उप राष्ट्रपति सचिवालय
आईआईटी मद्रास (नवाचार सुविधा केंद्र का उद्घाटन) में उपराष्ट्रपति के भाषण का पाठ (अंश)
Posted On:
28 FEB 2023 3:41PM by PIB Delhi
आजादी के 75वें वर्ष के इस अमृत काल के दौरान शिक्षकों के साथ आईआईटी- मद्रास के निदेशक उन योद्धाओं का निर्माण कर रहे हैं, जो 2047 में भारत की नियति को आकार देंगे।
किसी भी संस्थान के पूर्व छात्र उसका आधार होते हैं। संस्थाएं पूर्व छात्रों के कंधों, उनकी प्रतिष्ठा और उनके योगदान पर आगे बढ़ती हैं।
आइए हम सभी संस्थानों में पूर्व छात्रों के संरचित विकास के लिए एक प्रणाली बनाएं। ये पूर्व छात्र संगठन हमारे राष्ट्रवाद, हमारे आर्थिक राष्ट्रवाद और हमारे विकास पथ का ध्यान रखेंगे।
मैं चाहता हूं कि यह महान संगठन पूर्व छात्र महासंघ का गठन कर सभी पूर्व छात्रों के लिए एकजुट काम करने के लिए एक आधुनिक मंच का निर्माण करने का नेतृत्व करें। सभी ने इस विश्व को बेहतर करने के लिए इससे अधिक प्रभावशाली थिंक टैंक नहीं देखा होगा।
नवाचार केंद्र का उद्घाटन बदलते इकोसिस्टम और नई रूपरेखा की ओर इशारा करता है, जिसका संकेत भारत बड़े पैमाने पर विश्व को दे रहा है।
मेरे सामने उपस्थित यह सभा अधिक विविध भारत और भारत की भावना का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें एक ऊर्जा जीवंतता और सकारात्मकता है। मैं भारत की नियति को देख सकता हूं और यह हमेशा अपने उत्कर्ष पर होगा।
मैं आपके साथ एक छोटा सा उदाहरण साझा करता हूं। जब मैंने राजस्थान में अपना कानूनी पेशा शुरू किया तो गांव का एक स्थानीय विधि स्नातक मेरे कमरे में आएं। वे एक रिक्शे से आए थे। वे अब एक बहुत ही प्रतिष्ठित वकील हैं, लेकिन एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसमें संस्कृति की एक समृद्ध परंपरा थी। वकालत शुरू करने से पहले उन्होंने कभी कोई शहर नहीं देखा था और उस महान सफल वकील के लिए कितना सुखद क्षण है कि उनका बेटा आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग के चौथे सेमेस्टर और उनकी बेटी एमएससी के दूसरे सेमेस्टर की छात्रा हैं।
हमारे पास सकारात्मक सरकारी नीतियों के द्वारा निर्मित एक इकोसिस्टम है और अब हम अपनी डिजिटल क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में सक्षम हैं। और जिस तरह की हिचकिचाहट का सामना हमने अपनी पीढ़ी में की है, वह अब नहीं है।
आईआईटी- मद्रास देश में एक उत्कृष्ट और शीर्ष अभिनव संस्थान है। इसके 620 एकड़ के परिसर में पौधों व जानवरों की 432 प्रजातियां, तितलियों की 50 प्रजातियां और यहां तक कि लुप्तप्राय ब्लैक पैंथर भी पाया जाता है।
आपने एक साल पहले यानी जुलाई, 2022 में लीक से हटकर ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया था, जो कि अनोखा था। इस देश में हमें वास्तव में अपने समाधान के लिए लीक से हटकर सोचने की जरूरत है।
अभिनव सोच हमारे डीएनए में है। हमें केवल इसे सक्रिय करना है और इस संस्थान में इसे सक्रिय किया जा रहा है। यह 10 लाख विद्यालयों और कॉलेज के छात्रों तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ इस सबसे संपूर्ण विकास के केंद्र में है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
इस बारे में सुधा गोपाल कृष्ण मस्तिष्क केंद्र का उल्लेख किया गया। यह वास्तव में मानव मस्तिष्क के मानचित्रण की एक महत्वाकांक्षी वैश्विक परियोजना है। इस बात को मैं दोहराता हूं कि मस्तिष्क मानचित्रण से मानवता का कल्याण होगा।
मुझे प्रसन्नता है कि इस संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके एक उत्पाद विकसित किया है, जो इसका लगातार विकास करेगा। यह किसी व्यक्ति में कैंसर उत्पन्न करने वाले जीन उत्परिवर्तन की भविष्यवाणी कर सकता है।
