वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ने जीईएम पर महिला उद्यमियों की सफलता के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया


"वोमनिया" पहल का उद्देश्य जीईएम पर महिला उद्यमियों और एसएचजी की भागीदारी को प्रोत्साहित करना

जीईएम पर 1.44 लाख से अधिक वोमनिया एमएसई ने 21,265 करोड़ रुपये के 14 लाख से अधिक ऑर्डर पूरे किए

Posted On: 14 JAN 2023 10:04PM by PIB Delhi

नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आज "वुमनिया ऑन गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम)" की सफलता के अवसर पर एक समारोह आयोजित किया गया। एनसीयूआई की उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती सावित्री सिंह मुख्य अतिथि और उनके साथ विशिष्ट अतिथि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. आर. के. सिंह तथा भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) की अपर विकास आयुक्त डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी थीं।

यह कार्यक्रम जीईएम द्वारा स्व-नियोजित महिला संघ, भारत (सेवा भारत) के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया था और इसमें महिला उद्यमियों तथा हितधारक संगठनों और संघों के प्रतिभागियों ने सहभागिता की थी। इस आयोजन की मुख्य विशेषताओं में मेराबिल्स की सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती पिया बहादुर द्वारा वित्तीय साक्षरता पर प्रस्तुति, सेवा भारत की राष्ट्रीय समन्वयक श्रीमती संचिता मित्रा द्वारा डिजिटल समावेशन के माध्यम से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के भीतर महिला उद्यमियों के लिए बनाए गए नए अवसरों पर प्रस्तुति, जीईएम विक्रेता प्रशंसापत्र पर लघु फिल्म, सेवा भारत द्वारा "वॉयस फ्रॉम द ग्राउंड" और “सार्वजनिक खरीद में वोमनिया” पर नीति विशेषज्ञों द्वारा अनौपचारिक चर्चा शामिल थीं।

2019 में आरंभ की गई, "वोमनिया" पहल का उद्देश्य जीईएम पोर्टल पर अनौपचारिक क्षेत्र से महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की सहभागिता को प्रोत्साहित करना और बिचौलियों को हटाते हुए विभिन्न सार्वजनिक खरीदारों को सीधे उनके उत्पादों की बिक्री की सुविधा प्रदान करना है। उत्पाद कैटलॉग सूचीबद्धता और महिला उद्यमियों से खरीद को सुगम बनाने के लिए हस्तशिल्प और हथकरघा, एसेसरीज, जूट तथा कॉयर उत्पादों, बांस उत्पादों, जैविक खाद्य पदार्थों, मसालों, घर की सजावट और कार्यालय के सामान की आसानी से सूची बनाने के लिए सुविधा के लिए जैनरिक उत्पाद श्रेणियां बनाई गईं।

वर्तमान में, 1.44 लाख से अधिक उद्यम-सत्यापित महिला सूक्ष्म, लघु उद्यम (एमएसई) जिन्हें "वुमनिया" के रूप में जाना जाता है, जीईएम पोर्टल पर विक्रेता और सेवा-प्रदाता के रूप में पंजीकृत हैं और उन्होंने सकल वस्तु मूल्य (जीएमवी) में 21,265 करोड़ रुपये के 14.76 लाख से अधिक ऑर्डर पूरे किए हैं। इन उत्पादों में ऑर्डर मूल्य का अनुपात सेवा श्रेणियों में 26 प्रतिशत से 74 प्रतिशत है। शीर्ष पांच (5) उत्पाद श्रेणियां जिनमें महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, उनमें डेस्कटॉप कंप्यूटर, स्मार्ट फोन-आईएस: 13252, विशेष प्रयोजन के टेलीफोन (आईसीडीएस के लिए स्मार्ट फोन), स्मार्ट फोन और हॉपर टिपर डम्पर और शीर्ष पांच सेवा श्रेणियां जिनमें श्रमबल आउटसोर्सिंग सेवाएँ - न्यूनतम वेतन, सेवाओं के लिए सीमा शुल्क बोली, मानव संसाधन आउटसोर्सिंग सेवा, मासिक आधार कैब तथा टैक्सी किराए पर लेने की सेवाएँ और श्रमबल आउटसोर्सिंग सेवाएँ - निश्चित पारिश्रमिक शामिल हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनसीयूआई की उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुख्य अतिथि श्रीमती सावित्री सिंह ने समाज में उद्यमियों के रूप में महिलाओं के योगदान पर बल दिया और एनसीयूआई सहकारी शिक्षा प्रक्षेत्र परियोजनाओं की पहलों को साझा किया, जिनका निर्माण महिलाओं की पक्षधरता, लोकसंपर्क, गतिशीलता और क्षमता निर्माण के माध्यम से उत्तर पूर्व और भारत के अविकसित क्षेत्रों में सहकारी समितियों की एसएचजी महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास के उद्देश्य से किया गया है। विशिष्ट अतिथियों डॉ. आर. के. सिंह, और डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी ने भी जनसमूह को संबोधित किया और महिला उद्यमियों के लाभ के लिए सिडबी और एमएसएमई मंत्रालय के माध्यम से उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

