रक्षा मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

रक्षा मंत्रालय- वर्षांत समीक्षा 2022


रक्षा में आत्मनिर्भरता के लिए रक्षा मंत्रालय की प्राथमिकता के दो उद्देश्य- विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा- एकसाथ चलते हैं

स्वदेशी पारितंत्र द्वारा संचालित नया भारत; आईएनएस विक्रांत, एलसीएच 'प्रचंड' एवं अन्य नये अधिग्रहण से सशस्त्र बलों की ताकत और मज़बूत

रक्षा निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि - वैश्विक मंच पर भारतीय कंपनियों का उदय

युवा, तकनीकी तौर पर अभ्यस्त एवं भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र बलों के निर्माण हेतु 'अग्निपथ' की शुरुआत - अग्निवीर जनवरी 2023 से प्रशिक्षण शुरू करेंगे

सीमावर्ती क्षेत्रों में ढांचागत विकास पर ज़ोर जारी है

Posted On: 17 DEC 2022 10:51AM by PIB Delhi

वर्ष 2022 रक्षा मंत्रालय के लिए क्रांतिकारी सुधारों का वर्ष था क्योंकि इस साल रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप सेना को एक युवा, आधुनिक और 'आत्मनिर्भर' बल में बदलने के लिये बड़े कदम उठाए गए। एक ओर जहां सशस्त्र बल एक आत्मनिर्भर स्वदेशी उद्योग द्वारा निर्मित अत्याधुनिक हथियारों/उपकरणों/ प्रौद्योगिकियों से लैस थे, वहीं भविष्य की चुनौतियों को पूरा करने के लिये तैयार एक युवा एवं तकनीकी तौर पर मुस्तैद सेना बनाने के लिहाज से एक बड़ा सुधार शुरू किया गया। 'मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' विजन के अनुरूप वैश्विक शांति और समृद्धि के सामूहिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा निर्यात बढ़ाने की दिशा में किये निरंतर प्रयास फलीभूत हुए क्योंकि अनेक देशों ने भारतीय प्लेटफार्मों में गहरी रुचि दिखाई, जिसके परिणामस्वरूप रिकॉर्ड रक्षा निर्यात का लक्ष्य प्राप्त किया जा सका। सीमा क्षेत्र विकास, नारी शक्ति, राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का विस्तार और युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए नये सैनिक स्कूलों की स्थापना नये सिरे से आगे बढ़ी।

प्रमुख बिंदु:

1. अग्निपथ- मुख्य परिवर्तनकारी सुधार

• सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए जून में अग्निपथ योजना शुरू की गई, जिससे देशभक्त युवाओं (अग्निवीरों) को पवित्र वर्दी धारण कर चार साल की अवधि के लिए देश की सेवा करने का अवसर मिला।

• अग्निपथ योजना को सशस्त्र बलों में युवता बरकरार रखने एवं तकनीक के प्रति अभ्यस्त सेना की ओर एक परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिये लाया गया है।

• भर्ती में सेना के तीनों अंगों में रिस्क एवं हार्डशिप अलाउंस के साथ एक आकर्षक मासिक पैकेज और एक मुश्त मिलने वाला 'सेवा निधि' पैकेज शामिल है, जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि पूरी होने पर प्रदान किया जाएगा।

• योजना के प्रति देशभक्त युवाओं की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है। सशस्त्र बलों (भारतीय सेना - 37.09 लाख; भारतीय नौसेना - 9.55 लाख और भारतीय वायु सेना - 7.69 लाख) में भर्ती के लिए महिला उम्मीदवारों सहित 54 लाख से अधिक पंजीकरण तीनों सेवाओं द्वारा प्राप्त किये गए। प्रशिक्षण केंद्र बेहतर प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे के साथ शीघ्र ही प्रशिक्षण शुरू करने के लिए तैयार हैं ।

• अग्निवीरों के प्रशिक्षण के लिये बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण नीति को संशोधित कर उसे अग्निवीरों के प्रशिक्षण के लिहाज से क्रियान्वित किया गया है। रेजिमेंटल केंद्रों में सिमुलेटर, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग एग्रीगेट्स, फिजिकल ट्रेनिंग / स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर एवं वर्क्स की योजना प्रशिक्षण की कम अवधि को ध्यान में रख कर तैयार कर लागू की गई है। 

2. आईएनएस विक्रांत - 'आत्मनिर्भर भारत' के लिये चिरस्मरणीय मंगल दिन

• भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को प्रधानमंत्री द्वारा सितंबर में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में कमीशन किया गया। इस कमीशनिंग ने स्वदेशी विनिर्माण में देश की बढ़ती शक्ति को दिखलाया तथा यह कमीशनिंग 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर घटना थी।

• 76% स्वदेशी सामग्री के साथ, 262.5 मीटर लंबा और 61.6 मीटर चौड़ा यह जहाज अत्याधुनिक उपकरणों/ प्रणालियों से लैस है, जिसे लगभग 1,600 अधिकारियों और नाविकों के चालक दल के लिए डिज़ाइन किया गया है।

• इस विमानवाहक पोत को मशीनरी ऑपरेशन, शिप नेविगेशन एवं उत्तरजीविता हेतु उच्चस्तरीय स्वचालन के साथ डिज़ाइन किया गया है। यह मिग-29 के फाइटर जेट्स, कामोव-31, एमएच-60आर मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों के अलावा स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत लाइट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट नेवी से युक्त 30 विमानों वाली एयर विंग को संचालित करने में सक्षम है। शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी के रूप में जाने जाने वाले एयरक्राफ्ट-ऑपरेशन मोड का इस्तेमाल कर, आईएनएस विक्रांत विमानों की उड़ान के समय स्की-जंप एवं उनके उतरते समय रिकवरी हेतु 'अरेस्टर वायर्स' के एक सेट से लैस है।

3. अन्य प्रमुख 'मेड इन इंडिया' इंडक्शन/ लॉन्च:

एलसीएच 'प्रचंड': रक्षा मंत्री ने अक्टूबर 2022 में जोधपुर में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा डिजाइन और विकसित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' के भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल होने के समारोह की अध्यक्षता की। एलसीएच पहला स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है जिसमें शक्तिशाली ज़मीनी हमले की और हवाई युद्ध की क्षमता है। इसमें आधुनिक स्टील्थ विशेषताएं, मज़बूत कवच सुरक्षा और रात्रि आक्रमण की दुर्जेय क्षमता है। ऑनबोर्ड एडवांस्ड नेविगेशन सिस्टम, नजदीकी मुकाबले के लिए बनाई गई गन्स और हवा से हवा में मार करने वाली शक्तिशाली मिसाइलें  लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (एलसीएच) को आधुनिक युद्ध के मैदान के लिए विशेष रूप से अनुकूल बनाती हैं। यह उच्च ऊंचाई वाले इलाकों से संचालित होने और उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने में सक्षम है।

इण्डियन नेवल एयर स्क्वाड्रन: इण्डियन नेवल एयर स्क्वाड्रन (आईएनएएस) 325, जो स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) एमके-III को ऑपरेट करती है, को पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार कमांड में मई 2022 में आईएनएस उत्क्रोश पर आयोजित समारोह में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया । यह युनिट भारतीय नौसेना में कमीशन की गई दूसरी एएलएच एमके-III स्क्वाड्रन थी। इस अत्याधुनिक मल्टी रोल हेलीकॉप्टर का विकास एवं निर्माण एचएएल द्वारा किया गया है । एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टर में उन्नत राडार के साथ-साथ इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर, शक्ति इंजन, फुल ग्लास कॉकपिट, हाई-इंटेंसिटी सर्च लाइट, उन्नत संचार प्रणाली, स्वचालित पहचान प्रणाली के साथ-साथ खोजबीन-उपकरणों के अलावा सर्च एंड रेस्क्यू होमर समेत अत्याधुनिक उपकरण हैं। यह सुविधा हेलीकॉप्टर को समुद्री टोही लेने के साथ-साथ जहाजों से संचालित होते समय दिन एवं रात दोनों समय दूर तक खोजबीन एवं बचाव करने योग्य बनाती है ।

मिसाइल डेस्ट्रॉयर/ फ्रिगेट्स: रक्षा मंत्री ने मई में मझगांव डॉक्स लिमिटेड, मुंबई में भारतीय नौसेना के दो फ्रंटलाइन युद्धपोत - 'सूरत' और 'उदयगिरि' लॉन्च किये। 'सूरत' पी15बी क्लास का चौथा स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है, जबकि 'उदयगिरि' पी17ए क्लास का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट है। प्रोजेक्ट 15बी वर्ग के जहाज भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी के स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक हैं जो हथियार प्रधान पी15ए (कोलकाता वर्ग) विध्वंसक वर्ग के फॉलो-ऑन क्लास शिप हैं। पी17ए फ्रिगेट्स युद्धपोत हैं जो P17 (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन वर्ग के फ्रिगेट्स हैं, जिनमें बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम्स हैं। वाई-12705 (मोरमुगाओ), प्रोजेक्ट 15बी का दूसरा जहाज नवंबर में भारतीय नौसेना को दिया गया, जबकि पी17ए का पांचवा स्टील्थ फ्रिगेट 'तारागिरी' सितंबर में लॉन्च किया गया।

डाइविंग सपोर्ट/ सर्वे वेसल्स: हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड, विशाखापत्तनम द्वारा निर्मित दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स (डीएसवी) - निस्तार एवं निपुण सितंबर में लॉन्च की गई थी। गहरे समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों के लिए जटिल डाइविंग सपोर्ट सिस्टम तथा डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल से लैस डीएसवी तैनात किए जा रहे हैं। यह जहाज खोजबीन एवं बचाव अभियान चलाने और समुद्र में हेलीकाप्टर ऑपरेशन करने में भी सक्षम हैं। उन्हें लगभग 80% स्वदेशी सामग्री रखने का लक्ष्य प्राप्त करके लॉन्च किया गया था जो आत्मनिर्भरता' की दिशा में एक बड़ा कदम रहा। भारतीय नौसेना के लिए जीआरएसई/ एलएंडटी द्वारा बनाए जा रहे चार सर्वे वैसल्स (बड़े) (एसवीएल) प्रोजेक्ट में से तीसरा 'इक्षक' नवंबर में चेन्नई में लॉन्च किया गया था। एसवीएल जहाज समुद्र संबंधी डेटा एकत्र करने के लिए मौजूदा संध्याक वर्ग के सर्वेक्षण जहाजों को नई पीढ़ी के हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से बदल देंगे।

आईसीजी एएलएच स्क्वाड्रन: भारतीय तटरक्षक की क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए एएलएच एमके-III स्क्वाड्रन - 835 वर्ग (सीजी) और 840 वर्ग (सीजी) - को क्रमशः जून और दिसंबर में पोरबंदर और चेन्नई में कमीशन किया गया ।

आईसीजी-अपतटीय गश्ती पोत: भारतीय तटरक्षक के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित अपतटीय गश्ती पोत ‘सक्षम’ को फरवरी में शामिल किया गया था। जहाज को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा डिजाइन एवं निर्मित किया गया है तथा यह उन्नत प्रौद्योगिकी नेविगेशन और संचार उपकरण, सेंसर तथा मशीनरी से सुसज्जित है।

   4. सी-295 परिवहन विमान निर्माण सुविधा:

• प्रधान मंत्री ने अक्टूबर में वड़ोदरा, गुजरात में सी- 295 परिवहन विमान निर्माण सुविधा – जो निजी क्षेत्र में देश की पहली सुविधा थी- की आधारशिला रखी। यह सुविधा टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए, स्पेन के सहयोग से भारतीय वायु सेना के लिये सी- 295 विमान का निर्माण करेगी।

• यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है। विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिये भी किया जा सकता है।

• मैसर्स एयरबस डिफेन्स एंड स्पेस एसए के साथ रक्षा मंत्रालय के बीच हस्ताक्षरित अनुबंध के अनुसार इस निर्माण सुविधा में 40 विमानों का निर्माण किया जाएगा, जबकि 16 विमानों की आपूर्ति फ्लाईअवे स्थिति में की जाएगी ।

 

5. आत्मनिर्भरता की निरंतर खोज - अन्य प्रमुख घोषणाएं:

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां: रक्षा मंत्रालय द्वारा चार सूचियां- 101 वस्तुओं की दो तथा रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की क्रमशः 780 एवं 107 वस्तुओं की दो अन्य सूचियां अधिसूचित की गईं। रक्षा मंत्री ने प्रमुख उपकरण/ प्लेटफार्मों की 101 वस्तुओं की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची अप्रैल में जारी की जबकि अक्टूबर में गुजरात में डेफएक्सपो 2022 के उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा 101 अन्य वस्तुओं की चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की घोषणा की गई थी। 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत डीपीएसयू द्वारा आयात को कम करने के लिए, रक्षा मंत्रालय ने मार्च में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 107 लाइन रिप्लेसमेंट युनिट्स (एलआरयू)/ सब-सिस्टम की एक और सूची को एक समय सीमा के साथ मंजूरी दी, जिस समय सीमा के आगे उनके आयात पर प्रतिबंध होगा । अगस्त में रक्षा मंत्री ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 780 एलआरयू/ उप-प्रणालियों/ पुर्ज़ों की तीसरी सूची को मंजूरी दी।

