उप राष्ट्रपति सचिवालय

केरल विधानसभा भवन के रजत जयंती समारोह में उपराष्ट्रपति के अभिभाषण के मूल पाठ का अंश

Posted On: 22 MAY 2023 5:18PM by PIB Delhi

नमस्कारम्! सुभाधिनम!

केरल विधानसभा भवन-नियमसभा के रजत जयंती समारोह में भाग लेते हुए मुझे बेहद खुशी और संतोष का अनुभव हो रहा है।

वास्तव में इस हृदयस्पर्शी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री और केरल विधानसभा के ऊर्जावान माननीय अध्यक्ष का आभारी हूं। मैं, उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से काफी प्रभावित हुआ हूं। हालांकि मैं आपकी स्थानीय भाषा को नहीं समझता हूं, फिर भी इसका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं।

केरल के लोगों को हार्दिक बधाई। राष्ट्र को उनकी ऊर्जा, उनकी मानव संसाधन समृद्धता, उनकी प्रतिबद्धता, राज्य और राज्य के बाहर, विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी प्रभावी उपस्थिति के लिए उन पर गर्व है। मैं खुद इसका लाभार्थी हूं। पचपन वर्षों के बाद, मैं सैनिक स्कूल में अपनी शिक्षिका श्रीमती रत्ना नायर को अपनी गुरु दक्षिणा और सम्मान दूंगा। मैं उनसे मुलाकात करूंगा।

केरल के लोगों को, उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को बधाई जिन्होंने इस संस्था को एक नया आयाम देने के लिए अथक परिश्रम किया है। यह संस्था जो सामाजिक सुधारों, महत्वपूर्ण भूमि सुधारों, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए विचारों की वजह से समृद्ध हुई है।

ईश्वर के अपने देश’ में होना- जो प्रसिद्ध सुखदायक समुद्र तटों, हरे-भरे चाय के बागानों, कला के अनूठे रूपों, विविध मसालों, अलप्पुझा और कोल्लम में शांत बैकवाटर, पर्वत श्रृंखलाओं और वन्यजीव अभयारण्यों-थेक्कडी के साथ प्राचीन प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है। थेक्कडी को 1978 में देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। आप सभी जानते हैं कि देश में अफ्रीका से हमारे टाइगर दोस्तों को लाने के लिए एक बड़ा प्रयास किया जा रहा है और मैं आपको बता सकता हूं कि वे अच्छा कर रहे हैं।

जब मैं केरल को ईश्वर के अपने देश की भूमि के रूप में संदर्भित करता हूं तो मुझे चट्टंपी स्वामीकल को नमन करना चाहिए, उन्होंने महिलाओं की मुक्ति के लिए काम किया और वह महान हिंदू संत व समाज सुधारक थे। श्री नारायण गुरु, एक अन्य सुधारक और सामाजिक समानता में उनके दृढ़ विश्वास से, उन्हें हमारे संविधान की प्रस्तावना में स्थान मिला। कुरियाकोस इलियास चावरा एक महान व्यक्ति, एक समाज सुधारक थे। वक्कोम अब्दुल खादर, एक उत्कृष्ट शिक्षक, लेखक विद्वान, स्वतत्रंता सेनानी थे। चिथिरा थिरुनाल बलराम वर्मा- एक समय का एक ऐसा राजा जिसने पूरी उदात्तता के साथ शानदार तरीके से अपना योगदान दिया और लोकतंत्र की उन सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों’ को जन्म दिया, जिन्हें इस समय पूरी दुनिया अपना रही है।

इस देश के दो पूर्व राष्ट्रपतियों का विशेष संदर्भ देना चाहता हूं। पहला, इस धरती के लाल श्री के. आर. नारायणन जी। उनके साथ मुझे एक अवसर साझा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जब वे लोकसभा के सदस्य थे और मैं केंद्रीय मंत्री था। उन्होंने ही इस भवन का उद्घाटन किया था। मेरे लिए कितने गौरव का क्षण है कि जिसके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान रहा है, मैं रजत जयंती के अवसर पर कुछ हद तक उनसे जुड़ा रहा हूं। दूसरे, श्री एपीजे अब्दुल कलाम जी, मिसाइल मैन ने अपनी यात्रा शुरू की और इस भवन के एक छोटे से कमरे में भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान को दिशा दी।

