स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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भारत की जी20 अध्यक्षता


केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य भाषण दिया

आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक चिकित्सा का एकीकरण गुणवत्ता, दक्षता, समानता, जवाबदेही, स्थायित्व और सहनीयता से संबंधित स्वास्थ्य प्रणाली की विशेषताओं को आगे बढ़ाने में योगदान देगा: डॉ. मनसुख मांडविया

"माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, भारत में हमने पारंपरिक चिकित्सा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है और एक अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना की है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं"

"कोविड-19 संकट के दौरान, पारंपरिक दवाओं ने निवारक, चिकित्सीय और जन स्वास्थ्य प्रबंधन के संदर्भ में वैज्ञानिक और साक्ष्य-आधारित दवाओं के माध्यम से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी"

समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयुष उद्योग का विकास, स्वास्थ्य चेतना में वैश्विक बदलाव के अनुरूप है, यह रुझान स्वास्थ्य में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आयाम के शामिल होने को मान्यता देता है: श्री सर्बानंद सोनोवाल

 “आयुर्वेद की तरह आयुष चिकित्सा प्रणाली, स्वास्थ्य देखभाल के रोकथाम और उपचार तौर-तरीकों पर समान रूप से जोर देती है, योग जैसे अभ्यास; मन और शरीर, दोनों के उपचार में मदद करते हैं”

सरकारों ने पारंपरिक दवाओं पर कभी इस तरह का ध्यान नहीं दिया, भले ही वे सहस्राब्दियों से प्रचलन में हैं; प्रचलन में रही दवाओं से जुड़ी कई महत्वपूर्ण उपचारों की उत्पत्ति पारंपरिक दवाओं से हुई है, जैसे चेचक का इलाज: डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस, डब्ल्यूएचओ महानिदेशक

Posted On: 18 AUG 2023 5:36PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस की उपस्थिति में जी20 के सह-ब्रांड वाले कार्यक्रम, ‘डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन’ में अपने समापन भाषण में कहा, "आधुनिक चिकित्सा के साथ पारंपरिक चिकित्सा का एकीकरण गुणवत्ता, दक्षता, समानता, जवाबदेही, स्थायित्व और सहनीयता से संबंधित स्वास्थ्य प्रणाली की विशेषताओं को आगे बढ़ाने में योगदान देगा।" स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्री महेंद्र मुंजपारा तथा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार और प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल भी उपस्थित थे।

पारंपरिक चिकित्सा के लिए दो दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का विषय था - "सभी के स्वास्थ्य व कल्याण की ओर"। इस सम्मेलन में गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने और वैश्विक स्वास्थ्य तथा सतत विकास की प्रगति को गति देने में पारंपरिक पूरक और एकीकृत चिकित्सा की भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।

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इस अवसर पर डॉ. मांडविया ने कहा, “सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली दृष्टिकोण के आगमन के बाद से, स्वास्थ्य देखभाल एकीकरण के सिद्धांतों पर केंद्रित, समग्र स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डब्ल्यूएचओ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल वैश्विक सम्मेलन, 2018 और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर अस्ताना घोषणा में भी यह उल्लेख किया गया था कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की सफलता को, वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान को लागू करने तथा स्वास्थ्य सेवाओं की एक श्रृंखला तक पहुंच बढ़ाने से गति मिलेगी, जिनमें पारंपरिक औषधियाँ भी शामिल हैं।"

सदस्य देशों में अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की पारंपरिक औषधीय प्रथाओं, जैसे आयुर्वेद, पारंपरिक चीनी चिकित्सा, हर्बल चिकित्सा आदि के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, भारत में हमने पारंपरिक चिकित्सा पर विशेष ध्यान दिया है और एक अलग आयुष मंत्रालय की स्थापना की है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं।''

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उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि "कोविड-19 संकट के दौरान, पारंपरिक दवाओं ने निवारक, चिकित्सीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन के संदर्भ में वैज्ञानिक और साक्ष्य-आधारित दवाओं के माध्यम से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।“ उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय 150,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में पारंपरिक दवाओं और योग को उपलब्ध कराने तथा हमारे तृतीय स्तर के अस्पतालों में एकीकृत दवाओं के केंद्रों की स्थापना करने के साथ समग्र स्वास्थ्य को एकीकृत, समर्थन और विकसित करने के लिए मिलकर काम करते हैं।"

डॉ. मांडविया ने कहा, “भारत की जी20 अध्यक्षता की व्यापक थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' के तहत विभाजन को कम करने व एकीकरण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, यह बैठक प्रभावी स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने में एक मार्गदर्शक सिद्ध होगी और अतिरिक्त शोध, साक्ष्य और नवाचार लाकर हमें स्वास्थ्य संबंधी सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगी।''

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयुष उद्योग का विकास स्वास्थ्य चेतना में वैश्विक बदलाव के अनुरूप है। यह रुझान स्वास्थ्य में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक आयाम के शामिल होने को मान्यता देता है। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन पारंपरिक दवाओं में सहयोग और नवाचार के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा लक्ष्यों को प्राप्त करने में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करने में मदद करेगा।

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि महामारी ने समग्र स्वास्थ्य दृष्टिकोण के महत्व को रेखांकित किया है, जिससे आयुष प्रणालियों में रुचि और इसके प्रति मान्यता में वृद्धि हुई है, केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा, “आयुर्वेद जैसी चिकित्सा की आयुष प्रणाली, स्वास्थ्य देखभाल की रोकथाम और उपचार शाखाओं पर समान रूप से जोर देती है। योग जैसे अभ्यास मन और शरीर को ठीक करने में मदद करते हैं।''

श्री सोनोवाल ने विभिन्न उद्योगों में आयुष की बहुमुखी प्रतिभा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “फार्मास्युटिकल और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों को हर्बल उपचार और प्राकृतिक उत्पादों की मांग से लाभ होता है, जबकि नैदानिक क्षेत्र को आयुष की निवारक प्रणाली से लाभ होता है। यह तालमेल भारत के स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम का विस्तार करता है तथा आर्थिक विकास और स्वास्थ्य देखभाल स्थायित्व में योगदान देता है।“

डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने कहा, “सरकारों ने पारंपरिक दवाओं पर कभी इस तरह का ध्यान नहीं दिया था, भले ही सहस्राब्दियों से उनका प्रचलन रहा हो। प्रचलन में रही दवाओं से जुड़ी कई महत्वपूर्ण उपचारों की उत्पत्ति पारंपरिक दवाओं से हुई है, जैसे चेचक का इलाज।” उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पारंपरिक औषधीय पद्धतियों को ज्यादातर अवैज्ञानिक कहकर कलंकित किया जाता है, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि उनकी अपनी उपयोगिता है। उन्होंने कहा, "पारंपरिक दवाओं के उपयोग में लाभों को मान्यता देते हुए, डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में जामनगर, गुजरात में वैश्विक पारंपरिक दवा केंद्र की स्थापना की है।"

डॉ. घेब्रेयसस ने पारंपरिक दवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने में भारत की भूमिका की सराहना की और आशा व्यक्त करते हुए कहा कि पारंपरिक दवाओं पर यह पहला शिखर सम्मेलन स्वास्थ्य प्रणालियों को बेहतर बनाने में आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान को एक साथ लाने में उत्प्रेरक साबित होगा।

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स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री सुधांश पंत; आयुष मंत्रालय के सचिव श्री राजेश कोटेचा; स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव श्री लव अग्रवाल और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में दुनिया भर से वैज्ञानिकों, पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के चिकित्सकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों के सदस्यों ने भी भाग लिया।

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