स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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माननीय प्रधानमंत्री ने वाराणसी में वन वर्ल्ड टीबी समिट 2023 का उद्घाटन किया


टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए टीबी-मुक्त पंचायत पहल और टीबी निवारक थेरेपी के लिए नई छोटी व्यवस्था शुरू की

टीबी उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य कर्मियों, नि-क्षय मित्रों और टीबी विजेताओं के अथक परिश्रम के लिए उनके योगदान की सराहना की

“एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना में झलकता है, हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम इस दर्शन को अपनाएं और एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास करें जहां हर कोई समानता और सम्मान के साथ रह सके, और खराब स्वास्थ्य और टीबी जैसे संक्रामक रोगों से मुक्त हो”

“नि-क्षय मित्रों ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है, जिससे यह संभवतः टीबी के लिए दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक पहल बन गई है”

“नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआईआरटी) जैसे आईसीएमआर के संस्थानों ने दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय तपेदिक प्रसार सर्वेक्षण पूरा किया है, जिसने हमें लक्षित कार्यक्रम संबंधी गतिविधियों के लिए राज्य स्तर पर टीबी के बोझ को समझने में मदद की”

“भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने सब-नेशनल सर्टिफिकेशन (एसएनसी) कार्य को लागू किया है, एक अभिनव वैज्ञानिक पद्धति जिसके माध्यम से जिलों को उनके उन्मूलन की प्रगति के लिए सत्यापित किया जाता है”

डॉ. मनसुख मांडविया ने 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए जन आंदोलन और जनभागीदारी के महत्व को दोहराया

“जब हम सभी अपनी अनूठी क्षमताओं से एक बड़े उद्देश्य के लिए योगदान करते हैं, तो हमारे प्रयास सफल होने के लिए बाध्य होते हैं। उद्यम की ऐसी भावना से मुझे विश्वास है; हम 2025 तक टीबी को खत्म कर देंगे”

टीबी उन्मूलन में भारत दुनिया को प्रेरित कर रहा है। हर देश में नि-क्षय मित्र पहल होनी चाहिए। जिस तरह से यह सब-नेशनल में भी हो रहा है, मैं उसे सलाम करती हूं, पायलट मोड में नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर: डॉ. लुसिका डिटियू

Posted On: 24 MAR 2023 2:56PM by PIB Delhi

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वाराणसी में नागरिकों से टीबी उन्मूलन की दिशा में युद्ध स्तर पर जन भागीदारी की भावना से सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह करते हुए कहा, “भारत के प्रयास टीबी पर वैश्विक युद्ध के लिए एक नया मॉडल हैं।प्रधानमंत्री ने आज यहां वन वर्ल्ड टीबी समिट 2023 का उद्घाटन किया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, नाइजीरिया के स्वास्थ्य मंत्री श्री इमानुएल ओसागी एहनिरे, ब्राजील के उप स्वास्थ्य मंत्री श्री एथेल लियोनोर नोआ मैकियल, विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय की निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह और स्टॉप टीबी की कार्यकारी निदेशक डॉ. लुसिका डिटियू भी शिखर सम्मेलन में उपस्थित थी।

कई राज्यों के राज्यपाल, अनेक राज्यों के स्वास्थ्य सचिव और राज्यों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक ऑनलाइन शामिल हुए। इस कार्यक्रम में कंपनियों, उद्योगों, नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों और टीबी चैंपियंस के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी को खत्म करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2018 में दिल्ली एंड टीबी शिखर सम्मेलन में यह दृष्टिकोण पहली बार व्यक्त किया गया था।

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प्रधानमंत्री ने वार्षिक भारत टीबी रिपोर्ट 2023” का विमोचन किया, जो 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में देश के प्रयासों का संकलन है। उन्होंने पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल लॉन्च किया। यह मॉड्यूल भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के माध्यमिक और तृतीयक स्तरों के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, बीमारी से जुड़े कलंक को खत्म करने और सेवाओं की निगरानी और सुधार में मदद करने के लिए 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के समर्थन का लाभ उठाने के लिए टीबी-मुक्त पंचायत पहल की भी शुरुआत की। टीबी के संक्रमण को रोकने के लिए एक नए उपचार के तौर पर प्रीवेंटिव थेरेपी भी शुरू की गई - जिससे रोग के प्रसार को रोका जा सके। साथ ही, टीबी से प्रभावित परिवारों का हित सुनिश्चित करने के लिए एक परिवार-केंद्रित देखभाल मॉडल की भी घोषणा की गई।

