रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

डॉ. मनसुख मंडाविया आयात पर निर्भरता में कमी लाने के लिए हाई वैल्यूदवाओं और हाई-एंड चिकित्सा उपकरणों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं


पीएलआई योजना के अंतर्गत फार्मास्यूटिकल्स के लिए 166 करोड़ रुपये की पहली प्रोत्साहन राशि जारी की गई

पीएलआई योजनाओं के उत्पादन के पहले वर्ष में हाई वैल्यू योगों, महत्वपूर्ण एपीआई और हाई-एंड कित्सा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने वाले सरकार के प्रयासों का परिणाम

Posted On: 21 FEB 2023 5:20PM by PIB Delhi

स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से आयात निर्भरता में कमी लाने वाले दृष्टिकोण पर काम करते हुए, भारत सरकार हाई वैल्यू दवाओं और हाई-एंड चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह देश में हाई-एंड चिकित्सा उपकरणों के घटकों का निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित होगा,डॉ. मनसुख मंडाविया ने योजना के अंतर्गत चयनित आवेदकों के प्रयासों की सराहना करते हुए यह बात की। औषधि विभाग (डीओपी) ने आज फार्मास्युटिकल्स प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के अंतर्गत चयनित किए गए चार आवेदकों के लिए 166 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि की पहली किश्त जारी की।

सरकार की आत्मनिर्भर पहल के अंतर्गत, औषधि विभाग ने 2021 में दवाओं के लिए पीएलआई योजना की शुरूआत की। इस पीएलआई योजना के अंतर्गत, छह वर्षों की अवधि के लिएवित्तीय परिव्यय 15,000 करोड़ रुपये है। अब तक इस योजना के अंतर्गत 55 आवेदकों का चयन किया गया है, जिसमें 20 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं। पीएलआई योजना के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 उत्पादन का पहला वर्ष है और औषधि विभाग ने बजट परिव्यय के रूप में 690 करोड़ रुपये निर्धारित किया है।

भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने और औषधि क्षेत्र में हाई वैल्यू वस्तुओं के उत्पाद विविधीकरण में योगदान देने के उद्देश्य से, इस योजना के अंतर्गत उत्पादों की तीन विभिन्न श्रेणियों को सहायता प्रदान की जा रही है, अर्थात्

श्रेणी 1: बायोफार्मास्यूटिकल्स; जटिल जेनेरिक दवाएं; पेटेंट की गई दवाएं या दवाएं  जिसका पेटेंट समाप्त होने वाला है; कोशिका आधारित या जीन थेरेपी दवाएं; ऑर्फन दवाएं; विशिष्ट खाली कैप्सूल, जटिल एक्सिपिएंट,

श्रेणी 2: थोक दवाएं (थोक दवाओं के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत अधिसूचित 41 पात्र उत्पादों को छोड़कर) और,

श्रेणी 3: श्रेणी 1 और श्रेणी 2 के अंतर्गत शामिल नहीं की गई दवाएं जैसे कि पुनर्निर्मित दवाएं; स्वतः प्रतिरोधक दवाएं, कैंसर-रोधी दवाएं, डायबिटिज-रोधी दवाएं, संक्रामक-रोधी दवाएं, हृदय संबंधी दवाएं, साइकोट्रोपिक दवाएं और रेट्रोवायरल-रोधी दवाएं, जिनमें इन विट्रो नैदानिक ​​उपकरण (55 आवेदकों में से 5 आवेदकों पर लागू) शामिल हैं।

इन श्रेणियों के अंतर्गत चयनित प्रतिभागियों द्वारा प्रगतिशील बिक्री करने पर प्रोत्साहन 10 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत तक अलग-अलग दर से मिलेगी (जिसमें योजना के अंतिम दो वर्षों में कटौती शामिल है)।

योजना अवधि के दौरान औषधि क्षेत्र में 17,425 करोड़ रुपये के अपेक्षित निवेश के मुकाबले, योजना के कार्यान्वयन के पहले वर्ष में ही इन 55 आवेदकों से 16,199 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हो चुका है। छह वर्षों की योजना अवधि में एक लाख अपेक्षित रोजगार की तुलना में, अब तक 23,000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है।

आवेदकों द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी के आधार पर, वित्त वर्ष 2022-23 में अपेक्षित बिक्री के आधार पर लगभग 2,200 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन (योजना के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय में से) का दावा किया जाएगा। इसमें से, आवेदकों द्वारा मार्च 2023 के अंत तक लगभग 850 करोड़ के प्रोत्साहन का दावा करने की उम्मीद है।

