पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

पर्यावरण संबंधी जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण एवं आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी) के केंद्र और इको-क्लब विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के आयोजन लिए चलाए गए जन सहभागिता अभियान के अभिन्न अंग के रूप में पर्यावरण के लिए जीवन शैली-लाइफ पर संदेश का प्रसार कर रहे हैं

Posted On: 30 MAY 2023 5:59PM by PIB Delhi

भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) ने मिशन लाइफ पर जोर देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाए जाने की परिकल्पना की है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई मिशन लाइफ की अवधारणा का उद्देश्य लोगों को अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करके स्थायी जीवनचर्या को बढ़ावा देना है और पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के उद्देश्य से संसाधनों के जिम्मेदारी तथा जागरूकता के साथ उपयोग पर बल देना है।

वर्तमान समय में मिशन लाइफ के लिए व्यापक जागरूकता और पर्याप्त समर्थन की भावना उत्पन्न करने के लिए पूरे भारत भर में मिशन लाइफ पर एक महीने का जन सहभागिता अभियान चल रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने "संपूर्ण सरकार" और "संपूर्ण समाज" के दृष्टिकोण का पालन करते हुए मिशन लाइफ के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों/प्रशासनों, संस्थानों निजी संगठनों को इस पहल में शामिल किया है। 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए चल रहे जन सहयोग अभियान का लक्ष्य अखिल भारतीय स्तर पर सहयोग और मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता को विस्तार देना है।

1. पर्यावरण संबंधी जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण एवं आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी)

पर्यावरण संबंधी जानकारी, जागरूकता, क्षमता निर्माण एवं आजीविका कार्यक्रम (ईआईएसीपी) केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजनाओं में से एक है, जिसे मिशन लाइफ के साथ गठबंधन में कार्यान्वित किया जा रहा है। वर्तमान जन सहभागिता अभियान के एक भाग के रूप में करीब 60 ईआईएसीपी केंद्र सक्रिय रूप से स्थायी जीवनशैली के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं, जिसे नागरिक अपना सकते हैं।

पूरे भारत भर में ईआईएसीपी केंद्रों द्वारा मई 2023 के महीने में कार्रवाई एवं जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2,387 से अधिक मिशन लाइफ से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इन आयोजनों ने पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाली गतिविधियों में भाग लेने के लिए 89,000 से अधिक लोगों को सफलतापूर्वक इस कार्यक्रम से जोड़ा है। इसके अतिरिक्त, ईआईएसीपी नेटवर्क के माध्यम से छात्रों, व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा 80,432 से अधिक मिशन लाइफ प्रतिज्ञा ली गई हैं। कार्यक्रमों की विस्तृत श्रृंखला में फोटोग्राफी, निबंध लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, जागरूकता और आउटरीच पहल, स्वच्छता अभियान, मिशन लाइफ पर विषयगत वेबिनार, साइकिल रैली, वृक्षारोपण अभियान, सार्वजनिक स्थानों जैसे बस स्टॉप आदि पर लाइफ होर्डिंग लगाना शामिल हैं। इन सभी के जरिये मिशन लाइफ के कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिनमें ई-रिक्शा, प्लास्टिक संग्रह अभियान, कार्यशालाएं और लाइफ प्रतिज्ञा का अनुसरण करना शामिल है। कई ईआईएसीपी केंद्र स्कूलों एवं कॉलेजों में नुक्कड़ नाटक, पेंटिंग, युवा संसद सम्मेलन और मिशन लाइफ से संबंधित जनभागीदारी कार्यक्रम जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन कर रहे हैं।

 

 

 

2. पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी)

पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (ईईपी) केंद्रीय क्षेत्र की एक उप-योजना है, जो अन्य विषयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों में इको-क्लब से जुड़ी हुई गतिविधियों को सशक्त करने के लिए गैर-औपचारिक पर्यावरण शिक्षा प्रदान करने के लिए कार्यान्वित की जा रही है। पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम को भारत में स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने के सामान्य लक्ष्य को साझा करते हुए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर की कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से मिशन लाइफ के साथ पूर्ण एकत्रीकरण में लागू किया गया है।

