उप राष्ट्रपति सचिवालय
azadi ka amrit mahotsav

आईआईएम बेंगलूरु में उपराष्ट्रपति के भाषण का मूलपाठ (अंश)

Posted On: 01 MAR 2023 7:35PM by PIB Delhi

हम भाग्यशाली हैं कि हमें 1991 आईएएस और आईआईएम बेंगलूरु के पूर्व छात्र, राज्यसभा में सचिव के रूप में मिले हैं। मुझे यकीन है कि वह असहज महसूस करेंगे और वह इसके लिए तैयार नहीं हैं... लेकिन उन्होने बड़ा बदलाव किया है। उन्होंने राज्य सभा के मामलों से निपटने में मेरे दृष्टिकोण में भारी बदलाव किया है और यह बदलाव गुणात्मक रूप से बहुत उपयोगी है। इसलिए मैंने सोचा कि मैं इस संस्थान के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करूंगा जो उच्च सदन, काउंसिल ऑफ स्टेट को लाभान्वित करता है।

मैं आपके साथ कुछ विचार साझा करना चाहता हूं। मैं भी आप में से एक हूं। क्यों ? मैं भी शिक्षा की वजह से बना हूं। मैं एक छोटे से गांव में था जहां बिजली नहीं थी, सड़क नहीं थी। मैं भाग्यशाली था कि जब मैं पांचवीं कक्षा में था तब छात्रवृत्ति मिली और सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ गया और इसने मेरा जीवन बदल दिया।

अपने अनुभवों के आधार पर मेरी एक सलाह है - तनाव न लें, दबाव न लें और गलती करने से कभी न डरें। जिस क्षण आप गलती करने से डरते हैं, आप उद्यम नहीं कर पाएंगे। ऐतिहासिक रूप से, यदि आप उन सभी विकासों का विश्लेषण करें जिन्होंने समाज और मानवता में अच्छी चीजों को आकार दिया है, तो यह कभी भी पहले प्रयास में संभव नहीं हुआ था।

दूसरी बात, मानवता पर हम जो सबसे अन्याय कर सकते हैं, वह है अपने शानदार विचार के बारे में बात न करना और दूसरा यह कि शानदार विचार रखना उसके बारे में बोलना लेकिन उस पर अमल नहीं करना।

हमारे प्रधान मंत्री को देखें, दो साल में एक नई संसद होगी। क्या आप कभी कल्पना कर सकते हैं कि मौजूदा संसद भवन को बनने में इससे ज्यादा समय लगा होगा। माननीय प्रधान मंत्री जी के मन में आया कि हमें एक नई संसद की आवश्यकता है।

मैं 1989 में संसद के लिए चुना गया था। मैं 1989 में केंद्रीय मंत्री था। मेरे बस में कुछ चीजें थी - 50 गैस कनेक्शन जो मैं किसी को भी दे सकता था। लोकतंत्र की सबसे बड़ी जननी के एक सांसद की शक्ति की कल्पना कीजिए कि वह एक साल में 50 गैस कनेक्शन  किसी को भी देकर कितना गर्व महसूस करता है। अब मौजूदा व्यवस्था को देखें। जिन परिवारों को इसकी जरूरत है, उन्हें 17 करोड़ गैस कनेक्शन मुफ्त दिए गए। क्या यह दिमाग चकरा देने वाला नहीं है?

कोविड के दौरान प्रधानमंत्री ने तीन कदम उठाए। एक था जनता कर्फ्यू, यह सबसे शुरुआती सबसे नवीन तंत्र था, राज्यपाल के रूप में मैं इसका हिस्सा था। कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाया, यह क्या है? उन्हें यह विचार कहां से मिला लेकिन फिर पीछे मुड़कर देखें तो यह दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण जन जागरूकता कार्यक्रम था जिसमें राज्य के नियामक शासन को लागू नहीं किया गया था । लोग आगे आए। यह बहुत अच्छा था। उन्होंने हमें अवगत कराया कि हमारे सामने एक खतरा आने वाला है। कोविड महामारी ने मानवता को प्रभावित किया। उन्होंने सोचा कि नई सोच ही एकमात्र रास्ता हो सकता है। इसका उपहास उड़ाया गया।

