विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

राष्ट्रीय विकास के लिए भू- स्थानिक (जिओ- स्पैचियल) नीति, 2022 पर आयोजित सम्मेलन में इसके सफल कार्यान्वयन के रोडमैप पर चर्चा की गई

Posted On: 24 FEB 2023 4:57PM by PIB Delhi

गत 21- 22 फरवरी 2023 को " राष्ट्रीय विकास के लिए भू-स्थानिक नीति " पर आयोजित  दो दिवसीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने नई भू- स्थानिक नीति को आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय विकास के लिए इसका उपयोग करने के तरीके सुझाए।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन में भूमि संसाधन विभाग के सचिव श्री अजय तिर्की ने कहा कि "भारत सरकार के सभी विभागों को उन योजनाओं का पता लगाना, परिभाषित करना और पहचानना चाहिए जहां भू-स्थानिक (जिओ- स्पैचियल) प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों की आवश्यकता है और वे भू-स्थानिक रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए रणनीति बनाएं।"

उन्होंने रेखांकित किया कि भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां सूचना को सुलभ बनाकर लोगों को शक्ति प्रदान करती हैं साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित कल्याणकारी योजनाओं के कई लाभों का लाभ उठाने के लिए नागरिकों के लिए कम्प्यूटरीकृत और आसानी से सुलभ भूमि रिकॉर्ड होने की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया ।

श्री तिर्की ने कहा कि “भारत विश्व स्तर पर केवल तीसरा राष्ट्र है जो भूमि पार्सल में भू-संदर्भित कर रहा है। अब तक 36 प्रतिशत भूमि को भू-संदर्भित किया गया है, और मार्च 2024 तक 100 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य है "।

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भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी पर आधारित भू-आधार और मातृभूमि परियोजनाओं द्वारा लाए गए परिवर्तन का  उल्लेख करते हुए श्री तिर्की ने कहा कि हम शासन में एक क्रांति के मुहाने पर हैं। आने वाले वर्षों में भू-रिकॉर्ड एवं भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग एक साथ इसके प्रशासन  के बारे में कुछ कहने के स्वरूप को ही बदल देंगे ।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) में संयुक्त सचिव और भारत के महासर्वेक्षक श्री सुनील कुमार ने उस नागरिक- केंद्रित नीति को आगे बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों की भागीदारी की मांग की, जो देश के संपूर्ण भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र को संबोधित करने के साथ ही इसे एक वास्तविकता बनाती है।

भू- स्थानिक उद्योग परिसंघ भारत (असोशिएशन ऑफ़ जिओस्पैचियल इंडस्ट्रीज - एजीआई इंडिया) के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद कौशिक ने भू-स्थानिक नीति में उद्योग के लिए अवसरों को रेखांकित किया और कहा कि इस नीति के कार्यान्वयन में अंतिम उपयोगकर्ताओं को शामिल करने की आवश्यकता है । इसी दौरान  भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ ( फेडेरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज - फिक्की) की भू-स्थानिक तकनीकी समिति के अध्यक्ष श्री अगेंद्र कुमार ने एक ऐसे मजबूत भू-स्थानिक ज्ञान अवसंरचना के महत्व पर जोर दिया, जो साझेदारी के साझाकरण और निर्माण को सक्षम करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से ज्ञान ला सकता है ।

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जियोस्पेचियल वर्ल्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और संस्थापक श्री संजय कुमार ने कहा कि अब आगे की राह एक उचित नियामक तंत्र के माध्यम से डेटा, रणनीति और स्थिति के माध्यम से भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश करने की है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ इंडिया), भूमि संसाधन विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग जैसे सरकारी विभागों को इसके लिए नेतृत्व प्रदान करने और अन्य क्षेत्रों एवं उद्योगों को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है।

दो दिवसीय इस सम्मेलन में सरकारी क्षेत्रों एवं उद्योग के प्रतिभागियों द्वारा इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे, कौशल विकास, परिवहन नेटवर्क, टिकाऊ जल प्रबंधन, कृषि, क्षमता निर्माण और उच्च अंत भू-स्थानिक अनुसंधान एवं विकास की योजनाओं पर चर्चा की गई ।

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