एसीईओ और सीएफओ श्री वाईके पाठक ने जीईएम में सामाजिक समावेश को मूलभूत मूल्य के रूप में रेखांकित किया और सरकारी खरीदारों के साथ "वोमनिया" पहल की असीम सफलता पर सभी महिला उद्यमियों की सराहना की। उन्होंने व्यापार समुदाय के सदस्यों, उभरते और आकांक्षी उद्यमियों विशेष रूप से; महिलाओं, जनजातीय और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के एमएसई, एसएचजी, कारीगरों और बुनकरों और स्टार्टअप को उनके असीम उत्साह और जीईएम पोर्टल पर भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।

"वोमनिया" का उद्देश्य समाज के हाशिये पर महिला उद्यमिता जो सार्वजनिक खरीद बाजारों तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करती हैं, का विकास करना है और महिलाओं के स्वामित्व वाले तथा नेतृत्व वाले एमएसई, जनजातीय उद्यमी, दिव्यांगजन, स्टार्टअप, एसएचजी, कारीगर और बुनकर जैसे वंचित विक्रेता समूहों के जेंडर समावेशी आर्थिक विकास अर्जित करने की दिशा में काम करना है। "वोमनिया" महिलाओं के स्वामित्व और नेतृत्व वाले एमएसई के लिए सार्वजनिक खरीद में तीन प्रतिशत के लक्ष्य को अलग करने की सरकार की पहल के साथ अच्छी तरह से संयोजित है।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ने जीईएम पर "वोमनिया" के संवर्धन के लिए नई व्यावसायिक प्रक्रियाओं और कार्यात्मकताओं को विकसित करने और आरंभ करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उल्लेखनीय कदमों में शामिल हैं; हस्तशिल्प, हथकरघा, खादी और अभिनव उत्पादों की निर्बाध सूची के लिए समर्पित उत्पाद श्रेणियों का विकास, वंचित विक्रेता समूहों के उत्पादों के संवर्धन देने के लिए जीईएम आउटलेट स्टोर्स का निर्माण, "वोमनिया" द्वारा विशेष रूप से बनाए गए उत्पादों की पहचान करने में मदद करने के लिए "वोमनिया" और एससी/एसटी उद्यमी तथा मार्केट आइकन द्वारा बनाए गए उत्पादों को अलग करने के लिए मार्केटप्लेस फ़िल्टर, सरकारी कार्यालयों को कार्यालय सजावट/एसेसरीज प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट हाइपर-लोकल "एक्सेस टू मार्केट" के साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सीमस्ट्रेस उपलब्ध कराने के लिए एक नई सेवा वर्टिकल "स्टिचिंग एंड टेलरिंग सर्विसेज" का शुभारंभ तथा बिचौलियों के बिना आशा/आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूलों, अस्पतालों, राज्य पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों, केंद्रीय/राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को पोशाक वर्दी के लिए सहायक उपकरण शामिल हैं।

जीईएम ने सार्वजनिक खरीद में महिला केन्द्रित सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों महिला उद्यमियों तथा एसएजी को प्रशिक्षित करने, सहायता करने और सक्षम करने के लिए स्व-नियोजित महिला संघ (सेवा) के साथ और सार्वजनिक खरीद में सेवाप्रदाताओं के रूप में महिला सीमस्ट्रेस को प्रशिक्षित करने और कौशल प्रदान करने के लिए उषा सिलाई स्कूल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। स्थानीय निकायों, सहकारी समितियों, पंचायती राज संस्थानों जैसे अंतिम-मील के हितधारक और सार्वजनिक खरीद में कॉरपोरेट्स, निजी कंपनियों, कॉलेजों, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों जैसे हितधारक "वोमनिया" पहल के विकास और सफलता से लाभान्वित होगा।

"वोमनिया" पहल महिला उद्यमियों द्वारा सामना की जाने वाली "बाजारों तक पहुंच", "वित्त तक पहुंच" और "मूल्य-संवर्धन तक पहुंच" की तिहरी चुनौती का समाधान करने का प्रयास करती है और भारत में अंतिम-मील उत्पादकों और सेवाप्रदाताओं की अप्रयुक्त उद्यमशीलता ऊर्जा को स्थानीय सरकारी खरीदारों के साथ संयोजित होने का प्रयत्न करती है। यह सरकार की "वोकल फॉर लोकल" और "मेक इन इंडिया" पहल के माध्यम से स्थानीय मूल्य-श्रृंखलाओं को एकीकृत करके हाइपर-लोकल खरीद को बढ़ावा देगा, जिससे आत्मनिर्भर "आत्मनिर्भर भारत" सुनिश्चित करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

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