केंद्रीय बजट 2022-23: बजट 2022-23 में रक्षा सेवाओं के पूंजी परिव्यय के तहत कुल आवंटन को बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। पूंजीगत खरीद बजट का 68% घरेलू उद्योग के लिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने के लिए निर्धारित किया गया।

रक्षा निर्यात: सरकार के लगातार प्रयासों के कारण पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात में 334 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रक्षा निर्यात ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 13,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया। भारत अब 75 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है।

ब्रह्मोस: दो पी-15बी युद्धपोतों के लिये 35 कॉम्बैट एवं 3 प्रैक्टिस ब्रह्मोस मिसाइलों के अधिग्रहण के लिये मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत के साथ 1,723 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए।

ईडबल्यूएसए/ आईईडबल्यूआर: भारतीय वायु सेना के लिए 42 डी-29 ईडबल्यू सिस्टम एंड एसोसिएटेड इक्विपमेंट और एक इंस्ट्रूमेंटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर रेंज (आईईडबल्यूआर) की बाय (इंडियन) श्रेणी में खरीद के लिए मैसर्स बीईएल, बेंगलुरु एंड हैदराबाद से क्रमशः 1,993 करोड़ एवं 1,109 करोड़ रुपये रुपये की कुल लागत में दो अनुबंधों पर मार्च में हस्ताक्षर किये गए थे।

कमांडर थर्मल इमेज: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) से टी-90 टैंकों के लिये 957 कमांडर थर्मल इमेज (टीआई) कम डे साइट की खरीद के लिये फरवरी में एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए थे। अनुबंध की कुल लागत 1,075 करोड़ रुपये है।

फास्ट पेट्रोल वेसल: भारतीय तटरक्षक के लिए मैसर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल), गोवा के साथ बाय (इंडियन) श्रेणी के तहत कुल 473.47 करोड़ रुपये की लागत से आठ फास्ट पेट्रोल वेसल (एफपीवी) के निर्माण के लिये एक अनुबंध पर मार्च में हस्ताक्षर किये गए।

बहुउद्देश्यीय पोत: भारतीय नौसेना के लिए मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, मुंबई से दो बहुउद्देश्यीय जहाजों (एमपीवी) की खरीद के लिये मार्च में बाय (इंडियन) श्रेणी के तहत 887 करोड़ रुपये की कुल लागत के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए।

बोलार्ड पुल टग: छह 25-टन बोलार्ड पुल टग के निर्माण का अनुबंध मैसर्स टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड, कोलकाता के साथ संपन्न हुआ। 30 साल के सेवा जीवन के साथ ये टग नौसेना के जहाजों एवं पनडुब्बियों को बर्थिंग और अन-बर्थिंग, टर्निंग और कम जगह वाले पानी में युद्धाभ्यास में मदद करने में सक्षम होंगे।

आईडीईएक्स प्राइम: रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में डेफकनेक्ट 2.0 के दौरान इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) प्राइम और छठा डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी 6) लॉन्च किया। इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) प्राइम का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में बढ़ते स्टार्ट-अप की मदद करने के लिये 1.5 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये तक की आवश्यकता वाली परियोजनाओं का साथ देना है। 38 प्रॉब्लम स्टेटमेंट्स के साथ छठा डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी 6) भी लॉन्च किया गया।

रक्षा में एआई: नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित पहली 'एआई इन डिफेंस' संगोष्ठी और प्रदर्शनी के दौरान रक्षा मंत्री द्वारा 75 नव-विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) उत्पादों/ प्रौद्योगिकियों का शुभारंभ किया गया। उत्पाद एआई प्लेटफॉर्म ऑटोमेशन जैसे विभिन्न डोमेन स्वायत्त/ मानवरहित/ रोबोटिक्स सिस्टम; ब्लॉक चेन-आधारित स्वचालन; कमांड, कंट्रोल, क्म्युनिकेशन, कंप्यूटर एंड इंटेलिजेंस, सर्विलांस एंड रिकॉनोसे; साइबर सुरक्षा; मानव व्यवहार विश्लेषण; इंटेलिजेंट मॉनिटरिंग सिस्टम; घातक स्वायत्त हथियार प्रणाली; लॉजिस्टिक्स एवं सप्लाई चेल मैनेजमेंट, ऑपरेशनल डेटा विश्लेषिकी; निर्माण एवं रखरखाव; नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग करके सिमुलेटर/ परीक्षण उपकरण और भाषण/ आवाज विश्लेषण के अंतर्गत आते हैं ।

यूएस नेवी शिप रिपेयर: 'मेक इन इंडिया' को भारी बढ़ावा देने और भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में एक नया आयाम जोड़ने के लिए, यूएस नेवी शिप चार्ल्स ड्रू ने मरम्मत और संबंधित सेवाओं के लिए अगस्त में कट्टुपल्ली, चेन्नई में एल एंड टी के शिपयार्ड का दौरा किया। यह भारत में अमेरिकी नौसेना के किसी जहाज की पहली मरम्मत थी।

   6. डेफएक्स्पो 2022:

• 12वीं और अब तक की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी – डेफएक्सपो 2022 'पाथ टू प्राइड' थीम पर आधारित, वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए एक उदीयमान क्षेत्र के रूप में भारत के रक्षा उद्योग के आगे बढ़ने की ओर संकेत करती है। विशेष रूप से भारतीय कंपनियों के लिए आयोजित पांच -दिन के कार्यक्रम में 1,340 से अधिक प्रदर्शकों, व्यवसायों, निवेशकों, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, सशस्त्र बलों तथा अनेक देशों के प्रतिनिधियों की अद्वितीय भागीदारी देखी गई, आयोजन स्थल पर होने वाले कार्यक्रमों के लिये चार स्थान बनाए गए।

• इस ऐतिहासिक डेफएक्सपो के महत्व को तब बल मिला जब प्रधानमंत्री ने उद्घाटन समारोह की शोभा बढ़ाई और दुनिया को 'आत्मनिर्भर भारत' यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची सहित कई घोषणाएं कीं; हमारी पश्चिमी सीमा से मात्र 130 किमी दूर स्थित वायुसेना स्टेशन डीसा की आधारशिला रखी; एचएएल द्वारा डिजाइन और विकसित एचटीटी-40 प्रशिक्षण विमान का अनावरण किया; मिशन डेफस्पेस लॉन्च किया और भारत और गुजरात मंडपों का उद्घाटन किया।

• रक्षा मंत्री के नेतृत्व ने तीन व्यावसायिक और दो सार्वजनिक दिनों में दर्जनों कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के साथ डेफएक्सपो के विज़न को जमीनी स्तर पर लागू करने योग्य बनाया और एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण एवं सहयोग के लिये पूरे राष्ट्रीय रक्षा पारितंत्र के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म तैयार किया।

• निवेशकों और व्यवसायों की जबरदस्त रुचि से पता चला है कि 2025 तक 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात के साथ 22 बिलियन अमेरीकी डालर के रक्षा क्षेत्र का उद्देश्य हासिल किया जाएगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास, वायु युद्ध के लिए नई तकनीकों, रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण, निर्यात को बढ़ावा देने और निवेश को प्रोत्साहित करने संबंधी व्यापक विषयों पर विचार-मंथन करने के लिये तीन व्यावसायिक दिनों में 20 से अधिक सेमिनारों में रक्षा क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क एक साथ आए।

• 451 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, प्रौद्योगिकी समझौतों का हस्तांतरण, उत्पाद लॉन्च और घरेलू व्यवसायों के लिये 1.5 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर, रक्षा के क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को और सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं, आरएंडडी तथा जनता एवं निजी कंपनियों द्वारा रक्षा उत्पादन के बीच एकीकरण को दर्शाते हैं।

• डेफएक्सपो 2022 में बोए गए विभिन्न रक्षा पहलों के बीज भविष्य में भारत की आत्मनिर्भरता की खोज में योगदान देने और राष्ट्र को एक शीर्ष रक्षा निर्यातक के रूप में आगे बढ़ाने में योगदान देने का वायदा करते हैं, जहां हर किसी की भूमिका होनी है।

7. प्रमुख सफल मिसाइल परीक्षणः

ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज वर्जन: मई में, भारत ने सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस एयर लॉन्च मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्ज़न का सफलतापूर्वक परीक्षण किया । योजना के अनुसार विमान से प्रक्षेपण किया गया और मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया।

पृथ्वी-II: कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल, पृथ्वी-II का एक सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण जून में एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर, ओडिशा से किया गया। मिसाइल एक सिद्ध प्रणाली है और बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

अग्नि: भारत ने नवंबर में ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-3 का सफल प्रशिक्षण किया। यह सामरिक बल कमांड के तत्वावधान में किए गए नियमित उपयोगकर्ता प्रशिक्षण लॉन्च का एक हिस्सा था। लॉन्च एक पूर्व निर्धारित सीमा के लिए किया गया था और सिस्टम के सभी ऑपरेशनल मापदंडों को सत्यापित किया गया। इससे पहले जून में अग्नि-4 का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण किया गया।इसने सभी ऑपरेशनल मापदंडों के साथ-साथ सिस्टम की विश्वसनीयता को भी सत्यापित किया। यह सफल परीक्षण भारत की 'विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध' क्षमता की नीति की पुष्टि करता है।

सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल: आईएनएस अरिहंत ने अक्टूबर में एक सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया। मिसाइल का एक पूर्व निर्धारित सीमा तक परीक्षण किया गया और इसने बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य क्षेत्र को बहुत उच्च सटीकता के साथ भेदा। हथियार प्रणाली के सभी सामरिक और तकनीकी मापदंडों को सत्यापित किया गया है।

हेलिना: अप्रैल में स्वदेशी रूप से विकसित हेलीकॉप्टर ने एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल 'हेलिना' लॉन्च की, जिसका उपयोगकर्ता सत्यापन परीक्षणों के अंतर्गत विभिन्न उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दो बार सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। उड़ान परीक्षण संयुक्त रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना द्वारा आयोजित किये गए। उड़ान परीक्षण एक उन्नत हल्के हेलीकाप्टर से किए गए थे और इस मिसाइल को नकली टैंक लक्ष्य को भेदते हुए सफलतापूर्वक दागा गया था।

लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल: स्वदेशी रूप से विकसित लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा आर्मर्ड कॉर्प्स सेंटर एंड स्कूल, अहमदनगर के सहयोग से के के रेंज में मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन से जून में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इस परीक्षण में एटीजीएम ने किताबी सटीकता के साथ लक्ष्य के केंद्र में प्रहार कर उसको न्यूनतम दूरी पर सफलतापूर्वक पराजित कर दिखाया। पूरी तरह से स्वदेशी एटीजीएम एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ईआरए) संरक्षित बख्तरबंद वाहनों पर निशाना साधने के लिये एक हाई एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक (हीट) वारहेड का उपयोग करता है।

नेवल एंटी-शिप मिसाइल: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने मई में ओडिशा के चांदीपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) से नौसेना के हेलीकॉप्टर से लॉन्च की गई स्वदेशी रूप से विकसित नेवल एंटी-शिप मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया। यह भारतीय नौसेना के लिए पहला स्वदेशी एयर लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम था। मिसाइल ने वांछित समुद्री स्किमिंग प्रक्षेपवक्र का पालन किया और यह नियंत्रण, मार्गदर्शन और मिशन एल्गोरिदम का सत्यापन करते हुए उच्च स्तर की सटीकता के साथ निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंच गया । इसने हेलीकॉप्टर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लॉन्चर समेत अनेक नई तकनीकों का उपयोग किया।

क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने ओडिशा तट से दूर आईटीआर चांदीपुर से सतह से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआर-सैम) प्रणाली के छह उड़ान-परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किये। यह उड़ान परीक्षण भारतीय सेना द्वारा मूल्यांकन परीक्षणों के अंतर्गत आयोजित किये गए थे। यह उड़ान-परीक्षण हथियार प्रणालियों की क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न प्रकार के खतरों की नकल करने वाले उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ अलग-अलग परिदृश्यों के अंतर्गत किए गए जिनमें लॉंग रेंज मीडियम एल्टीट्यूड, शॉर्ट रेंज, हाई एल्टीट्यूड मैनूवरिंग टारगेट, लो रडार सिग्नेचर ग़ायब होते एवं गुज़रते लक्ष्य एवं कम अंतराल में दागी गई दो मिसाइलों के साथ सैल्वो लॉन्च शामिल थे।

मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल: सेना की मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल हथियार प्रणाली ने एक बार फिर से दो मिसाइलों के रूप में अपनी प्रभावशीलता साबित की है, मार्च में ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर में इस मिसाइल ने अपने उड़ान परीक्षणों के दौरान उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ सीधी हिट हासिल की। इस लॉंच से मिसाइल सिस्टम की सी-स्किमिंग तकनीक एवं ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालित किये जाने संबंधी सटीकता और विश्वसनीयता स्थापित हो पाई ।

वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल: वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का डीआरडीओ और भारतीय नौसेना द्वारा आईटीआर, चांदीपुर में भारतीय नौसेना के जहाज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया । सी-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट दूरी पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए यह प्रणाली भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगी।

