विद्युत मंत्रालय
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने 2022-32 की अवधि के लिए राष्ट्रीय विद्युत योजना अधिसूचित की
गैर-जीवाश्म आधारित क्षमता की हिस्सेदारी वर्तमान 42.5 प्रतिशत से बढ़कर 2026-27 के अंत तक 57.4 प्रतिशत और 2031-32 तक 68.4 प्रतिशत होने का अनुमान है : एनईपी
2022-32 के दौरान अतिरिक्त बिजली उत्पादन क्षमता के लिए 33.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशि की जरूरत होगी
Posted On:
31 MAY 2023 6:41PM by PIB Delhi
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 2022-32 के लिए राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) (खंड-1 उत्पादन) को अधिसूचित कर दिया है। ई-राजपत्रित के माध्यम से आज जारी योजना के दस्तावेज में बीते पांच साल (2017-22) की समीक्षा, अगले पांच साल (2022-27) के लिए विस्तृत योजना और उससे अगले पांच साल (2027-32) के लिए संभावित योजना शामिल है।
एनईपी दस्तावेज के मुताबिक, 20वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे (ईपीएस) डिमांड के तहत बिजली की अखिल भारतीय अधिकतम मांग और विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता 2026-27 के लिए क्रमशः 277.2 जीडब्ल्यू और 1907.8 बीयू एवं 2031-32 के लिए 366.4 जीडब्ल्यू और 2473.8 बीयू होने का अनुमान है। ऊर्जा की आवश्यकता और अधिकतम मांग में बिजली चालित वाहनों को अपनाने, सोलर रूफ टॉप्स की स्थापना, ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन, सौभाग्य योजना आदि के प्रभाव शामिल हैं।
2022-27 के लिए राष्ट्रीय विद्युत योजना की तैयारी के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कराए गए उत्पादन योजना के आधार पर, 2026-27 के लिए 6,09,591 मेगा वाट क्षमता स्थापित करने की संभावना है। इसमें 2,73,038 पारम्परिक क्षमता (कोयला- 2,35,133 मेगा वाट, गैस- 24,824 मेगा वाट, परमाणु- 13,080 मेगा वाट) और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित 3,36,553 मेगा वाट क्षमता (बड़ी पनबिजली- 52,446 मेगा वाट, सौर- 1,85,566 मेगा वाट, पवन- 72,895 मेगा वाट, छोटी पनबिजली- 5,200 मेगा वाट, बायोमास- 13,000 मेगा वाट, पम्प स्टोरेज प्लांट (पीएसपी)- 7,446 मेगा वाट) के साथ-साथ 8,680 मेगा वाट/ 34,720 मेगा वाट- ऑवर (एमडब्ल्यूएच) की बीईएसएस क्षमता (बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम) शामिल है।
वर्ष 2031-32 तक संभावित रूप से 9,00,422 मेगा वाट क्षमता स्थापित होने का अनुमान है। इसमें 3,04,147 मेगा वाट पारम्परिक क्षमता (कोयला- 2,59,643 मेगा वाट, गैस- 24,824 मेगा वाट, परमाणु- 19,680 मेगा वाट) और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित 5,96,275 मेगा वाट क्षमता (बड़ी पनबिजली- 62,178 मेगा वाट, सौर- 364,566 मेगा वाट, पवन- 1,21,895 मेगा वाट, छोटी पनबिजली- 5,450 मेगा वाट, बायोमास- 15,500 मेगा वाट, पीएसपी-26,686 मेगा वाट; साथ ही, 5,856 पनबिजली आधारित संभावित आयात) के साथ-साथ 47,244 मेगा वाट/ 2,36,220 मेगा वाट- ऑवर (एमडब्ल्यूएच) शामिल है।
कुल क्षमता वृद्धि का यह अनुमान वर्ष 2029-30 तक देश के लगभग 500 गीगा वाट की गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
एनईपी कल्पना करती है कि गैर जीवाश्म आधारित क्षमता की हिस्सेदारी 2026-27 के अंत तक 57.4 प्रतिशत होने का अनुमान है और इसके 2031-32 तक बढ़कर 68.4 प्रतिशत होने की संभावना है, जो अप्रैल, 2023 तक 42.5 प्रतिशत था।
औसत पीएलएफ 2026-27 में 235.1 गीगा वाट की कुल स्थापित कोयला क्षमता का लगभग 58.4 प्रतिशत और 2031-32 में 259.6 गीगा वाट की कुल स्थापित कोयला क्षमता का लगभग 58.7 प्रतिशत होने की संभावना है।
राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुमानों के तहत, वर्ष 2026-27 तक कुल 16.13 गीगा वाट/ 82.37 गीगा वाट-ऑवर (जीडब्ल्यूएच) ऊर्जा भंडारण क्षमता की जरूरत होगी, जिसमें पीएसपी आधारित 7.45 गीगा वाट भंडारण क्षमता और 47.65 जीडब्ल्यूएच स्टोरेज और बीईएसएस आधारित 8.68 गीगा वाट/ 34.72 जीडब्ल्यूएच भंडारण क्षमता शामिल है।
वर्ष 2031-32 तक भंडारण क्षमता की आवश्यकता 411.4 जीडब्ल्यूएच (पीएसपी से 175.18 जीडब्ल्यूएच और बीईएसएस से 236.22 गीगा वाट) के भंडारण के साथ 73.93 गीगा वाट (26.69 गीगा वाट पीएसपी और 47.24 गीगा वाट बीईएसएस) तक बढ़ने का अनुमान है।
घरेलू कोयले की आवश्यकता वर्ष 2026-27 के लिए 866.4 मिलियन टन और वर्ष 2031-32 के लिए 1025.8 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है और आयातित कोयले पर चलने वाले संयंत्रों के लिए 28.9 मीट्रिक टन कोयले के आयात की अनुमानित आवश्यकता है।
2022-2027 की अवधि के दौरान उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए कुल 14,54,188 करोड़ रुपये और 2027-2032 की अवधि के लिए 19,06,406 करोड़ रुपये की धनराशि की जरूरत होने का अनुमान है। 2027-32 के लिए धनराशि की आवश्यकता के अनुमान में उन परियोजनाओं के लिए अग्रिम तौर पर उठा जाने वाले कदम शामिल नहीं है जो 31.03.2032 के बाद स्थापित हो सकती हैं।
औसत उत्सर्जन वर्ष 2026-27 में 0.548 किग्रा सीओ2/ केडब्ल्यूएचएनईटी तक और 2031-32 के अंत तक 0.430 सीओ2/ केडब्ल्यूएचएनईटी तक कम होने की उम्मीद है।
विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3(4) के अनुसार, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को राष्ट्रीय विद्युत नीति के तहत एक राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) तैयार करने और पांच वर्षों में एक बार ऐसी योजना को अधिसूचित करने के लिए अधिकृत किया गया है।
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