रक्षा मंत्रालय

आईडीईएक्स-डीआईओ ने पहले ‘मिशन डेफ-स्पेस’ से 100 ‘स्प्रिंट’ (नौसेना) अनुबंध के तहत 250 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए

Posted On: 15 MAY 2023 3:44PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्रालय की एक प्रमुख पहल, इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीएक्स) ने 15 मई, 2023 को नई दिल्ली में अपने 250वें अनुबंध पर हस्ताक्षर के साथ एक मील का पत्थर पार कर लिया है। अनुबंध पर हस्ताक्षर रक्षा सचिव श्री गिरधर अरमने और अन्य वरीष्ठ अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में किये गए।

मिशन डेफ-स्पेस अनुबंध

मिशन डेफ-स्पेस के पहले आईडीएक्स अनुबंध का आदान-प्रदान अपर सचिव रक्षा उत्पादन और सीईओ रक्षा नवाचार संगठन डीआईओ श्री टी नटराजन और सीईओ इनस्पेस सिटी श्री अरिंद्रजीत चौधरी के बीच किया गया जो, क्यूब्स के लिए माइक्रो प्रोपल्शन सिस्टम चुनौती के विजेताओं में से एक थे। इस चुनौती का नेतृत्व डिफेंस स्पेस एजेंसी कर रही है।

क्यूबसैट छोटे उपग्रहों का एक क्यूब है जो मॉड्युलर है, यह बनाने-जोड़ने और लॉन्च करने में आसान है, और लॉन्च ऑन डिमांड क्षमताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण घटक बनाते हैं। इमेजरी/खुफिया-निगरानी, टोह लेने/संचार उद्देश्य के लिए क्यूबसैट को ठीक से संरेखित करने की आवश्यकता है।  इसलिए कुशलता और कक्षा सुधार के लिए एक कॉम्पैक्ट माइक्रो प्रपल्शन सिस्टम की आवश्यकता है। इनस्पेस सिटी इस उद्देश्य के लिए गैस आधारित प्रणाली विकसित कर रही है। यह तकनीक विकसित हो जाने के बाद अन्य उपग्रहों के साथ भी काम में लाई जा सकती है।  जिसमें मिशन डेफ स्पेस के तहत विकसित किए जा रहे क्यूबसैट के झुंड भी शामिल है।

अंतरिक्ष क्षेत्र के रणनीतिक महत्त्व को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अक्टूबर 2022 में गांधीनगर में आयोजित डेफ एक्सपो के दौरान निजी क्षेत्र को संबोधित 75 अंतरिक्ष से जुड़ी रक्षा चुनौतियों के साथ मिशन डेफ स्पेस लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य स्पेस-मिशन के हर चुनौती को संबोधित कर मिशन की योजना बनाने से लेकर सैटेलाइट डेटा एनालिटिक तक भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग का विकास करना है।

100 स्प्रिंट (नौसेना) अनुबंध

एस (डीपी) और सीईओ-डीईओ और सीईओ सिलिकोनिया टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड श्री सुशील एकनाथ धुले के बीच 100वें स्प्रिंट (नौसेना) अनुबंध का आदान-प्रदान किया गया। सिलिकोनिया टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड उस चुनौती के विजेता हैं जिसमें एक प्रोटोटाइप के विकास की परिकल्पना की गई है जो, लो अर्थ ऑर्बिट, मीडियम अर्थ ऑर्बिट और जियोस्टेशनरी सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के लिए सॉफ्टवेयर परिभाषित ऐन्टेना का उपयोग करके, एक हल्का एएसआईएस (एप्लीकेशन स्पेसिफिक इंटिग्रेटेड सर्किट) आधार संचार प्रणाली है। सिलिकोनिया  द्वारा सुझाया गया समाधान कई स्वतंत्र रिसीवर/ट्रांसमीटर स्रोत प्रदान कर सकता है जो कि  फेज़-अरे रडार्स  में आवश्यक है, जिसका आमतौर पर उपयोग उपग्रह ट्रैकिंग में किया जाता है।

यहाँ यह स्मरण करना जरूरी है की स्प्रिंट पहल के तहत 18 जुलाई 2022 को नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (एनआईआईओ) के सेमिनार ‘स्वावलंबन’ के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय उद्योग के सामने कुल 75 चुनौतियों को रखा गया था। इस पहल का उद्देश्य ‘आजादी के अमृत-महोत्सव’ के अवसर पर अगस्त 2023 तक भारतीय नौसेना में कम से कम 75 तकनीकों/ उत्पादों को शामिल करना था। आईडीईएक्स ने क्रमशः अक्टूबर 2022 और जनवरी 2023 में डीआईएससी-7  के तहत अपने पहले और पचासवें आईडीईएक्स, स्प्रिंट अनुबंधो पर हस्ताक्षर करने की उपलब्धि हासिल की और इसके कुछ ही महीनों के भीतर सौवें स्प्रिंट (नौसेना) अनुबंध का भी आदान प्रदान किया गया।

(रक्षा क्षेत्र में श्रेष्ठता के लिए नवाचार) आईडीईएक्स के बारे में

अब तक आईडीएक्स को डीआईएससी, प्राइम एंड ओपन चैलेंज  जैसे विभिन्न श्रेणियों की चुनौतियों के तहत व्यक्तिगत रूप से नवप्रवर्तक, कई सूक्ष्म लघु और मध्यम उपक्रमों  और स्टार्टअप्स के माध्यम से 7500 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। आईडीएक्स हजारों नौकरियां उपलब्ध कराने और भारत की प्रतिभा को वापस देश में आकर्षित करने में भी सफल रहा है।

आईडीईएक्स सेवा जरूरतों की मांग का ध्यान रखते हुए, यह सुनिश्चित करने के लिए तीव्र गति से काम कर रहा है कि नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के साथ अपने अनुबंध को समय पर और तार्किक परिणति तक पहुंचाकर नवोदितों और जल्दी ही यूनिकॉर्न बनने जा रही  नवोदितों के लिए अंततः असंख्य विकल्प खोल रहा है।

2018 में प्रधानमंत्री द्वारा आईडीएक्स के बुनियादी प्रारूप की शुरुआत रक्षा क्षेत्र में सह-निर्माण और सह-विकास का मंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।

इसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में योगदान देने और देश में रक्षा और एयरोस्पेस ढांचे को विकसित करने में स्टार्टअप्स को लगाना भी था। आईडीएक्स की स्थापना रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय और इसका कार्यान्वयन डीआईओ के द्वारा किया जा रहा है।

अपने संबोधन में रक्षा सचिव ने भरोसा जताया कि आईडीइएक्स आने वाले समय में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा नवाचार  परितंत्र बनने में मदद करेगा। उन्होंने आईडीइएक्स को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए आईडीइएक्स-टीम, सभी हित-धारकों जिनमें सेवाओं, स्टार्टअप्स, पार्टनर-इन्क्यूबेटर्स भी शामिल हैं, के निरंतर सहयोग की भी सराहना की।

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