जल शक्ति मंत्रालय
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने 'पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में एनएक्यूयूआईएम अध्ययन और पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजनाओं की सफलता की गाथा' पर कार्यशाला का आयोजन किया
Posted On:
24 JAN 2023 4:56PM by PIB Delhi
पूर्वोत्तर क्षेत्र, गुवाहाटी ने पूर्वी क्षेत्र, कोलकाता, भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के तहत केंद्रीय भू जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के सहयोग से आज असम के गुवाहाटी में 'पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में एनएक्यूयूआईएम अध्ययन और पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजनाओं की सफलता की गाथा' पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य नेशनल एक्विफर मैपिंग एंड मैनेजमेंट (एनएक्यूयूआईएम) अध्ययनों के निष्कर्षों का प्रसार करना, हितधारकों को एनएक्यूयूआईएम के निष्कर्ष के संभावित उपयोग से अवगत कराना, एनएक्यूयूआईएम अध्ययनों के सफल केस स्टडीज और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) - हर खेत को पानी (एचकेकेपी) - विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में भूजल (जीडब्ल्यू) योजनाओं को लोकप्रिय बनाना और हितधारकों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना था।
- कार्यशाला का उद्देश्य एनएक्यूयूआईएम अध्ययन और पीएमकेएसवाई - एचकेकेपी - पूर्वी और उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच भू जल योजना से उभरने वाले सर्वोत्तम तौर-तरीकों को अपनाने को बढ़ावा देना है
- असम सरकार के आवास, शहरी कार्य और सिंचाई मंत्री ने विशेषकर गुवाहाटी शहर में जल स्तर में कमी पर चिंता व्यक्त की
- उन्होंने पानी की बर्बादी को कम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और जल संरक्षण की दिशा में लोगों की भागीदारी पर जोर दिया
- असम सरकार के सिंचाई सचिव ने असम राज्य में पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजना के कार्यान्वयन की सफलता पर विस्तार से बताया
- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के संयुक्त सचिव श्री सुबोध यादव ने भारत के भू जल परिदृश्य, एनएक्यूआईएम के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत किया
- केंद्रीय भू जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के सदस्य (मुख्यालय), फरीदाबाद श्री. ए.के. अग्रवाल ने एनएक्यूयूआईएम अध्ययन के निष्कर्ष के इस्तेमाल के दायरे के बारे में चर्चा की
- कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हितधारकों को एनएक्यूयूआईएम अध्ययन के निष्कर्ष के संभावित उपयोग से अवगत कराना था
- तकनीकी सत्रों के दौरान, सीजीडब्ल्यूबी के वैज्ञानिकों द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एनएक्यूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों पर 8 प्रस्तुतियां आयोजित की गईं
- भूजल विशेषज्ञों ने भूजल संसाधनों के सतत विकास के लिए एनएक्यूयूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों का सर्वोत्तम संभव उपयोग सुनिश्चित करने के लिए विचार साझा किए
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असम सरकार के आवास, शहरी कार्य और सिंचाई मंत्री श्री अशोक सिंघल ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ 'जल कलश स्थापना' के साथ कार्यशाला का उद्घाटन किया। इसके बाद एनएक्यूयूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों पर कार्यशाला के दो खंडो का विमोचन किया। राज्यवार एनएक्यूयूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों को कवर करने वाला पहला खंड और विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान पेपर को कवर करने वाला दूसरा खंड एनएक्यूयूआईएम के अध्ययन का निष्कर्ष है। सभा को संबोधित करते हुए, श्री अशोक सिंघल ने विशेष रूप से गुवाहाटी शहर में जल स्तर में कमी पर चिंता व्यक्त की और बर्बादी को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया और इसके संरक्षण पर लोगों की भागीदारी का आग्रह किया।
तकनीकी सत्रों के दौरान, सीजीडब्ल्यूबी वैज्ञानिकों द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एनएक्यूआईएम के निष्कर्षों पर आठ प्रस्तुतियां आयोजित की गईं। कार्यशाला के बाद एक पूर्ण सत्र आयोजित किया गया, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों के प्रसिद्ध भू जल विशेषज्ञों ने भाग लिया और भू जल संसाधनों के सतत विकास के लिए एनएक्यूयूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों का सर्वोत्तम संभव उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपने विचार साझा किए।
इससे पहले, सीजीडब्ल्यूबी, गुवाहाटी के क्षेत्रीय निदेशक श्री सुरेश चंद्र कपिल ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया। जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के संयुक्त सचिव श्री सुबोध यादव ने भारत के भूजल परिदृश्य, एनएक्यूआईएम के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य और भविष्य की योजनाओं को प्रस्तुत किया। असम सरकार आयुक्त और सिंचाई सचिव श्री एम. एस. मणिवन्नन ने असम राज्य में पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजनाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा की। सीजीडब्ल्यूबी, फरीदाबाद के सदस्य (मुख्यालय) श्री ए.के. अग्रवाल ने एनएक्यूआईएम की अवधारणा और इसके उद्देश्यों और एनएक्यूआईएम के अध्ययन के निष्कर्ष के उपयोग के दायरे पर चर्चा की। असम सरकार के सिंचाई सचिव श्री पबित्रा राम खौंड ने असम राज्य में पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजना के कार्यान्वयन की सफलता पर विस्तार से बताया। एनआईएच, गुवाहाटी के वैज्ञानिक-जी और प्रमुख डॉ. एस. विजयकुमार ने सभा को संबोधित किया कि एनएक्यूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों का उपयोग कैसे किया जा सकता है। सीजीडब्ल्यूबी, कोलकाता के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अनादि गायन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण और प्रबंधन (एनएक्यूआईएम) कार्यक्रम सीजीडब्ल्यूबी द्वारा जलभृतों के चित्रण, जलभृतों के लक्षण का विवरण, समस्याओं की पहचान और भू जल के सतत प्रबंधन के लिए प्रबंधन योजना तैयार करने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया है। जिन प्रमुख क्षेत्रों में एनएक्यूआईएम के अध्ययन के निष्कर्षों का उपयोग किया गया है, उनमें पेयजल स्रोत की खोज और स्रोत की स्थिरता; कृत्रिम पुनर्भरण के लिए स्थलों का चयन; आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षित पेयजल; आर्टेसियन जोन का परिसीमन; पर्याप्त भूजल क्षमता वाले क्षेत्रों में भूजल के माध्यम से सुनिश्चित सिंचाई (जैसे पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू); जल संरक्षण और एआर सिफारिशों का कार्यान्वयन; एनएक्यूआईएम अनुशंसा के आधार पर भू जल विनियमन; झरनों का कायाकल्प, राष्ट्रीय योजनाएं जैसे, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना, अटल भूजल योजना, जल जीवन मिशन आदिशामिल हैं।

असम सरकार के आवास, शहरी कार्य और सिंचाई मंत्री श्री अशोक सिंघल अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ 'जल कलश स्थापना' के साथ कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए

गुवाहाटी में आयोजित 'पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में एनएक्यूयूआईएम अध्ययन और पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी-जीडब्ल्यू योजनाओं की सफलता की गाथा' पर कार्यशाला
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(Release ID: 1893364)