प्रधानमंत्री ने वाराणसी में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और उच्च नियंत्रण प्रयोगशाला केंद्र की आधारशिला भी रखी और मेट्रोपॉलिटन पब्लिक हेल्थ सर्विलांस यूनिट के लिए साइट का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने प्रमुख कार्यक्रम संकेतकों के आधार पर महत्वपूर्ण प्रगति करने के लिए राज्यों और जिलों को भी सम्मानित किया। राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणी में कर्नाटक और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को सम्मानित किया गया और नीलगिरी (तमिलनाडु), पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) और अनंतनाग (जम्मू- कश्मीर) को जिला स्तर के पुरस्कार दिए गए।

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सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब वसुधैव कुटुंबकम्की भावना में झलकता है, एक संस्कृत वाक्यांश जिसका अर्थ है दुनिया एक परिवार है। प्रधानमंत्री ने वन वर्ल्ड टीबी समिटको वसुधैव कुटुम्बकमके भारतीय दार्शनिक सिद्धांत का प्रतीक बताते हुए कहा कि हमारे लिए यह अनिवार्य है कि हम इस दर्शन को अपनाएं और एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयास करें जहां हर कोई समानता और सम्मान के साथ रह सके और खराब स्वास्थ्य और टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों से मुक्त हो सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2025 तक टीबी को खत्म करने की भारत की साहसिक प्रतिबद्धता ने दुनिया को दिखाया कि भारत चुनौती से नहीं डरेगा और इसके बजाय एक मजबूत और दृढ़ पहल शुरू करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 महामारी से नुकसान के बावजूद, देश ने मजबूती से भरपाई की है और यहां तक कि टीबी मामले से संबंधित विवरण में महामारी से पहले के स्तर को भी पीछे छोड़ दिया है।

समय-समय पर कोविड महामारी से जुड़ी पहल के लिए फिर से तैयार किए जाने के बावजूद टीबी के लिए अथक परिश्रम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने उनसे अच्छा काम जारी रखने की अपील की और टीबी के लिए उनसे वही 5टी दृष्टिकोण (ट्रेस, टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट एवं टेक्नोलॉजी) को अपनाने के लिए कहा, जैसा कि कोविड महामारी के दौरान किया गया था।

श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत ने अपनी जी20 अध्यक्षता के तहत स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के रूप में वैश्विक महत्व की चिंताओं की पहचान की। उन्होंने कहा, “इनमें डिजिटल समाधानों का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावशीलता और पहुंच में सुधार करना, फार्मास्यूटिकल विकास और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सहयोग को मजबूत करना, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध से निपटना, “वन हेल्थपर ध्यान केंद्रित करना शामिल है और इन सभी में टीबी के खिलाफ भारत और दुनिया की लड़ाई के साथ मजबूत आवाज है।

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श्री नरेन्द्र मोदी ने दर्शकों को भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की जबरदस्त सफलता के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस (एनआईआरटी) जैसे आईसीएमआर संस्थानों ने दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय टीबी संक्रमण सर्वेक्षण पूरा किया है, जिसने हमें लक्षित कार्यक्रम संबंधी क्रियाकलापों के लिए राज्य स्तर पर टीबी के बोझ को समझने में मदद की है।उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उप-राष्ट्रीय प्रमाणन (एसएनसी) कार्य को लागू करने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश है। यह एक अभिनव वैज्ञानिक पद्धति है,जिसके माध्यम से जिलों को उनके उन्मूलन की प्रगति के लिए सत्यापित किया जाता है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि टीबी रोगियों के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के तहत 75 लाख से अधिक टीबी रोगियों के खाते में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि ट्रांसफर की गई है।

प्रधानमंत्री ने नि-क्षय मित्र के रूप में बड़ी संख्या में एक साथ आगे आकर टीबी पर काबू पाने के लिए रोगियों को अतिरिक्त पोषण और भावनात्मक सहायता प्रदान करने वाले नागरिकों, उद्योगों, नागरिक समाज और गैर-सरकारी संगठनों के योगदान को स्वीकार करते हुए कहा, “नि-क्षय मित्र ने 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दिया है। यह संभवतः टीबी के लिए दुनिया की सबसे बड़ी सामुदायिक पहल है।उन्होंने यह भी कहा कि यह जनभागीदारी एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है और सबका साथ, सबका विकास, सबका स्वास्थ्यसच्चे लोकतंत्र की मिसाल है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक टीबी पहल का नेतृत्व करने के लिए भारत की अनूठी स्थिति पर भी जोर दिया और प्रौद्योगिकी, डिजिटल नवाचारों, डेटा विज्ञान और महामारी विज्ञान में भारत की ताकत पर प्रकाश डाला। उन्होंने नि-क्षय पोर्टल जैसे भारतीय नवाचारों की ओर इशारा किया, जो एक अनुकरणीय मॉडल है और प्रत्येक टीबी रोगियों की देखभाल के पूरे चरण को ट्रैक करता है। उन्होंने कहा कि टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी के लिए नए छोटे उपचार के नियम हैं, इसके तहत केवल 12 सप्ताह के लिए सप्ताह में एक बार दवा लेनी होती हैं, जबकि पहले के नियम के अनुसार 6 महीने तक प्रत्येक दिन दवा लेनी होती थी।