मैं अपने दायित्व से चूक जाऊंगा यदि मैं भारत के कुछ अन्य महान सपूतों का उल्लेख नहीं करूंगा जो हमारे भारत को गौरवान्वित करते हैं और जिनका योगदान हमारे जीवन को बेहतर बना रहा है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर महाराजा मार्तंड वर्मा द्वारा बनवाया गया था, उनका नाम हमें ऐसा मंदिर देने के लिए इतिहास में दर्ज है। ई एम एस नंबूदरीपाद ने एक कम्युनिस्ट पार्टी के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बनकर वैश्विक इतिहास रचा। ईएमएस को भी पहली बार अनुच्छेद 356 के तहत संवैधानिक प्रहार का सामना करना पड़ा। यह उस समय किया गया था जब एक प्रधानमंत्री अपने पद पर था और एक भावी प्रधानमंत्री संगठन का नेतृत्व कर रहा था। मैंने सीखा कि कैसे लोग मम्मूटी से, मोहनलाल से प्रसन्न होते हैं-वे उनके काम से बहुत प्रभावित हुए। मैंने खुद को मध्य-पूर्व और अन्य जगहों की अपनी यात्राओं में देखा है कि पद्म श्री एम ए यूसुफ अली सकारात्मक ऊर्जा पैदा कर रहे हैं। संगीतकार पद्म भूषण येसुदास- उन्हें कौन नहीं जानता?

देवियों और सज्जनों, हमारे पास राज्यसभा में आपके राज्य से एक मनोनीत सदस्य पीटी उषा हैं और वह उपसभापति के पैनल में हैं। भारतीय ट्रैक एंड फील्ड की रानी, मैं अगली बार उनके गांव का दौरा करने की योजना बनाऊंगा ताकि मै यह जान सकूं कि उनमें ऐसा क्या खास हैं कि उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। जब मैं मंत्री बना, चौधरी देवीलाल जी उप प्रधानमंत्री थे, जो कृषि संबंधी विकास में विश्वास रखते थे और मैं एक दर्जन से अधिक दलों वाले शासन में संसदीय मामलों का जूनियर स्तर का मंत्री था। मुझे मंच पर उपस्थित सभी लोगों के साथ जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। फिर हम सभी को गौरवान्वित करने वाले भारत के मिल्कमैन, महान व्यक्ति डॉ. वर्गीज कुरियन के साथ एक बैठक हुई। हमारे पास मेट्रो मैन श्री ई श्रीधरन भी हैं और वैज्ञानिक जी माधवन नायर के महान योगदान को कौन भूल सकता है जिन्होंने हमें भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक बड़ी उपलब्धि दी। कुछ महीन पहले ही, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को अग्रणी देशों के उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय में एक महिला को न्यायाधीश बनाने में संयुक्त राज्य अमेरिका को एक सौ पचास वर्ष से अधिक का समय लगा, लेकिन हमारे पास बहुत कम अवधि में एक महिला न्यायाधीश थी। सुश्री एम. फातिमा बीबी, वह इसी राज्य से थीं। सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला और उसके बाद स्थिति सकारात्मक रूप से बढ़ रही है। राज्य के एकमात्र ओलंपियन मैनुअल फ्रेडरिक, अर्जुन अवार्डी अंजू बॉबी जॉर्ज, दक्षिण भारत की कोकिला, पद्म भूषण के एस चित्र को कौन भूल सकता है? इन सभी लोगों ने योगदान दिया है और आपके राज्य के प्रतिनिधि हैं, यह सूची लंबी है। मैं राजनेताओं का संदर्भ नहीं दूंगा क्योंकि उनकी सूची और भी लंबी है और मुझसे किसी का नाम लेने में भूल हो सकती है। राज्यसभा में हमारे पास एलामारम करीम हैं, जो हमेशा बाघ की तरह सतर्क और मुरलीधरन की तरह मृदुभाषी रहते हैं।