फेज़ टू बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नवंबर में ओडिशा के तट से दूर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से बड़े मारक क्षमता वाले फेज़ टू बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर एडी-1 मिसाइल का सफल प्रथम उड़ान परीक्षण किया। यह उड़ान-परीक्षण विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित सभी बीएमडी हथियार प्रणाली तत्वों की भागीदारी के साथ किया गया। एडी-1 एक लंबी दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है जो लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों एवं विमानों के कम एक्सो-वायुमंडलीय और एंडो-वायुमंडलीय अवरोधन दोनों के लिए डिज़ाइन की गई है।

मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल: जनवरी में डीआरडीओ ने मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल के फाइनल डिलिवरेबल कॉन्फिगरेशन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-टैंक मिसाइल एक कम वजन वाली, फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है और इसे थर्मल दृष्टि से एकीकृत एक मैन पोर्टेबल लॉन्चर से लॉन्च किया जाता है। मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर निशाना साधा और उसे नष्ट कर दिया।

ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर: डीआरडीओ द्वारा जुलाई में कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित वैमानिकी परीक्षण रेंज से ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर की पहली उड़ान सफलतापूर्वक भरी गई। पूरी तरह से स्वायत्त मोड में संचालन करते हुए विमान ने एक परिपूर्ण उड़ान प्रदर्शित की जिसमें टेक-ऑफ, वे पॉइंट नेविगेशन तथा सहजतापूर्वक किया गया टचडाउन शामिल है।

8. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थितिः

• कूटनीतिक और सैन्य प्रयासों से सितंबर में पीपी 15 (पूर्वी लद्दाख) के क्षेत्र से चीन की पीएलए के साथ प्रभावी सैन्य डिसइंगेजमेंट हासिल किया गया। यह डिसइंगेजमेंट पिछले ऐसे डिसइंगेजमेंट, जो अगस्त 2021 में गोगरा से प्रभावी हुआ था, के लगभग एक साल बाद किया गया। दोनों देशों के बीच एंगेजमेंट मैकेनिज्म के अंतर्गत कोर कमांडर स्तर की बैठकों के कुल 16 दौर और परामर्श व समन्वय से जुड़े कार्य तंत्र की बैठकों के 12 दौर आज तक आयोजित किये गए हैं और पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच शेष क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट पर चर्चा करने के लिए वार्ता निर्धारित की जा रही हैं।

• दिनांक 09 दिसंबर, 2022 को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी का उल्लंघन करने और यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की थी। रक्षा मंत्री ने घटना पर संसद में बयान दिया। उन्होंने दोनों सदनों को सूचित किया कि चीनी प्रयास का भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमने-सामने हाथापाई हुई, जिसमें भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसपैठ करने से रोका और उन्हें अपनी चौकियों पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया। इस मारपीट में दोनों पक्षों के कुछ सैन्य कर्मियों को चोटें आई हैं। उन्होंने दोनों सदनों को सूचित किया कि हमारी ओर से कोई सैनिक हताहत या गंभीर रूप से हताहत नहीं हुआ है। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण, पीएलए के सैनिक अपने स्थानों पर वापस चले गए। घटना की अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में क्षेत्र में स्थानीय कमांडर ने दिनांक 11 दिसंबर को अपने समकक्ष के साथ स्थापित तंत्र के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक फ्लैग मीटिंग आयोजित की। चीनी पक्ष से इस तरह की हरकतों से बचने और सीमा पर अमन-चैन बनाए रखने के लिये कहा गया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से भी उठाया गया।

9. आईएएफ वेपन सिस्टम ब्रांचः

  • भारतीय वायु सेना के लिए एक ऐतिहासिक कदम में सरकार ने एक नई शाखा 'वेपन सिस्टम (डब्ल्यूएस) ब्रांच' के निर्माण को मंजूरी दी । इसके अंतर्गत सभी वेपन सिस्टम ऑपरेटर एक बॉडी के अंतर्गत आ जाएंगे जो ग्राउंड-आधारित और विशेषज्ञ एयरबोर्न वेपन प्रणालियों की सैन्य तैनाती के लिये एक समर्पित इकाई होगी ।

• इस ब्रांच के तहत चार विशेषज्ञ धाराओं- सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट और ट्विन/मल्टी-क्रू एयरक्राफ्ट में वेपन सिस्टम ऑपरेटर- में ऑपरेटर होंगे । यह ब्रांच भारतीय वायु सेना की युद्ध लड़ने की क्षमता को बढ़ाकर अत्यधिक योगदान देगी ।

    10. प्रमुख नियुक्तियां:

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ: सरकार ने सितंबर में जनरल अनिल चौहान को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया। उन्होंने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया जिन्होंने पिछले साल तमिलनाडु में एक दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी थी।

सेना प्रमुख: अप्रैल में जनरल मनोज पांडे ने जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, जो चार दशक के शानदार करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए थे, से 29वें थल सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला।

रक्षा सचिव: वर्ष 1988 बैच के आईएएस अधिकारी श्री गिरिधर अरमाने ने नवंबर में रक्षा सचिव का पद ग्रहण किया। उन्होंने डॉ. अजय कुमार का स्थान लिया, जो एक शानदार करियर के बाद सेवानिवृत्त हुए ।

सचिव (भूतपूर्व सैनिक वेलफेयर): वर्ष 1990 बैच के आईएएस अधिकारी श्री विजय कुमार सिंह ने सितंबर में सचिव, भूतपूर्व सैनिक कल्याण का पदभार ग्रहण किया। उन्होंने 1987 बैच के आईएएस अधिकारी श्री बी आनंद का स्थान लिया जो अपनी सेवा से निवृत्त हुए थे ।

11. अंतर्राष्ट्रीय सहयोगः

  • आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स प्लस: रक्षा मंत्री ने नवंबर में सिएम रीप, कंबोडिया की अपनी यात्रा के दौरान आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (एडीएमएम प्लस) में भाग लिया और पहली भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक की सह-अध्यक्षता की। एडीएमएम के दौरान श्री राजनाथ सिंह ने अंतरराष्ट्रीय और सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए दृढ़ वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हुए एक स्वतंत्र, खुले एवं समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र के भारत के दृष्टिकोण को दोहराया। भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और आसियान को क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिये मिलकर काम करना चाहिए। भारत-आसियान संबंधों को और विस्तार देने के लिए उन्होंने यूएन पीस कीपिंग ऑपरेशंस में महिलाओं के लिये पहल और समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के लिए पहल की घोषणा की।

भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता: रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने अप्रैल में वाशिंगटन डीसी में चौथी भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लिया। इस वार्ता के दौरान सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की गई और संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की गई। रक्षा मंत्री ने अमेरिकी कंपनियों के साथ सह-विकास और सह-उत्पादन की दिशा में साझेदारी करने की भारत की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत अमेरिकी रक्षा कंपनियों द्वारा भारत में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए अमेरिकी रक्षा सचिव के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की।

भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता: रक्षा मंत्री ने विदेश मंत्री के साथ सितंबर में टोक्यो में दूसरी भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लिया । इस बैठक के दौरान आपसी हित के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई । सामुद्रिक डोमेन जागरूकता समेत समुद्री सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर इस दौरान व्यापक चर्चा हुई । दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति थी कि दोनों देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित मुक्त, खुले, नियम-आधारित और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए मजबूत भारत-जापान संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं ।

भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता: श्री राजनाथ सिंह ने नवंबर में नई दिल्ली में फ्रांसीसी गणराज्य के सशस्त्र बलों के मंत्री श्री सेबेस्टियन लेकोर्नू के साथ चौथी भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित की। उन्होंने समुद्री सहयोग को मजबूत करने और द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे तथा गहराई को बढ़ाने के तौर तरीक़ों पर चर्चा की। इस चर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में से एक 'मेक इन इंडिया' पर ध्यान देने के साथ रक्षा औद्योगिक सहयोग था। भविष्य के सहयोग और संभावित सह-उत्पादन के अवसरों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री की भारत यात्रा: जून में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह तथा ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधान मंत्री एवं रक्षा मंत्री श्री रिचर्ड मार्लेस ने नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने रक्षा संबंधी मौजूदा द्विपक्षीय गतिविधियों की समीक्षा की, जो कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद बढ़ रही हैं तथा दोनों नेताओं ने आगे सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

रक्षा मंत्री की वियतनाम यात्रा: श्री राजनाथ सिंह ने दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र के साथ संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से जून में वियतनाम की आधिकारिक यात्रा की। उन्होंने अपने वियतनामी समकक्ष जनरल फान वान गियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और वियतनाम को भारत सरकार की 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की डिफेंस लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत निर्मित 12 हाई स्पीड गार्ड नौकाएं सौंपने वाले समारोह की अध्यक्षता की।

रक्षा मंत्री की मंगोलिया यात्रा: रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने सितंबर में मंगोलिया की आधिकारिक यात्रा की। वह इस पूर्वी एशियाई देश का दौरा करने वाले पहले भारतीय रक्षा मंत्री बने। उन्होंने अपने मंगोलियाई समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल सैखनबयार गुरसेद के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के अलावा द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रभावी और व्यावहारिक कदमों पर बातचीत की । रक्षा मंत्री ने भारत सरकार की सहायता से उलानबटार में निर्मित साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया तथा राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में और भारत-मंगोलिया फ्रेंडशिप स्कूल की आधारशिला रखी, जिसे भी भारतीय सहायता से स्थापित किया जा रहा है।

संयुक्त सैन्य अभ्यास: वर्ष 2022 में भारतीय सशस्त्र बलों ने देश और विदेश में मित्र राष्ट्रों के साथ अनेक अभ्यासों का आयोजन किया, जो भारत सरकार की सेना को सर्वोत्तम विदेशी प्रथाओं से अवगत कराने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता के अंतर्गत आयोजित किये गए ।

12 सेरिमोनियल कार्यक्रमः

गणतंत्र दिवस: राष्ट्र ने इस वर्ष 73वां गणतंत्र दिवस मनाया। यह समारोह विशेष था क्योंकि यह गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में पड़ा, जिसे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया गया। इस अवसर को मनाने के लिए, रक्षा मंत्रालय ने मुख्य परेड और 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह के दौरान नये कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की परिकल्पना की।

• अमर जवान ज्योति की ज्वाला को पूरे सैन्य सम्मान के साथ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की चिरकालिक ज्योति में विलीन कर दिया गया।

• इस बार पहली बार, 'बीटिंग द रिट्रीट' समारोह के दौरान ड्रोन शो का आयोजन किया गया। स्वदेशी तकनीक के माध्यम से निर्मित लगभग 1,000 ड्रोन से जुड़े 10 मिनट के शो को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत अवधारणा, डिजाइन, उत्पादन और कोरियोग्राफ किया गया था। यह स्टार्टअप 'बॉटलैब डायनेमिक्स' द्वारा आयोजित किया गया था और आईआईटी दिल्ली तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा इस आयोजन में सहायता प्रदान की गई थी।

• आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की दीवारों पर लगभग छह मिनट की अवधि का एक प्रोजेक्शन मैपिंग शो दिखाया गया।

• कोविड-19 के समय में गणतंत्र दिवस परेड और बीटिंग द रिट्रीट समारोह के लिए इको-फ्रेंडली निमंत्रण कार्ड तैयार किये गए थे। अश्वगंधा, घृतकुमारी और आंवले के औषधीय पौधों के बीजों से कार्ड तैयार किये गए थे जिन्हें बगीचों/ फूलों के गमलों में लगाया जा सकता है।

• वीरता पुरस्कार पोर्टल (www.gallantryawards.gov.in) द्वारा होस्ट किये गए एक इंटरैक्टिव वर्चुअल संग्रहालय का उद्घाटन रक्षा राज्य मंत्री द्वारा किया गया । इसमें 3डी वॉक थ्रू एक्सपीरियंस, गैलरी बिल्डिंग, लॉबी, वॉल ऑफ फेम, वॉर मेमोरियल टूर, वॉर रूम, रिसोर्स सेंटर, सेल्फी बूथ और इक्विपमेंट डिस्प्ले आदि शामिल हैं।

• अन्य पहलों में एनसीसी द्वारा शहीदों और उनके परिवारों के सर्वोच्च बलिदान का सम्मान करने के लिए 'शहीदों को शतशत नमन' कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया; 75 विमानों/हेलीकॉप्टरों द्वारा एक भव्य फ्लाईपास्ट किया गया; राष्ट्रव्यापी 'वंदेभारतम' प्रतियोगिता के माध्यम से चुने गए 480 नर्तकों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित हुआ; 'कला कुंभ' के दौरान तैयार किए गए 75 मीटर के दस स्क्रॉल का प्रदर्शन की गया तथा दर्शकों को देखने के बेहतर अनुभव के लिए 10 बड़ी एलईडी स्क्रीन की स्थापना की गई थी।

• कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, परेड के लिये दर्शकों की सीटों की संख्या में काफी कमी की गई और लोगों को समारोह को ऑनलाइन देखने के लिए MyGov पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

स्वतंत्रता दिवस: प्रधानमंत्री ने दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से ऐतिहासिक 76वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में देश का नेतृत्व किया। इस वर्ष समारोह के दौरान निम्नलिखित नये घटकों को शामिल किया गया:-

एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम: झंडारोहण समारोह के दौरान 21 तोपों की सलामी के लिए पारंपरिक गन सिस्टम के साथ-साथ स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया। इस गन सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।

फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा: भारतीय वायु सेना के स्वदेशी रूप से विकसित दो एमआई-17 हेलीकाप्टरों ने आमंत्रितों पर फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा की।