इसके असर पर चिंतन करें क्योंकि युवा दिमाग जो यहां हैं, आप भविष्य हैं। आप इस देश को अपने कंधों पर उठाना चाहते हैं। आप 2047 के योद्धा हैं। 2047 में भारत क्या होगा, यह आपके प्रयासों से तय होगा, इसलिए इस पर ध्यान दें। पहली प्रतिक्रिया थी, कोविड कहां है? यह सब राजनीति है। लेकिन कोविड आया था। आप बाहर से वैक्सीन क्यों नहीं मंगवाते? आप इनोवेशन में क्यों लगे हैं? अब, अपनी बुद्धिमत्ता, अपनी प्रतिभा पर विश्वास न करना और किसी और की प्रतिभा की मदद लेना मूर्खता होगी। उन्होंने कहा नहीं, अगर यह टीका सफल नहीं होता है तो एक और टीका है और वह टीका विश्व स्तर पर सफल हो रहा है। आखिरकार, हम कहाँ हैं? दुनिया हमें देख रही है। 1.4 अरब लोग कोविड से कैसे निपट सकते हैं? आप कैसे 220 करोड़ खुराक दे सकते हैं और सभी को डिजिटल रूप से मैप भी किया जा सकता है। दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं कर पाया है।

जब मैंने अपनी पहली विदेश यात्रा की, हल्के-फुल्के अंदाज में मैंने अपने देश में कहा हमारी लीडरशिप ने कागज उद्योग की परवाह नहीं की। वह व्यक्ति जो मुझे देख रहा था, थोड़ा हैरान हुआ। इसका क्या मतलब है? मैंने कहा कि अगर हम कागज पर प्रमाणपत्र दे रहे होते तो कागज उद्योग फलता-फूलता। 220 करोड़ प्रमाणपत्रों का कई बार कागज पर इधर से उधर भेजा जाता, कागज उद्योग को समृद्ध होना ही था। हमने उसकी परवाह नहीं की, हमने तकनीक की परवाह की।

हमारे कोविड प्रबंधन का विश्व स्तर पर सम्मान किया जाता है। और क्यों? कोविड योद्धाओं के कारण।

मैं प्रधानमंत्री के आह्वान पर कोविड के दौरान घंटी बजा रहा था। मैं यह उन लोगों के लिए कर रहा था जो हमारे जीवन की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर बड़ा त्याग कर रहे थे। वह बहुत अच्छा भाव था। हमने इस देश में जो कुछ हासिल किया है, उसे मैं संक्षेप में बताता हूं। एक अर्थव्यवस्था के रूप में सितंबर 2022 में हमने एक ऐतिहासिक प्रगति की। हम पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गए। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है: अधिक महत्वपूर्ण, हमने अपने पूर्व औपनिवेशिक शासकों को पीछे छोड़ दिया।

आप में से अधिकांश पूरी जानकारियां रखतें है और उनके पास मुझसे अधिक जानकारियां हैं, दशक के अंत तक हम पृथ्वी की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। यह कैसे होगा? यह स्थापित उद्योगपतियों द्वारा नहीं हुआ है, यह इसलिए हुआ है क्योंकि आप जैसे लोग हैं जिन्होंने स्टार्टअप्स की बड़ी दुनिया में कदम रखा है और उन्होंने विकास को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। और इसलिए हमारे स्टार्टअप उद्योग जगत के दिग्गजों से निवेश आकर्षित कर रहे हैं और ऐसे में उन्हें प्रचार मिलता है कि हाँ एक शीर्ष उद्योगपति ने उस स्टार्टअप में निवेश किया

सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण हमारे पास एक पारिस्थितिकी तंत्र है, अब आप अपनी क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने में सक्षम हैं। पैसा एक बाधा नहीं है। और जो आपको ये बात बता रहा है उसने एक वकील के रूप में शुरुआत की और उसमें अपना करियर बनाया और लोग कहते हैं कि यह एक सफल करियर था। आपको केवल लीक से हटकर सोचना है और आपके पीछे आईआईएम बेंगलूर की प्रतिष्ठित मुहर है।

दूसरी बात, कृपया अपने देश को हमेशा सबसे आगे रखें। हमें गर्व से भरे भारतीय अपनी उपलब्धियों और कौशल पर गर्व करते हैं। हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। क्या हम ऐसी स्थिति का सामना कर सकते हैं कि कोई भी, जैसे की एक सज्जन जिनके समर्थक हैं, लाभार्थी, फिस्कल पेरासाइट और स्लीपर सेल हैं, हमारे देश का अपमान करे और हम चुपचाप रह जाएंगे। नहीं ।

किसी में इतनी क्षमता नहीं है कि कोई हमारी लोकतांत्रिक साख पर सवाल उठा सके। कोई भी देश उतना जीवंत लोकतांत्रिक राष्ट्र नहीं है जितना हम हैं, विशेष रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में । दुनिया में आपको ऐसा सर्वोच्च न्यायालय कहां मिलेगा जो बिजली की गति से काम करता हो? दुनिया में कहां ऐसी सरकार मिलती है जो बड़े-बड़े काम करती है और ये काम प्रत्यक्ष रूप में दिखते हैं।

हमारे पास वंदे भारत है लेकिन हमारे पत्रकार मित्रों की बदौलत हमें केवल एक ही खबर मिलती है, या तो उद्घाटन या पथराव किया जा रहा है। आप चारों ओर देखिए कि क्या हो रहा है। लेकिन अगर हम केवल उस होमवर्क की ओर देखना शुरू कर दें जो किया जाना बाकी है, न कि जो होमवर्क किया जा चुका है, तो शायद हम निराशावाद को आमंत्रित कर रहे हैं और यह उठाए जाने वाले मनोवैज्ञानिक कदमों में से सबसे अच्छा नहीं है।

ऐसी कई उपलब्धियां हैं जिनसे दुनिया हैरान है। उदाहरण के लिए, चारों ओर देखें और आर्थिक जगत के समाचार पत्रों में लगभग हर दिन ये आंकड़े आते हैं कि हमारी तुलना में वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं बहुत कम गति से बढ़ रही हैं। हमें इस तरह की भयावह राजनीति से बेहद सावधान रहने की जरूरत है। हमारे शासन, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और संस्थानों के निष्पक्ष नाम को कलंकित और बदनाम करने के लिए ऐसा काम देश के भीतर और बाहर किया जा रहा है।

मुझे बताएं कि आपने दुनिया में कब किसी जांच को दो दशकों तक चलते देखा है? देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा नियंत्रित एक जांच और, मेरे शब्दों पर ध्यान दें, अब सभी स्तरों पर ट्रायल कोर्ट, उच्च न्यायालय, एसआईटी, सर्वोच्च न्यायालय में 20 साल की जांच के बाद यह 2022 में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले में समाप्त हुआ और अब हमारे पास एक डाक्यूमेंट्री है जिसकी प्रासंगिकता के बारे में 20 वर्षों तक उन्होंने नहीं सोचा था? नहीं । 20 साल उनके लिए प्रासंगिक नहीं थे। देश की सर्वोच्च अदालत देश का एक स्वतंत्र न्यायालय तंत्र 2022 में एक दृढ़ निष्कर्ष पर पहुंचा। आप दूसरी तरह से राजनीति करने की योजना बना रहे हैं और आप चाहते हैं कि राष्ट्रवाद में विश्वास रखने वाला इस देश का नागरिक चुप रहे?

