पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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छत्तीसगढ़ के रायपुर में ईआईएसीपी कार्यक्रम केंद्र ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 12.38 लाख से अधिक लोगों को 'लाइफ' शपथ दिलाकर वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाया

Posted On: 02 JUN 2023 7:55PM by PIB Delhi

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी), भारत सरकार ने 'मिशन लाइफ' पर जोर देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाने की परिकल्पना की है। भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट यानी 'लाइफ' अवधारणा का उद्देश्य लोगों को अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए सस्‍टेनेबल जीवन को बढ़ावा देना और पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए संसाधनों के जिम्‍मेदारी पूर्ण उपयोग पर जोर देना है।

देश भर में 'लाइफ' के प्रति व्यापक जागरूकता पैदा करने और समर्थन हासिल करने के उद्देश्‍य से लोगों को प्रेरित करने के लिए फिलहाल एक महीने का अभियान 'मिशन लाइफ' चलाया जा रहा है। 'संपूर्ण सरकार' और 'संपूर्ण समाज' के दृष्टिकोण पर अमल करते हुए मंत्रालय ने मिशन लाइफ के संदेश को फैलाने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों, राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों/ प्रशासन, संस्थानों और निजी संगठनों को प्रेरित किया है। लोगों को लामबंद करने वाले इस अभियान का उद्देश्‍य 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस तक अखिल भारतीय स्‍तर पर लोगों के बीच 'लाइफ' के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

 

  1. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता ने सेंट्रल अकेडमी ऑफ फॉरेस्‍ट एजुकेशन (सीएएफई), सेंट मैरी हिल, कर्सियांग, पश्चिम बंगाल में एक जागरूकता अभियान चलाया। इसमें लगभग 20 कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को मिशन लाइफ के बारे में जागरूक किया गया। कर्मचारियों को समझाया गया कि प्लास्टिक किस प्रकार नाजुक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि सर्दियों और शुष्क मौसम में जल के उपयोग के लिए वर्षा जल का संचयन करना चाहिए। इसके लिए सभी लोगों ने शपथ भी ली।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कैनिंग, पश्चिम बंगाल ने कैनिंग शहर के स्कूली छात्रों के साथ जेडएसआई कार्यालय में एक जागरूकता अभियान का आयोजन किया। इसमें 40 छात्रों ने भाग लिया और सभी ने शपथ भी ली। सभी छात्रों को मिशन लाइफ के उद्देश्यों से अवगत कराया गया और कहा गया कि उन्हें पर्यावरण को बचाने के लिए स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता फैलानी चाहिए।

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मिशन लाइफ के उद्देश्यों को बढ़ावा देने के लिए जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कैनिंग, पश्चिम बंगाल और केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, सुंदरवन ने संयुक्त रूप से 50 किसानों के साथ गढ़खली के रामगोपालपुर में 'खारे पानी में धान की खेती' विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें किसानों ने बढ़चढ़कर भाग लिया और सभी ने शपथ भी ली।

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जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कैनिंग, पश्चिम बंगाल ने सुंदरबन के कालीडांगा गांव में 55 बच्चों और आम लोगों के साथ यह जागरूकता अभियान चलाया। अभियान के दौरान सभी लोगों ने शपथ भी ली।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अरुणाचल प्रदेश क्षेत्रीय केंद्र, ईटानगर ने 1.06.2023 को ईटानगर के राजभवन में मिशन लाइफ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। अरुणाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में 300 लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को अरुणाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल द्वारा लाइफ शपथ दिलाई गई।

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  1. गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान

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गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) के भूमि एवं जल संसाधन प्रबंधन केंद्र (सीएलडब्ल्यूआरएम) ने 2 जून 2023 को उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के कोसी में कुरमांचल अकेडमी में मिशन लाइफ के तहत एक जागरूकता और वृक्षारोपण सह कार्रवाई अभियान चलाया। इस कार्यक्रम में कुल 120 लोगों ने भाग लिया जिसमें स्कूल शिक्षक, छात्र एनआइएचई के शोधकर्ता एवं संकाय शामिल थे। प्रतिभागियों को पानी बचाने, ऊर्जा बचाने, कचरे को कम करने आदि मिशन लाइफ के सभी सात विषयों के प्रति संवेदनशील बनाया गया। जलाशयों के पुनरुद्धार के लिहाज से महत्वपूर्ण प्रजातियों के पौधे स्‍कूल परिसर में लगाने का अभियान भी शिक्षकों के साथ चलाया गया। इसके अलावा, वैज्ञानिक उपायों का उपयोग करते हुए जल की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक सत्र भी आयोजित किया गया। सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण के अनुकूल आदतों को अपनाने की शपथ ली।