कल इस राज्य की अपनी पहली यात्रा पर यहां पहुंचने के बाद, मैं पद्मनाभस्वामी मंदिर गया और वहां राज्य एवं राष्ट्र के कल्याण के लिए एक घंटे तक प्रार्थना की। मेरे द्वारा बिताया गया हर क्षण मेरे दिलो-दिमाग पर गहरी छाप छोड़ गया है। राजसी मंदिर का शांत वातावरण और मनोरम वास्तुकला केरल की समृद्ध विरासत को दर्शाता है। मार्गदर्शन और सांत्वना चाहने वाले अनेकों व्यक्तियों को भगवान का आशीर्वाद मिलता रहे।

नियमसभा-विधानसभा भवन की नींव 1979 में रखी गई थी और लगभग दो दशकों के बाद 22 मई 1998 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। भवन का उद्घाटन करते हुए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र के महान वृक्ष में केरल कुछ दुर्लभ फलों वाली एक फूलदार शाखा रही है। मैं यहां एक पल के लिए रुकता हूं और उन फलों, व्यापक सार्वजनिक हितों की पूर्ति करने वाले रचनात्मक विधानों, का संदर्भ देता हूं। श्री नारायणन ने आगे कहा कि मैं यह बात अपने गृह राज्य के प्रति पूर्वाग्रह से नहीं कह रहा हूं-एक पूर्वाग्रह जिसे मैं सहज स्वीकार करता हूं। मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि केरल के समाज में कई अलोकतांत्रिक विशेषताओं के घुस आने और उसे विकृत कर देने के बावजूद लोकतंत्र इस राज्य की सोच और संस्कृति में निहित रहा है। स्वतंत्रता और एकता का विचार लोकतंत्र की आत्मा है, शंकर के दर्शन में सहज था जैसा कि उपनिषदों में था।

इस अवसर पर, मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि के आर नारायणन जी द्वारा कहे गए हर शब्द को ध्यान से पढ़ें। उनका जन्म इस राज्य में हुआ था। वे अपने पूर्वाग्रह को समझते थे लेकिन उन्होंने जो कहा वह वस्तुनिष्ठता और दूरदर्शिता से भरा था। समावेशी विकास के बिना लोकतंत्र फल-फूल नहीं सकता। 25 वर्षों में, इस पवित्र भवन ने केरल के समाज के विकास को देखा है, जो एक क्रूसिबल के रूप में काम करता है जहां कई बहसें कार्यपालिका की जवाबदेही को बढ़ाती हैं। कई महत्वपूर्ण कानूनों का एक प्रमुख केंद्र रहा है।

इस तरह की इमारतें ईंट और गारे के काम से अधिक का महत्व रखती हैं; यह आशा की प्रतीक है, लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाती है और बड़े पैमाने पर जनता को आश्वास्त करती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के फलने-फूलने की क्रूसिबल है।

केरल अपने दूरगामी दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय के प्रति अटूट वचनबद्धता के लिए जाना जाता है। यह प्रतिष्ठा प्रगतिशील विधानों को पारित करने की एक श्रृंखला के माध्यम से प्रकट होती है। केरल की विधानसभा को कई ऐसी प्रगतिशील विधानों को पारित करने का श्रेय प्राप्त है जिन्होंने कई अन्य विधानसभाओं का ध्यान आकर्षित किया।

केरल विधानसभा भवन लोगों की इच्छा, लोकतंत्र की भावना और संविधान के सार का प्रतिनिधित्व करता है और बड़े पैमाने पर लोगों के लिए प्रस्तावना के आदर्शों को साकार करने के लिए काम कर रहा है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि आने वाले वर्षों में, यह भवन भारत के संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों को और मजबूत करते हुए केरल के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने व उन्हें साकार करने वाला एक जीवंत रंगमंच बना रहेगा।

हम बदलते दौर में जी रहे हैं और हर पल एक चुनौती है, इसलिए विधायिकाओं को अपना स्तर ऊंचा करना होगा। मैं इस समय जहां हूं, ऐसे स्थानों से नियम बनाने होंगे। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस विधानसभा के प्रत्येक कार्यकाल में 100 से अधिक विधान पारित किए गए हैं। मित्रों, विधानों को पारित करना कोई मशीनी काम नहीं है, इसमें सोच-समझकर काम करना होता है। आप व्यापक पैमाने पर लोगों को जो देते हैं, उसमें विभिन्न विचारों का समावेश होना चाहिए। उस संदर्भ में, इस विधानमंडल की समिति व्यवस्था की व्यापक सराहना की जाती है।

