विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) को ज्ञान, रचनात्मकता और नवाचार अर्थव्यवस्था द्वारा संचालित सबसे अधिक आबादी वाला बाजार होने के कारण वैश्विक महत्व बनाए रखना चाहिए


"एसटीआई प्राथमिकताओं और नीतियों के उन्नयन" पर वर्चुअल माध्यम से दक्षिण अफ्रीका के गोएबरहा में 11वीं ब्रिक्स एसटीआई मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, समूह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए उपयुक्त संयुक्त एसएंडटी समाधानों के माध्यम से क्षेत्रीय वैज्ञानिक-अनुसंधान चुनौतियों की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए सहयोग कर सकता है

मोदी मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा कि वैज्ञानिक अनुसंधान को समान रूप से वित्त पोषित किया जाए और अधिक से अधिक निजी भागीदारी हो तथा इसके लिए एनआरएफ को कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित करना होगा: डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 05 AUG 2023 4:42PM by PIB Delhi

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा है कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों को ज्ञान, रचनात्मकता और नवाचार अर्थव्यवस्था से संचालित सबसे अधिक आबादी वाला बाजार होने के कारण वैश्विक महत्व बनाए रखना चाहिए। 

दक्षिण अफ्रीका के गोएबरहा में वर्चुअल माध्यम से "एसटीआई प्राथमिकताओं और नीतियों के उन्नयन" पर 11वीं ब्रिक्स एसटीआई मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए उपयुक्त संयुक्त एसएंडटी समाधानों के माध्यम से क्षेत्रीय वैज्ञानिक-अनुसंधान चुनौतियों की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए ब्रिक्स समूह सहयोग कर सकता है। 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत स्वास्थ्य, कृषि, जल, समुद्री विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों और पर्यावरण आदि जैसे क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने और सभी के लिए वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं तक सस्ती और न्यायसंगत पहुंच की सुविधा प्रदान करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रगाढ करने के लिए डिजिटल और तकनीकी उपकरणों सहित नवीन और समावेशी समाधान विकसित करने में ब्रिक्स के प्रयासों का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में ब्रिक्स सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने को उत्सुक है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अनुसंधान और नवाचार परिदृश्य में अपना स्थान बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान' के मंत्र पर लगातार आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इससे शानदार सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ है।' डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) 2022 के अनुसार भारत अब 40वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि वर्ष 2015 में यह 81वें स्थान पर था। मंत्री महोदय ने कहा कि एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार वैज्ञानिक प्रकाशनों की संख्या के मामले में; पीएचडी की संख्या के संदर्भ में, उच्च शिक्षा प्रणाली का परिमाण; साथ ही प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप की संख्या और यूनिकॉर्न की संख्या के संबंध में भी भारत को शीर्ष 3 देशों में रखा गया है। 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा कि वैज्ञानिक अनुसंधान को समान रूप से वित्त पोषित किया जाए और इसके लिए अधिक से अधिक निजी भागीदारी हो। इसके लिए एनआरएफ को कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित करना होगा। मंत्री महोदय ने कहा कि हम एक अद्वितीय सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) इकाई की योजना बना रहे हैं, जिसके लिए अनुसंधान निधि का 36,000 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र, ज्यादातर उद्योग से आना है, जबकि सरकार उद्योग की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 14,000 करोड़ रुपये लगाएगी। 

एनआरएफ को नीतिगत ढांचा बनाने और नियामक प्रक्रियाओं पर काम करने का भी काम दिया गया है। साक्ष्य-सूचित, संदर्भ-प्रासंगिक, संसाधन-अनुकूलन, सांस्कृतिक रूप से संगत और समानता-प्रचारक समाधान विकसित करने के लिए कई विषयों को एक साथ काम करना होगा। एनआरएफ के अलावा, हमने विभिन्न सतत विकास लक्ष्यों को संबोधित करने वाले बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान में काम करने वाले अपने शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई अन्य पहल की हैं। इस प्रकार, अनुसंधान गतिविधियों के लगातार बढ़ते क्षितिज के साथ न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को संबोधित करना बल्कि चुनौती को स्वीकार करने के लिए शुरू से अंत तक कार्य पत्रक पर काम करना भी प्रासंगिक है। इसमें अनुसंधान चुनौतियों को समझना, प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) को बढ़ाना, नव विकसित प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए व्यावसायिक तत्परता स्तर (बीआरएल) प्रदान करना शामिल है। यह केवल नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।

