कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
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एमसीए ने कारोबार सुगमता और कंपनी अधिनियम 2013 के तहत समाधेय अपराधों को अपराधीकरण से हटाने की दिशा में बढ़ते हुये लंबित मामले निपटान विशेष अभियान-दो के तहत विभिन्न अदालतों में लंबित 7,338 और मुकद्दमों को वापस लेने को मंजूरी दी


मामलों को वापस लेने की इस एक और पहल से केन्द्र सरकार के मुकद्दमों में 21.86 प्रतिशत कमी आयेगी

ठगी, धोखाधड़ी, जमा स्वीकार करने, लंबित प्रभार जैसे गंभीर गैर- समाधेय अपराधों से जुड़े मुकद्दमों को वापस लेने पर विचार नहीं किया जा रहा है

इससे पहले 2017, में इसी तरह के विशेष अभियान के परिणामस्वरूप 14,247 मुकद्दमों को वापस लिया गया

Posted On: 14 JUL 2023 7:32PM by PIB Delhi

कंपनी अधिनियम 2013 के तहत समाधेय अपराधों को अपराधीकरण की श्रेणी से हटाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुये और कारोबार में सुगमता के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हुये केन्द्र सरकार ने कार्पोरेट कार्य मंत्रालय के जरिये अपने लंबित मामले निपटान विशेष अभियान -दो के तहत विभिन्न अदालतों में लंबित 7,338 मुकद्दमों को वापस लेने का फैसला किया है।

सरकार के इस कदम से उसके विभिन्न अदालतों में चल रहे मुकद्दमों में 21.86 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आयेगी। विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों को कम करने के लिये सरकार द्वारा शुरू किये गये ‘‘एक्शन प्लान फार स्पेशल एरियर्स क्लीयरेंस ड्राइव्स’’ के तहत पूर्व में वर्ष 2017 में ऐसे विशेष अभियान-एक के परिणामस्वरूप 14,247 मामले वापस लिये गये।

कार्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) ने सभी लंबित मामलों की समीक्षा के लिये एक समिति गठित की है। लंबे समय से लटके समाधेय अपराधों से जुड़े मुकद्दमों को वापस लेने के लिये पहचान की गई है।

ठगी, धोखाधड़ी, जमा स्वीकारने, लंबित प्रभार जैसे गैर-समाधेय अपराधों से जुड़े गंभीर मामलों को वापस लेने के बारे में विचार नहीं किया जा रहा है। इस निर्णायक कदम से जहां एक तरफ अदालतों का बोझ कम होगा वहीं दूसरी तरफ भारत में कार्पोरेट क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्वस्थ कार्पोरेट गवर्नेंस ढांचा बरकरार रहेगा।

सरकार द्धारा देश में कारोबार करना सुगम बनाने और साथ ही अदालतों में लंबे समय तक चलने वाले विवादों को कम करने की सुविधा के लिये कंपनी अधिनियम 2013 के तहत कई उल्लंघन अपराधों को अपराधीकरण की श्रेणी से हटाने के लिये कंपनी (संशोधन) अधिनियम 2020 के जरिये किये गये संशोधन का ही परिणाम है कि विशेष अभियान-दो के तहत कई मामले वापस लिये जा रहे हैं।

इसके साथ ही यह इस सिद्धांत का भी भाग है कि केन्द्र सरकार एक बाध्यकारी वादी नहीं होनी चाहिये और इस कारण इस तरह के अभियान संचालित किए जा रहे हैं।

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