वर्तमान विधायकों के रूप में, आपको एक उज्जवल विरासत भी मिली है। काम करके और सक्रिय रहकर इस विरासत को बनाए रखना आपका कर्तव्य है। यदि आप एक बहती हुई नदी में खड़े हैं, तो उसी स्थान पर टिके रहने के लिए भी आपको अपने पैर हिलाने पड़ते हैं। नदी में बिना हिले-डुले एक ही स्थान पर खड़े रहने से आप बहा लिए जायेंगे। आप अपने पूर्ववर्तियों के साथ बदलते सामाजिक मंचों के अनुरूप अपने राज्य की आगे की प्रगति के लिए उसे समकालीन जरूरतों के अनुकूल स्वरूप देते हुए कानून बनाने की एक मौलिक भूमिका साझा करते हैं।

यह अवसर हमें उन उपलब्धियों, चुनौतियों और लोकतांत्रिक भावना पर विचार करने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करता है, जो इस सदी की विगत चौथाई अवधि के दौरान इस भव्य इमारत में स्थित इस प्रतिष्ठित संस्थान की विशेषता रही है।

उचित रूप से 'नियमसभा' कहलाने वाली, केरल की विधानसभा का प्रगतिशील कानून बनाने के मामले में एक शानदार रिकॉर्ड रहा है। नियमसभा अपने भव्य एवं विशाल असेंबली हॉल और पर्याप्त सहायक सुविधाओं से लैस एक शानदार उत्कृष्ट परिसर है। स्थापत्य की दृष्टि से यह एक अनूठी संरचना है। लोकतंत्र का सार लोगों की भावनाओं के प्रसार में निहित है, जो वैध मंचों - संसद और विधानसभाओं के माध्यम से परिलक्षित होता है।

किसी भी लोकतंत्र में, संसदीय संप्रभुता अलंघनीय होती है। यह वैकल्पिक नहीं है, यह किसी भी लोकतांत्रिक शासन का एक अटूट पहलू है। संसदीय संप्रभुता के बिना लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं है। संसद और विधायिका में हर कोई इसका पालन करने की शपथ लेता है। राष्ट्र उचित रूप से संसद और विधानमंडलों से यह अपेक्षा करता है कि वे गणतंत्र के मूल मूल्यों की पुष्टि करने और उन्हें बढ़ाने की दिशा में निर्णायक नेतृत्व प्रदान करें तथा संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं को स्थापित करने हेतु उच्चतम विचारशील अनुकरणीय मानकों का उदाहरण पेश करें। मेरा यह  स्पष्ट मानना है कि अगर संसद में दिखाया गया आचरण अनुकरणीय नहीं है, तो कहीं कुछ कमी है जिसमें उत्प्रेरण और हमारी सोच भी शामिल है।

आज हम अमृत काल में हैं और अमृत काल का सबसे बड़ा अवसर और चुनौती यह है कि हम आज इस बात की नींव रख रहे हैं कि भारत 2047 में जब अपनी आजादी की शताब्दी मनाएगा तो वह कैसा होगा। प्रभावी और संरक्षा प्रदान करने वाली विधायिका का कामकाज लोकतांत्रिक मूल्यों को फलने-फूलने एवं उन्हें संरक्षित करने और कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने की सबसे सुरक्षित गारंटी है। इससे कोई भी असहमत नहीं है। जो हमें प्रशासित करते हैं वे सक्रिय रूप से कार्य करने वाली विधायिकाओं और संसद के प्रति जवाबदेह हैं।

