स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
प्रधानमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से जी20 के एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम ‘एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023’ के छठे संस्करण का उद्घाटन किया
भारत का स्वास्थ्य संबंधी प्राचीन दृष्टिकोण सार्वभौमिक था। आज जब हम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की बात करते हैं, तो वही विचार काम करता है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने भारत की “प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, ट्रैक रिकॉर्ड और परंपरा” संबंधी ताकत पर प्रकाश डाला
“अच्छे स्वास्थ्य के भारत के दृष्टिकोण का आशय न केवल रोग मुक्त होना है बल्कि सभी के लिए आरोग्य और कल्याण सुनिश्चित करना है”
“जब प्रतिभा की बात आती है, तो दुनिया ने भारतीय डॉक्टरों का प्रभाव देखा है। भारत और विदेश, दोनों जगह हमारे डॉक्टरों का उनकी क्षमता और प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से सम्मान किया जाता है”
‘दक्षिणी दुनिया के देशों की आवाज’ के रूप में, हम एक बेहतर भविष्य की आकांक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं - एक ऐसा भविष्य जहां स्वास्थ्य संबंधी देखभाल सेवा है, न कि व्यवसाय : डॉ. मनसुख मांडविया
“भारत ने मूल्य-आधारित, रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के इरादे से आयुष्मान भारत के चार मुख्य स्तंभों पर आधारित एक मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है”
“न केवल एशिया बल्कि दुनिया में भी सबसे तेजी से बढ़ते चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा के एक स्थल के रूप में भारत की पहचान का श्रेय आधुनिक चिकित्सा और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों के अद्वितीय मिश्रण को दिया जा सकता है, जिसे यह देश पेश करता है”
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26 APR 2023 6:12PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां एक वीडियो संदेश के माध्यम से ‘एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया (एएचसीआई) 2023’ के छठे संस्करण का उद्घाटन किया, जोकि जी20 का एक सह-ब्रांडेड कार्यक्रम है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल, सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रोफेसर डॉ. माणिक साहा इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में सात देशों (बांग्लादेश, मालदीव, सोमालिया, आर्मेनिया, भूटान, नाइजीरिया और मिस्र) के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ-साथ असम के स्वास्थ्य मंत्री श्री केशब महंत, हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल और सिक्किम के पर्यटन मंत्री श्री बेदू सिंह पंथ भी शामिल हुए।
‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के विषय के साथ, इस दो-दिवसीय एएचसीआई कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा के नए केन्द्र के रूप में प्रदर्शित करना और विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा और आरोग्य सेवाओं के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभारना है। इसका उद्देश्य चिकित्सा क्षमता में भारत के महत्व को उजागर करना और भाग लेने वाले देशों के बीच स्वास्थ्य देखभाल सहयोग के अवसरों का निर्माण करना व उनका पता लगाना है।
प्रधानमंत्री ने सभ्यतागत लोकाचार और प्राचीन शास्त्रों से प्रेरणा लेते हुए भारत द्वारा प्रोत्साहित स्वास्थ्य संबंधी समावेशी दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “भारत का स्वास्थ्य संबंधी प्राचीन दृष्टिकोण सार्वभौमिक था। आज जब हम ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की बात करते हैं, तो वही विचार काम करता है।” उन्होंने कहा कि “हमारा दृष्टिकोण केवल मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है, यह पौधों से लेकर जानवरों तक, मिट्टी से लेकर नदियों तक हमारे पूरे इकोसिस्टम तक फैला हुआ है। जब हमारे आस-पास सब कुछ स्वस्थ होगा, तभी हम स्वस्थ रह सकेंगे।” “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के जी20 की भारत की अध्यक्षता के विषय को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि “भारत इस दृष्टिकोण को साकार करने में सुदृढ़ वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों के महत्व को महसूस करता है”। उन्होंने कहा कि “भारत चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा और स्वास्थ्य से जुड़ी श्रमशक्ति की गतिशीलता को एक स्वस्थ पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण मानता है। ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023 इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि “यह एक लोकप्रिय धारणा है कि बीमारी की कमी अच्छे स्वास्थ्य का संकेत है”। उन्होंने कहा कि “अच्छे स्वास्थ्य के भारत के दृष्टिकोण का आशय न केवल रोग मुक्त होना है बल्कि सभी के लिए आरोग्य और कल्याण सुनिश्चित करना है"। उन्होंने कहा, “इसका लक्ष्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना है।”
प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए समग्र स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत की ताकत पर भी प्रकाश डाला कि “हमारे पास प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, ट्रैक रिकॉर्ड और परंपरा है।” उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि “जब प्रतिभा की बात आती है, तो दुनिया ने भारतीय डॉक्टरों का प्रभाव देखा है। भारत और विदेश, दोनों जगह हमारे डॉक्टरों का उनकी क्षमता और प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से सम्मान किया जाता है। इसी तरह, भारत की नर्सें और अन्य देखभाल करने वाले भी प्रसिद्ध हैं। दुनिया भर में कई स्वास्थ्य व्यवस्थाएं हैं जो भारतीय पेशेवरों की प्रतिभा से लाभान्वित होती हैं। भारत में व्यापक सांस्कृतिक, जलवायु संबंधी और सामाजिक आयामों में व्यापक विविधता है। भारत में प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों को विविध अनुभवों से अवगत कराया जाता है। इससे उन्हें कौशल विकसित करने में मदद मिलती है जो विभिन्न परिस्थितियों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। यही कारण है कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी प्रतिभाओं ने दुनिया का भरोसा जीता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि योग और ध्यान जैसी भारतीय प्रथाओं के साथ भारत में निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य की एक महान परंपरा है जो अब वैश्विक आंदोलन बन गई है। उन्होंने आयुर्वेद का भी जिक्र किया जोकि आरोग्य का एक संपूर्ण क्षेत्र है और कहा कि यह स्वास्थ्य के शारीरिक और मानसिक पहलुओं का ध्यान रखता है। उन्होंने कहा, “दुनिया तनाव और जीवन शैली की वजह से होने वाली बीमारियों के उपायों की तलाश कर रही है। भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बहुत सारे उपाय सुझाती है।
दुनिया में कोविड-19 महामारी के प्रभाव को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आपस में गहराई से जुड़ी इस दुनिया में सीमाएं स्वास्थ्य संबंधी खतरों को नहीं रोक सकती हैं। सभी के लिए संसाधनों की समान पहुंच पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “सच्ची प्रगति जन-केन्द्रित होती है। चिकित्सा विज्ञान में चाहे कितनी भी प्रगति क्यों न हो, अंतिम छोर पर रहने वाले अंतिम व्यक्ति तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि टीकों और दवाओं के माध्यम से जीवन बचाने के महान मिशन में भारत को कई देशों का भागीदार होने पर गर्व है। उन्होंने भारत में निर्मित टीकों, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज कोविड-19 टीकाकरण अभियान और 100 से अधिक देशों को कोविड-19 के टीकों की 300 मिलियन खुराक भेजने का उदहारण दिया। उन्होंने इस बात को दोहराया कि यह भारत की क्षमता और प्रतिबद्धता की झलक दिखाता है और यह देश हरेक वैसे देश के लिए एक विश्वसनीय मित्र बना रहेगा जो अपने नागरिकों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है।