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गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) के भूमि एवं जल संसाधन प्रबंधन केंद्र (सीएलडब्ल्यूआरएम) ने उत्‍तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट में गवर्नमेंट इंटर कॉलेज दिगलीचौर में मिशन लाइफ के तहत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को मिशन लाइफ के विभिन्न विषयों- पानी बचाने, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, अपशिष्ट को कम करने और सतत खाद्य प्रणालियों को अपनाने आदि के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम में जीआईसी दिगलीचौर के छात्रों एवं शिक्षकों और सीएलडब्ल्यूआरएम, एनआईएचई के शोधकर्ताओं सहित कुल 464 प्रतिभागियों ने भाग लिया और लाइफ शपथ ली।

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एनआईएचई के गढ़वाल क्षेत्रीय केंद्र ने टिहरी गढ़वाल के मंगसू गांव में स्वस्थ जीवन शैली अपना ने और प्लास्टिक के उपयोग से परहेज करने जैसे मिशन लाइफ के विषयों पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में कुल 72 हितधारकों ने भाग लिया। उन्‍होंने पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली और आदतों को अपनाने के लिए शपथ ली। कार्यक्रम के अंत में, जैव विविधता और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों को बहुउद्देश्यीय पेड़ के पौधे भी वितरित किए गए।

एनआईएचई के हिमाचल क्षेत्रीय केंद्र (एचआरसी) ने कुल्‍लू के भुट्टी कॉलोनी में महिला मंडल दल ने 2 जून 2023 को मिशन लाइफ के 'कचरा कम करें' विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम एवं स्वच्छता अभियान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में संकाय, शोधकर्ताओं और महिला मंडल के सदस्यों सहित कुल 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान लोगों को कचरा कम करने के लिए विभिन्न प्रभावी उपायों के बारे में जानकारी दी गई। सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिए कचरे को कम करने का संकल्प भी लिया।

एनआईएचई के सिक्किम क्षेत्रीय केंद्र (एसआरसी) ने मिशन लाइफ के तहत जागरूकता एवं पहल कार्यक्रम आयोजित किए। गंगटोक के बागथांग में 2 जून 2023 को पर्यटकों के  बीच यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान 45 से अधिक पर्यटकों और दुकानदारों ने लाइफ संकल्‍प लिया और अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल कार्यों को अपनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। कार्यक्रम के दौरान ऊर्जा बचाने, पानी बचाने, स्थायी खाद्य प्रणाली को अपनाने, स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, सिंगल यूज प्लास्टिक से परहेज करने और कचरे को कम करने जैसे मिशन लाइफ के 6 विषयों के तहत कुल 16 पहल की गईं। साथ ही, एक पहल के तौर पर सिक्किम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में अपनाई गई पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के बारे में पर्यटकों को जानकारी भी दी गई।

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एनआईएचई के पूर्वोत्‍तर क्षेत्रीय केंद्र (एनईआरसी) ने ग्रेस चर्च और गोम्पा मंदिर के आसपास जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के दौरान कुल 31 पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को बातचीत एवं चर्चा के जरिये मिशन लाइफ के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। एक अन्य कार्यक्रम के तहत संस्थान के एनईआरसी ने ईटानगर के चंद्रनगर दैनिक बाजार में मिशन लाइफ के तहत जागरूकता एवं पहल अभियान चलाया। कार्यक्रम के दौरान दुकानदारों और ग्राहकों को सिंगल यूज प्लास्टिक और कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया गया। प्लास्टिक थैलियों का उपयोग कम करने और पर्यावरण के अनुकूल थैलियों को बढ़ावा देने के लिए ग्राहकों और दुकानदारों के बीच कपड़े से बने 25 शॉपिंग बैग वितरित किए गए। प्रतिभागियों ने अरुणाचल प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए लाइफ शपथ भी ली। इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं एवं अन्य कर्मचारियों ने पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और उन्‍हें स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