देवियों और सज्जनों, हम एक महान सभ्यतागत मूल्यों वाले देश हैं। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर हम अपनी संविधान सभा से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। संविधान सभा ने तीन वर्षों तक संविधान निर्माण पर विचार-विमर्श किया। उन्हें बेहद विभाजनकारी और विवादास्पद मुद्दों से जूझना पड़ा। लोगों की अलग-अलग राय होती है। विभिन्न विचारों पर आसानी से एकजुटता नहीं हो सकती। वे संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श में संलग्न हुए और एक समाधान खोजा। वे कभी टकराव में विश्वास नहीं करते थे, वे सहयोगी साक्ष्यों में विश्वास करते थे। रिकॉर्ड की दृष्टि से, मैं आपको बता सकता हूं कि उन तीन वर्षों के दौरान संविधान सभा में एक भी व्यवधान या गड़बड़ी नहीं हुई।

आइए हम अपने भीतर झांकें और कोई रास्ता निकालने का प्रयास करें। एक चिंताजनक प्रवृत्ति है जिसे हमें दूर करने की जरूरत है। मेरे पास एक दृष्टिकोण है। किसी दूसरे व्यक्ति का दृष्टिकोण कुछ और होगा; मैं दूसरे के दृष्टिकोण को सुनने के लिए तैयार नहीं हूं! किसी भी सभ्य समाज में, शासन के किसी भी लोकतांत्रिक रूप में, व्यवस्था के लिए आपको कम से कम यह करना चाहिए कि कृपया विपरीत दृष्टिकोण पर गौर करें। अधिकतर संभावना इस बात की होती है कि दूसरा दृष्टिकोण ही सही दृष्टिकोण हो।

मैं आपको सुझाव देना चाहता हूं और आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप एक ऐसी संस्कृति विकसित करें जिसमें किसी दृष्टिकोण को एक झटके में खारिज नहीं किया जाए। सहमत होना या न होना आपका विकल्प है, लेकिन अगर हम ऐसा कठोर रुख अपनाते हैं कि हम किसी दूसरे दृष्टिकोण पर विचार ही नहीं करेंगे तो वह सच्ची लोकतांत्रिक भावना नहीं होगी।

दुनिया ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा किए गए डिजिटल विकास का मूल्यांकन किया और उसे मान्यता दी। वहां इस राज्य का एक व्यक्ति- गीता गोपीनाथ - एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका में है। दुनिया को उनके योगदान पर गर्व है। आईएमएफ ने बताया, "भारत विश्व स्तरीय सार्वजनिक बुनियादी ढांचे से युक्त है"और वह डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहे अन्य देशों के लिए एक आदर्श के रूप में काम कर रहा है।

एक और आंकड़ा जो मैंने दुनिया के लोगों के साथ साझा किया और उन्होंने पूछा, “क्या ऐसा हो रहा है?” मैंने कहा, यह एक जमीनी वास्तविकता है। भारत में 700 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। पिछले वर्ष यहां प्रति व्यक्ति मोबाइल डेटा खपत अमेरिका और चीन में होने वाली एवं समग्र खपत से अधिक थी।

इन दिनों जब पैसा राज्य सरकार या केंद्र सरकार की ओर से किसी लाभार्थी को भेजा जाता है, तो कोई गड़बड़ी नहीं होती है। जन धन खाते, आधार नंबर, मोबाइल टेलीफोन ने इसे संभव बनाया है। हमने नहीं सोचा था कि 2.25 लाख करोड़ रुपये 11 करोड़ किसानों को भेजे जा सकते हैं। मैं सिर्फ पैसे की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि मैं उस तंत्र की बात कर रहा हूं जिसमें उन सभी 11 करोड़ किसानों के पास बैंक खाते थे। उन्हें सीधे पैसा मिल सकता था। हमें इस पर गर्व है।

यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि केरल देश के सबसे अधिक इंटरनेट पहुंच वाले राज्यों में से एक है। इस क्षेत्र में इसकी पैठ देश में सबसे अधिक है। इसलिए आप इसके प्रभाव को जानते हैं। बड़े पैमाने पर लोगों की क्षमता का दोहन करने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी पार्कों और  इलेक्ट्रॉनिक शहरों के निर्माण में केरल सबसे आगे है और मुझे यकीन है कि यह राज्य ऐसा करना जारी रखेगा। प्रगतिशील संस्कृति से लैस इस राज्य का गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन समावेशी विकास का एक नया इतिहास रचेगा।