कम गंभीरता के साथ यह कहा जा सकता है कि हमारे पास ऐसा कोई अनुमान नहीं है, जो चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी कर सकता है, जो लोकतंत्र की भावना को कम करेगा। यह कुछ प्रकार के एग्जिट पोल और लोगों के यहां-वहां कुछ कहने के साथ होता है। इसे उन लोगों पर छोड़ देते हैं, जो इस क्षेत्र में हैं।
मैं उस समसामयिक वैश्विक परिदृश्य का उल्लेख करूंगा, जिसमें भारत एक चमकता हुआ तारा है, जिसकी विश्व में हर किसी ने प्रशंसा की है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विकासशील राष्ट्रों में हमारी अर्थव्यवस्था सबसे अधिक प्रकाशमान है, हमे कई विकसित राष्ट्रों के विकास से कई गुना अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद की है।
सितंबर, 2022 में भारत अपने पूर्व औपनिवेशिक शासक (ब्रिटेन) को पीछे छोड़कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। मुझे कोई संदेह नहीं है कि इस दशक के अंत तक हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे। और मेरे सामने जो 2047 के योद्धा हैं, उनके साथ उस समय तक हम शीर्ष पर होंगे और नहीं तो यह कोई नहीं कर सकता।
भारत का उत्थान अजेय है। यह एक वृद्धिशील पथ पर आगे बढ़ना जारी रखेगा। दक्षिण-पूर्व और पश्चिम में तनावपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बावजूद भारत की प्रगति जारी है। हमारा भारत अवसर की भूमि है, निवेश और अवसर के लिए वैश्विक गंतव्य की भूमि है।
जब भारत बोलता है तब पूरा विश्व सुनता है।
भारत के प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए दो वक्तव्यों को देखें। (1) भारत कभी भी विस्तार में शामिल नहीं हुआ है। और यह विस्तार का युग नहीं है। (2) युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। विश्व की समस्याओं को बातचीत और कूटनीति से सुलझाना होगा।
सबसे अच्छा बचाव रणनीतिक तैयारी है और आर्थिक तैयारी का एक बड़ा पहलू आर्थिक राष्ट्रवाद है। हमें अपने लोगों को थोड़ा विचारशील होने और आर्थिक राष्ट्रवाद की परवाह करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करना होगा।
दिवाली के दीप और पतंग बाहर से आने चाहिए क्या? और पटाखे तो यहीं बन सकते हैं।
मैं 1989 में संसद के लिए चुना गया था और मुझे केंद्रीय मंत्री बनने का अवसर मिला था। मैं आपको बता सकता हूं कि हम 20 दलों के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे, उसके बाद तीन दशक तक केंद्र में गठबंधन की सरकारें रहीं। लेकिन 2014 में एक ऐतिहासिक क्षण आया। तीन दशकों के बाद भारतीय राजनीति और देश में एक गेम चेंजर आया और एक पार्टी की सरकार बनी। यह वह समय था, जब चीजें गुणात्मक रूप से एक अलग दिशा में बढ़ने लगीं, समावेशी विकास की घटना ने जोर पकड़ लिया और 2019 में चुनावी विश्वास की एक नए सिरे से पुष्टि हुई।
भारत के विकास का ब्लूप्रिंट अब केवल कागज पर नहीं है। इसे जमीनी स्तर पर कार्यान्वित किया जा रहा है। अगर हम वैश्विक नवाचार सूचकांक की बात करें तो हमने 40 पायदान की छलांग लगाई है और यह शोध और पेटेंट आवेदनों को जमा में दिखता है, जिसके बारे में यह संस्थान किसी अन्य की तुलना में अधिक जागरूक है। 80,000 से अधिक स्टार्टअप्स के साथ भारत में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और सबसे अधिक यूनिकॉर्न के मामले में तीसरे पायदान पर है।