एनआईएचई के सामाजिक आर्थिक विकास केंद्र (सीएसईडी) ने 2 जून 2023 को मिशन लाइफ के तहत जागरूकता और स्वच्छता अभियान चलाया। इस दौरान स्थानीय लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को रोकने और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने के लिए जल संसाधनों को स्वच्छ रखने में योगदान देने के लिए भी प्रेरित किया गया। इसके अलावा उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा में कोसी नदी पुल के समीप और सड़क के किनारे सफाई अभियान भी चलाया गया। इस कार्यक्रम में सीएसईडी के संकायों, शोधकर्ताओं और सहायक कर्मचारियों के साथ-साथ कुल 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया और लाइफ प्रतिज्ञा भी ली।

एनआईएचई के सेंटर फॉर एन्‍वायर्नमेंटल असेसमेंट एंड क्‍लाइमेट चेंज (सीईएएंडसीसी) ने स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देशय से एनआईएचई, अल्मोड़ा में मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ) के तहत 'अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अभिनव दृष्टिकोण' पर विचार-विमर्श कार्यशाला का आयोजन किया। दून विश्वविद्यालय के सीनियर असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. अचलेश दवेरी ने प्रतिभगियों को अपशिष्ट जल उपचार के लिए पाइन नीडिल आधारित बायोचार और निर्मित आर्द्रभूमि के प्रबंधन के लिए एनामॉक्स बैक्टीरिया के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम में कुल 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्‍होंने भारतीय हिमालयी क्षेत्र (आईएचआर) में प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने और मृदा एवं जल संरक्षण में योगदान देने के लिए लाइफ संकल्‍प भी लिया। एक अन्य कार्यक्रम में, उत्‍तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के कोसा गांव के समीप 2 जून 2023 को मिशन लाइफस्‍टाइल फॉर एंनवायर्नमेंट यानी लाइफ के तहत जल प्रबंधन एवं डीडीआर पर एक परिचर्चा एवं विचार मंथन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 43 प्रतिभागियों ने भाग लिया और उन्‍होंने लाइफ प्रतिज्ञा ली।

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा जिले के पपोली गांव के समीप एक अन्‍य कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां स्वस्थ एवं सतत जीवन शैली अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। इस कार्यक्रम के तहत कुल 48 प्रतिभागियों ने मंदिर और पंचायत घर के आसपास बांज, देवदार, उत्तिस, थूजा, जिन्कगो और मणिपुरी बांज के लगभग 100 पौधे लगाए। सभी प्रतिभागियों ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र (आईएचआर) में प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने और मृदा एवं जल संरक्षण में योगदान देने का संकल्‍प लिया।

  1. नेशनल सेंटर फॉर सस्‍टेनेबल कोस्‍टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम)

 

बड़े पैमाने पर लोगों को प्रेरित करने की पहल मिशन लाइफ के तहत एनसीएससीएम ने तटीय एवं समुद्री संरक्षण में जन भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए देवी नदी के मुहाने पर एक आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन किया। देवी समुद्र तट ओडिशा के पुरी और जगतसिंहपुर जिले का एक महत्‍वपूर्ण स्‍थल है। यह महानदी की एक सहायक नदी है जो महानदी घाटी के भीतर मौजूद है और अपनी व्‍यापक जैव विविधता के लिए मशहूर है। हर साल हजारों आगंतुक शांत वातावरण, सुनहरे रेतीले समुद्र तट और हरियाली का आनंद लेने के लिए यहां आते हैं। विभिन्न जीव-जंतुओं के आवास और पारिस्थितिकी सेवाओं के कारण यह मुहाना पर्यावरण के लिहाज से काफी महत्‍वपूर्ण है। मैंग्रोव मुहाना क्षेत्र की विशेषता हैं और वह तटीय संरक्षण, मिट्टी के कटाव को कम करने और कई समुद्री जानवरों के लिए एक नर्सरी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैंग्रोव, रेत के टीले और मुहाने का वातावरण विभिन्न प्रकार के पौधों और जीव-जंतुओं के लिए उपयुक्‍त स्थान प्रदान करते हैं। ये समुद्र तट 'एरिबाडा' यानी बड़े पैमाने पर कछुओं का प्रजनन के लिए तट पर आने के के लिए उपयुक्‍त है। यहां हजारों मादा ओलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए किनारे पर आती हैं। ये विविध इकोसिस्टम प्रवासी पक्षियों, मछलियों, केकड़ों एवं अन्य समुद्री जंतुओं की एक व्‍यापक श्रृंखला को मदद करते हैं। स्थानीय समुदाय अपनी आजीविका के लिए इन संसाधनों पर निर्भर हैं और इसलिए उनका संरक्षण काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।

एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने मिशन लाइफ के विभिन्‍न विषयों पर लगभग 75 पर्यटकों को संवेदनशील बनाया ताकि लोगों को छोटेमोटे दैनिक गतिविधियों में भी पर्यावण के प्रति जागरूक बनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इससे उनके जीवन और पर्यावरण दोनों पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। कार्यक्रम के दौरान पर्यटकों को पारिस्थितिक तौर पर संवेदनशील तटीय इकोसिस्टम के बारे में संक्षिप्‍त जानकारी दी गई और उसे 'रौंदने' या 'कचरा' से बचाते हुए संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने मिष्टी (एमआईएसएचटीआई) पहल, मैंग्रोव के संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी के महत्व के बारे में बताया और नदियों में प्लास्टिक के प्रवेश को कम करने के लिए लगातार सफाई अभियान चलाने पर जोर दिया जो तटीय एवं समुद्री इकोसिस्टम की सेहत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। समुद्री कचरा कछुओं की आबादी के लिए एक बड़ा खतरा है, क्योंकि कछुए अक्सर अपने आहार साथ प्लास्टिक की थैलियों और अन्य मलबे को भी निगल जाते हैं। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं या यहां तक कि इन लुप्तप्राय प्रजातियों की मृत्यु तक हो जाती है। एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने मछुआरा समुदायों को कछुओं के घोंसले वाली जगहों के पास मछली पकड़ने के लिए ट्रॉलर नावों का उपयोग न करने और कछुओं को फंसने या घायल होने से बचाने के लिए संवेदनशील बनाया। उन्‍होंने कछुओं के जाल में फंसने या पकड़े जाने से बचाने के लिए टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (टीईडी) का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। वैज्ञानिकों ने अति संवेदनशील कछुओं के प्रजनन स्थलों पर कछुए के अंडे की सुरक्षा के उपाय के बारे में बताया और हैचरी बनाने का सुझाव दिया ताकि किसी भी गड़बड़ी या अवैध शिकार से बचा जा सके। पर्यावरण के लिए कछुओं के महत्व और उनके संरक्षण पर केंद्रित इन काय्रक्रमों में बताया गया प्रजनन सीजन में तेज फ्लैशलाइट्स का उपयोग करने से परहेज करना चाहिए। समुद्र तट पर पर्यटकों, दुकान मालिकों, फेरीवालों और वेंडरों के बीच पर्यावरण के लिए समुद्र तट महत्‍व के बारे में जागरूक बनाया गया। उन्‍हें रोजमर्रा के कामकाज में कचरा कम पैदा करने और पर्यावरण के लिहाज से उपयुक्‍त पहल करने के लिए प्रेरित किया गया। वैज्ञानिकों ने लोगों को दैनिक जीवन में कचरे को कम करने, वस्‍तुओं का दोबारा उपयोग करने, रीसायकल, रिकवरी और निपटान को अपनाने की आवश्यकता के बारे में बताया। इसके अलावा, एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने पर्यटकों, स्थानीय विक्रेताओं और मछुआरा समुदाय के प्रतिनिधियों को बैकवाटर पर्यटन और आर्द्रभूमि संरक्षण में उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका को उजागर किया और प्रकृति के साथ सद्भाव के साथ रहने की आवश्यकता के बारे में बताया। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों ने कूड़ा फेंकने पर रोक लगाने और पर्यावरण के अनुकूल सतत जीवनशैली को अपनाने के लिए लाइफ शपथ भी ली। इस दौरान समुद्र तट पर पोस्टर और पंपलेट वितरित किए गए और कर्मचारियों ने लोगों को मिशन लाइफ के महत्व के बारे में बताया।

