विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

भारत–जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) के अंतर्गत अनुसंधान तथा विकास एवं नवाचार (आरएंडडीएंडआई) परियोजनाओं में भाग लेने और सहयोग करने के लिए भारत से 10 और जर्मनी से 2 महिला शोधकर्ताओं को समर्थन दिया जाएगा

Posted On: 14 JUN 2023 5:23PM by PIB Delhi

भारत–जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर-आईजीएसटीसी) के 13वें स्थापना दिवस के अवसर पर चल रहे अनुसंधान एवं विकास और नवाचार परियोजनाओं में भाग लेने और सहयोग करने के लिए भारत/जर्मनी में महिला शोधकर्ताओं को बढ़ावा देने के लिए भारत की दस महिला शोधकर्ताओं और जर्मनी की दो महिला शोधकर्ताओं को 'विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान में महिला भागीदारी' (डब्ल्यूआईएसईआर) कार्यक्रम के अंतर्गत सम्मानित किया गया। उन्हें वित्तीय सहायता प्राप्त होगी और उन्हें भागीदार देशों में किसी नए परियोजना अनुदान के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी।

कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग (आईसीडी) और आईजीएसटीसी के सह-अध्यक्ष एस के वार्ष्णेय ने कहा कि "अनुसंधान प्रयासों को समाज में योगदान देने और लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए"  

दिल्ली में जर्मन दूतावास के प्रभारी स्टीफ़न ग्रैबर ने उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला और इन दो क्षेत्रों के बीच मजबूत साझेदारी और ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।

आईजीएसटीसी के निदेशक आर माधन ने उन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और उपलब्धियों पर जोर दिया, जिन्होंने भारत और जर्मनी के बीच एक मजबूत साझेदारी को बढ़ावा दिया है, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स - आईआईए) की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम और इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने महिला वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और वैज्ञानिक बिरादरी के भीतर समावेशिता और विविधता को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाली परियोजनाओं की आनुपातिक संख्या सुनिश्चित करने  के महत्व पर जोर दिया।

भारत–जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर -आईजीएसटीसी) ने आज 14 जून, 2023 को अपना 13वां स्थापना दिवस समारोह मनाया, ताकि इसकी उपलब्धियों और वर्ष 2010 में अपनी स्थापना के बाद से भारत-जर्मनी विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका को उजागर किया जा सके।

भारत भर में फैले प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के 20 युवा भारतीय शोधकर्ताओं को औद्योगिक फैलोशिप-2023 पुरस्कार दिए गए। जबकि, यह फेलोशिप 06-12 महीनों के लिए जर्मन औद्योगिक पारिस्थितिक तंत्र और अनुप्रयुक्त अनुसंधान संस्थानों में युवा भारतीय शोधकर्ताओं को जोखिम प्रदान करती है, वाईजर (डब्ल्यूआईएसईआर) कार्यक्रम, दीर्घकालिक भारत-जर्मन अनुसंधान हेतु सहयोग के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के लिए महिलाओं की पार्श्व प्रविष्टि (लेटरल इंट्री) की सुविधा प्रदान करने के साथ ही  क्षमता निर्माण एवं नेटवर्किंग को आगे बढाने के लिए रास्ते बनाता है।

भारत में जर्मन इंजीनियरिंग फेडरेशन (वीडीएमए) के प्रबंध निदेशक श्री राजेश नाथ ने भी सम्मानित अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया।

आईजीएसटीसी ने आज के दिन एक आउटरीच कार्यक्रम भी आयोजित किया, जिसमें दिल्ली और आसपास के लगभग 30 संस्थानों के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिसमें उपस्थित लोगों को विज्ञानं और प्रौद्योगिकी में भारत-जर्मन सहयोग के लिए आईजीएसटीसी में उपलब्ध अवसरों के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान आईजीएसटीसी कार्यक्रमों की सफलता की कहानियों भी प्रस्तुतियां  दी  गईं ।

भारत–जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (इंडो-जर्मन साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर -आईजीएसटीसी) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा जर्मनी सरकार के संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (बीएमबीएफ) द्वारा विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए स्थापित एक द्विपक्षीय संस्था है। अनुप्रयुक्त अनुसंधान (एप्लाइड रिसर्च) और प्रौद्योगिकी विकास पर ध्यान देने के साथ इस प्रौद्योगिकी सहयोग ने विभिन्न विषयगत क्षेत्रों पर 54 अनुप्रयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं, 55 द्विपक्षीय कार्यशालाओं, 82 औद्योगिक और प्रारंभिक करियर फेलोशिप के माध्यम से क्षमता निर्माण, महिला शोधकर्ताओं के लिए 23 को 'विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान में महिला भागीदारी' (वीमेन इन्वोल्वेमेंट इन साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च – डब्ल्यूआईएसईआर –वाईजर) फेलोशिप और 07 परियोजनाओं के लिए लघु स्तरीय प्रारम्भिक वित्त पोषण (इग्निशन फंडिंग) का समर्थन किया है।

पिछले कई वर्षों से आईजीएसटीसी के कार्यक्षेत्र का मुख्य केंद्र भारतीय और जर्मन शोधकर्ताओं/उद्यमियों के बीच एक नेटवर्किंग मंच प्रदान करना रहा है और इसने अपनी विभिन्न कार्यक्रम संबंधी गतिविधियों के माध्यम से 6300 से अधिक शोधकर्ताओं/उद्यमियों को आपस में जोड़ा है।

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