मैं आपको बता दूं कि विश्व में कभी-कभी वृद्धि पिरामिडिकल होती है, यानी शहरी केंद्रों को इस वृद्धि का लाभ मिलता है। जो जिले पिछड़ रहे थे, जिन आकांक्षी जिलों में जिला अधिकारी पोस्टिंग से बचते थे, वे अब पसंदीदा पोस्टिंग डेस्टिनेशन हैं, जो विकास हुआ है, उसके लिए धन्यवाद है। मैं आईआईटी मद्रास के एक विश्वसनीय प्रदर्शन को देखकर काफी प्रसन्न और संतुष्ट हूं, इसके इन्क्यूबेशन सेल ने लगभग 40,000 करोड़ रुपये के सामूहिक मूल्यांकन के साथ 300 से अधिक स्टार्ट-अप्स की मेजबानी की है। इसने देश में नौकरी चाहने वाले से लेकर नौकरी उत्पन्न करने वाले के रूप में एक आईआईटीयन के दृष्टिकोण को बदल दिया है। दोस्तो, मैं आपको बता सकता हूं कि जब हम कारपोरेट जगत को देखते हैं तो भारतीय इसके शीर्ष पर हैं। और यह निदेशक जैसे शिक्षकों की सफलता के कारण है जो भविष्य की सोचते हैं, जो दूरदर्शी हैं, जो अपने मस्तिष्क में आपके माध्यम से राष्ट्र के कल्याण के लिए अपने सपनों और आकांक्षाओं को रूपांतरित करते हैं। इस कारण से मैं जिनके सामने हूं, उन्हें 2047 का योद्धा कहता हूं। हममें से कुछ यह देखने के लिए आसपास होंगे कि आप क्या कर रहे हैं व प्रदर्शन कर रहे हैं और विश्व सराहना के साथ आपको देख रहा होगा। हममें से कुछ वहां नहीं हो सकते हैं। लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं, विश्व का कोई भी युवा मानव संसाधन भारतीय मस्तिष्क की बराबरी नहीं कर सकता है और इस समय मेरे लिए यह सबसे अच्छा है।
मुझे 19वीं शताब्दी में स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रचारित एक नारा याद आ रहा है। मैं राजस्थान के एक जिले झुंझुनू से संबंध रखता हूं, जहां स्वामीजी को काम करने का अवसर मिला था। और मैं उस पश्चिम बंगाल राज्य का राज्यपाल था, जहां स्वामीजी ने प्रभावशाली स्थितियां बनाईं और अपनी पत्नी के साथ शिकागो में ठहरा था, जहां स्वामीजी ने विश्व को अपना पथप्रदर्शक भाषण दिया था। मैं स्वामीजी का संदेश उद्धृत करता हूं- 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।' वास्तव में यह स्वामी जी की विचार प्रक्रिया से उत्पन्न एक नारा नहीं है।
यह नारा हमारे सभ्यतागत लोकाचार में सन्निहित है। अगर आप इसकी उत्पत्ति का पता लगाते हैं तो आप पाएंगे कि यह उपनिषदों में है। आप में से जो इसके बारे में पढ़ने के इच्छुक हैं, उनके लिए मैं सभी युवा मस्तिष्कों से उपनिषदों में पहली बार या फिजिकल रूप देखने के लिए कुछ समय बिताने का अनुरोध करूंगा। यह आपके मस्तिष्क को तेज करेगा और समाज के व्यापक कल्याण के लिए ज्ञान प्राप्त करने में आपकी सहायता करेगा।
साथियो, मुझे कभी-कभी चिंता होती है कि हमें महत्वपूर्ण अनिष्ट सूचक घटना क्यों नहीं दिखाई देती? हम कुछ ऐसी आवाजों को अनुमति क्यों देते हैं, जो हमारी व्यवस्था को कलंकित करती हैं, हमारे लोकतंत्र को कलंकित करती हैं, हमारी सफलता को धूमिल करती हैं। हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए। विश्व सराहना कर रहा है और हममें से कुछ सवाल कर रहे हैं।
इस धरती पर भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी है। मैं विरोधाभास के डर के बिना कहने की हिम्मत करता हूं, भारत सबसे कार्यात्मक लोकतंत्र है। हमारे पास सब कुछ है, जो गौरव और लोकतंत्र की भावना को उत्पन्न करता है।
कोई मुझे बताएं कि इस धरती पर ऐसी कहां न्यायपालिका है, जो बिजली की गति से काम करती है। खोजिए, आपको कोई नहीं मिलेगा। हमारी न्यायपालिका ने हमारे लोकतंत्र को एक नया नाम देने के लिए बिजली की गति से काम किया है। आपको कहीं और इसकी बराबरी नहीं मिलेगी, जहां विश्व में आपके पास एक ऐसी कार्यपालिका है, जो बड़ी योजना बनाता है, उसे बड़े रूप में कार्यान्वित करता है।
कल्पना कीजिए कि टीके की 220 करोड़ खुराक, लोग सभी प्रकार के मुद्दों को उठा रहे हैं, बिना सोचे-समझे, राष्ट्र में विश्वास किए बिना, इस कार्यक्रम को बर्बाद करने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हमने कोविड को पराजित कर दिया है। 220 करोड़ टीकों की खुराक और वे आपके मोबाइल पर डिजिटल रूप से प्रमाणित हैं। विकसित पश्चिम सहित विश्व का कोई भी देश इस पर दावा नहीं कर सकता।