भाषण का संपूर्ण पाठ नीचे दिया गया है:- 

  • ब्रिक्स सदस्य देशों के महामहिम मंत्री महोदय

  • प्रतिनिधिमंडलों के नेता

  • प्रिय साथियों, सम्मानित प्रतिनिधियों और मित्रों, 

मुझे आपसे व्यक्तिगत रूप से जुड़ना और ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने सहयोगियों से मिलना अच्छा लग रहा है। हालाँकि, भारत में चल रहे संसदीय सत्र के कारण, मैं आपको एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहा हूँ।

2. भारत वैश्विक स्तर पर अनुसंधान और नवाचार परिदृश्य में अपनी जगह बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए मंत्र 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान' पर लगातार आगे बढ़ रहा है। इससे शानदार सफलता का मार्ग प्रशस्त हुआ है।' वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) 2022 के अनुसार भारत अब 40वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि वर्ष 2015 में यह 81वें स्थान पर था। एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार वैज्ञानिक प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत को शीर्ष 3 देशों में रखा गया है; पीएचडी की संख्या के संदर्भ में, उच्च शिक्षा प्रणाली का परिमाण; साथ ही प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप की संख्या और यूनिकॉर्न की संख्या के संबंध में भी।

3. पिछले सात वर्षों के दौरान भारत का अनुसंधान और विकास पर खर्च लगभग दोगुना हो गया है। इस वर्ष के बजट में, हमने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए लगभग 16,360 करोड़ रुपये (लगभग 2.20 बिलियन अमरीकी डॉलर) आवंटित किए हैं। इसके अलावा, भारत सरकार ने हाल ही में बुनियादी अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के अलावा अनुवादात्मक और अंतःविषय अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के लिए पर्याप्त धनराशि के साथ एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) का निर्माण शुरू किया है।  

4. भारत में, वर्तमान में अनुसंधान विशाल संख्या में आयोजित किये जाते हैं - सरकारी विभागों और प्रयोगशालाओं, केंद्रीय और राज्य शैक्षणिक संस्थानों में- इनके बुनियादी ढांचे में कोई एकरूपता नहीं है। हम एनआरएफ का प्रस्ताव अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) को प्रोत्साहन देने, बढ़ावा देने और भारतीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों आदि में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए करते हैं। एनआरएफ यह सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक अनुसंधान को समान रूप से वित्त पोषित किया जाए और अधिक से अधिक निजी भागीदारी हो। इसके लिए एनआरएफ को कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित करना होगा। हम एक अद्वितीय सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) इकाई की योजना बना रहे हैं, जिसके लिए अनुसंधान निधि का 36,000 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र, ज्यादातर उद्योग जगत से आना है, जबकि सरकार उद्योग की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इसके लिए 14,000 करोड़ रुपये लगाएगी। एनआरएफ को नीतिगत ढांचा बनाने और नियामक प्रक्रियाओं पर काम करने का भी काम दिया गया है। साक्ष्य-सूचित, संदर्भ-प्रासंगिक, संसाधन-अनुकूलन, सांस्कृतिक रूप से संगत और समानता-प्रचारक समाधान विकसित करने के लिए कई विषयों को एक साथ काम करना होगा।

5. एनआरएफ के अलावा, विभिन्न सतत विकास लक्ष्यों को संबोधित करने वाले बुनियादी और व्यावहारिक अनुसंधान में काम करने वाले हमारे शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए हमने कई अन्य पहल की हैं। इस प्रकार, अनुसंधान गतिविधियों के लगातार बढ़ते क्षितिज के साथ न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को संबोधित करना बल्कि चुनौती को स्वीकार करने के लिए शुरू से अंत तक कार्य पत्रक पर काम करना भी प्रासंगिक है। इसमें अनुसंधान चुनौतियों को समझना, प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (टीआरएल) को बढ़ाना, नव विकसित प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिए व्यावसायिक तत्परता स्तर (बीआरएल) प्रदान करना शामिल है। यह केवल नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।

6. मौलिक अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन देने की अंतर्निहित नींव में देश भर में अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण शामिल है। भारत सरकार ने एसएटीएचआई (परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान) और एसयूपीआरईएमई (उपकरणों के उन्नयन निवारक मरम्मत और रखरखाव के लिए समर्थन) जैसी नवीन योजनाएं शुरू की हैं। यह प्रमुख विश्लेषणात्मक उपकरण और उन्नत विनिर्माण सुविधा की स्थापना सुनिश्चित करती हैं जो आसानी से पहुंच योग्य हो सकती हैं। शिक्षा जगत, स्टार्ट-अप, विनिर्माण इकाइयों, उद्योगों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के शोधकर्ताओं के अलावा मरम्मत/उन्नयन/रखरखाव और रेट्रोफिटिंग की गुंजाइश को सुविधाजनक बनाकर डाउनटाइम को कम करने और इन सुविधाओं के अधिकतम उपयोग के लिए एक व्यवस्था सुनिश्चित करना है।