चूंकि इको-क्लबों की गतिविधियों का व्यापक प्रभाव पड़ता है, विशेषकर जब बच्चे किसी संदेश को अपने परिवार एवं अपने समाज में आगे तक ले जाते हैं। ऐसे में इको-क्लबों का उपयोग लाइफ पर संदेश फैलाने हेतु एक प्रभावी माध्यम के रूप में किया जाता है और इस प्रकार यह विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के लिए चलाए जा रहे जन सहयोग अभियान का एक अभिन्न अंग है। स्कूल/कॉलेज स्तर पर आयोजित जागरूकता कार्रवाई कार्यक्रमों के अलावा, कार्यान्वयन एजेंसियां ​​मिशन लाइफ में जन सहायता के लिए विभिन्न पहल भी करती हैं।

5 मई, 2023 को जन सहभागिता अभियान की शुरुआत के बाद से ईईपी और इको-क्लबों की कार्यान्वयन एजेंसियों ने मिलकर 17.8 लाख छात्रों, शिक्षकों आदि की भागीदारी के साथ मेरी लाइफ पोर्टल पर 38,000 से अधिक जागरूकता कार्रवाई कार्यक्रम दर्ज किए हैं। इको-क्लबों द्वारा की गई गतिविधियों में प्रतिज्ञा, वृक्षारोपण, रैलियां, जागरूकता सत्र, वर्मीकम्पोस्टिंग, किचन गार्डन, क्विज प्रतियोगिता, स्वच्छता अभियान, नुक्कड़ नाटक, मोटा अनाज आधारित खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 17.4 लाख प्रतिज्ञाओं को भी पंजीकृत किया गया है।

ईईपी की कार्यान्वयन एजेंसियों ने प्राकृतिक शिविर, इको-कला कार्यशाला, चिकनी मिट्टी और साधारण मिट्टी के बर्तनों की कार्यशाला, इको-फ्रेंडली ग्रीन वेडिंग आइडियाज को बढ़ावा देना, औषधीय पौधों के लिए जागरूकता अभियान, इको क्लब के छात्रों की मदद से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ समाज में अभियान चलना, पेंटिंग प्रतियोगिता, हस्ताक्षर लेना, मिशन लाइफ के संदेशों के साथ नाम स्टिकर का वितरण आदि जैसी कुछ बहुत ही अनूठी तथा पर्यावरण-अनुकूल गतिविधियों का आयोजन किया है।

 

3. राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय

राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के निदेशक ने नई दिल्ली स्थित भारती कॉलेज के कॉलेज के छात्रों को संबोधित किया और लाइफ की शपथ दिलाई।

4. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

असम में तिनसुकिया के बीबी मेमोरियल पब्लिक स्कूल (सीनियर सेकेंडरी) ने जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सहयोग से मिशन लाइफ के तहत अपार जनसहभागिता के एक भाग के रूप में एक पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। पांचवीं और छठी कक्षा के छात्रों ने बड़े उत्साह के साथ इस महत्वपूर्ण गतिविधि में भाग लिया। इन युवा विद्यार्थियों ने पोस्टरों के माध्यम से पृथ्वी को बचाने का संदेश दिया। बीडी मेमोरियल स्कूल ने प्लेहाउस के बच्चों के लिए ग्रीन डे भी मनाया, जिसमें कला प्रतियोगिता और लाइफ की विषय-वस्तु पर अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए।

अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर स्थित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिशन लाइफ के तहत ईटानगर में कई कार्यक्रम आयोजित किए। सीआरपीएफ के ईटानगर केंद्र से लगभग 150 जवानों एवं अधिकारियों के लिए जागरूकता अभियान का संचालन किया गया। इन सभी ने सीआरपीएफ के डीआईजी के नेतृत्व में लाइफ शपथ ली। ईटानगर में चिम्पू के एक अन्य कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) कार्यालय में सभी सदस्यों ने शपथ ली। इस प्रतिज्ञा को ईटानगर नगर परिषद के आयुक्त द्वारा प्रशासित किया गया था। अरुणाचल प्रदेश में ईटानगर स्थित बनीज फैंटेसी वर्ल्ड स्कूल के विद्यार्थियों शिक्षकों के लिए मिशन लाइफ के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी ने लाइफ की शपथ ली।

5. गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान

गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक ने उत्तराखंड में अल्मोड़ा के नवनियुक्त जिलाधिकारी श्री विनीत तोमर (आईएएस) के साथ चर्चा की और उन्हें मिशन लाइफ के विभिन्न विषयों के तहत संस्थान द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता एवं कार्रवाई कार्यक्रमों जैसे जल बचाओ, सिंगल-यूज प्लास्टिक को ना कहो, टिकाऊ खाद्य प्रणाली को अपनाओ, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दो और कचरे को कम करने के बारे में जानकारी दी। निदेशक ने जिला प्रशासन से मिशन लाइफ के विषयों पर जमीनी स्तर पर स्थानीय समुदायों को जोड़ने में सहयोग करने का अनुरोध किया और "प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान" विषय पर आगामी विश्व पर्यावरण दिवस 2023 के उत्सव में भाग लेने का आग्रह किया।

इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक ने उत्तराखंड में अल्मोड़ा के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में एनआईएचई और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) हैदराबाद के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श किया तथा मिशन लाइफ के विभिन्न विषयों के बारे में जागरूक होने के बारे जानकारी का प्रसार भी किया। उन्होंने एनआईएचई द्वारा मिशन लाइफ के तहत आयोजित किए जा रहे जागरूकता एवं कार्रवाई अभियान का विशेष रूप से उल्लेख किया।

गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) के सिक्किम स्थित क्षेत्रीय केंद्र (एसआरसी) ने 30 मई 2023 को पंगथांग में "मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (लाइफ)" के तहत एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इसका उद्देश्य मिशन लाइफ के तहत अपशिष्ट को कम करने की विषयवस्तु के तहत खाद प्रबंधन पर प्रतिभागियों के ज्ञान को बढ़ाना था। इसके अलावा, अभियान में शामिल होने वाले लोगों के समक्ष जल बचाओ और स्वस्थ जीवन शैली विषयों के तहत जल प्रबंधन जैविक खेती पर प्रदर्शन किया गया। पंगथांग के कुल 22 समुदाय के लोगों तथा परिसर के कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और मिशन लाइफ कार्यक्रम को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस आयोजन के दौरान, मिशन लाइफ के तहत पांच विषयों को मुख्य रूप से कवर किया गया था, जिनमें पानी बचाओ, सतत खाद्य प्रणाली अपनाओ, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दो, सिंगल यूज प्लास्टिक को ना कहो और कचरे को कम करो (स्वच्छता क्रियाएं) शामिल हैं। सभी प्रतिभागियों ने क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने के लिए लाइफ प्रतिज्ञा ली।

6. राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केन्द्र

एनसीएससीएम ने मिशन लाइफ की जन सहभागिता कार्यक्रम के तहत भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर केरल में स्थित आर्द्रभूमि इकोसिस्टम वेम्बनाड झील में मरीन ड्राइव विचरण मार्ग पर एक सफाई कार्यक्रम और जागरूकता अभियान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को बेहतर जीवनशैली के लिए छोटे रोजमर्रा के कार्यों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह जब व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो जलवायु परिवर्तन को काफी हद तक रोका जा सकता है। मिशन "प्रो-प्लैनेट पीपल' के जरिये किसी समुदाय के माध्यम से एक इकोसिस्टम स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार कार्य शैलियों एवं आदतों का समर्थन करेगा और आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करेगा। यह आर्द्रभूमि इकोसिस्टम परिसर लगभग 256 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है और इसमें बैकवाटर (कुल क्षेत्रफल का 50 प्रतिशत से अधिक) भी शामिल है। दलदल, लैगून, मैंग्रोव वन, पुनः प्राप्त भूमि और प्राकृतिक एवं मानव निर्मित नहर प्रणालियों का एक नेटवर्क इसे कई मायने में महत्वपूर्ण बनाता है। इसके वैश्विक महत्व जैव विविधता मूल्यों के कारण, इसे नवंबर 2002 में रामसर साइट में शामिल किया गया था। मुख्य रूप से छह प्रमुख नदियां और कई अन्य सहायक नदियां इसके मुहाने पर प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में मीठा पानी लेकर आती हैं, जिनमें से प्रमुखता के साथ पेरियार नदी इसके उत्तरी मुहाने पर बहती है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में झीलों के पारिस्थितिकी तंत्र पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह इकोसिस्टम कुट्टनाड में एक बहुत ही उत्पादक कृषि संबंधी कार्य प्रणाली "केरल का चावल का कटोरा" की सहायता करता है और निश्चित तौर पर इसे यहां की जीवन रेखा माना जाता है। वेम्बनाड आर्द्रभूमि मछली पकड़ने से संबंधित क्षेत्रों के साथ-साथ एक लोकप्रिय पर्यटन गंतव्य पर निर्भर स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन के रूप में कार्य करती है। 1000 से अधिक हाउसबोट यहां पर मुख्य पर्यटक आकर्षण का केंद्र हैं और 100 से अधिक परिवहन नौकाएं अन्य शहरों एवं गांवों को जोड़ने के लिए झील के पानी को पार करती हैं। हाल के वर्षों में, अंतर्जात एवं बहिर्जात दोनों कारकों के कारण झील की पर्यावरणीय स्थिति में लगातार गिरावट आई है और शायद इसलिए आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र तथा आश्रित समुदायों को अपनी आजीविका के लिए विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ता है।

एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने आर्द्रभूमि और उनके इकोसिस्टम वाली सुविधाओं के महत्व पर जोर देने के लिए वेम्बनाड झील में एक सफाई कार्यक्रम और जन जागरूकता अभियान चलाया। वैज्ञानिकों द्वारा मिशन लाइफ अभियान के विभिन्न विषयों जैसे झील पारिस्थितिकी और जैव विविधता का संरक्षण, सिंगल उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करना, सिंगल उपयोग प्लास्टिक के स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का चुनाव करना, टिकाऊ जिम्मेदार तरीके से मत्स्य आखेट करना, जिसमें स्टेक नेट और चाइनीज लिफ्ट नेट के मेश साइज रेगुलेशन शामिल हैं, आदि सहित जिम्मेदार पर्यटन एवं एक स्वस्थ जीवन शैली के बारे में पूरे राज्य के 150 से अधिक पर्यटकों को समझाया गया। इसके अतिरिक्त, एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने पर्यटकों, स्थानीय विक्रेताओं तथा मछली पकड़ने वाले समुदाय के प्रतिनिधियों को बाढ़ प्रबंधन के उपाय के रूप में बैकवाटर पर्यटन, आर्द्रभूमि संरक्षण, खाड़ियों एवं नहरों की सफाई और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की आवश्यकता के स्थायी प्रबंधन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर संवेदनशील बनाया गया। इस आयोजन के दौरान एक सफाई अभियान चलाया गया, जहां पार्किंग क्षेत्र से लगभग 10 किलोग्राम प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया और उसे सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा केंद्र को सौंप दिया गया। वैज्ञानिकों ने मैंग्रोव वनीकरण, इनकी बहाली एवं संरक्षण के लिए मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटैट्स एंड टैंजिबल इनकम (मिष्टी) योजना और आर्द्रभूमि में प्लास्टिक के बहुत सारे कचरे को कम करने के लिए सफाई कार्यक्रम में सामुदायिक सहभागिता (जन भागीदारी) की आवश्यकता पर जोर दिया,  जो तटीय समुद्री इकोसिस्टम के बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। झील द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न इकोसिस्टम सुविधाओं पर पर्यटकों, दुकान मालिकों, समुद्र तट विक्रेताओं तथा हाउसबोट संचालकों के बीच भी जागरूकता पैदा की गई और इन संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों का भ्रमण करते समय 'कचरा' करने से बचने जोर देकर झील की संरक्षा करने की आवश्यकता को समझने में उनकी मदद की गई। रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाले कूड़े को कम करना ही जलवायु परिवर्तन को रोकने सहित सकारात्मक पर्यावरणीय लाभ की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। वैज्ञानिकों ने पर्यावरणीय शिक्षा के माध्यम से कूड़ा करने के प्रति व्यवहार को बदलने, अपने दैनिक कचरे के निस्तारण के लिए कूड़े के न्यूनीकरण प्रक्रियाओं (कम करना, पुन: उपयोग, पुनः चक्रित, पुनर्प्राप्ति और निपटान) का पालन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। पर्यटकों को भी इस तरह के संवेदनशील इकोसिस्टम में पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का उपयोग करने, स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण और एक स्थायी जीवन शैली अपनाकर प्लास्टिक उपयोग को कम करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया गया। आयोजन के दौरान, प्रतिभागियों ने मिशन लाइफ और पर्यावरण की सुरक्षा के समर्थन में लाइफ प्रतिज्ञा ली तथा हस्ताक्षर अभियान में भी भाग लिया। स्थानीय समुदाय के लिए इस महत्वपूर्ण आयोजन के एक हिस्से के रूप में मिशन लाइफ के बारे व्यापक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से समुद्र तट पर तख्तियों, पोस्टरों और लाइफ शुभंकरों को समुद्र तट पर प्रदर्शित किया गया था।

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