार से सीखने को प्रेरित करें और शिक्षकों को प्रोत्साहित करे कि वे अपने अनुभव से सीखी बातों के आधार पर शिक्षा देकर छात्रों का मार्गदर्शन करें।

इस प्रयास में एनसीईआरटी ने इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के वैज्ञानिकों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को बताने के लिए ख़ास कदम उठाए हैं। चंद्रयान-3 के इन मॉड्यूलों में उन वैज्ञानिकों को विधिवत श्रेय और मान्यता दी गई है। डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, डॉ. एस. सोमनाथ, डॉ. के. सिवन, सुश्री नंदिनी हरिनाथ और कई अन्य प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के योगदान को विभिन्न चरणों में विभिन्न मॉड्यूल में बताया गया है।

इसके अलावा, अंतरिक्ष उपलब्धियों के प्रति माननीय प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता पर विशेष बल देना आवश्यक है। हमारे वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री का जो अटूट समर्थन और प्रोत्साहन रहा, उसे बताकर छात्रों को प्रेरित किया जा सकता है और वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि लेने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

इन महत्वपूर्ण उपलब्धियों का एकीकरण और माननीय प्रधानमंत्री सहित वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और राजनेताओं के सहयोग भरे प्रयासों की मान्यता, आत्मनिर्भर भारत की ताकत और प्रगति को दर्शाती है। अंतरिक्ष नीति में संशोधन के साथ इस विज़न ने देश को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर लाने का काम किया है।

पौराणिक कथाओं और दर्शनों ने विचारों को आगे बढ़ाया और विचारों ने नवाचारों और अनुसंधान को जन्म दिया। कई शोध अध्ययन इस बात पर जोर देते हैं कि पौराणिक कथाएं भारत सहित किसी भी देश के सांस्कृतिक ताने-बाने में एक अपरिहार्य भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, शिक्षा में संस्कृति का समन्वय न केवल देश की ऐतिहासिक विरासत की गहरी समझ को प्रोत्साहित करता है, बल्कि छात्रों में रचनात्मकता और समस्या-समाधान के कौशल को भी बढ़ावा देता है। यह आकाश और अंतरिक्ष के साथ भारत के जुड़ाव का संपूर्ण संकेत है।

एनसीईआरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध ये मॉड्यूल माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा इसरो के अध्यक्ष की उपस्थिति में लॉन्च किए गए हैं। इस ऐतिहासिक घटना की व्यापक सराहना और समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्हें छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए उपलब्ध कराया गया है। इस पहल के जरिए, एनसीईआरटी न केवल वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देना चाहता है, बल्कि शैक्षिक समुदाय और बड़े पैमाने पर जनता के बीच हमारे देश की उपलब्धियों के बारे में गर्व, प्रेरणा और समझ की भावना भी पैदा करना चाहता है।

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