इसके अलावा और भी मुद्दे हैं। जब मैं संसद का सदस्य था, तो सांसद के रूप में किसी को भी 50 गैस कनेक्शन दे सकता था। और अब 15 करोड़ गैस कनेक्शन जरूरतमंद परिवारों को दिए गए हैं। इस पैमाने को देखें जिस पर चीजों को कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके बावजूद हम लोगों को अपने विकास सूचकांक पर उंगली उठाने देते हैं। युवा मस्तिष्कों को मजबूत तथ्यों के साथ उनसे सवाल करना होगा। यह हमारा देश है, हमारी उपलब्धि है, हमारी सिद्धियां हैं। हम इन्हें ऐसे लोगों द्वारा नीचा दिखाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, जो इनसे उतने प्रेरित नहीं हो सकते, जितने कि हममें से अधिकांश है।
दोस्तो, मैं अपने दो विचार युवा मस्तिष्कों के साथ साझा करूंगा।
जो यहां दर्शकों में हैं और बाहर भी। अपने पद के कारण मै राज्य सभा का सभापति हूं, जो वरिष्ठों का सदन है, उच्च सदन है, वह सदन जो कि स्थायी है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता है। अब हमारे लिए एक मॉडल है। संविधान सभा तीन साल तक बहस में उलझे रहा, क्या आपने कोई व्यवधान, कोई गड़बड़ी देखी, किसी को वेल में जाते हुए देखा, नहीं।
अगर हमारे संस्थापक सदस्यों, संविधान निर्माताओं ने संवैधानिक मुद्दों, विवादास्पद मुद्दों व अपनी प्रकृति में बहुत विभाजनकारी मुद्दों पर बिना नारेबाजी के, बिना हंगामे के, वेल में गए बिना, अध्यक्ष को चुनौती दिए बिना निर्णय लिया था, तो हमें इसे अभी क्यों करना चाहिए? लोकतंत्र का यह मंदिर संवाद, बहस, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए है। यह अशांति और व्यवधान के लिए नहीं है। लेकिन मुझे आश्चर्य है कि यह आचरण आपकी प्रतिक्रिया को उत्पन्न नहीं करता। मैं किसी अखबार में संपादकीय नहीं देखा, मैंने बुद्धिजीवियों व पत्रकारों को इसे उठाते हुए नहीं देखा, मैंने इस पर लोगों का आंदोलन नहीं देखा। इस देश की जनता सदन में व्यवधान कैसे सह सकती है?
करदाताओं का करोड़ों रुपया हर दिन के कामकाज में खर्च हो जाता है। संसद, कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने के लिए है, सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए है। इसे देखते हुए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि संचार के हर माध्यम, सोशल मीडिया या फिर एक इकोसिस्टम निर्माण में सहायता करें, जिससे लोकतंत्र के मंदिरों, संसद और विधायिका की पवित्रता और शुचिता पर आंच न आए। वहां हम वाद-विवाद, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श करें। यह भावों के मुक्त आदान-प्रदान का स्थान है। मुझे आपके समर्थन की ज़रूरत है। मुझे युवा मस्तिष्कों की सहायता की जरूरत है और मैं जानता हूं कि अगर आप इसे चुनते हैं तो यह एक जन आंदोलन बन जाएगा। और इसीलिए प्रतिनिधियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
और हां, जो लोग आपको वहां भेजते हैं, जनता जो प्रदर्शन के लिए आपकी ओर देखते हैं, वे व्यवधान या अशांति को स्वीकार नहीं करते हैं।
मुझ पर लोकतंत्र के मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने का संवैधानिक कर्तव्य है। मैं बहुत धैर्यवान आदमी हूं। मैं बहुत प्रबोधक हूं, लेकिन क्या मैं भारतीय संविधान को महसूस कर सकता हूं? क्या मैं आपकी आकांक्षाओं को महसूस कर सकता हूं? क्या मैं आपके सपने देखने को बंद कर सकता हूं? मैं आपका पैदल सिपाही बनूंगा, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप उसके लिए आगे बढ़ें। और यही एक ऐसी चीज है, जिसकी मैं आपसे उम्मीद करता हूं।