लक्षद्वीप अरब सागर में स्थित भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश है। यह 36 द्वीपों का समूह है जिनमें से केवल 10 पर ही लोग रहते हैं। लक्षद्वीप की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, मत्स्य पालन और पर्यटन पर आधारित है। वहां नारियल की खेती मुख्य कृषि गतिविधि है और वह स्थानीय आबादी के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। मत्स्य पालन एक अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। ये द्वीप अपने समृद्ध समुद्री संसाधनों के लिए जाने जाते हैं। हाल के वर्षों में यहां के प्राचीन समुद्र तट और कोरल रीफ ने पयर्टकों को आकर्षित किया है। इन द्वीपों पर विभिन्न प्रकार की समुद्री प्रजातियां निवास करती हैं जिनमें मूंगा, मछली, कछुआ और डॉल्फिन आदि शामिल हैं। साथ ही ये द्वीप समुद्री पक्षी की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन स्थल भी हैं। कई अन्य तटीय क्षेत्रों की तरह लक्षद्वीप पर्यावरण संबंधी चुनौतियों जैसे तटीय क्षरण, समुद्र का बढ़ता जल स्तर और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना कर रहा है। ये कारक द्वीपों के इकोसिस्टम, बुनियादी ढांचे और स्थानीय आबादी की आजीविका के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। नारियल पेड़ आधारित उद्योग के रूप में कॉयर उद्योग सामाजिक आर्थिक रूप से काफी महत्‍वपूर्ण है। यह लोगों को रोजगार प्रदान करने, स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करने में मदद करता है। यह एक श्रम प्रधान उद्योग है और कई स्थानीय निवासी, विशेष रूप से महिलाएं, कॉयर से संबंधित गतिविधियों में लगी हुई हैं। कॉयर बनाने की पारंपरिक तकनीकें पीढ़ियों से चली आ रही हैं और वे स्थानीय विरासत का हिस्सा हैं। कॉयर उद्योग सांस्कृतिक प्रथाओं को संरक्षित करने और समुदायों को उनकी पारंपरिक जड़ों से जोड़ने में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जागरूकता के मोर्चे पर, एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने कॉयर उद्योग के श्रमिकों और अधिकारियों के लगभग 25 प्रतिनिधियों को मिशन लाइफ, ऊर्जा एवं जैव विविधता संरक्षण, सतत खाद्य प्रथाओं और सतत जीवन शैली अपनाने के बारे में जागरूक किया। वैज्ञानिकों ने पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को अपनाने, जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण के जरिये इस संवेदनशील द्वीपीय परिवेश में सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग से परहेज करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि हम कॉयर उत्पादों का उपयोग करते हुए सिंगल-यूज प्लास्टिक पर निर्भरता कम कर सकते हैं। साथ इससे हम सतत उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं। एनसीएससीएम के कर्मचारियों ने भूमि कटाव को नियंत्रित करने उपाय के तौर पर कॉयर भू-कपड़े के उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला क्योंकि अधिकांश द्वीप तटीय कटाव के कारण अधिकतर द्वीप खतरे में हैं। ये उत्पाद मिट्टी को स्थिर करने, तलछट के बहाव को नियंत्रित करने और वनस्पतियों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों ने कॉयर श्रमिकों के साथ चर्चा के दौरान कॉयर फाइबर से मूल्यवर्धित उत्पादों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। इन उत्‍पादों में पौधों की नर्सरी के लिए कॉयर पॉट आदि शामिल हैं। साथ ही, उन्होंने प्लास्टिक मल्च के विकल्प के रूप में बागवानी और भूनिर्माण में कॉयर मल्च के उपयोग के बारे में बताया। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागियों ने लाइफ शपथ ली और लाइफ मिशन के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाया।