भारत सरकार ने डिजिटल अवसंरचना के सशक्तिकरण के लिए वर्ष 2015 में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। मैं यहां एक क्षण के लिए रुकता हूं। आप एक पल के लिए कल्पना कीजिए कि अगर भारत ने इस कार्यक्रम की शुरुआत नहीं की होती, तो चीजें किस तरह से गलत रास्ते पर चली जातीं और हमें सीधे पैसे भेजने का अवसर ही नहीं मिलता। बिचौलिए होते, मानवीय हस्तक्षेप होता और हम कोविड का सामना उस तरह से नहीं कर पाते जैसाकि हमने किया।

देवियों और सज्जनों, मुझे आपके साथ इस बात को साझा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि मध्य पूर्व और उत्तरी अमेरिका में रह रहे केरल के लोगों ने अपने प्रेषण के माध्यम से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में अत्यधिक योगदान दिया है, जोकि देश में सबसे अधिक है।

हमारा संविधान सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है, लेकिन विधायकों और सांसदों को भाषण की अधिक स्वतंत्रता दी गई है। यदि वे संसद या विधानमंडल में कुछ कहते हैं तो आम नागरिक उन्हें अदालत में नहीं ले जा सकते। कोई मानहानि नहीं हो सकती, कोई सिविल मामला नहीं, कोई आपराधिक मामला नहीं, बड़ा मौका, बड़ा विशेषाधिकार। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। झूठी सूचनाओं का व्यापार नहीं हो सकता। सूचनाएं बेलगाम नहीं हो सकती और उनके साथ जवाबदेही की गहरी भावना होनी चाहिए। मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं, इसलिए मैंने वक्ताओं से इसके बारे में सोचने का अनुरोध किया। अगर आपके पास कोई मुद्दा है, तो आप उसका तथ्यों के साथ समर्थन कर सकते हैं और सदन के पटल पर कह सकते हैं। आप सिर्फ बेकार की टिप्पणी नहीं कर सकते हैं और लोगों की प्रतिष्ठा को धूमिल नहीं कर सकते हैं या देश को नीचा नहीं दिखा सकते हैं। मुझे यकीन है कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जहां स्वस्थ बहस होगी ताकि हम आगे बढ़ सकें।

मित्रों, हम समय की धारा के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि यह पहली बार है जब दुनिया भारत की ओर देख रही है। दुनिया हमारी आवाज का इंतजार कर रही है। यूक्रेन युद्ध एक ऐसा मामला है जहां सभी ने हमारी ओर देखा है। भारत की नीतियां अब राष्ट्रीय हितों के अनुरूप तय होती हैं और दुनिया यह देखने के लिए इंतजार कर रही है कि भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी। मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिकांश मुद्दों पर मिलकर व एकजुटता से आगे बढ़ रही हैं, एक समग्र इकोसिस्टम का निर्माण कर रही हैं।

लोगों के स्थायी कल्याण और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए, मेरी सभी से यही प्रार्थना है कि हम एकजुट हों। हमें साथ आना चाहिए। हमें मिलकर काम करना चाहिए। हमें टकराव की भावना नहीं रखनी चाहिए। हमें भारतीय संविधान की प्रस्तावना के अनुरूप और  समावेशी विकास की दिशा में काम करना चाहिए और फिर मैं आपको बता सकता हूं कि इससे राष्ट्र का पूर्ण ज्यामितीय विकास होगा, जो पहले से ही हो रहा है।

मैं केरल राज्य के प्रबुद्ध लोगों के साथ अपने कुछ विचारों को साझा करने का यह महान अवसर प्रदान करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री और माननीय अध्यक्ष के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं जानता हूं कि यहां मौजूद हर व्यक्ति अपने आप में सोच का एक प्रमुख केंद्र एवं अधिकेंद्र है और मानवता की उन्नति एवं बेहतरी की दृष्टि से इन विचारों के दूरगामी परिणाम होंगे। इसलिए, इस अवसर पर जब भारत जी-20 का नेतृत्व कर रहा है, तो इसका आदर्श वाक्य- ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’- हमारी सदियों पुरानी सभ्यतागत मूल्यों की भावना है।

एक बार फिर से, आपके धैर्य के लिए आपका धन्यवाद।

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एमजी/एमएस/आरपी/एसके/डीए



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