स्क्रॉल पेंटिंग्स: गणतंत्र दिवस समारोह 2022 के दौरान नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट द्वारा बनाई गई स्क्रॉल पेंटिंग्स को माधवदास पार्क और 15 अगस्त पार्क में व्यू कटर के रूप में स्थापित किया गया। इन चित्रों का उपयोग लाल किले के अंदर मीना बाज़ार क्षेत्र को सजाने के लिये भी किया गया।

ज्ञानपथ पर विशाल भारत मानचित्र का निर्माण: ज्ञानपथ पर लकड़ी के फर्श पर भारत का एक बड़ा नक्शा तैयार किया गया जिसमें सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के एनसीसी कैडेट अपने-अपने राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के स्थान पर स्थानीय पारंपरिक पोशाक में बैठे थे।

युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम: एनसीसी द्वारा दिनांक 09-17 अगस्त, 2022 के बीच विशेष युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम इस कार्यक्रम में 14 देशों- मॉरीशस, अर्जेंटीना, सेशेल्स, यूएई, मोजाम्बिक, फिजी, यूएसए, यूके, इंडोनेशिया, मालदीव, नाइजीरिया, किर्गिज गणराज्य, ब्राजील और उज्बेकिस्तान- के लगभग 127 कैडेट/ युवा हिस्सा थे। इन युवाओं को लाल किले पर ध्वजारोहण समारोह देखने के लिये आमंत्रित किया गया था।

विशेष आमंत्रित महानुभाव: पैरालम्पिक पदक विजेताओं सहित विशेष आमंत्रितों के लिये अलग से बैठने की व्यवस्था की गई थी। समाज के गुमनाम नायकों, जिन्हें आमतौर पर अनदेखा किया जाता है, जैसे मुर्दाघर कार्यकर्ता, सड़क विक्रेता, सफल मुद्रा योजना ऋणी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि, को भी आमंत्रित किया गया था।

लाल किले की दीवार पर विषयगत सजावट: लाल किले की प्राचीर की सामने की दीवार पर विशालकाय भित्ति चित्र स्थापित किया गया। भारत के विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की बड़ी वॉल हैंगिंग लाल किले की सामने की दीवार पर लगाई गई थी।

अन्य सजावट: ज्ञानपथ पर एनसीसी कैडेटों के पीछे कंटेनर कला स्थापित की गई थी। लाल किले के लाहौरी गेट और खाई क्षेत्र में हाथी के वास्तविक आकार के पांच फीगर स्थापित किए गए थे। दर्शकों के लिये सेल्फी पॉइंट के रूप में कार्य करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न प्रतिष्ठान स्थापित किये गए थे।

रक्षा अलंकरण समारोह: रक्षा अलंकरण समारोह 2022 का आयोजन राष्ट्रपति भवन में रक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रपति सचिवालय के सहयोग से दो चरणों में किया गया । पहला चरण 10 मई को हुआ था, जबकि दूसरा 31 मई को आयोजित हुआ था । राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश पुलिस कर्मियों को वीरता के साथ-साथ विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्रदान किये। कुल मिलाकर, एक कीर्ति चक्र, 27 शौर्य चक्र, 29 परम विशिष्ट सेवा पदक, चार उत्तम युद्ध सेवा पदक और 53 विशिष्ट सेवा पदक राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये गए ।

रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ सशस्त्र बलों के विभिन्न विभागों की अन्य उपलब्धियों का विवरण इस प्रकार है:

 

भारतीय सेना

  • भारतीय सेना ने मुख्य रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा एवं नियंत्रण रेखा पर स्थिरता और प्रभुत्व सुनिश्चित करने की भारत की इच्छा के अनुरूप अपनी अभियानगत तैयारियों को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया, साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये उभरते हुए एवं भविष्य के संभावित खतरों की निगरानी और समीक्षा करते हुए लगातार विद्रोह/ आतंकवाद का मुकाबला किया तथा प्रशिक्षण के उच्च मानकों को बनाए रखा। भारतीय सेना सैन्य आधुनिकीकरण और देश के विरोधियों द्वारा आक्रामक कार्रवाइयों से पैदा हुए मिले जुले खतरों से उत्पन्न होने वाली सभी सैन्य आकस्मिकताओं के लिए तैयार रहती है, इसके साथ ही भौतिक सीमाओं के धुंधला होने के कारण साइबर, अंतरिक्ष और सूचना डोमेन में उभरते खतरों से निपटने के लिये अपनी क्षमता का निर्माण करती है। सेना में प्रौद्योगिकी के समावेश से, फोर्स मल्टीप्लायर साबित होने वाले कदमों के शामिल होने से आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार के माध्यम से क्षमताओं को उत्तरोत्तर बढ़ाने का प्रयास ठीक प्रकार से आगे बढ़ रहा है।
  • डीजीएमओ की फरवरी 2021 की समझ बने रहने पर, नियंत्रण रेखा की स्थिति में पहले बनी समझ के दौरान रही हिंसा के स्तर की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। हालांकि पाकिस्तान ने छद्म युद्ध के बुनियादी ढांचे को बनाए रखा और जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध का मुकदमा चलाने का इरादा बनाए रखा। प्रशिक्षण शिविरों की कार्यप्रणाली, लॉन्च पैड्स में आतंकवादियों की मौजूदगी और घुसपैठ के निरंतर प्रयास पाकिस्तान के इरादों की पुष्टि करते हैं। पाकिस्तान ने निर्दोष युवाओं को कट्टरपंथी बनाने एवं उन्हें प्रेरित करने के लिये नारको-टेरर गठजोड़ का फायदा उठाना जारी रखा है जिससे वो पिस्तौल और ग्रेनेड जैसे हथियारों का उपयोग करके कमजोर नागरिकों को निशाना बनाते रहें।
  •  दोनों पक्षों द्वारा डीजीएमओ स्तर पर बनी समझ का पालन करने से स्थिति अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रही है । वर्ष 2020 में अपने चरम के दौरान 4,645 युद्धविराम उल्लंघन की तुलना में, फरवरी 2021 में समझौता होने के बाद से केवल तीन छोटी घटनाएं दर्ज की गई हैं, 2022 के दौरान केवल एक घटना पेश आई है ।
  • इस वर्ष, पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को भेजने के प्रयासों के परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के 12 प्रयासों को विफल किया गया है। इन प्रयासों में 18 विदेशी आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया और भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया।
  • धारा 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में लगातार सुधार देखा जा रहा है। 'होल ऑफ नेशन अप्रोच’ यानी ‘संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण’ के परिणामस्वरूप कश्मीर घाटी में हिंसा, पथराव एवं प्रदर्शनों में कमी आई है। प्रारंभिक सामान्य स्थिति के परिणामस्वरूप पवित्र अमरनाथ तीर्थ यात्रा पर जाने वाले 3.65 लाख तीर्थयात्रियों के साथ पर्यटन पर ध्यान केंद्रित किया गया और 2022 में घाटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मौजूदा वर्ष में अमरनाथ यात्रा का आतंकी घटना मुक्त संचालन न केवल मजबूत सुरक्षा संरचना का प्रमाण है बल्कि घाटी में स्थानीय लोगों के बीच शांति की इच्छा और इससे मिलने वाला फायदा पाने की उनकी इच्छा को भी दर्शाता है और कश्मीर के स्थानीय लोग इसके लिए समुचित श्रेय के पात्र हैं।
  • जम्मू-कश्मीर और पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण रही। वर्ष 2022 में सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सुरक्षा को भंग करने के लिए ड्रोन के उपयोग के लिये देश विरोधियों द्वारा गहरे प्रयास किये गए। भारतीय सेना ने इस खतरे का मुकाबला करने के लिए अनेक उपाय किये हैं। इसी तरह सशस्त्र आतंकवादियों की घुसपैठ के अलावा हथियारों, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए सीमा के करीब सुरंगों का निर्माण करने के लिये अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से सक्रिय शत्रुतापूर्ण तत्वों द्वारा लगातार प्रयास किये गए हैं। भारतीय सेना द्वारा स्वदेशी उद्योग के सहयोग से सुरंगों का पता लगाने के लिये विभिन्न उपकरणों का परीक्षण मूल्यांकन किया जा रहा है।
  • देश के उग्रवाद प्रभावित उत्तर पूर्वी हिस्से में भारतीय सेना और असम राइफल्स द्वारा दृढ़ और दयालुतापूर्ण दृष्टिकोण का संतुलन मूर्त व अमूर्त दोनों मापदंडों के माध्यम से स्पष्ट है, जैसे विद्रोही समूहों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई से प्राप्त परिणाम, विद्रोहियों की मुख्यधारा में वापसी और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के तहत आने वाले क्षेत्रों को कम करने के लिए सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय। दिनांक 1 जनवरी से सेना, असम राइफल्स, सीएपीएफ और राज्य पुलिस के समन्वित प्रयासों से तीन कैडरों को निष्क्रिय कर दिया गया, 339 कैडरों की गिरफ्तारी की गई, विभिन्न विद्रोही समूहों से 133 कैडरों द्वारा आत्मसमर्पण करवाया गया है एवं विभिन्न प्रकार के 342 हथियारों की बरामदगी हुई है ।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में नशीली दवाओं के ख़तरे को कम करने के लिए सुरक्षा बलों का गंभीर प्रयास, आंतरिक इलाकों के साथ-साथ भारत-म्यांमार सीमा पर उनका प्रभावी वर्चस्व, पुलिस और नागरिक प्रशासन के साथ अच्छा समन्वय और नापाक गतिविधियों को रोकने के लिए एक मजबूत संकल्प ने वर्ष के दौरान 595.73 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की सफलतापूर्वक बरामदगी की है। सेना और असम राइफल्स ने विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, स्वास्थ्य एवं शैक्षिक शिविरों, सेमिनारों व बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय आबादी तक पहुंचना जारी रखा। नागरिक समाज संगठनों के साथ-साथ राज्य एवं केंद्रीय नेतृत्व द्वारा भी सशस्त्र बलों के प्रयासों की सराहना की गई है।
  • भारतीय सेना की आधुनिकीकरण योजना अनिवार्य रूप से घोषित राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुसार 'बल क्षमताओं' का विकास करने पर आधारित है। आधुनिकीकरण योजना में पुरानी पड़ चुकी क्षमताओं से निपटने के अलावा, महत्वपूर्ण कॉम्बैट क्षमताओं का विकास करना शामिल है। वर्तमान में हमारी अधिग्रहण योजनाएं आधुनिक तकनीकों को शामिल करते हुए उन्नत क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और साथ ही साथ मौजूदा उपकरणों की घातकता, सटीकता एवं विश्वसनीयता में सुधार कर रही हैं। आकाश मिसाइल सिस्टम, सैटेलाइट, मॉड्यूलर ब्रिज, युटिलिटी हेलीकॉप्टर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टो गन सिस्टम जैसे प्लेटफॉर्म्स का अधिग्रहण 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने के बेहतरीन उदाहरण हैं। वर्तमान में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 140 योजनाएं अधिग्रहण के विभिन्न चरणों में हैं । भविष्य के साथ-साथ आमूलचूल परिवर्तन लाने वाली तकनीकों में निवेश करने के लिये, मेक इन इंडिया और इनोवेशन इन डिफेंस एक्सीलेंस के माध्यम से भी परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
  • भारतीय सेना देश भर में निजी उद्योग, एमएसएमई, अकादमिक और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के साथ संयुक्त रूप से 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत एक आत्मनिर्भर रक्षा पारितंत्र बनाने की ओर अग्रसर है। व्यापक तकनीकी प्रसार वाले उपकरणों की विस्तृत रेंज के साथ यह 'मेक इन इंडिया' को सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण इकाई है। आत्मनिर्भर भारत के तहत 338 उद्योगों से जुड़ी 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक की 202 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इन परियोजनाओं को सुगम बनाने के लिये पुणे व बेंगलुरु में क्षेत्रीय तकनीकी नोड स्थापित किये गए हैं। बड़ी संख्या में अनुबंध अब संपन्न हो रहे हैं जो कि घरेलू विक्रेताओं के पक्ष में हैं।
  • आर्टिलरी गन और मिसाइल सिस्टम के कुछ गोला बारूद में स्वदेशी निर्माण हासिल किया गया है जो हमें आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर ले जा रहा है। स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं विकसित उन्नत स्ट्राइक क्षमता के साथ उन्नत लोइटरिंग वेपन सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया भी अच्छी तरह से आगे बढ़ी है।

• युद्ध और शांति के दौरान सशस्त्र बलों की अभियानगत तैयारियों और तालमेल एवं युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए सेवा मुख्यालय स्तर पर थिएटर कमांड की स्थापना पर समवर्ती अध्ययन किया गया। पुनर्गठन पर लिये गए अनेक निर्णयों को संतोषजनक ढंग से कार्यान्वित किया जा रहा है।

• भारतीय सेना को प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित एक अधिक चुस्त एवं फुर्तीली सेना में बदलने के प्रयास में इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की परिकल्पना की गई थी। भारतीय सेना के सभी फॉर्मेशन्स की संरचना चरणबद्ध तरीके से इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी) मॉडल पर की जाएगी। आईबीजी-करण अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है और पहला चरण पूरा होने के करीब है।