इस अवसर पर बोलते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा कि “’दक्षिणी दुनिया के देशों की आवाज’ के रूप में, हम एक बेहतर भविष्य की आकांक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं - एक ऐसा भविष्य जहां स्वास्थ्य संबंधी देखभाल सेवा है, न कि व्यवसाय।” उन्होंने यह भी कहा कि “माननीय प्रधानमंत्री के गतिशील नेतृत्व में, भारत सरकार ने जीवन रक्षक स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता में बड़े अंतर को पाटते हुए और आजीविका तक पहुंचने के मामले में सामान्य स्थिति को बहाल करते हुए कोविड-19 महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए हैं।”
देश में स्वास्थ्य सेवा का एक सुदृढ़ इकोसिस्टम बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों के बारे में बोलते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि “अंतिम छोर तक आपूर्ति, स्वास्थ्य बीमा कवरेज, डिजिटल स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी अवसंरचना के उन्नतीकरण को केन्द्र में रखकर भारत ने आयुष्मान भारत के चार मुख्य स्तंभों पर आधारित एक मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। आयुष्मान भारत के इन चार स्तंभों का निर्माण मूल्य-आधारित, रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के इरादे से किया गया है।
डॉ. मांडविया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की भारी कमी को देखते हुए, भारतीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों में सीमा पार के लोगों का जीवन बचाने में मदद करने की काफी क्षमता है। उन्होंने कहा कि "दुनिया भर में रोगियों से जुड़ी सफलता की कई कहानियां हैं, जिन्हें भारत के आधुनिक उपचार और पारंपरिक चिकित्सा से लाभ हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा में वृद्धि देखी गई है और आज भारत को न केवल एशिया में बल्कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा के एक स्थल के रूप में पहचाना जा रहा है। इसका श्रेय आधुनिक चिकित्सा और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों के अनूठे मिश्रण को दिया जा सकता है, जिसे यह देश पेश करता है।” उन्होंने आगे कहा, “भारत वर्तमान में अस्पतालों की क्षमता निर्माण की सुविधा के लिए द्वीतीयक और तृतीयक स्तर की देखभाल सुविधाओं की कमी वाले कई विकासशील देशों को सहायता प्रदान करता है ताकि वे अपने देश में रोगियों का इलाज कर सकें और विशेष देखभाल के मामलों को भारत भेज सकें।”
स्वास्थ्य सेवा से जुड़े इकोसिस्टम के निर्माण में उद्योग जगत की भूमिका के बारे में बोलते हुए, डॉ. मांडविया ने जोर देकर कहा कि “हमारे उद्योग जिम्मेदार सेवा वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्योग जगत तकनीकी ज्ञान की शक्ति का उपयोग करता है जिसके बिना श्रमशक्ति की क्षमता निर्माण और उनके कौशल को उन्नत करना एक दूर का सपना बना रहेगा।” उन्होंने कहा, “यह उद्योग, नागरिक समाज और संघों का सामूहिक प्रयास है जो भारतीय चिकित्सीय मूल्य यात्रा से जुड़े क्षेत्र को और बढ़ावा देने में मदद करेगा तथा भारत को चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा का ‘पसंदीदा स्थल’ बनाने के माननीय प्रधानमंत्री के सपने को साकार करेगा।”
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एएचसीआई कार्यक्रम के दौरान भारत दौरे पर आए सभी सात देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा भी की।
डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि भारत ने दुनिया भर में "वैश्विक चिकित्सा गंतव्य" के रूप में एक मजबूत हैसियत हासिल की है, जिसमें भारतीय एमवीटी बाजार का आकार 2026 तक वर्तमान 5-6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य से बढ़कर 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। महामारी के बाद एक सुदृढ़ एमवीटी बनाने और भारत में इलाज कराने के लिए विदेशी रोगियों के उपचार की सुविधा के लिए केन्द्र सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि “भारत ने 150 से अधिक देशों को 24-48 घंटों के भीतर ई-मेडिकल वीजा के साथ मेडिकल वीजा व मेडिकल अटेंडेंट वीजा की सुविधा देने की शुरुआत की है। चिकित्सा वीज़ा प्रक्रिया को कई बार देश में प्रवेश करने के साथ-साथ लंबे समय तक रहने की अनुमति देने के लिए सरल बनाया गया है और आयुर्वेद उपचार को भी मेडिकल वीज़ा श्रेणी में शामिल किया गया है।”