दूसरी बात, मैं विचार कर रहा हूं, क्योंकि कुछ संपादकीय लिखे जा चुके हैं। संविधान के अनुच्छेद 105 में एक प्रावधान है, जो सदस्यों को आपराधिक मुकदमे से बचाता है। यह एक बड़ा विशेषाधिकार है। एक सांसद कुछ बोलता है और संविधान कहता है कि 140 करोड़ लोग भले ही आहत हों, अदालत नहीं जा सकते, मानहानि नहीं कर सकते, आपराधिक कार्रवाई के लिए नहीं जा सकते। यह संसद के सदस्य को दिया गया अभिव्यक्ति का विशेषाधिकार है, लेकिन क्या यह विशेषाधिकार बिना जिम्मेदारी के, बिना जवाबदेही के है? क्या यह विशेषाधिकार सदन के पटल पर कुछ भी साझा करने का लाइसेंस है? नहीं।
इस सदन को 140 करोड़ लोगों की गरिमा की रक्षा करनी है, जो किसी सूचना, असत्यापित, रूपक, आख्यानों को सेट करने के लिए अविचारी के लिए यह अखाड़ा या डंपिंग ग्राउंड न बन जाए।
इसे देखते हुए मैंने एक जोरदार अपील की है, सदन में कोई भी सूचना हो सकती है, सूचना और अभिव्यक्ति का पूरा प्रवाह होगा। यही लोकतंत्र की भावना है। लेकिन यह एक टैग के साथ आता है। आपको जानकारी प्रमाणित करनी होगी। आपको सूचना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अगर वह गलत निकली तो संसद में हमारे पास 'विशेषाधिकार हनन' की व्यवस्था है।
मैं चाहता हूं कि युवा प्रतिभा इसे समझें। मुझे अपने पत्रकार मित्र चाहिए, मैंने कुछ संपादकीय देखे हैं और उनसे मुझे पीड़ा हुई है। उन्हें संविधान सभा की बहसों को देखना चाहिए। उन्हें वैश्विक परिदृश्य देखना चाहिए। विशेषाधिकार हनन के लिए किसी को बाहर करना अभिव्यक्ति का गला घोंटना नहीं है। यह उन सूचनाओं की थ्रॉटलिंग डंपिंग रहा है, जो प्रमाणित नहीं हैं और जिन्हें घृष्टता से संसद के मंच का दुरुपयोग करके बनाया गया है।
मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि इस पर गंभीरता से विचार करें। मेरे युवा दोस्तो, मैं दो सरल बिंदु बनाकर अपनी बात समाप्त करूंगा। हमारे पास एक सुदृढ़ न्यायपालिका प्रणाली है। माननीय प्रधानमंत्री सहित उच्च और शक्तिशाली के लिए चीजें महसूस की जाती हैं। दो दशकों तक इस मुद्दे पर न्यायालयों में विचार-विमर्श किया गया, सभी स्तरों पर गहन जांच की गई। देश की सबसे बड़ी अदालत, सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी अदालत ने 2022 में सभी मोर्चों पर अपना निर्णय सुनाया और एक डॉक्युमेंट्री द्वारा हमारे सामने एक आख्यान प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसे कुछ लोग अभिव्यक्ति कहते हैं। तो क्या अभिव्यक्ति के नाम पर आप उच्चतम न्यायालय को नीचा दिखा सकते हैं, क्या आप दो दशक की गहन जांच को नीचा दिखा सकते हैं? यह दूसरी तरह से राजनीति करना है। जब लोग दूसरी तरह से राजनीति करना चुनते हैं, तो यहां और बाहर के युवा मस्तिष्क उन्हें चुनौती देने के लिए बौद्धिक रूप से तैयार होते हैं।
कहीं के एक सज्जन हैं, जो धन बल का उपयोग कर रहे हैं, उनके कुछ समर्थक हैं, उनके कुछ लाभार्थी हैं, उनके पास कुछ राजकोषीय परजीवी हैं और वे हमारे देश के लोकतंत्र की बात करते हैं। मैं चकित, पीड़ित हूं, एक विचारशील मस्तिष्क हमारी तुलना बिना पड़ोसियों के एक दक्षिणी देश से कैसे कर सकते हैं?
इसे देखते हुए मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अगर आपको इस देश को 2047 तक ले जाना है, संस्थापकों के भरोसे को बनाए रखना है, तो कृपया सावधान रहें। जो लोग इसके विपरीत राजनीति करते हैं, उनका मुकाबला करने, उन्हें बेअसर करने की जरूरत है और उन्हें आपके तर्कसंगत सवालों का सामना करना चाहिए।
एक बार फिर मैं यहां आकर काफी प्रसन्न हूं। यह हमेशा के लिए संजोने वाला क्षण है। मुझे दिल्ली में मेरे मेहमान बनने और दिल्ली व संसद को देखने के लिए मद्रास के आईआईटी छात्रों के एक समूह की मेजबानी करने में काफी प्रसन्नता होगी।
आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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