7. पारदर्शी पहुंच, अधिकतम उपयोग और भौगोलिक प्रसार सुनिश्चित करने के लिए, एक समर्पित राष्ट्रीय पोर्टल, आई-एसटीईएम शुरू किया गया है, जो शोधकर्ताओं के लिए उनकी अनुसंधान आवश्यकताओं से संबंधित विशिष्ट सुविधाओं का पता लगाने का प्रवेश द्वार है। 

मैं आपको कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विकास के उदाहरण देता हूँ:

जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र 

8. भारत ने टीकों के विकास, जीन थेरेपी, राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन, संक्रामक रोगों से लेकर जीवनशैली संबंधी बीमारियों आदि तक विविध पोर्टफोलियो के साथ कई मौलिक कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिन्होंने देश में जीवन विज्ञान अनुसंधान एवं विकास के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत ने नवीन प्रौद्योगिकियों, कृषि फसलों की बेहतर किस्मों, पशु और डेयरी उत्पादों के साथ-साथ समुद्री संसाधनों के विकास में बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। विभिन्न कार्यक्रम यूएनएसडीजी-2030 के अनुरूप हैं जैसे शून्य भूख, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा, और भारतीय आबादी के हर आयु वर्ग के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जलवायु कार्रवाई। चार कोविड-19 टीकों (जैसे, ज़ाइकोव-डी, कॉर्बावेक्सटीएम, जेमकोवेक-19™ और इनकोवेक) का निर्माण इस क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों के जीते जागते उदाहरण हैं।

9. भारत ने लक्षित आबादी के लिए अल्प-पोषण, मोटापा और संबंधित विकृति, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और खाद्य पदार्थों की कमी को कम करने के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य टिकाऊ तकनीक प्रदान करने की प्रक्रियाओं को मजबूत किया है जो लंबे समय तक रखा जा सकने वाले और संवेदी रूप से स्वीकार्य दोनों हैं। स्वास्थ्य सेवा को किफायती बनाने के लिए, इसने उच्च-गुणवत्ता, लागत-प्रतिस्पर्धी मध्यवर्ती और एपीआई और जीनोमिक्स के माध्यम से जेनेरिक, पुनर्निर्मित और नई अणु-आधारित दवाओं के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया है, जो भारत की टैग-लाइन- "विश्व की फार्मेसी" यानी विश्व का औषधालय को दर्शाता है, जो कोविड महामारी के चरम समय के दौरान स्पष्ट भी थी। 

डिजिटल दुनिया

10. भारत के राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन ने पूरे भारत में विभिन्न संस्थानों में उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग सुविधाएं बनाई हैं। इंटर डिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) पर राष्ट्रीय मिशन के लॉन्च ने देश भर में 25 अलग-अलग अकादमिक सेट अप में टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) की स्थापना के माध्यम से रोबोटिक्स, आईओटी जैसे विविध साइबर फिजिकल क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी विकास में जोरदार सहायता की है। प्रत्येक साइबर-भौतिक प्रणाली के विशिष्ट डोमेन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे आधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजीज, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग आदि। उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों और डेटा एनालिटिक्स के एकीकरण ने निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और विविध उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने में मदद की है।

11. हाल ही में, एक राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना और भारत को सतत विकास का समर्थन करने वाले अग्रणी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाना है। क्वांटम प्रौद्योगिकियों का विकास करना, क्वांटम संचार, क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम एल्गोर्थम्स की खोज करना हमारी शोध प्राथमिकताएं हैं।

स्वच्छ प्रौद्योगिकी 

12. भारत का ऊर्जा उत्पादन जीवाश्म ईंधन (59.8 प्रतिशत) पर निर्भर करता है, जिसमें कोयले का योगदान लगभग 51 प्रतिशत है। भले ही नवीकरणीय ऊर्जा प्रभावशाली 38.5 प्रतिशत तक बढ़ गई है, फिर भी ऊर्जा क्षेत्र को और अधिक कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने की तत्काल आवश्यकता है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, भारत ने स्वच्छ ऊर्जा पर एक समर्पित मिशन मोड प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण और भंडारण मंच के लिए सामग्री सहित ऊर्जा और पर्यावरण चुनौतियों के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान उपलब्ध हैं।