 

क्या आप वास्तव में किसी प्रकार से गलत बात रखने वालों में शामिल हो सकते हैं? क्या आप इस देश में ऐसी जानकारी प्रवाहित कर सकते हैं जो आपको फायदा करें और हम इसका असर खत्म करने की स्थिति में नहीं होंगे? मुझे यकीन है कि उद्योग एंटी-डंपिंग के पीछे का कारण जानता है? घरेलू उद्योग को बचाने के लिए। एंटी डंपिंग अर्थशास्त्र में एक ज्ञात तरीका है और तब इस्तेमाल होता है जब दुनिया का कोई बड़ा औद्योगिक घराना किसी विशेष देश में क्षेत्र के विकास को डंपिंग के माध्यम से रोकना चाहता है। शायद मारुति सफल नहीं होती। अगर उस समय बहुत कम कीमत पर 200,000 कारों की डंपिंग हो सकती थी। इसी तरह सूचना की डंपिंग... हम इसकी क्षतिपूर्ति नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, सरल शब्दों में मैं कहूंगा कि एक शैतान को शास्त्रों का सहारा लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि ऐसा करके आप हमारी बुद्धिमत्ता को चुनौती दे रहे हैं कि आपका काम हमारे साथ पूरी तरह से छल कर रहा है जो कि भयावह है और केवल हमें नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से है। मैं चाहता हूं कि युवा इसके बारे में सोचें। मैं चाहता हूं कि युवा इस पर ध्यान केंद्रित करें।

एक सज्जन हैं जिनकी प्रसिद्धि सिर्फ पैसों से है;वो प्रसिद्धि हैं क्योंकि वो दावा करते हैं कि वह उस पैसे का उपयोग करते हैं। उनकी तीसरा प्रसिद्ध दावा यह है कि वे इस धन का उपयोग बैंकिंग जैसे केंद्रीय संस्थानों पर असर डालने के लिए सफलतापूर्वक करते हैं। वह भूल जाते हैं कि भारत लोकतंत्र की जननी है;सबसे बड़ा लोकतंत्र। उसकी हिम्मत कैसे हुई इसके बारे में सोचने की। उनके समर्थक, उनके लाभार्थी, उनके फिस्कल पेरासाइट, जैसा कि मैंने पहले कहा, या उनके स्लीपर सेल; हमें इसका पर्दाफाश करने के लिए पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है।

कोई भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में मुझसे अधिक विश्वास नहीं करता क्योंकि मैं राज्यसभा का अध्यक्ष हूं; यह सुनिश्चित करना मेरा प्रमुख दायित्व है कि राज्यसभा के प्रत्येक सदस्य को अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता मिले, हमारा संविधान इसका अधिकार देता है। अनुच्छेद 105 कहता है कि एक संसद सदस्य सदन के पटल पर चाहे कुछ भी कहे, उस पर कोई नागरिक कार्रवाई या आपराधिक कार्रवाई नहीं हो सकती है। उनके पास पूरी प्रतिरोधक क्षमता है और यह एक बड़ा विशेषाधिकार है। भले ही 140 करोड़ लोगों ने उनमें से किसी एक को या उनमें से कई लोगों ने सदन के पटल पर दिए गए बयान के बारे में सुना हो। वे असहाय हैं। वे अदालत नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें संवैधानिक छूट मिली हुई है।

अब क्या मैं उस अधिकार के तहत किसी को भी आपके बारे में, आपके संस्थान के बारे में, किसी व्यक्ति के बारे में, असत्यापित और अपुष्ट कार्य के बारे में कोई बयान देने की अनुमति दे सकता हूं।

किसी अभियान का हिस्सा बन कर या किसी अन्य तरीके से, एक गलत कहानी को स्थापित करना? नहीं यह प्रतिरक्षा एक बड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही की गहरी भावना के साथ आती है। मैं राज्यसभा को किसी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सूचनाओं के बिना रोक टोक आने का अखाड़ा नहीं बनने दे सकता। आप कोई भी बयान देने के हकदार हैं, लेकिन इसे प्रमाणित करें, इसके लिए जिम्मेदार बनें।

