वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट के सर्वोच्च निगरानी प्राधिकरण की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की   


‘FIRE कॉरिडोर (F - फ्रेट; I - औद्योगिक; R – रेलवे; E – एक्सप्रेसवे)’ भारत में औद्योगीकरण और आर्थिक विकास की गति को काफी तेज करेंगे: श्रीमती निर्मला सीतारमण

राज्यों को अभिनव मॉडल अपनाने चाहिए और ज्‍यादा तेजी से निवेश सुनिश्चित करने के लिए ‘पैकेज डील’ की पेशकश करनी चाहिए: श्री पीयूष गोयल

Posted On: 30 MAY 2023 8:26PM by PIB Delhi

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) के कार्यकलापों की समीक्षा के लिए गठित किए गए सर्वोच्च निगरानी प्राधिकरण की दूसरी बैठक की आज अध्यक्षता की। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण एवं वस्‍त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल और केंद्रीय बंदरगाह, शिंपिंग व जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल भी इस बैठक में शामिल हुए।

सर्वोच्च निगरानी प्राधिकरण में अध्यक्ष के रूप में वित्त मंत्री; प्रभारी मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्री, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री, शिपिंग मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हैं। चार राज्यों यथा गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री; 9 राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब, झारखंड, कर्नाटक और राजस्थान के मंत्रियों के अलावा सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बैठक में भाग लिया।

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस बैठक की शुरुआत में ही राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों द्वारा एनआईसीडीआईटी परियोजनाओं के विकास में निरंतर आवश्‍यक सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिए उनका धन्यवाद किया और इसके साथ ही एनआईसीडीआईटी टीम द्वारा अपनी परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए किए गए अथक प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच निरंतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया और इसके साथ ही कहा कि उन्हें टीम इंडियाके रूप में सामूहिक रूप से काम करना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि ‘FIRE कॉरिडोर (F - फ्रेट; I - औद्योगिक; R – रेलवे; E – एक्सप्रेसवे) भारत में औद्योगीकरण और आर्थिक विकास की गति को काफी तेज करेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से ही जिस जोरदार तेजी से अवसंरचना का विकास किया जा रहा है, उसे निरंतर बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश का दर्जा दिलाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करने के लिए राज्य सरकारों और एनआईसीडीआईटी से इस तेज गति को बनाए रखने का अनुरोध किया।  

उन्होंने सभी राज्यों से अनुरोध किया कि वे समस्‍त अधूरे कार्यों को पूरा करें एवं आगे बढ़ें और संबंधित राज्यों में कार्यों की प्रगति में तेजी लाने के लिए सूचनाओं का अधिक आदान-प्रदान करके और इन्‍हें साझा करके सभी लंबित मुद्दों को सुलझाएं।

श्री पीयूष गोयल ने परियोजनाओं की वित्तीय व्यवहार्यता या लाभप्रदता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने राज्यों से उचित दरों पर भूमि का तेजी से आवंटन करने का अनुरोध किया। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यों को अभिनव मॉडल अपनाने चाहिए और ज्‍यादा तेजी से निवेश सुनिश्चित करने के लिए पैकेज डील इत्‍यादि की पेशकश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली की दरें किफायती और एक जैसी होनी चाहिए क्योंकि बिजली की ऊंची दरें उद्योग के लिए एक बाधा हैं।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने राज्य सरकारों से एनआईसीडीआईटी परियोजनाओं के लिए निकटवर्ती एवं मुकदमेबाजी मुक्त भूमि के अधिग्रहण में तेजी लाने और पर्यावरण मंजूरी जल्द प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को शेयरधारक समझौतों और राज्य सहायता समझौतों को अंतिम रूप देने एवं कार्यान्वयन में तेजी लाने पर फोकस करना चाहिए।

उन्होंने एनआईसीडीसी को उन परियोजनाओं को आगे न बढ़ाने का निर्देश दिया जहां राज्य सरकार समयबद्ध तरीके से प्रतिबद्ध भूमि प्रदान करने में सक्षम नहीं है और इसके साथ ही उन अन्य राज्यों में ऐसी परियोजनाओं की परिकल्पना की जाए जो अपने यहां निवेश में तेजी लाने के लिए भूमि की पेशकश करने को तैयार हैं।

उन्होंने यह कहते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है और राज्यों का निरंतर सहयोग ही इस राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में सबसे अच्छा योगदान होगा।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि बंदरगाहों में और उसके आसपास आर्थिक जोन के विकास पर भी गौर किया जा सकता है। इसके बाद नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन के. बेरी ने विशेष संबोधन दिया।  

इस बैठक की शुरुआत डीपीआईआईटी के सचिव एवं एनआईसीडीसी के अध्यक्ष श्री राजेश कुमार सिंह द्वारा राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर कार्यक्रम का संक्षिप्त अवलोकन करने के साथ हुई, जिन्होंने अपने स्वागत भाषण में भूमि आवंटन की ताजा स्थिति और अब तक जुटाए गए निवेश के बारे में चर्चा की।

श्रीमती सुमिता डावरा, विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स), डीपीआईआईटी और सीईओ एवं एमडी, एनआईसीडीसी ने पहली बैठक के निर्देशों पर उठाए गए कदमों के बारे में बताया और औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं से संबंधित हालिया घटनाक्रमों के बारे में चर्चा की और उन परियोजनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी जो अभी प्रक्रिया में हैं। प्रस्तुति के दौरान उन्होंने औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं में प्रधानमंत्री के गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान को अपनाए जाने पर प्रकाश डाला। श्रीमती डावरा ने यह भी अवगत कराया कि पिछली बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार ही राज्यों और एसपीवी के सहयोग से विभिन्न स्थानों पर गोलमेज सम्मेलन, रोडशो और अंतर्राष्ट्रीय संघों के साथ बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों/उद्योग मंत्रियों/वरिष्ठ अधिकारियों ने उन परियोजनाओं के बारे में बात की जो उनके अधिकार क्षेत्र में हैं/होंगी और भूमि आवंटन प्रक्रिया को आसान बनाने और तेजी से मंजूरी देने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि जमीनी स्‍तर पर शीघ्र कार्यान्वयन के लिए एनआईसीडीआईटी के तहत परियोजनाओं को हरसंभव सहायता दी जाएगी।

यह बैठक प्रमुख हितधारकों के लिए राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम से संबंधित प्रगति, चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मूल्यवान मंच साबित हुई। इस बैठक ने संबंधित प्रयासों में समन्‍वय स्‍थापित करने, सहयोग को बढ़ावा देने और देश भर में औद्योगिक अवसंरचना के विकास में तेजी लाने का अवसर प्रदान किया। सर्वोच्‍च प्राधिकरण की बैठक के दौरान चर्चा के मुख्य बिंदु ये थे कि राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम की प्रग‍ति के लिए विचार किए जाने वाले कदम क्‍या होंगे।

राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम का उद्देश्य औद्योगिक गलियारों का एक नेटवर्क स्थापित करना है जो आर्थिक विकास के इंजन के रूप में काम करेगा, औद्योगीकरण को बढ़ावा देगा और पूरे भारत में रोजगार अवसर सृजित करेगा। इस कार्यक्रम में विश्वस्तरीय अवसंरचना के विकास, निवेश को आकर्षित करने और सतत रूप से औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने पर फोकस किया गया है।

 

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