संस्‍कृति मंत्रालय

सिविल-20 इंडिया की स्थापना बैठक नागपुर में शुरू


भविष्य एकल संस्थानों का नहीं बल्कि सहयोग करने वालों और घुलने-मिलने वालों का है और सभी को समावेशन के सार्वभौमिक कानून का पालन करना चाहिए: अध्यक्ष, सी-20, माता अमृतानंदमयी देवी

नागरिक समाज की एक मजबूत व्यवस्था की आवश्यकता है ताकि सरकार  अंतिम व्यक्ति की आवाज सुने: देवेन्‍द्र फडणवीस, उप-मुख्यमंत्री महाराष्ट्र

अपनी जी-20 अध्यक्षता के तहत, भारत को आर्थिक और औद्योगिक दृष्टि से कम विकसित देशों के अधिक प्रभावी प्रतिनिधित्व के लिए आवाज उठानी चाहिए: नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी

नागपुर में सिविल-20 स्थापना बैठक में 26 देशों के 357 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं

Posted On: 20 MAR 2023 7:00PM by PIB Delhi

सिविल-20 इंडिया की अध्यक्ष माता अमृतानंदमयी देवी ने आज (20 मार्च, 2023) नागपुर में सिविल-20 इंडिया 2023 के उद्घाटन सत्र में कहा कि भविष्य एकल संस्थाओं का नहीं है, बल्कि उनका है जो सहयोग करते हैं और घुलते-मिलते हैं और सभी को समावेशन के सार्वभौमिक कानून का पालन करना चाहिए। सत्र की अध्यक्षता माता अमृतानंदमयी देवी ने की और नोबेल पुरस्कार विजेता व सत्यार्थी फाउंडेशन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी इसमें मुख्य अतिथि थे। सम्मानीय अतिथियों में महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष और सिविल-20 इंडिया 2023 सचिवालय के संरक्षक डॉ. विनय सहस्रबुद्धे, सिविल-20 इंडिया 2023 शेरपा और पूर्व राजदूत विजय नांबियार, सिविल-20 इंडोनेशिया के शेरपा अहमद मफ्तुचन, गेस्टोस, ब्राजील से एलेसेंड्रा निलो और सिविल-20 के ट्रोइका सदस्य, और कन्याकुमारी में विवेकानंद केंद्र की उपाध्यक्ष निवेदिता भिडे शामिल थे।

इस अवसर पर, सिविल-20 इंडिया की चेयर अमृतानंदमयी देवी ने कहा कि लोग दुनिया में दो प्रकार की गरीबी का अनुभव करते हैं- पहली भोजन और आश्रय की गरीबी और दूसरी प्रेम व करुणा की गरीबी है। उन्होंने कहा कि प्रेम और करुणा के गुणों को विकसित करने की आवश्यकता है। मानव संस्कृति के फलने-फूलने के लिए विविधता का एक स्वस्थ मिश्रण आवश्यक है। अमृतानंदमयी देवी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बहुत प्रगति की है जिससे एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से भारत की धरती का मंत्र रहा है 'विश्व एक परिवार है'। आज भी यही है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। जी-20 राष्ट्रों की अध्यक्षता दुनिया के सामने इस वास्तविकता को प्रस्तुत करने का एक अनूठा अवसर है।

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महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर शहर में आए हुए सभी मेहमानों एवं प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जी-20 का लोकतांत्रीकरण हुआ है। यह एक जन आंदोलन बन गया है। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकारों के पास कानूनी शक्ति तो है लेकिन नागरिक समाज के पास नैतिक शक्तियां हैं। महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिक समाज की एक मजबूत प्रणाली की जरूरत है ताकि सरकार द्वारा समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज सुनी जा सके।

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डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि इस स्थापना सम्मेलन में 357 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सी-20 की स्थापना बैठक में भाग लेने के लिए 26 देशों के प्रतिनिधि और 130 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि नागपुर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक स्वायत्त समाज में विश्वास करता है और यह भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि यह अधिकार आधारित दृष्टिकोण से कर्तव्य आधारित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने का समय है। उन्होंने सिविल-20 इंडिया सचिवालय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।