• हाल के वर्षों में भारत के बढ़ते वैश्विक कद को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना द्वारा की जाने वाली रक्षा संबंधी सहयोग गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है। मित्र देशों की बढ़ती हुई संख्या ने भारतीय सेना के साथ जुड़ने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। आज तक हम संयुक्त अभ्यास, प्रशिक्षण, दौरे, संरचित जुड़ाव, पेशेवर प्रतियोगिताओं तथा चिकित्सा सहायता जैसे विषयों पर रक्षा सहयोग गतिविधियों के माध्यम से 110 देशों के साथ जुड़े हुए हैं।

• राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान देने के लिए भारतीय सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में अनुसंधान एवं अध्ययन, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में तिब्बत विज्ञान संवर्ग, पर्यटन को बढ़ावा देने, आतिथ्य व गृह प्रवास का प्रशिक्षण, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम, व्यावसायिक प्रशिक्षण, भर्ती अभियान और विभिन्न साहसिक गतिविधियों का आयोजन कर रही है। ये सभी जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं तथा सीमावर्ती गांवों में उत्तरजीविता एवं रोजगार के विकल्पों में सुधार करते हैं।

• महिलाएं भारतीय सेना के विभिन्न ऑपरेशनल थिएटरों में गर्व और आत्मविश्वास से सेवा कर रही हैं। वुमन कॉम्बैट एविएटर्स विभिन्न विमानन इकाइयों में अपने समकक्षों में शामिल हो गई हैं। सैन्य पुलिस कोर का हिस्सा बनने वाली महिला सैनिकों को 'अग्निपथ योजना' के माध्यम से भी शामिल किया जाएगा। महिला सैनिक भी संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यास के अंतर्गत महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं । जहां महिला अधिकारी पहले से ही विभिन्न साहसिक गतिविधियों का हिस्सा हैं और सैन्य अभियानों के लिये एयरबोर्न फॉर्मेशन्स का हिस्सा हैं, वहीं हाल ही में तीन महिला सैनिकों द्वारा स्काई डाइविंग गतिविधि एक नई शुरुआत है और भारतीय सेना युवा महिलाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिये प्रेरित करने के लिये इस तरह की और गतिविधियां आयोजित करने की योजना बना रही है।

• नागरिक प्रशासन से प्राप्त मांग के आधार पर, भारतीय सेना ने इस वर्ष मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) कार्यों के लिए देश के 11 राज्यों में 58 कॉलम (15 इंजीनियर टास्क फोर्स सहित) तैनात किये। ऐसे अभियानों में लगभग 31,000 व्यक्तियों को बचाया गया। जिनका विवरण इस प्रकार है:

 

क्रम संख्या

सहायता का प्रकार

प्रदेश

तैनात कॉलम की संख्या

बचाए गए नागरिकों की संख्या

(क)

बाढ़ राहत अभियान

 

हिमाचल प्रदेश

02

11

(ख)

राजस्थान

10

593

(ग)

महाराष्ट्र

01

113

    • (घ)

कर्नाटक

02

80

(ड़)

असम

19

29,884

(च)

तेलंगाना

01

-

(छ)

मध्यप्रदेश

02

217

(ज)

हिमस्खलन बचाव अभियान

उत्तराखंड

06

32

(झ)

केबल कार से बचाव

झारखंड

01

46

(ञ)

सस्पेंशन ब्रिज से बचाव

गुजरात

11

93

(ट)

पहाड़ की चोटी पर फंसे नागरिकों का बचाव अभियान

 

केरल

02

02

 

• रक्षा मंत्रालय की ओर से भारतीय सेना ने सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में योगदान के लिए मां भारती के सपूत वेब पोर्टल के शुभारंभ की सराहना की है। सक्रिय सैन्य अभियानों में जान गंवाने वाले या गंभीर रूप से घायल होने वाले सैनिकों/ नाविकों/ वायुसैनिकों के परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये देश के नागरिकों की रुचि अत्यधिक रही है।

• भारतीय सेना ने प्रकृति को पुनर्जीवन प्रदान करने और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिये विभिन्न हरित पहलें की हैं। मिशन अमृत सरोवर (75 जल निकायों का कायाकल्प), हरित छावनी प्रतियोगिता, स्थैतिक प्रतिष्ठानों के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को शामिल करना, अग्रिम क्षेत्रों में सौर संयंत्रों की स्थापना, ईंधन सेल प्रौद्योगिकी को शामिल करना और उच्च ऊंचाई पर सैनिकों के लिये कम धुआं पैदा करने वाले मिट्टी के तेल जैसी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

• भारतीय सेना संयुक्त अभ्यास एवं प्रशिक्षण संबंधी ठोस प्रयासों के माध्यम से मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग में सबसे आगे रही है, साथ ही सेना ने उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप सहायता करके अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी सुनिश्चित किया है। युद्धाभ्यासों में भारत व अमेरिका के बीच उत्तराखंड के औली में 'युद्ध अभ्यास 2022'; मेघालय में भारत-कजाकिस्तान संयुक्त अभ्यास 'काजिंद 2022'; रूस में बहुपक्षीय रणनीतिक और कमान अभ्यास 'वोस्तोक 2022'; भारत और मलेशिया के बीच 'हरिमऊ शक्ति 2022'; मंगोलिया में 16 देशों के सैन्य दलों की भागीदारी वाला बहुराष्ट्रीय शांति स्थापना अभ्यास "एक्सरसाइज़ खान क्वेस्ट 2022"; चंडीमंदिर में वियतनाम-भारत अभ्यास 'विनबैक्स 2022' और सेशेल्स रक्षा अकादमी में भारत-सेशेल्स अभ्यास 'लैमिटीये-2022' शामिल है।

      भारतीय नौसेना

अभियानगत तैनाती

मिशन आधारित तैनाती: राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करने और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में समुद्री महत्व के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निरंतर मौजूदगी/ लगभग निरंतर मौजूदगी बनाए रखने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपने हित वाले क्षेत्रों में मिशन आधारित तैनाती की। ये तैनाती माननीय प्रधानमंत्री के 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर)' के दृष्टिकोण के अनुरूप थी। भारतीय नौसेना के जहाजों और विमानों को ओमान की खाड़ी/फारस की खाड़ी, अदन की खाड़ी/लाल सागर, दक्षिण और मध्य आईओआर, सुंडा जलडमरूमध्य, अंडमान सागर/मलक्का जलडमरूमध्य और बंगाल की उत्तरी खाड़ी तक नियमित रूप से तैनात किया गया। इन तैनातियों ने क्षमता विकास व क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता, त्वरित मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) सहायता, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री समुदाय को सुरक्षा और अनुकूल नौसेनाओं के साथ अभियानगत जुड़ाव की सुविधा प्रदान की। इन तैनातियों ने भारतीय नौसेना को पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में 'प्रथम उत्तरदाता' और 'वरीय सुरक्षा भागीदार' बनने योग्य बनाया।

अदन की खाड़ी में सामुद्रिक डकैती रोधी गश्ती: इंडियन फ्लैग मर्चेंट वेसल्स (आईएफएमवी) के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए एडन की खाड़ी में एंटी-पायरेसी पेट्रोल 2008 में शुरू किया गया। वर्ष 2008 में समुद्री डकैती रोधी गश्त शुरू होने के बाद से अदन की खाड़ी में 100 भारतीय जहाजों को तैनात किया गया है।

ऑपरेशन संकल्प: होर्मुज जलडमरूमध्य से गुजरने वाले भारतीय फ्लैग मर्चेंट वेसल्स (आईएफएमवी) के सुरक्षित मार्ग को सुनिश्चित करने के लिए खाड़ी क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा ऑपरेशन कोड-नाम ऑपरेशन संकल्प रखा गया था। जून, 2019 से भारतीय नौसेना ने 36 युद्धपोतों को तैनात किया है और 453 भारतीय फ्लैग मर्चेंट वेसल्स (आईएफएमवी) पर लगभग 361 लाख टन कार्गो की सुरक्षा की है।

मिशन सागर: मैत्रीपूर्ण बाहरी देशों और समुद्री पड़ोसियों के अनुरोधों के जवाब में भारतीय नौसेना ने मिशन सागर के समग्र दायरे के अंतर्गत हिंद महासागर क्षेत्र में पांच देशों के जहाजों पर मानवीय एवं आपदा राहत (एचएडीआर) सामग्री और चिकित्सा उपकरणों का परिवहन शुरू किया है। वर्ष के दौरान किए गए एचएडीआर एवं चिकित्सा सहायता का विवरण इस प्रकार है:-

 

क्रम संख्या

युनिट

तिथि

देश

आपूर्ति की गई चिकित्सा सहायता

क.

केसरी

25 दिसंबर 2021- -1 जनवरी 2022

मैपुटो, मोज़ाम्बिक

  • 500 टन भोजन सामग्री
  • 55 टन वस्त्रादि सामग्री

7-11 जनवरी 2022

कॉमोरोस

2 ऑपरेशनल रेडीनेस फैसिलिटी कंटेनर्स

14-15 जनवरी 2022

पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स

सेशेल्स कोस्टगार्ड के जहाज पीएस ज़ोराअस्टर को पोर्ट विक्टोरिया से कोच्चि लाने में सहायता

ख.

 घड़ियाल

29 अप्रैल- 1 मई 2022

कोलंबो, श्रीलंका

760 किलोग्राम महत्वपूर्ण जीवनरक्षक दवाएं

03-05 मई, 2022

माले, मॉलदीव्स

2 एंबुलेंस

11-14 मई, 2022

पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स

गोलाबारूद समेत 03 सैल्युटिंग गन्स

27-28 मई 2022

कोलंबो, श्रीलंका

  • 15750 लीटर कैरोसीन
  • 27 टन मेडिकल स्टोर
  •  

 

 

 

एंटी-नारकोटिक्स ऑपरेशन: वर्ष 2022 में इस क्षेत्र की सुरक्षा एजेंसियों ने अरब सागर में बड़े पैमाने पर हेरोइन की खेप को पकड़ा। भारतीय नौसेना द्वारा अप्रैल, 2021 से नौ एंटी-नारकोटिक्स ऑपरेशन चलाए गए हैं। ये एंटी-नारकोटिक्स ऑपरेशन खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर चलाए गए।

युद्धाभ्यास पश्चिम लहर (एक्सपीएल) - 22: एक्सपीएल - 22 पश्चिमी समुद्र तट पर दिनांक 12 से 29 जनवरी, 2022 तक आयोजित कमांड स्तर का थिएटर विशिष्ट अभ्यास है। इस बड़े पैमाने के थिएटर स्तर के अभ्यास की परिकल्पना संघर्ष के विभिन्न परिदृश्यों में नौसेना के अभियानों की अवधारणा को परखने और सत्यापित करने के लिए की गई थी, नौसेना के युद्ध कौशल को सुधारने, पश्चिमी समुद्र तट में समुद्री सुरक्षा के प्रति भूमिका को मजबूत करने और 'कॉम्बैट रेडी, क्रेडिबल एवं कोहेसिव फोर्स' होने के विषय को ध्यान में रखते हुए की गई थी।

प्रेसिडेंट्स फ्लीट रिव्यू - 22: प्रेसिडेंट्स फ्लीट रिव्यू दिनांक 21 फरवरी, 2022 को विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में 60 जहाजों (भारतीय नौसेना के 54, कोस्टगार्ड के 03, एससीआई के 02 और एनआईओटी के 01 जहाज), तीन पनडुब्बियों, भारतीय नौसेना के 55 और कोस्टगार्ड के चार विमानों की भागीदारी हुई। इस समीक्षा में रक्षा मंत्री, रक्षा राज्य मंत्री और अन्य केंद्र और राज्य सरकार के गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए।

लंबी दूरी की अभियानगत तैनाती

जून-जुलाई, 2022 तक दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अभियानगत तैनाती पर भारती नौसेना के जहाजों सह्याद्री, ज्योति, कमोर्ता और कदमत को तैनात किया गया था।

जून-जुलाई, 2022 से क्षेत्रीय नौसेनाओं के साथ द्विपक्षीय अभ्यास के संचालन के लिए भारतीय नौसेना के जहाजों कोच्चि, चेन्नई और आदित्य को अदन की खाड़ी और लाल सागर में अभियानगत तैनाती पर रखा गया था।

भारतीय नौसेना के पोत सुमेधा को ईस्टर्न फ्लीट डिप्लॉयमेंट अंतर्गत जुलाई-सितंबर, 2022 से जावा सागर, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में तैनात किया गया था।

मई-अक्टूबर, 2022 से क्षेत्रीय देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास के लिए भारतीय नौसेना के पोत सतपुड़ा को दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत देशों में अभियानगत तैनाती पर रखा गया था।

भारतीय नौसेना के पोत तरकश को अटलांटिक महासागर, पश्चिमी अफ्रीका एवं पूर्वी अफ्रीका में जून से नवंबर 2022 तक क्षेत्रीय नौसेनाओं के साथ द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय अभ्यास के लिये सैन्य अभियागत तैनाती पर रखा गया था। जहाज ने अगस्त, 2022 और सितंबर, 2022 में नाइजीरियाई नौसेना के साथ गिनी की खाड़ी (जीओजी) में पहली बार संयुक्त गश्त की थी। ब्राजील के माननीय राष्ट्रपति ने रियो डी जनेरियो, ब्राजील में जहाज के ओटीआर के दौरान जहाज तरकश का दौरा किया।