प्रधानमंत्री ने तकनीकी उपकरणों, निदान, दवाओं के साथ अन्य देशों का समर्थन करने की पेशकश की और टीबी को समाप्त करने के लिए एक दूरदर्शी वैश्विक रणनीति बनाने में मदद करने की पेशकश की, जिसमें कहा गया कि हमारे लिए दुनिया हमारा परिवार है और हम आपकी किसी भी सहायता के लिए तैयार हैं।उन्होंने विश्व के नेताओं से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) तक पहुंचने के लिए टीबी के खिलाफ प्रयासों को बढ़ाने की अपील की।

प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में किए गए कुछ महत्वपूर्ण पहलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए मुफ्त आवश्यक दवाओं, निदान और टेलीमेडिसिन सेवाओं से लैस भारत में 1.5 लाख से अधिक आयुष्मान भारत-हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर के निर्माण के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 500 मिलियन से अधिक लोगों को देश के सभी हिस्सों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए शुरू की गई कुछ नई योजनाओं के रूप में मुफ्त माध्यमिक और तृतीयक देखभाल के लिए पात्र बनाया गया है। श्री मोदी ने कहा, “2014 से कई नए टीकों की शुरुआत के साथ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर 32, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 33 अंकों की भारी गिरावट (130 से 97 प्रति लाख जीवित जन्म) हो गई है, जबकि 8 राज्य पहले से ही उसी अवधि में एमएमआर (समान अवधि में 70/प्रति लाख जीवित जन्म से कम) से संबंधित एसडीजी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा, “मिशन इन्द्रधनुष के परिणामस्वरूप टीकाकरण कवरेज में तेजी से वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रथा के रूप में कोविड-19 महामारी से निपटने पर भारत की ओर से प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारी वैक्सीन निर्माण क्षमताओं और फार्मा उद्योगों ने सुनिश्चित किया है कि हम कोविड के टीकों और टीबी की दवाओं की वैश्विक मांग को पूरा करें। हमारा फार्मा उद्योग टीबी की दवाओं की वैश्विक मांग का लगभग 80 प्रतिशत पूरा करता है और अब हमारे नवप्रवर्तकों ने दुनिया को स्वदेशी आणविक निदान प्रदान किया है।उन्होंने यह भी कहा कि भारत में अनुसंधानकर्ता और वैज्ञानिक टीबी की रोकथाम को लेकर टीका की खोज करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने टीबी को हराने और टीबी से लड़ने में अन्य नागरिकों की मदद करने के लिए टीबी विजेताओं की सराहना करते हुए अपने संबोधन का समापन किया। उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों को टीबी उन्मूलन के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वे स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं - टीबी के खिलाफ इस लड़ाई में रोगियों के साथ खड़े हैं।

डॉ. मनसुख मांडविया ने टीबी कार्यक्रम की सफलता की सराहना की और कोविड-19 के खिलाफ देश के प्रत्युत्तर को देखते हुए 2025 तक टीबी उन्मूलन में अपना विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वन अर्थ, वन हेल्थ का लोकाचार माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो देशों के बीच अधिक सहयोग के लिए एक अग्रणी आवाज रहे हैं।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नि-क्षय मित्र पहल के शुभारंभ के बाद से केवल 15 दिनों की अवधि में 50,000 से अधिक लोगों ने नि-क्षय मित्र बनने के लिए आवेदन किया। टीबी उन्मूलन और लोगों के आंदोलन के लिए नीचे से ऊपर की रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर देते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा, “जब हम सभी एक बड़े उद्देश्य के लिए अपनी अनूठी क्षमताओं में योगदान करते हैं, तो हमारे प्रयास निश्चित रूप से सफल होते हैं। उद्यम के ऐसी उत्साह से मुझे विश्वास है कि हम 2025 तक टीबी को खत्म कर देंगे।

श्री योगी आदित्यनाथ ने वन वर्ल्ड टीबी समिट के आयोजन स्थल के रूप में वाराणसी का चयन करने के लिए देश के नेतृत्व का आभार व्यक्त किया। उन्होंने टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में ग्राम प्रधानों का समर्थन पाने हेतु टीबी मुक्त पंचायत पहल शुरू करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।

