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राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), नई दिल्ली में मालदीव के सूचना आयोग (आईसीओएम) के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एक सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू; कार्यक्रम में मालदीव के 26 सिविल सेवक शामिल

Posted On: 23 OCT 2023 4:25PM by PIB Delhi

इस कार्यक्रम की परिकल्पना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 'वसुधैव कुटुंबकम' और 'पड़ोसी पहले' की नीति के विजन के अनुरूप की गई है।

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), नई दिल्ली में मालदीव के सूचना आयोग (आईसीओएम) के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एक सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम में मालदीव के 26 वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।

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राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 'वसुधैव कुटुंबकम' दर्शन के अनुरूप भारत और इसके पड़ोसी देशों के सिविल सेवकों के बीच सहयोग और एक-दूसरे से सीखने को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। सिविल सेवकों के लिए एनसीजीजी की क्षमता-निर्माण पहल का उद्देश्य सुशासन को बढ़ावा देना, सेवा वितरण में सुधार और बेहद जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचकर नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। प्रौद्योगिकी की आज की दुनिया में बड़ा उद्देश्य सुशासन को संस्थागत बनाना और उसके लक्ष्य को हासिल करना है।

नवंबर 2022 में एनसीजीजी के महानिदेशक के साथ बातचीत के दौरान मालदीव सूचना आयोग (आईसीओएम) ने अपनी शीर्ष स्तरीय टीम के लिए व्यक्तिगत प्रशिक्षण कार्यक्रम की इच्छा व्यक्त की थी। यह कार्यक्रम प्रभावी सूचना रणनीतियों और कार्रवाई के लिए अधिकारियों को सीखने और उनकी क्षमता बढ़ाने में सक्षम बनाएगा। इससे आईसीओएम टीम को केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा किए जा रहे कार्यों से सूचना के अधिकार के आधुनिक उपकरणों के बारे में जानने का अवसर भी मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप आईसीओएम की दक्षता में सुधार होगा और मालदीव में भी सूचना के अधिकार को बढ़ावा मिलेगा।

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उपरोक्त संदर्भ में एनसीजीजी आईसीओएम के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए  अपनी तरह का पहला कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम विकास रणनीति में 'नागरिक प्रथम' सोच को सबसे आगे रखकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सुशासन मंत्र के अनुरूप है जो 'लोकहित' में है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इसमें शामिल देशों के अधिकारियों में संवेदनशीलता बढ़ाने, उन्हें जवाबदेह बनाने और दक्ष करने के लिए सूचना, ज्ञान और नए विचारों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।

इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री वी. श्रीनिवास ने की। अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण प्रदान करने पर जोर दिया और एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए सिविल सेवकों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया, जहां प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार किया जाता है और गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच होती है। उन्होंने देश में प्रशासनिक सुधार के सफर पर एक व्यावहारिक और गहन प्रस्तुति दी। उन्होंने केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस), डीएआरपीजी-चिंतन शिविर और दस उपाय सुधारों और प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठाया गया है, इसके बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने सेवोत्तम: क्षमता निर्माण पहल के बारे में भी चर्चा की।

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कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख श्री अहमद अहिद रशीद, सूचना आयुक्त, आईसीओएम, मालदीव ने इस अवसर के लिए भारत सरकार और एनसीजीजी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल अधिकारियों की क्षमताओं में सुधार होगा बल्कि नागरिकों को बेहतर सेवाएं देने में भी मदद मिलेगी और देश में आखिरकार सुशासन में मदद मिलेगी है।

क्षमता निर्माण कार्यक्रम में ई-पहल जैसे अन्य उपायों के साथ भारत के सूचना का अधिकार अधिनियम, सीआईसी की भूमिका और कार्य, सार्वजनिक प्राधिकरण के दायित्व, राज्य सूचना आयोग- उनकी भूमिका और चुनौतियां, सार्वजनिक सूचना अधिकारियों की क्षमता का निर्माण, मामले से निपटने और प्रबंधन, अपीलीय प्रक्रिया, अपील प्रबंधन और प्रसंस्करण का संकलन, जनता के बीच आरटीआई जागरूकता बढ़ाने के अभ्यास के संचालन में भूमिका, पारदर्शिता लेखा परीक्षा, सीआईसी की निगरानी एवं रिपोर्टिंग कार्य जैसे विषयों पर सत्र होंगे। इसके अलावा, कार्यक्रम में प्रतिभागियों के लिए प्रधानमंत्री संग्रहालय, केंद्रीय सूचना आयोग, ताज महल और अन्य स्थानों का भ्रमण भी शामिल है।

इस विशेष कार्यक्रम के अलावा, 2019 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने 2024 तक 1,000 मालदीव सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए सिविल सेवा आयोग, मालदीव के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। इसी तरह, 2024 तक 1,800 सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

राष्ट्रीय सुशासन केंद्र की स्थापना 2014 में भारत सरकार ने देश के एक शीर्ष संस्थान के रूप में की थी, जिसका उद्देश्य देश के सिविल सेवकों के साथ-साथ विकासशील देशों के अधिकारियों के लिए सुशासन, नीति सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर काम करना है। यह एक थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है। इसने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में कई विकासशील देशों के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण का कार्य किया है। अब तक, इसने 15 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है जिसमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया शामिल है। विभिन्न देशों के अधिकारियों के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यधिक उपयोगी पाया गया। इन कार्यक्रमों की बहुत मांग है और बढ़ती मांग के कारण एनसीजीजी अधिक देशों के सिविल सेवकों को  प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है।

उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. बी. एस. बिष्ट, डीएआरपीजी के उप सचिव श्री उदय कुमार भारती सहित एनसीजीजी की समर्पित पाठ्यक्रम टीम के सदस्यों ने भाग लिया।

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