फर्स्ट ट्रेनिंग स्क्वाड्रन के जहाजों को अप्रैल-मई, 2022 से फारस की खाड़ी और लाल सागर के तटवर्ती देशों अर्थात मिस्र, सऊदी अरब, ओमान, इरिट्रिया और जिबूती और अक्टूबर, 2022 में ओमान, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और ईरान में लंबी दूरी के प्रशिक्षण परिनियोजन के लिए तैनात किया गया।

आजादी का अमृत महोत्सव: भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में और आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के अंतर्गत राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए आठ भारतीय जहाजों को छह महाद्वीपों में सात विदेशी बंदरगाहों पर एक साथ तैनात किया गया।

विदेशी नौसेनाओं के साथ युद्धाभ्यास

मिलन - 22: द्विवार्षिक बहुपक्षीय अभ्यास मिलन का आयोजन दिनांक 24 फरवरी से 04 मार्च, 2022 तक विशाखापत्तनम में/ इससे सटे समुद्र में किया गया था। कुल 39 देशों के प्रतिनिधिमंडल, 13 विदेशी जहाजों सहित नौसेना के 23 जहाजों और संयुक्त राज्य अमेरिका से पी8ए सहित सात विमानों ने इस अभ्यास में भाग लिया।

युद्धाभ्यास सी ड्रैगन - 22: भारतीय नौसेना के पी8आई ने दिनांक 13 से 20 जनवरी, 2022 तक गुआम, यूएसए में आयोजित बहुपक्षीय एंटी-सबमरीन वारफेयर (एएसडबल्यू) थिएटर एक्सरसाइज सी ड्रैगन- 22 में भाग लिया। इस संस्करण में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे पांच अन्य देशों से मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) की भागीदारी देखी गई।

स्लिनेक्स 22: भारतीय नौसेना के पोत ज्योति और किर्च ने दिनांक 07 से 10 मार्च, 2022 तक विशाखापत्तनम में श्रीलंकाई नौसेना के जहाज सयूराला के साथ स्लिनेक्स अभ्यास में भाग लिया।

डिमडेक्स 22: भारतीय नौसेना के पोत कोलकाता ने दिनांक 20 से 24 मार्च, 2022 तक दोहा, कतर में दोहा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (डिमडेक्स-22) में भाग लिया, जिसमें इस जहाज ने सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान का प्रदर्शन किया।

आईओएनएस सामुद्रिक अभ्यास: बहुपक्षीय समुद्री अभ्यास आईएमईएक्स - 22 दिनांक 25 से 30 मार्च 2022 तक गोवा में/ इसके तट पर आयोजित किया गया। कुल 15 पर्यवेक्षक देशों, भारतीय नौसेना के जहाज चेन्नई और घड़ियाल के साथ-साथ पी8आई और डोर्नियर विमानों, फ्रांसीसी नौसेना के तीन जहाज (एफएस लॉयर, अमेथिस्ट, मिस्ट्राल और कोर्टबेट), ईरानी जहाज देना और बांग्लादेश नौसेना के जहाज प्रोताशा ने इस अभ्यास में भाग लिया।

युद्धाभ्यास वरुण 2022: आईएन-एफएन द्विपक्षीय अभ्यास, गोवा में दो चरणों (दिनांक 30 मार्च से 03 अप्रैल, 2022 तक पहला चरण और दिनांक 12 से 14 मई, 2022 तक दूसरा चरण) में आयोजित किया गया था। अभ्यास में भारतीय नौसेना के पोत चेन्नई के साथ-साथ पी8आई, मिग-29के और डोर्नियर विमान और एफएन जहाजों मिस्ट्रल, कोर्टबेट और लॉयर और पनडुब्बी एमेथिस्ट ने भाग लिया।

बंगसागर: भारतीय नौसेना और बांग्लादेश नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास बंगसागर दिनांक 24 से 27 मई, 2022 तक बांग्लादेश तट पर आयोजित किया गया था । आईएनएस कोरा, सुमेधा और बांग्लादेश नौसेना के जहाजों अबू उबैदाह और अली हैदर ने इस अभ्यास में भाग लिया।

रिमपैक 22: पूर्वी बेड़े की तैनाती के अंतर्गत डीगा, विशाखापत्तनम के तट पर पी8आई विमान समेत भारतीय नौसेना के पोत सतपुड़ा ने दिनांक 28 जून से 02 अगस्त, 2022 तक होनोलूलू, यूएसए में द्विवार्षिक बहुपक्षीय अभ्यास रिमपैक 2022 में भाग लिया। कुल 28 देशों ने इसमें भाग लिया।

जिमेक्स 22: भारतीय नौसेना के छह जहाजों (सह्याद्री, कदमत, कवारत्ती, ज्योति, सुकन्या और रणविजय), पी8आई समेत एक पनडुब्बी, मिग-29के एवं डोर्नियर विमान ने जापान समुद्री रक्षा बल (जेएमएसडीएफ) के जहाजों इज़ुमो और ताकानामी के साथ विशाखापत्तनम में दिनांक 11 से 17 सितंबर, 2022 तक द्विपक्षीय अभ्यास जिमेक्स 2022 में भाग लिया।

अभ्यास काकाडू - 2022: प्रशांत महासागर में तैनाती के अंतर्गत पी8आई विमान के साथ भारतीय नौसेना के पोत सतपुड़ा ने दिनांक 12 से 26 सितंबर, 2022 तक डार्विन, ऑस्ट्रेलिया में बहुपक्षीय अभ्यास काकाडू - 2022 में भाग लिया। इस अभ्यास में 15 देशों के नौसैनिक जहाजों की भागीदारी देखी गई।

मालाबार 22: भारतीय नौसेना, अमेरिकी नौसेना, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स और रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी के जहाजों के बीच बहुपक्षीय अभ्यास मालाबार - 2022 का आयोजन दिनांक 08 से 15 नवंबर, 2022 तक जापान के योकोसुका में किया गया। पी8आई समुद्री गश्ती विमान के साथ भारतीय नौसेना के जहाज शिवालिक और कामोर्टा, पी-1 विमान के साथ जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के जहाज ह्युगा, ताकानामी, शिरानुई, अमेरिकी नौसेना के जहाज बैरी, रोनाल्ड रीगन, चांसलरविले, बेनफोल्ड के साथ पी8ए और ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाज अरुणता, स्टालवार्ट के साथ पी8ए विमान ने इस अभ्यास में भाग लिया।

समुद्री साझेदारी अभ्यास: अंतर-संचालनीयता बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को आत्मसात करने के लिए भारतीय नौसेना उपयुक्त अवसरों पर मित्रवत विदेशी नौसेना इकाइयों के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (एमपीएक्स) करती है। कुल 28 देशों (यूएसए, जापान, रूस, जर्मनी, श्रीलंका, ओमान, मिस्र, माल्टा, इंडोनेशिया, म्यांमार, सऊदी अरब, सूडान, ग्रीस, इटली, फ्रांस, अल्जीरिया, कुवैत, स्पेन, मोरक्को, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, मेडागास्कर, मलेशिया, टोगो, नाइजीरिया, दक्षिण कोरिया, ईरान, दक्षिण अफ्रीका और तंजानिया) के साथ कुल 47 समुद्री साझेदारी अभ्यास दिनांक 31 अक्टूबर, 2022 तक किये गए थे।

विदेशी सरकारों को सहायता

श्रीलंका में डोर्नियर विमान की तैनाती: भारतीय नौसेना के एक डोर्नियर विमान को दो साल की अवधि के लिये दिनांक 15 अगस्त 2022 से श्रीलंका को सौंप दिया गया है। श्रीलंका के राष्ट्रपति, श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त और नौसेना उप प्रमुख की उपस्थिति में दिनांक 15 अगस्त 2022 को कोलंबो में विमान को औपचारिक रूप से श्रीलंकाई वायुसेना में शामिल किया गया ।

भारतीय शिपयार्ड में अमेरिकी एमएससी जहाजों की मरम्मत: एक अमेरिकी एमएससी जहाज ने दिनांक 07 से 16 अगस्त 2022 तक यात्रा मरम्मत उपलब्धता (वीआरए) के लिए कट्टुपल्ली में एक पोर्ट कॉल किया। यह पहला अवसर था जब भारत में किसी यूएसएन एमएससी जहाज की मरम्मत हुई।

श्रीलंकाई नौसेना का डाइविंग प्रशिक्षण: दिनांक 28 फरवरी से 08 मार्च, 2022 तक श्रीलंकाई नौसेना कर्मियों को मिक्स गैस डाइविंग प्रशिक्षण के लिए श्रीलंका के ट्राइकोनमेली में भारतीय नौसेना के पोत निरीक्षक को तैनात किया गया।

अनन्य आर्थिक क्षेत्र निगरानी: भारतीय नौसेना समुद्री निगरानी में हिंद महासागर क्षेत्र के मित्रवत तटीय राष्ट्रों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। तदनुसार, मेजबान सरकार के अनुरोध के आधार पर वर्ष 2022 में, भारतीय नौसेना ने जहाजों और विमानों को तैनात करके मालदीव, सेशेल्स और मॉरीशस की संयुक्त अनन्य आर्थिक क्षेत्र निगरानी की है।

एचएडीआर और एसएआर अभियान

विशाखापत्तनम तट पर एसएआर: दिनांक 02 और 03 जनवरी, 2022 को, डेगा, विशाखापत्तनम से एएलएच और चेतक हेलीकॉप्टर आईएनएसवी (टी-39) के साथ विशाखापत्तनम के रामा कृष्णा बीच पर डूब रहे तीन कर्मियों के खोजबीन एवं बचाव कार्य के लिये तैनात किये गए थे।

एफजीएस बायर्न से चिकित्सा निकासी: जर्मन फ्रिगेट एफजीएस बायर्न ने दिनांक 21 से 24 जनवरी, 2022 तक मुंबई का दौरा किया। दिनांक 20 जनवरी 2022 को जहाज मुंबई से 180 नॉटिकल मील दक्षिण में था तब उसने चालक दल के एक सदस्य की चिकित्सा निकासी का अनुरोध किया। लिंक्स हेलीकॉप्टर दिनांक 20 जनवरी, 2022 को मुंबई के आईएनएस शिकरा पर उतरा और मरीज को आईएनएचएस अश्विनी में स्थानांतरित कर दिया गया। रोगी को मस्तिष्क संबंधी दौरे का पता चला था और उसे दिनांक 23 जनवरी, 2022 को जर्मन नौसेना के जहाज पर वापस छुट्टी दे दी गई।

आईएफबी को चिकित्सा सहायता: दिनांक 03 फरवरी, 2022 को भारतीय नौसेना के पोत आदित्य ने इंडियन फिशिंग बोट (आईएफबी) महोनाथन के एक गंभीर रूप से घायल मछुआरे को लगभग 75 नॉटिकल मील पश्चिम गोवा में चिकित्सा सहायता प्रदान की।

पीएस ज़ोराअस्टर से चिकित्सा निकासी: दिनांक 14 अप्रैल, 2022 को पीएस ज़ोराअस्टर ने सेशेल्स में अपनी वापसी के दौरान बताया कि एक महिला चालक दल को पेट में दर्द हो रहा है। रोगी को प्रारंभिक उपचार के लिए नाव से आईएनएस शारदा में स्थानांतरित किया गया और बाद में आईएनएस गरुड़ पर तैनात एएलएच द्वारा आईएनएचएस संजीवनी, कोच्चि ले जाया गया। नाविक को संजीवनी में चिकित्सा संबंधी देखरेख प्रदान की गई और दिनांक 21 अप्रैल, 2022 को सेशेल्स वापस भेज दिया गया।

मुंबई के करीब समुद्र में खोजबीन एवं बचाव अभियान: दिनांक 28 जून, 2022 को, भारतीय नौसेना के पोत तेग और आईएनएस शिकरा, मुंबई पर तैनात दो हेलीकॉप्टर (एक सीकिंग 42सी और एक एएलएच) को पवन हंस हेलीकॉप्टर (चालक दल के दो सदस्य और सात यात्री) पर खोजबीन एवं बचाव सहायता प्रदान करने के लिए तैनात किया गया था जो मुंबई से 70 नॉटिकल मीव पश्चिम में था। दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर से सभी नौ कर्मियों को बरामद कर लिया गया।

पॉइंट कैलिमेरे के पास खोजबीन और बचाव अभियान: दिनांक 13 जुलाई, 2022 को भारतीय नौसेना के पोत बित्रा पाल्क खाड़ी में नियमित गश्त पर रहने के दौरान तमिलनाडु के पॉइंट कैलिमेरे के 03 नॉटिकल मील दक्षिण पूर्व में एक डूबे हुए आईएफबी ए प्रदीप पर फंसे छह मछुआरों को देखा। जहाज ने सभी मछुआरों को बचा लिया और उन्हें नागपट्टिनम में सुरक्षित उतार दिया।

आंध्र प्रदेश में बाढ़ राहत एवं बचाव अभियान: आईएनएस देगा, विशाखापत्तनम पर दो यूएच3एच हेलीकॉप्टर और एक सी किंग हेलीकॉप्टर को गोदावरी नदी में भारी बाढ़ के कारण बचाव और राहत कार्यों के लिए दिनांक 14 से 20 जुलाई, 2022 तक राजमुंदरी में तैनात किया गया था । इस मुहिम के दौरान एलुरु जिले के 15 जलभराव वाले गांवों में 26,450 किलोग्राम राहत सामग्री हवाई जहाज से गिराई गई।