  1. भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण

सिरमौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल दूधा मटियाना में मिशन लाइफ अभियान चलाया गया। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण के लिहाज से स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए लगभग 95 छात्रों और 10 स्कूल कर्मियों के बीच जागरूकता पैदा की गई।

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  1. पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी)

पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी) के तहत विभिन्न इको-क्लबों ने मिशन लाइफ के प्रचार के लिए 2 जून, 2023 को 1,217 कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में 56,000 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान 54,000 से अधिक लोगों ने लाइफ संकल्‍प भी लिया।

उसी दिन ओडिशा के विभिन्न स्कूलों में लाइफ संकल्‍प कार्यक्रम आयोजित किए गए।

सजावट के लिए पर्यावरण के अनुकूल पारंपरिक तरीके का पालन करते हुए केरल के जीवीएचएस चेरिजेकल स्कूल ने 2023-24 में स्‍कूल रीओपेनिंग कार्यक्रम के दौरान प्लास्टिक की सजावट से बचते हुए नारियल के पत्तों से बने ब्रेडेड कुरुथोला तोरणम का इस्तेमाल किया। इको-क्लब के सदस्यों ने अन्य छात्रों को भी कुरुथोला तोरणम बनाने के बारे में बताया।

केरल में ही एक अन्य स्कूल- जीएचएस वलावायल ने नए शैक्षणिक वर्ष में छात्रों का स्‍वागत लीफ बैज यानी पत्‍ते से बने बैज के साथ स्वागत किया।

मध्‍य प्रदेश के बड़वानी में शासकीय एसबीएन महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए सोलर पैनल का प्रदर्शन किया गया ताकि उन्‍हें ऊर्जा संरक्षण के बारे में जागरूक किया जा सके।

मध्‍य प्रदेश के रतलाम के इको-क्‍लब मास्‍टर ट्रेनर ने कोकोपीट बनाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान प्रतिभागियों ने लाइफ शपथ भी ली।

सिक्किम के इको-क्लब स्कूलों ने 500 से अधिक छात्रों को सक्रिय तौर पर शामिल करते हुए मिशन लाइफ का प्रचार किया और लोगों को जागरूक बनाया। प्रमुख गतिविधियों में एसएनए अधिकारियों द्वारा चुनिंदा स्कूलों में मिशन लाइफ पर जागरूकता, मॉर्निंग असेंबली में बच्‍चों को संवेदनशील बनने के बारे में बताना, पेंटिंग प्रतियोगिता और मॉर्निंग असेंबली के दौरान एक्सटेम्पो क्विज प्रतियोगिता शामिल हैं।

  1. पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण एवं आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी):

 

पर्यावरण के बारे में जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी) एक केंद्रीय उप-योजना है जो मिशन लाइफ पहल के साथ जुड़ी हुई है। यह कार्यक्रम पूरे भारत में व्यक्तियों और समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने, क्षमता निर्माण और पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। ईआईएसीपी का उद्देश्य शिक्षा एवं सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए सकारात्मक परिवर्तन लाना और सभी के लिए एक सतत भविष्य को बढ़ावा देना है।

ईआईएसीपी कार्यक्रम केंद्रों ने शुक्रवार, 2 जून, 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस 2023 समारोह के लिए मिशन लाइफ पर एक जन जागरूकता अभियान के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया। देश भर में ईआईएसीपी केंद्रों द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में 18 से अधिक गतिविधियां शामिल थीं और इसमें 2,300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। रायपुर के सीईसीबी में ईआईएसीपी कार्यक्रम केंद्र ने पर्यावरण संरक्षण के लिए 12.38 लाख से अधिक लोगों द्वारा लाइफ प्रतिज्ञा लेकर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया। इस कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड द्वारा मिशन लाइफ कार्यक्रम के तहत ईआईएसीपी पीसी हब द्वारा 1 जून 2023 को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक किया गया। यह जनभागीदारी के जरिये जागरूकता बढ़ाने के लिए ईआईएसीपी, सीईसीबी, रायपुर की एक अभिनव पहल थी।

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एमजे/एमएस/एसकेसी


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