अब अगर मैं ऐसा करता हूं तो कुछ प्रतिष्ठित समाचार पत्र भी हैं जिनमें संपादकीय होंगे कि उपराष्ट्रपति अभिव्यक्ति को दबा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि आप इसके बारे में सोचें। क्या मुझे देश की, किसी व्यक्ति/क्षेत्र या किसी संस्थान जैसे आपके संस्थान की प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए किसी भी अपुष्ट आरोप को अनुमति देनी चाहिए? अगर कोई कहे कि यह संस्थान इसलिए गिर रहा है क्योंकि निदेशक किसी और के इशारे पर काम कर रहा है, और कोई अन्य एजेंसी यह कर रही है, तो क्या मैं इसकी अनुमति दूंगाहाँ मैं कहूँगा, प्रमाणित करें। और अगर यह प्रमाणित नहीं होता है तो यह विशेषाधिकार हनन है इसका मतलब है कि वह सज्जन व्यक्ति अपनी सदस्यता खो सकता है।

मुझे उम्मीद थी कि मीडिया और बुद्धिजीवी मेरी बात को समझेंगे। मुझे अध्यक्ष के रूप में 140 करोड़ लोगों के हितों और नेताओं को सदन के पटल पर मिली विशाल संवैधानिक शक्ति के बीच संतुलन रखना है । मुझे इसे अब फिर से युवा प्रतिभाशाली दिमागों के सामने रखना होगा क्योंकि हम 2047 में नहीं होंगे। लेकिन मुझे आपकी बुद्धि, प्रतिबद्धता और दिशा से कोई संदेह नहीं है कि भारत शिखर पर होगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि आप अपने दिमाग को एक बिंदु पर सक्रिय करें। 

हमारे पास एक महान संविधान है। संविधान सभा ने तीन साल तक विभाजनकारी मुद्दों, विवादास्पद मुद्दों को निपटाया। लेकिन वहां एक भी गड़बड़ी या व्यवधान नहीं था; कोई शोर शराबा नहीं था, कोई तख्तियां नहीं थीं; कोई भी वेल में नहीं आया। अब अगर मैं राज्य सभा के सभापति के रूप में, संसद सदस्य से कहता हूं, श्रीमान, आइए हम लोकतंत्र की उदात्तता और भावना का अपमान न करें। यह लोकतंत्र का मंदिर है। यह बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए है। क्या मैं इसे विघ्न या हंगामे का अखाड़ा बना सकता हूँ? नहीं। राज्यसभा में हर मिनट का खर्चा करोड़ों में होता है। आपकी संस्था में खर्च होने वाला एक-एक पैसा राष्ट्र कल्याण के लिए जाता है, वैसे ही राज्य सभा का एक-एक पैसा राष्ट्र कल्याण के लिए जाना चाहिए। लेकिन मैंने पाया कि लोग ऐसा नियमित रूप से करते हैं “आज सदन नहीं चला, व्यवधान हो गया, नारेबाजी हो गई”।

ऐसा निराशाजनक परिदृश्य लाने वालों के नाम सामने क्यों नहीं लाने चाहिए और उन्हें शर्मिंदा क्यों नहीं होना चाहिए; लोकतंत्र के हमारे मंदिरों को प्रदूषित कर रहे हैं। और अगर आप सभी को लगता है कि मुझे सदन को बाधित करने की अनुमति देनी चाहिए, तो मैं आपको और आपकी आज्ञा को सलाम करता हूं, लेकिन अगर हम अलग हट कर सोचते हैं, तो यह विशाल लोकतंत्र हकदार है कि संसदीय मामलों के लिए समय को और संभल कर इस्तेमाल किया जाए।

एक राज आपसे साझा करता हूं, मैं 1989 में संसदीय कार्य मंत्री था। सदन में कोई व्यवधान हो तो सरकारें बहुत खुश होती हैं, जैसे पढ़ाई में विश्वास न रखने वाले छात्र हड़ताल होने पर बहुत खुश होते हैं, क्योंकि उन्हें सवालों का जवाब नहीं देना होगा, उन्हें उस बहस का जवाब नहीं देना होगा। लेकिन मैं किसी सरकार या किसी विपक्ष का हितधारक नहीं हूं, मैं वहां आपका प्रतिनिधित्व करता हूं। मैं आपके भविष्य का हितधारक हूं। मैं अपने जीवन को देखता हूं कि कैसे मैं स्कूल जाने के लिए  छह-सात किलोमीटर पैदल दूसरी जगह जाता था।