विभाग को 15 आवेदकों से लगभग 544 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दावा प्राप्त हुआ है।मूल्यांकन के आधार पर, चार आवेदकों अर्थात डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, बायोकॉन लिमिटेड, स्ट्राइड्स फार्मा साइंस लिमिटेड, प्रीमियर मेडिकल कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को 221 करोड़ रुपये के प्रोत्साहनदावों का पात्र माना गया और इस राशि का 75 प्रतिशत यानी 165.74 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। शेष प्रोत्साहनों की जांच की जा रही है।

31 जनवरी 2023 तक, चुनिंदा 55 आवेदकों द्वारा लगभग 36,000 करोड़ रुपये की बिक्री की जानकारी प्राप्त हुई है।

औषधि विभाग, थोक दवाओं के लिए पीएलआई और चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई नामकदो अन्य पीएलआई योजनाओं को भी लागू कर रहा है, जिन्होंने अपने कार्यान्वयन के पहले वर्ष में महत्वपूर्ण मील का पत्थर प्राप्त किया है।

  • थोक दवाओं के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य देश में 41 चुनिंदा महत्वपूर्ण थोक दवाओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिसके अंतर्गत वित्तीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपये है। अब तक, 34 अधिसूचित थोक दवाओं के लिए 51 परियोजनाओं का चयन किया गया है। इसमें से अब तक 22 परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं (योजना दिशा-निर्देशों के अनुसार,किण्वन आधारित एपीआई परियोजनाओं के लिए उत्पादन वर्ष वित्त वर्ष 2023-24 निर्धारित किया गया है)। योजना के शुरुआती चार वर्षों के लिए किण्वन-आधारित उत्पादों के लिए प्रोत्साहन दर 20% और रसायन-आधारित उत्पाद 10% हैं और यह अंत के दो वर्षों में कम हो जाएगी।
  • योजना के अंतर्गत छह वर्षों की योजना अवधि में 4,138 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के मुकाबले, अब तक 2,019 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है और शेष आने वाले वर्षों में किया जाएगा। थोक दवाएं जैसे साइक्लोहेक्सेन डायएसेटिक एसिड (सीडीए), पैरा एमिनो फिनोल (पैरासिटामोल का कच्चा माल), सल्फाडियाज़िन, एटोरवास्टेटिन, कार्बामाज़ेपिन, ऑक्सकार्बाज़ेपिन, लिवोफ़्लॉक्सासिन आदि ने इस वित्त वर्ष में बिक्री की जानकारी दी है।
  • इस योजना के अंतर्गत लगभग 1,900 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है।
  • चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत कुल 21 आवेदकों का चयन किया गया है, जिसका वित्तीय परिव्यय 3,420 करोड़ रुपये है। इस योजना का उद्देश्य चार लक्षित खंडों के अंतर्गत हाई-एंड चिकित्सा उपकरणों की घरेलू विनिर्माण क्षमता स्थापित करना है।
  • कैंसर देखभाल/ रेडियोथेरेपी चिकित्सा उपकरण
  • रेडियोलॉजी और इमेजिंग चिकित्सा उपकरण (आयनीकरण और गैर-आयनीकरण विकिरण उत्पाद दोनों) और परमाणु इमेजिंग उपकरण
  • एनेस्थेटिक्स और कार्डियो-रेस्पिरेटरी चिकित्सा उपकरण जिनमें कार्डियो रेस्पिरेटरी श्रेणी के कैथेटर और रीनल केयर चिकित्सा उपकरण शामिल हैं
  • इम्प्लांटेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित सभी प्रत्यारोपण
  • पांच वर्षों की योजना अवधि में 1,059 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के मुकाबले 714 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। अब तक, 34 उत्पादों के लिए 14 परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं।
  • पीएलआई योजना के अंतर्गत निर्मित किए जा रहे चिकित्सा उपकरणों में सीटी स्कैन, एमआरआई कॉइल, लीनियर एक्सेलेरेटर (लिनैक), सी-आर्म, अल्ट्रासोनोग्राफी, डायलिसिस मशीन, गहन देखभाल वेंटिलेटर, घुटने का प्रत्यारोपण, कूल्हा प्रत्यारोपण, हर्ट वाल्व, स्टेंट, डायलाइजर आदि जैसे हाई-एंड चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
  • देश में पहली बार इनमें से कुछ चिकित्सा उपकरणों का निर्माण घरेलू स्तर पर किया जा रहा है। इस प्रकार, पीएलआई योजना ने इन हाई-एंड चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है।
  • इस योजना के अंतर्गत लगभग 2,900 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है।

 

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