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सिविल-20 इंडिया 2023 के शेरपा श्री विजय नांबियार ने सभी प्रतिभागियों और सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि सिविल-20 इंडिया 2023 का स्थापना सम्मेलन नागरिक समाज के समूहीकरण की दिशा में एक बैठक है।उन्होंने कहा कि नागरिक समाज संगठन (सीएसओ) शासन के लिए एक मजबूत सहारा रहे हैं और वे आगे भी इस भूमिका में बने रहेंगे। उन्होंने कहा, “इन प्रयासों में पूरक और सहायक बनने के लिए, नागरिक समाज संगठनों के भीतर आपस में एक रचनात्मक और सार्थक संबंध होना जरूरी है।उन्होंने कहा कि आपदाओं के समय यह बात सबसे अधिक स्पष्ट तरीके से सामने आई, चाहे वह हाल की महामारी रही हो या पिछले भूकंप और सुनामी का समय। श्री विजय नांबियार ने कहा कि कोई भी सफल हस्तक्षेप सिर्फ नागरिक समाज संगठनों के उपयुक्त जुड़ाव से ही संभव है। नागरिक समाज संगठन सभी बाधाओं से परे जाकर काम कर सकते हैं और विभिन्न सरकारों एवंआम जनता के बीच एक सेतु की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज संगठन शुद्ध शून्य उत्सर्जन से संबंधित प्रतिबद्धताओं को साकार करने और सतत विकास लक्ष्यों में उल्लिखित लक्ष्यों को हासिल करने जैसे आधुनिक समय की समस्याओं को हल करने में भीएक अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिविल-20 इंडिया 2023 का प्रतीक चिन्ह निस्वार्थ सेवा को दर्शाता है और इसका टैगलाइन यू आर द लाइटहर किसी से अपना रास्ता खुद तैयार करने का आग्रह करता है।

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नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि सिविल-20 के आध्यात्मिकता से प्रेरित होने का यह पहला अवसर है। उन्होंने कहा, “‘वसुधैव कुटुम्बकमऔर 'एक पृथ्वी, एक परिवार एक भविष्य' केवल नारे मात्र नहीं हैं, बल्कि उनकी जड़े आध्यात्मिकता में निहित हैं।उन्होंने कहा कि भारत एक बिलियन समाधानों की जन्‍मभूमि है। उन्होंने कहा कि आरंभिक  सम्मेलन में एकत्रित हुए 26 देशों के 130 लोगों ने इस विश्व को एक परिवार बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम और बेटी बचाओ बेटी पढाओ कार्यक्रम जैसे दुनिया के कुछ बेहतरीन सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम हैं। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि अपनी जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत भारत को ग्‍लोबल साउथ का अधिक प्रभावी प्रतिनिधित्व करने के लिए आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को करुणा के वैश्वीकरण का भी नेतृत्व करना चाहिए।

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अहमद मफ्तुचन ने नागपुर में स्थापना बैठक की मेजबानी के लिए सिविल-20 भारत 2023 को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सिविल सोसायटी से संबंधित लोगों का एक महत्वपूर्ण जमावड़ा रहा । उन्होंने कहा कि सीएसओ नेताओं को जी-20 के साथ अपने संबंध को मजबूत करना चाहिए।

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एलेसेंड्रा निलो ने कहा कि आज की दुनिया में सिविल सोसायटी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सिविल-20 द्वारा आधुनिक समाज के समक्ष आने वाली समस्याओं को हल करने हेतु अथक रूप से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारों द्वारा क्रमिक रूप से व्‍यक्‍त की गई प्रतिबद्धताओं का कार्यान्वयन या तो पिछड़ रहा है या उनकी  उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकारों द्वारा सिविल सोसायटी के साथ प्रभावपूर्ण संबंधों से ही इन प्रतिबद्धताओं का कार्यान्वयन संभव होगा।

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सिविल-20 भारत 2023 के सूस-शेरपा स्वदेश सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि सिविल-20 इंडिया की टैगलाइन 'यू आर द लाइट' सिविल-20 भारत 2023 स्थापना सम्‍मेलन में अपने चरम तक पहुंची है।

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