इसलिए, मैं कुछ लोगों के नाम पर अपने संवैधानिक कर्तव्यों का परित्याग नहीं कर सकता, जो सिर्फ इसलिए कि उन्होने उचित परिश्रम नही किया यह कहते हैं कि सभापति अलग तरह से कार्य कर रहे हैं।  लेकिन अब मेरा काम आसान है। अगर मैं आपको विश्वास दिला पाता, तो यकीन मानिए अब आपके हाथों में शक्ति है कि आप सभी से जुड़ सकें और जानकारी साझा करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर सकें।

हम उन लोगों को नहीं चाहते जो सदन को बाधित करते हैं। हमें वो लोग नहीं चाहिए जो लोकतंत्र के मंदिरों में बहस, संवाद, वाद-विवाद और विचार-विमर्श में शामिल न होते हों। इसलिए मेरी आपसे अपील है कि एक इकोसिस्टम तैयार करें। ताकि एक स्वस्थ परिदृश्य को बढ़ावा मिले।

मैं आईआईएम के चेयरमैन और डायरेक्टर को एक सुझाव देना चाहता हूं। पूर्व छात्र किसी संस्था की ताकत का आधार हैं, जो न केवल संस्था को फलने-फूलने में मदद करेंगे; न केवल संस्था के छात्रों को प्लेसमेंट खोजने में मदद करते हैं; न केवल संस्था की प्रतिष्ठा को बाहर फैलाने में मदद करते हैं; वे एक बड़े राष्ट्रीय हित के लिए भी सेवा करते हैं। इसलिए मैंने सुझाव दिया है कि पूर्व छात्रों की संस्कृति अब सभी संस्थानों से शुरू होनी चाहिए। और प्रमुख संस्थानों में पूर्व छात्रों का एक परिसंघ होना चाहिए जो दुनिया में बेजोड़ थिंक टैंक होगा। हमारे पास पूर्व छात्र संघों का एक परिसंघ होना चाहिए। यह दोहरे उद्देश्य में मदद करेगा (1) वे अपने विचारों को कहने में सक्षम होंगे और एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचेंगे, और (2), वे ऐसा करने के लिए दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित करेंगे।

समाप्त करने से पहले, मेरे पास एक विनम्र विचार है और इसे क्रियान्वित करने के लिए मेरे पास राज्य सभा के सचिव हैं। हम आपके जैसे संस्थानों के निदेशक द्वारा चुने गए छात्रों को राज्य सभा (संसद) आने के लिए आमंत्रित करेंगे और जो दो दिन या तीन दिनों तक स्वयं इस विचार-विमर्श को देखेंगे और आपके ठहरने को यथासंभव आरामदायक बनाने का प्रयास करेंगे ताकि यह सभी तरीके से लाभकारी हो। तभी आप महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगे। मैं इसकी वजह बताता हूंक्योंकि आपकी अपेक्षाएं इतनी बड़ी हैं और जब आप पाएंगे कि परिदृश्य ढह रहा है ऐसे में आप किसी प्रकार का कदम उठाने में सक्षम होंगे ताकि सबसे बड़े लोकतंत्र, लोकतंत्र की जननी के पास एक ऐसी संसद हो जो आकांक्षाओं को पूरा करे और बड़े पैमाने पर लोगों के सपने देखें और आपको इन लोगों का योद्धा बनना होगा।

मुझे यह महान अवसर प्रदान करने के लिए मैं निदेशक का आभारी हूं। जो भी हासिल हुआ है वह उत्कृष्ट है और आप इसका पूरा उपयोग करेंगे। आपको शुभकामनाएं। धन्यवाद

 

जय हिन्द!

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