13. इस दिशा में, दुनिया में कई प्रौद्योगिकी-आधारित स्टार्ट-अप का भी उदय हुआ है। स्टार्ट-अप इको-सिस्टम को विकसित करने के लिए, भारत ने मिशन नवाचार कार्यक्रम के अंतर्गत एक स्वच्छ ऊर्जा अंतर्राष्ट्रीय ऊष्मायन केंद्र (सीईआईआईसी) की स्थापना की है। इस इन्क्यूबेशन सेंटर के माध्यम से स्थापित स्टार्ट-अप द्वारा कई नवीन स्वच्छ ऊर्जा समाधान विकसित किए गए हैं। भारत वर्ष 2030 तक जैव-आधारित विकल्पों के साथ जीवाश्म-आधारित ईंधन, रसायनों और सामग्रियों को कम करने के लक्ष्य के साथ उच्च प्रदर्शन जैव-रिफाइनरी प्रणालियों के उपक्रम और प्रदर्शन के लिए एक मिशन का सह-नेतृत्व कर रहा है।

14. पर्यावरण और जलवायु मुद्दों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, भारत ने भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं और पर्यावरणीय चिंताओं को संबोधित करने के लिए दो मिशन, अर्थात्, ए) ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: उत्पादन, उपयोग, भंडारण और रूपांतरण, और बी) कार्बन कैप्चर, रूपांतरण, भंडारण एवं उपयोग शुरू किए हैं। 

15. जैसे-जैसे हम अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, हम चमड़ा उद्योग में हरित प्रक्रिया पद्धतियों के लक्ष्य के साथ स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को और चमड़े और अन्य उद्योग के लिए प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्यावरण-अनुकूल रसायन, प्रक्रियाएं और अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियां, और धातु, मिश्र धातु, कंपोजिट, सिरेमिक इत्यादि से युक्त सामग्री और सामग्री निष्कर्षण और विनिर्माण के दौरान कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए टिकाऊ धातु प्रसंस्करण और निष्कर्षण तकनीक भी अपना रहे हैं। 

समुद्री अर्थव्यवस्था 

16. समुद्री अर्थव्यवस्था की क्षमता का उपयोग करके, हम स्थायी और दायित्वपूर्ण तरीके से आर्थिक विकास को आगे बढ़ाते हुए अपने महासागरों की भलाई सुनिश्चित कर सकते हैं। यह आर्थिक गतिविधियों के विकास को प्रोत्साहन देता है जो अर्थशास्त्र, पर्यावरण और सामाजिक उद्देश्यों के बीच संतुलन बनाए रखता है और समुद्री इको-सिस्टम की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करता है। समुद्री अर्थव्यवस्था का दृष्टिकोण दृढ़ता से एसडीजी 14 ('पानी के नीचे जीवन') पर आधारित है जिसका उद्देश्य "स्थायी विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और सतत उपयोग" करना है।

17. समुद्री अर्थव्यवस्था की क्षमता का निरंतर उपयोग करने के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से हमारे वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाना प्रासंगिक है, मुख्य रूप से उन्नत समुद्री अवलोकन और सेवाओं, समुद्री स्थानिक योजना से, विशेष रूप से ब्रिक्स सदस्य देशों के लिए जो महासागर आधारित अर्थव्यवस्थाएं हैं। यह और भी अधिक महत्व रखता है क्योंकि महासागर और समुद्री इको-सिस्टम कार्बन के प्रमुख भंडार हैं और तटीय कटाव, तूफान, चक्रवाती आपदाओं और समुद्र के स्तर में वृद्धि के खिलाफ प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं, और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन या जलवायु कार्रवाई पर एसडीजी 13 में योगदान करते हैं।

18. भारत ने वर्ष 2030 तक अपने विकास के दस सबसे महत्वपूर्ण आयामों को सूचीबद्ध करते हुए आने वाले दशक के लिए अपने दृष्टिकोण का खुलासा किया है और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए समुद्री संसाधनों की रक्षा और संरक्षण के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था को छठे आयाम के रूप में देखा गया है। समुद्री आर्थिक नीति के अनावरण की प्रक्रिया चल रही है और अनुमान है कि समुद्र आधारित उद्योग लगभग 40 मिलियन लोगों के लिए रोजगार पैदा करेंगे। 

19. समुद्री अर्थव्यवस्था पहल के साथ आगे बढ़ते हुए, गहरा महासागर मिशन लागू किया जा रहा है, जिसमें जलवायु अनुकूलन को संबोधित करने के लिए महासागर और जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास, गहरे समुद्र की जैव विविधता की खोज और संरक्षण, महासागर संसाधनों के स्थायी उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास और क्षमता निर्माण शामिल है।