डॉ. पॉल ने यह भी कहा कि “भारत सरकार द्वारा दुनिया भर के रोगियों के लिए एक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में भारत को बढ़ावा देने के लिए एक मेडिकल वैल्यू ट्रैवल काउंसिल का गठन किया गया है। इसके अलावा, एमवीटी और आरोग्य पर्यटन के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की गई है ताकि भारत में चिकित्सीय उद्देश्य से जुड़ी यात्रा तथा आरोग्य पर्यटन के विकास को गति प्रदान की जा सके और भारत के प्रतिस्पर्धी लाभ को बनाए रखा जा सके। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, आयुष मंत्रालय चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना के तहत कुशल श्रमशक्ति की उपलब्धता तथा मौजूदा कुशल मानव संसाधनों की क्षमता निर्माण के मामले में व्याप्त अंतर को पाटने और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास के घटकों के साथ चिकित्सीय मूल्य यात्रा से संबंधित केन्द्रीय क्षेत्र की एक योजना लेकर आया है।
प्रोफेसर डॉ. माणिक साहा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का भारत का दृष्टिकोण जिसमें सभी प्राणियों के लिए समग्र स्वास्थ्य देखभाल शामिल है, बीमारियों को रोकने, लागत कम करने, खाद्य सुरक्षा में सुधार करने और जिंदगी को बचाने में मदद करेगा।
श्री प्रेम सिंह तमांग ने चिकित्सीय मूल्य यात्रा को मजबूत करने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने में एबीडीएम, एचडब्ल्यूसी, पीएमजेएवाई आदि के माध्यम से टेली-परामर्श सेवाओं जैसी डिजिटल पहलों के सकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया।
विश्व बैंक ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान महामारी कोष के मामले में भारत की अगुवाई की प्रशंसा की और कहा कि वास्तव में 'फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड' के रूप में अपनी ख्याति के अनुरूप खरा उतरते हुए एक मजबूत भारतीय फार्मा आपूर्ति श्रृंखला और कच्चे माल की उपलब्धता महामारी के दौरान दुनिया के लिए एक बड़ा सहारा साबित हुई। घाना और मालदीव ने भी भारत द्वारा इस तरह के वैश्विक कार्यक्रम के आयोजन और इसके लिए भागीदार देशों को आमंत्रित करने की सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में और आगे सहयोग के लिए समर्थन का आश्वासन दिया। मालदीव ने विशेष रूप से दवाओं और टीकों सहित भारत की चिकित्सा सहायता के लिए धन्यवाद दिया। दोनों देश सक्रिय रूप से चिकित्सा सेवा से जुड़े पेशेवरों की क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने की दिशा में निकट सहयोग की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।
अफ्रीका, मध्य पूर्व, सीआईएस और सार्क के 73 देशों के लगभग 125 प्रदर्शकों और 500 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने इस शिखर सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और विदेशी प्रतिभागियों को एक मंच पर एकसाथ लाने और उन्हें आपस में जोड़ने के लिए अफ्रीका, मध्य पूर्व, स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल, सार्क और आसियान के क्षेत्र में 70 से अधिक नामित देशों के प्रतिनिधियों के साथ रिवर्स क्रेता - विक्रेता बैठकें और बी2बी बैठकें भी निर्धारित की गई हैं। इस कार्यक्रम में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) द्वारा तैयार “हेल्थकेयर बियॉन्ड बाउंड्रीज़” नाम के एक नीति पत्र का अनावरण भी किया गया।
एएचसीआई के छठे संस्करण में विभिन्न हितधारकों के साथ संवादात्मक सत्र के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, उद्योग मंचों, स्टार्टअप आदि के प्रतिष्ठित वक्ताओं और विशेषज्ञों के साथ पैनल चर्चा भी होगी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, आयुष सचिव श्री राजेश कोटेचा, एफएसएसएआई की सीईओ श्रीमती जी. कमला वर्धन राव, अपर स्वास्थ्य सचिव श्री लव अग्रवाल, अपोलो अस्पताल की संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं फिक्की की पूर्व अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी और प्रमुख भारतीय अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कल्याण संगठनों के प्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।
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