डॉ. लुसिका डिटियू ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया में एक हजार साल पुरानी बीमारी यानी टीबी पर चर्चा करने के लिए शिखर सम्मेलन हजारों साल पुराने शहर में हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत पर टीबी का बहुत अधिक बोझ है लेकिन बीमारी को खत्म करने के लिए सबसे अच्छी योजना, महत्वाकांक्षा और इच्छाशक्ति भी है। उन्होंने भारत की जी-20 अध्यक्षता के वैश्विक कल्याण के उत्साह पर जोर देते हुए थीम - वन वर्ल्ड वन हेल्थ के महत्व को समझाया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे देशों के प्रयासों के कारण, इतिहास में पहली बार टीबी की पहचान और इलाज नहीं कराने वालों की संख्या 30 लाख से नीचे चली गई है। उन्होंने कहा, “भारत टीबी उन्मूलन में दुनिया को प्रेरित कर रहा है। हर देश में नि-क्षय मित्र पहल होनी चाहिए। जिस तरह से पायलट मोड में नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर सब-नेशनल में भी हो रहा है, मैं उसे सलाम करती हूं।

यह कहते हुए कि भारत प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 2025 तक टीबी को समाप्त करने की राह पर है, डॉ. दितू ने वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले उन्मूलन लक्ष्य की दिशा में काम करने में भारत के नेतृत्व की सराहना की, “भारत ने अविश्वसनीय नेतृत्व दिखाया है और कई महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है, जो सरकार के मजबूत संकल्प और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।उन्होंने भारत में व्यापक पैमाने पर टीबी से निपटने को लेकर सराहना की और विश्वास व्यक्त किया कि भारत 2025 तक टीबी को समाप्त कर देगा। उन्होंने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान 22 सितंबर को होने वाली टीबी पर संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक की भी जानकारी दी और बैठक में उपस्थित रहने के लिए प्रधानमंत्री से भी अनुरोध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से टीबी के खिलाफ इस लड़ाई में विश्व के अन्य नेताओं का नेतृत्व करने और उन्हें प्रेरित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “दुनिया वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने और दुनिया भर की सरकारों द्वारा रोग उन्मूलन की प्राथमिकता सुनिश्चित करने के लिए भारत की ओर देख रही है।

 

पृष्ठभूमि:

मार्च 2018 में, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2025 तक भारत से टीबी को खत्म करने की प्रतिबद्धता जताई, जबकि शेष विश्व में 2030 तक टीबी से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। माननीय प्रधानमंत्री ने महान चिंतन और नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए, टीबी को खत्म करने के लिए एक नए दृष्टिकोण का आह्वान किया। इसके तुरंत बाद, राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की रणनीति में संशोधन किया गया और विभिन्न रोगी-केंद्रित योजनाओं और पहलों की शुरुआत की। 2022 में, भारत ने टीबी रोगियों की अब तक की सबसे अधिक सूचना प्राप्त की – 2022 में, 2013 में 14 लाख रोगियों की तुलना में 24.22 लाख से अधिक टीबी के मामलों का पता चला – जो प्रत्येक रोगी तक पहुंच कायम करने में भारत के कार्यक्रम की प्रभावशीलता को दर्शाता है। निजी क्षेत्र की भागीदारी, संक्रमित मरीजों की खोज, हेल्थ एंड वैलनेस केंद्रों के माध्यम से सेवाओं का विकेंद्रीकरण, सामुदायिक जुड़ाव और नि-क्षय पोषण योजना जैसी रणनीतियों ने भारत के टीबी प्रबंधन से जुड़े प्रयासों को बदल दिया है और इसे रोगी केंद्रित बना दिया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा आयोजित वन वर्ल्ड टीबी समिट ने दुनिया के लिए भारत की टीबी शिक्षा को ऐसे समय में प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया जब देश जी20 देशों का नेतृत्व कर रहा है। इस आयोजन में विचार-विमर्श से भारत द्वारा अपनी टीबी उन्मूलन प्रत्युत्तर को मजबूत करने के लिए शुरू की गई प्रमुख रणनीतियों को उजागर करने में मदद मिली है। शिखर सम्मेलन के बाद, देश के प्रतिनिधियों ने टीबी देखभाल को विकेंद्रीकृत करने और इसे लोगों के करीब ले जाने के लिए भारत में लागू किए जा रहे अभिनव दृष्टिकोणों के बारे में जानने के लिए आयुष्मान भारत - हेल्थ एंड वैलनेस केंद्रों और ग्राम पंचायतों का दौरा किया।

इस कार्यक्रम को यहां देखें: https://www.youtube.com/watch?v=ulCtyxszN_k

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