20. भारत द्वारा प्रदान की जाने वाली लगभग वास्तविक समय मौसम, जलवायु और महासागर पूर्वानुमान और शमन सलाहकार सेवाएं जलवायु परिवर्तन के विज्ञान को संबोधित करने और देश में खाद्य और आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करने और स्थायी कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहन देने सहित जलवायु सेवाओं के विकास में महत्वपूर्ण हैं। भारत गंभीर मौसम की घटनाओं और सुनामी, ऊंची लहरें, चक्रवात, तूफान और बाढ़, जंगल की आग की निगरानी और प्रमुख केंद्रों की पहचान जैसी अन्य खतरनाक घटनाओं के लिए प्रारंभिक चेतावनी की जानकारी भी प्रदान करता है।

अनुसंधान इन्क्यूबेशन और परिवर्तन

21. प्रौद्योगिकियों और उत्पादक साझेदारी का संगम नवाचार की गतिशीलता को पुनर्जीवित करेगा और सहयोगात्मक चक्रीय अर्थव्यवस्था की व्यवस्था की शुरुआत करेगा। नवाचारों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को प्रोत्साहन देने के लिए निधि (नवप्रवर्तन के विकास एवं उपयोग के लिए राष्ट्रीय पहल) नामक एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया है। युवा प्रतिभाओं को नवप्रवर्तन के लिए प्रेरित करने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का दृष्टिकोण नवाचार और उद्यमिता के एक इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना के पीछे आधारशिला रहा है, जो पिछले छह वर्षों में 700 जिलों में शून्य से 10,000 तक बढ़ गया है। 

22. प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) देश में सर्वोत्तम श्रेणी के विनिर्माण बुनियादी ढांचे की स्थापना के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास और व्यावसायीकरण को संबोधित करते हुए स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास के लिए भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए निवेश, बड़े पैमाने पर नवाचारों की सुविधा प्रदान करता है। बोर्ड स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स और उद्यमियों को उनके नवाचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में बदलने में सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

23. भारत ने कई किफायती बायोटेक उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए 'जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी)' की स्थापना करके नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। इसने पिछले कुछ वर्षों में 3500 से अधिक स्टार्ट-अप की अभूतपूर्व संख्या के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। इन योजनाओं ने स्टार्ट-अप/कंपनियों की अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करने की नींव रखी है, जिससे अवधारणा के प्रमाण तैयार करने से लेकर सत्यापन, स्केलिंग-अप, प्रदर्शन और उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के पूर्व-व्यावसायीकरण तक अनुवाद संबंधी विचारों को आकर्षित करने के लिए वांछित प्रोत्साहन प्रदान किया गया है। 

लैंगिक समानता

24. विज्ञान में लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में, भारत ने विविध हस्तक्षेपों के माध्यम से महिला वैज्ञानिकों के लिए करियर के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न महिला केंद्रित कार्यक्रम शुरू किए हैं। एसटीईएम और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास में महिला शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने और पुनर्जीवित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो विभिन्न कारणों से सिस्टम से बाहर हो गई हैं। निरंतर प्रयासों से हम पिछले 10 वर्षों में महिला शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी करने में सफल रहे हैं। 

25. ये भारत की एसटीआई प्राथमिकताओं और नीतियों के उन्नयन की कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं। भारत अपने समाज और पृथ्वी ग्रह की बेहतरी के लिए किसी भी रूप में योगदान और सहयोग करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

ब्रिक्स एसटीआई सहयोग को मजबूत करना

26. महानुभाव, समकालीन चुनौतियों के साथ आगे बढ़ते हुए, ब्रिक्स को ज्ञान, रचनात्मकता और नवाचार अर्थव्यवस्था द्वारा संचालित सबसे अधिक आबादी वाले बाजार होने के लिए वैश्विक महत्व बनाए रखना चाहिए। ब्रिक्स सदस्य देश स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए उपयुक्त संयुक्त एस एंड टी समाधानों के माध्यम से क्षेत्रीय वैज्ञानिक-अनुसंधान चुनौतियों की पहचान करने और उनका पता लगाने के लिए सहयोग कर सकते हैं। 

27. भारत टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य, कृषि, जल, समुद्री विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, उन्नत डिजिटल प्रौद्योगिकियों और पर्यावरण आदि क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग को बढावा देने के लिए डिजिटल और तकनीकी उपकरणों सहित नवीन और समावेशी समाधान विकसित करने विकास और सभी के लिए वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं तक सस्ती और न्यायसंगत पहुंच की सुविधा प्रदान करने में ब्रिक्स के प्रयासों का समर्थन करेगा। 

28. भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में ब्रिक्स सहयोग को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने को उत्सुक है। 

आपका मेरा भाषण ध्यान से सुनने के लिए धन्यवाद!

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