ओडिशा में बाढ़ राहत अभियान: दिनांक 23 अगस्त, 2022 को लगातार बारिश के कारण ओडिशा में कई स्थानों पर बाढ़ की सूचना मिली थी। दिनांक 23 से 26 अगस्त, 2022 तक स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय कर मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) सहायता प्रदान करने के लिए पुरी जिले के अस्तरंगा ब्लॉक के तलाद ग्राम पंचायत में 44 कर्मियों वाली एक भारतीय नौसेना की बाढ़ राहत टीम (एफआरटी) को तैनात किया गया था। सूखे राशन पैकेट का वितरण और बाढ़ से प्रभावित 825 लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सामुदायिक रसोई बनाने का कार्य किया गया।

मोरबी में खोजबीन एवं बचाव अभियान: गुजरात मुख्यालय, दमन और दीव नौसेना क्षेत्र, पोरबंदर को दिनांक 30 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के मोरबी में मच्छू नदी पर एक पुल के गिरने के बाद खोजबीन एवं बचाव का संचालन करने के लिए नागरिक प्रशासन, गुजरात से एक अनुरोध प्राप्त हुआ था। इस अनुरोध के जवाब में भारतीय नौसेना द्वारा दिनांक 30 अक्टूबर से 04 नवंबर, 2022 के बीच निम्नलिखित कदम उठाए गए:

1. खोजबीन एवं बचाव ऑपरेशन के लिए कुल 71 भारतीय जवानों (मार्कोस कमांडो, गोताखोरों और अच्छे तैराकों) को तैनात किया गया।

2. भारतीय नौसेना के गोताखोरों द्वारा 06 कर्मियों के शव बरामद किये गए।

3. डूबे हुए पुल को पुनर्प्राप्ति हेतु गोताखोरी संचालन।

4. आपातकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना के एक डोर्नियर विमान को एनएई (पोरबंदर) में स्टैंडबाय रखा गया था।

कमीशनिंग/ लॉन्चिंग

आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग: भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को कमीशन किया गया। इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री ने औपनिवेशिक अतीत को दूर करते हुए और समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत को देखते हुए नए नौसेना ध्वज का अनावरण भी किया।

आईएनएस मोरमुगाओ: आईएनएस मोरमुगाओ, प्रोजेक्ट 15बी का दूसरा जहाज दिनांक 18 दिसंबर 2022 को मुंबई में कमीशन किया गया।

वागीर के समुद्री परीक्षण (एसएम#5) और कमीशनिंग: प्रोजेक्ट-75 की पांचवीं पनडुब्बी वागीर का समुद्री परीक्षण चल रहा है। इस पनडुब्बी को 2023 में भारतीय नौसेना में शामिल करने की योजना है।

जहाजों की लॉन्चिंग

उदयगिरी (यार्ड 12652): पी17ए के दूसरे जहाज उदयगिरी का लॉन्‍च समारोह दिनांक 17 मई, 2022 को मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई में आयोजित किया गया।

 दूनागिरी (यार्ड 3023): पी17ए के दूसरे जहाज दूनागिरी का लॉन्‍च समारोह दिनांक 15 जुलाई, 2022 को मैसर्स जीआरएसई, कोलकाता में आयोजित किया गया।

तारागिरी (यार्ड 12653): पी17ए के तीसरे जहाज तारागिरी का लॉन्च समारोह दिनांक 11 सितंबर, 2022 को मझंगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई में आयोजित किया गया।

सर्वेक्षण पोत (लार्ज) (जीआरएसई में चार जहाज)

निर्देशक (यार्ड 3026): यार्ड 3026 'निर्देशक' (एसवीएल के दूसरे जहाज) की लॉन्चिंग दिनांक 26 मई, 2022 को मैसर्स एल एंड टी, कट्टुपल्ली में की गई थी।

मैसर्स एलएंडटी, कट्टुपल्ली में यार्ड 3026: प्रोजेक्ट 75 (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समेत एमडीएल में छह पनडुब्बियां और मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस सहयोगी के रूप में)

वाघशीर: प्रोजेक्ट-75 की छठी पनडुब्बी वाघशीर को दिनांक 20 अप्रैल, 2022 को लॉन्च किया गया था।

निस्तार एवं निपुण: डाइविंग सपोर्ट वेसल्स (निस्तार और निपुन) को दिनांक 22 सितंबर, 2022 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

नौसेना उड्डयन

नौसेना उड्डयन आधुनिकीकरण के मार्ग में अपने रास्ते के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर तैयार है। भविष्य के लिए शक्तिशाली, पेशेवर रूप से सक्षम और सैन्य अभियान के लिए तैयार भविष्य में नौसेना की एयर आर्म सुनिश्चित करने के लिये अनेक पहल की गई हैं।

विमान का शामिल किया जाना

समीक्षाधीन वर्ष में निम्नलिखित एयरक्राफ्ट को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है:

1. 16 एएलएच एमके III हेलीकॉप्टर

2. 04 पी8आई विमान

3. 24 मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों में से 03 हेलिकॉप्टरों का पहला बैच (एमएच 60आर)। शेष हेलीकॉप्टरों को यूएसए से 2025 के मध्य तक शामिल किया जाएगा। (तीन अन्य हेलीकॉप्टरों को भारतीय नौसेना द्वारा स्वीकार किया गया है और उनको भारतीय नौसेना के कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में रखा गया है)

4. ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर। एडीए/डीआरडीओ के साथ भारतीय नौसेना एक स्वदेशी ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर (टीइडीबीएफ) की डिजाइन व विकास को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रही है।

5. वायु स्टेशनों/ एयर स्क्वाड्रन्स की कमीशनिंग। भारतीय नौसेना ने पिछले एक साल में तीन नये एयर स्क्वाड्रन को शामिल किया है। दूसरी पी8आई  स्क्वाड्रन आईएनएएस 316 को दिनांक 29 मार्च 2022 को आईएनएस हंसा, गोवा में कमीशन किया गया। दो एएलएच एमके III स्क्वाड्रन, आईएनएएस 324 और आईएनएएस 325 को क्रमशः दिनांक 04 जुलाई 2022 और दिनांक 31 मई 2022 को विशाखापत्तनम और पोर्ट ब्लेयर में कमीशन किया गया है।

नवाचार एवं स्वदेशीकरण

भारतीय नौसेना ने 'स्वदेशीकरण के माध्यम से आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किया है और 'रेवेन्यू' मार्ग के तहत खरीद के अलावा भारत सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं, जैसे 'मेक इन इंडिया', 'प्रौद्योगिकी विकास कोष' और 'रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार' के साथ मिलकर प्रयासों को समक्रमिक बनाया है। भारतीय नौसेना सरकारी योजनाओं के विशिष्ट लाभों का लाभ उठाने के लिये सेना के तीनों अंगों में मशाल वाहक रही है और हमारे स्वदेशीकरण कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये स्टार्ट-अप समेत बड़े उद्योगों से लेकर एमएसएमई तक सभी उद्योगों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है।

आला तकनीकों को शामिल करना: लंबी दूरी तक हमले की सटीक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विशिष्ट तकनीकों की एक विस्तृत श्रृंखला को नौसेना में शामिल किया जा रहा है। लक्ष्य पर निशाना साधने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भूमि और समुद्र आधारित हथियारों के संस्करणों में लोइटरिंग गोला-बारूद शामिल किये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त सैन्य अभियानगत क्षमता बढ़ाने और सैन्य अभियानों के दौरान लचीलापन बढ़ाने के लिए कंटेनरयुक्त मिसाइल सिस्टम शामिल किये जा रहे हैं।

भारतीय नौसेना के लिए एकीकृत मानवरहित रोडमैप: विश्व स्तर पर विकसित तकनीकी परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, अक्टूबर में कमांडरों के सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री द्वारा भारतीय नौसेना के लिए एक एकीकृत मानवरहित रोडमैप जारी किया गया।

कल्याण एवं सशक्तिकरण

भारतीय नौसेना महिलाओं के कल्याण, भलाई एवं सम्मान के लिये प्रतिबद्ध है। हर समय उच्च मनोबल और प्रेरणा बनाए रखने के लिये महिला कर्मचारियों और महिला परिवार के सदस्यों को अधिकतम सहायता प्रदान करना भारतीय नौसेना का निरंतर प्रयास है। भारतीय नौसेना ने महिला कर्मचारियों के सशक्तिकरण और संबंधित इकाइयों में गतिविधियों/ कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किये हैं।

भारतीय नौसेना में महिलाएं: महिलाएं अब भारतीय नौसेना में अधिकारी और नाविक दोनों रूपों में शामिल हो सकती हैं। अधिकारी प्रविष्टियों के साथ-साथ नाविक प्रविष्टियों दोनों के लिये महिला उम्मीदवारों की पात्रता मानदंड, कार्यप्रणाली तथा प्रवेश प्रक्रिया पुरुषों के समान ही है। महिलाओं की नौसेना में प्रविष्टियों की संख्या और भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली महिलाओं की कुल संख्या दोनों में लगातार वृद्धि हुई है।

· पीसी अधिकारी के रूप में महिलाएं: अब तक महिलाओं को जीएस (कार्यकारी, इलेक्ट्रिकल और इंजीनियरिंग) को छोड़कर केवल सभी एसएससी शाखाओं में शामिल किया गया। जून 2023 बैच से जीएस (एक्जीक्यूटिव, इलेक्ट्रिकल व इंजीनियरिंग) समेत सभी एंट्री महिलाओं के लिए खोल दी गई हैं। इसके साथ पनडुब्बी विशेषज्ञता (जो किसी भी मामले में स्वैच्छिक है) को छोड़कर सभी शाखाएं/ संवर्ग/ विशेषज्ञताएं महिला अधिकारियों के लिये खुली रहेंगी। जून 2022 एनडीए बैच से महिलाओं को कैडेट के रूप में शामिल करना शुरू हो गया है, जिसके तहत महिला अधिकारियों को पीसी अधिकारियों के रूप में शामिल किया जाएगा।

नाविकों के रूप में महिलाएं: 'अग्निपथ' योजना के शुरू होने के साथ भारतीय नौसेना में नाविकों के रूप में महिलाओं की भर्ती पहली बार अग्निवीरों/ नाविकों के रूप में शुरू की जा रही है, जिसका प्रशिक्षण नवंबर 2022 से शुरू होने वाला है। अग्निवीरों के पहले बैच में अधिकतम 20% महिला अग्निवीरों की भर्ती की योजना है और उन्हें सभी शाखाओं/विशेषज्ञताओं में समान रूप से शामिल किया जाएगा; और सामुद्रिक प्लेटफार्मों पर पोस्ट किया जाएगा। आगे नामांकन के लिए उपयुक्त पाए गए अग्निवीरों को सेवा आवश्यकताओं के अनुसार शामिल किया जाएगा।

कॉम्बैट भूमिका में महिलाएं: महिला अधिकारियों को युद्धपोत पर पुरुष अधिकारियों के बराबर नियुक्त किया जा रहा है। वर्तमान में महिला अधिकारियों को जहाजों में नियुक्त किया जाता है और अधिकारियों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ाई जा रही है। तदनुसार अतिरिक्त महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए जहाजों पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा महिलाओं को पायलट और नेवल एयर ऑपरेटर, मार्कोस (मरीन कमांडो), आरपीए पायलट, प्रोवोस्ट ऑफिसर और डिप्लोमैटिक असाइनमेंट के रूप में नेवल एविएशन में भी शामिल किया जा रहा है।

भारतीय वायुसेना

'आत्मनिर्भर भारत': वर्ष 2022 में भारतीय वायुसेना ने एक प्रमुख भारतीय कंपनी मेसर्स टाटा एड्वांन्स्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के साथ मिल कर अपनी परियोजना – मॉडर्नाइज़ेशन ऑफ एयरफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत एयरफील्ड अवसंरचना का आधुनिकीकरण जारी रखा। इस परियोजना के तहत नौवहन सहायता और बुनियादी ढांचे का उन्नयन प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी सैन्य एवं नागरिक विमानों के हवाई संचालन को सुगम बनाकर सैन्य अभियानगत क्षमता को बढ़ा रहा है।

ड्रोन उद्योग को सहारा: मानव रहित हवाई वाहन, जिसे ड्रोन के नाम से जाना जाता है, ने विश्व स्तर पर सैन्य अनुप्रयोग एवं संबंधित चुनौतियों के लिहाज से विश्व स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। देश में ड्रोन उद्योग में विकास की जबरदस्त संभावनाएं हैं। मेहर बाबा-2 को लॉन्च करके भारतीय वायुसेना ने अपना काम किया है। प्रतियोगिता का उद्देश्य 'विमान संचालन सतहों पर विदेशी वस्तुओं का पता लगाने के लिए स्वार्म ड्रोन आधारित प्रणाली' हेतु स्वदेशी तकनीक विकसित करना है।

राफेल: फ्रांस के सभी 36 राफेल विमानों की डिलीवरी पूरी होते ही वायुसेना की क्षमता में काफी वृद्धि हो गई। डील का फाइनल फाइटर जेट दिसंबर में भारत में पहुंचा। दोनों राफेल स्क्वाड्रन्स ने भी पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है।

प्रशिक्षण एवं अभ्यास: भारतीय वायुसेना ने इस वर्ष न केवल सहयोगी सेवाओं के साथ संयुक्त कौशल बढ़ाने के लिए अभ्यास करना जारी रखा, बल्कि अपने अनुभवों और सर्वोत्तम अभ्यास से सीखने के लिए मित्रवत विदेशी देशों की वायुसेना के साथ अभ्यास भी किया। इनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:

एक्सरसाइज ईस्टर्न ब्रिज VI: भारतीय वायुसेना ने फरवरी में एयरफोर्स स्टेशन जोधपुर में ओमान की रॉयल एयर फोर्स के साथ एक्सरसाइज ईस्टर्न ब्रिज VI में भाग लिया।

  • मिस्र में सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम: भारतीय वायुसेना ने जुलाई में मिस्र के काहिरा में एयरफोर्स वेपन स्कूल में सामरिक नेतृत्व कार्यक्रम में भाग लिया।
  • युद्धाभ्यास उदार शक्ति: अगस्त में मलेशियाई वायु सेना के साथ 'उदार शक्ति' नाम का एक युद्धाभ्यास किया गया जिसमें भारतीय वायुसेना के चार एसयू-30 एमकेआई और दो सी-17 विमानों ने भाग लिया। यह मलेशिया के साथ अब तक का पहला लड़ाकू युद्धाभ्यास था।
  • युद्धाभ्यास पिच ब्लैक 22: भारतीय वायुसेना ने अगस्त-सितंबर में ऑस्ट्रेलिया में युद्धाभ्यास पिच ब्लैक 22 में भाग लिया था। भारतीय वायुसेना ने फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स के रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट के साथ और भारत से ऑस्ट्रेलिया के लिये आने के दौरान हवा से हवा में ईंधन भरने का काम कर इंटरऑपरेबिलिटी का प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया से भारत वापस आने के दौरान रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायुसेना के साथ हवा से हवा में ईंधन भी भरा गया।

यूके के साथ संयुक्त उड़ान अभ्यास: भारतीय वायुसेना ने सितंबर में वायु सेना स्टेशन, पलामिन में रॉयल एयरफोर्स के साथ संयुक्त उड़ान अभ्यास किया।

  • अभ्यास गरुड़-VII: भारतीय वायुसेना ने अक्टूबर-नवंबर में एयरफोर्स स्टेशन जोधपुर में फ्रांसीसी वायु और अंतरिक्ष बल (एफएएसएफ) के साथ गरुड़-VII अभ्यास किया।
  • समन्वय: नवंबर में वायु सेना स्टेशन, आगरा में वार्षिक संयुक्त मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास 'समन्वय 2022' आयोजित किया गया। इस अभ्यास में विभिन्न भारतीय हितधारकों और आसियान सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

मानवीय सहायता एवं आपदा राहत

भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर नियमित रूप से विभिन्न एजेंसियों के लिए एयर मेंटीनेंस, आपदा राहत, हताहतों की निकासी, नक्सल विरोधी अभियान व संचार कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। बाढ़, जंगल की आग या भूकंप जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा के मामले में हेलीकॉप्टर बहुधा पहले उत्तरदाता होते हैं। वर्ष 2022 में भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित मानवीय सहायता एवं आपदा राहत।

कार्यों का विवरण इस प्रकार है:-

 

प्रदेश

अवधि

उड़ानें/ घंटे

वज़न

टिप्पणी

हिमाचल प्रदेश

फरवरी 11-13

13/16:05

82/--

स्थानीय नागरिकों का एयरलिफ्ट (भारी हिमपात)

राजस्थान (अलवर)

मार्च 29-31

29 / 19:50

-- / 89400 लीटर

वन में लगी आग

झारखंड

अप्रैल 11 -13

35 / 35:40

35 / --

देवघर रोपवे बचाव

राजस्थान

अप्रैल 18 -19

11 / 06:10

--/ 9800 लीटर

सज्जनगढ़ अभ्यारण्य के वन में लगी आग

राजस्थान

अप्रैल 28 -30

10 / 08:10

-- / 24200 लीटर

उदयपुर के वन में लगी आग

 

असम

मई 15-17

25/12:25

131/--

रेल्वे से संबंधित बचाव कार्य

असम

मई 18 - 29

63/35:35

331/17.71

बाढ़ राहत

मेघालय

21 जून -02 जुलाई

61/38:50

05/24.83 टन

बाढ़ राहत

असम

21जून – 01 जुलाई

203/191:08

294/619.331

बाढ़ राहत

तेलंगाना

14 जुलाई

25 / 19:30

02 / 1930

बाढ़ राहत

गुजरात

14 जुलाई

15/20:20

--/--

बाढ़ राहत

राजस्थान

अगस्त 23 – 26

12/ 09:00

20/-

बाढ़ राहत

मध्य प्रदेश

22 - 27 अगस्त

21/19:15

25/1280 किलो

बाढ़ राहत

उत्तराखंड

सितंबर 27 - 29

26/14:50

119/--

एचएडीआर ऑपरेशन (भारी वर्षा)

उत्तराखंड

अक्टूबर 04 - 19

230/79

209/ 5.375 टन / 27 (एमआर)

एचएडीआर ऑपरेशन (हिमस्खलनः उत्तरकाशी)

 

देवगढ़ रोपवे से तीर्थयात्रियों की निकासी: झारखंड में देवगढ़ रोपवे की अनुपयोगीता के कारण फंसे 35 तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए अप्रैल में तीन एमएलएच, एक एएलएच ध्रुव और एक चीता हेलिकॉप्टर का उपयोग किया गया। बचाव एनडीआरएफ, सेना और राज्य एजेंसियों के साथ मिल कर किया गया।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान के लिए चीतों का हवाई परिवहन: सितंबर में कूनो राष्ट्रीय उद्यान से आठ चीतों को नामीबिया से चार्टर्ड कार्गो विमान के माध्यम से वायु सेना स्टेशन ग्वालियर ले जाया गया। भारतीय वायुसेना ने चीतों के एयरलिफ्ट के लिए 2 एमआई-17 और कर्मियों के लिए उनके अतिरिक्त भार के साथ एक चिनूक हेलिकॉप्टर का उपयोग किया।

हताहत निकासी: भारतीय वायुसेना ने विभिन्न राज्य प्राधिकरणों द्वारा मांग के अनुसार नियमित रूप से दुर्घटना निकासी की। वर्ष के दौरान हताहतों को निकालने के लिए 220 उड़ानें भरी गईं। इसमें विदेशी नागरिकों का बचाव कार्य भी शामिल है।

वायुसेना दिवस परेड: इस साल चंडीगढ़ में वायुसेना दिवस परेड और फ्लाई पास्ट का आयोजन किया गया। दिनांक 8 अक्टूबर को सुखना झील के ऊपर फ्लाई पास्ट किया गया और चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों ने इस नज़ारे को देखा।

चेतक हेलीकॉप्टरों की हीरक जयंती: इस वर्ष सशस्त्र बलों की सूची में शामिल किये गए चेतक हेलीकॉप्टरों ने देश की गौरवपूर्ण सेवा के 60 वर्ष पूरे कर लिये हैं । इसे मनाने के लिए वायुसेना स्टेशन, हकीमपेट में भारतीय वायुसेना की प्रशिक्षण कमान के तत्वावधान में महत्वपूर्ण समारोह आयोजित किये गए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रक्षा मंत्री थे।

ग्रीन मोबिलिटी इनिशिएटिव: कार्बन फुट प्रिंट में कमी लाने के लिए और ग्रीन मोबिलिटी की शुरुआत की दिशा में सरकार की पहल को ध्यान में रखते हुए, भारतीय वायुसेना ने नवंबर में टाटा नेक्सॉन इलेक्ट्रिक वाहनों को पेश किया है। आईएएफ डाउनग्रेड वाहनों के स्थान पर ई-वाहनों की खरीद कर प्रगतिशील तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ाने की योजना बना रहा है।

भारतीय तटरक्षक

वर्जित पदार्थों की बरामदगी:

जनवरी में, भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के जहाज ने गश्त के दौरान पाकिस्तानी मछली पकड़ने की नाव 'यासीन' को 2,000 किलोग्राम मछली के साथ भारतीय जल क्षेत्र में जखाऊ से पकड़ा।

मई में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) और राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा एक संयुक्त अभियान 'ऑपरेशन खोजबीन' शुरू किया गया था। क्षेत्र में भारतीय तटरक्षक के जहाजों और विमानों को समुद्र एवं हवा में समन्वित खोज के लिए तैनात किया गया था। कुल 1,526 करोड़ रुपये की 218 किलोग्राम हेरोइन के साथ दो संदिग्ध नौकाएं पकड़ी गईं।

सात चालक दल के साथ एक पाकिस्तानी मछली पकड़ने वाली नाव को जून में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) द्वारा पकड़ा गया और एटीएस गुजरात, बीएसएफ और समुद्री पुलिस द्वारा संयुक्त पूछताछ के लिए ओखा लाया गया। बैग से 49 पैकेट संदिग्ध प्रतिबंधित सामग्री बरामद की गई । इस खेप का अनुमानित वाणिज्यिक मूल्य 250 करोड़ रुपये था।

सितंबर में, भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) और एटीएस, गुजरात ने संयुक्त रूप से छह चालक दल के साथ एक पाकिस्तानी नाव को पकड़ा जो भारतीय जल क्षेत्र से 200 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 40 किलोग्राम ड्रग्स ले जा रही थी।

अक्टूबर में, आईसीजीएस सी-429 ने एक निगरानी मिशन के दौरान चालक दल के छह सदस्यों के साथ 'अल-सकार' नामक एक पाकिस्तानी नाव को पकड़ा और लगभग 350 करोड़ रुपये मूल्य की 50 किलोग्राम हेरोइन बरामद की।

बचाव अभियानः

  • जून में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने मुंबई के सामुद्रिक क्षेत्र में ओएनजीसी के लिए काम कर रहे एक हेलिकॉप्टर को बचाया । हेलीकाप्टर 2 पायलट और चालक दल के 7 सदस्यों को ले जा रहा था और एक ऑइल प्लेटफॉर्म पर आपातकालीन लैंडिंग की कोशिश करते हुए समुद्र में गिर गया था।

संकट की चेतावनी मिलने के बाद जुलाई में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने पोरबंदर तट से 185 किलोमीटर दूर अरब सागर में 22 लोगों की जान बचाई।

लगातार बारिश के बाद गुजरात के वलसाड के पास अंबिका नदी के किनारे फंसे 16 लोगों को भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने बचाया।

अगस्त में भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर बांग्लादेशी मछुआरों की नौकाएं पलटने के बाद भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने 32 बांग्लादेशी मछुआरों को बचाया । मछुआरों को बांग्लादेश तटरक्षक को सौंप दिया गया।

अक्टूबर में आईसीजी ने एक त्वरित समन्वित खोजबीन एवं बचाव अभियान में भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास सागर द्वीप के समुद्र से 20 बांग्लादेशी मछुआरों की जान बचाई। डोर्नियर विमान, चक्रवात "सित्रांग" के लैंडफॉल के बाद की निगरानी उड़ान पर था, उसने अपनी पलटी हुई नौकाओं को देखा और खोजबीन एवं बचाव टीम को सतर्क कर दिया।

ड्रिल्सः

  • अपने उत्तरदायित्व के क्षेत्र में सुरक्षा और संरक्षा बढ़ाने के लिए जनवरी में तटरक्षक क्षेत्रीय मुख्यालय (पश्चिम), मुंबई और तटरक्षक क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पश्चिम), गांधीनगर द्वारा सुरक्षा अभ्यास 'सजग' आयोजित किया गया था । समुद्री पुलिस, मत्स्य पालन, सीआईएसएफ और सीमा शुल्क विभाग ने भी इस ड्रिल में भाग लिया।

विदेशी दौरेः

भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) और जापान तटरक्षक के बीच उच्च स्तरीय बैठक के 20वें संस्करण के लिए सितंबर में आईसीजी महानिदेशक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने टोक्यो, जापान का दौरा किया। समुद्र में अपराधों से निपटने और क्षेत्रीय सहयोग के विकास के लिए सहयोगी संबंध स्थापित करने के लिये भारत और जापान में बारी-बारी से एचएलएम और संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं।

यूएससीजी कटर मिडगेट ने चेन्नई का दौरा किया और यूएससीजी कटर और भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) जहाजों के बीच संयुक्त अभ्यास 'अभ्यास' आयोजित किया गया। संयुक्त अभ्यास के अंतर्गत चालक दल के क्रॉस इम्बार्केशन और क्रॉस बोर्डिंग ऑपरेशन संचालित किये गए।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

ऊपर उल्लेख किये गए सफल मिसाइल परीक्षणों के अलावा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (आकाश-एनजी): नई पीढ़ी की सतह से हवा में मार करने वाली आकाश-एनजी मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण एक भूमि आधारित प्लेटफॉर्म से किया गया जिसमें भाग लेने वाले सभी हथियार प्रणाली एलिमेंट्स जैसे मल्टीफंक्शन रडार, कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम एवं लॉन्चर डिप्लॉयमेंट कॉन्फ़िगरेशन में थे। मिसाइल ने इस दौरान तेज और फुर्तीले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए आवश्यक उच्च गतिशीलता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।

आकाश प्राइम मिसाइल: आकाश मिसाइल के एक नये संस्करण 'आकाश प्राइम' का आईटीआर, चांदीपुर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह बेहतर सटीकता के लिये एक स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर से लैस है।

शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम-10 मीटर: एसएसबीएस-10 मीटर को भारतीय सेना में शामिल किया गया। यह एक चौड़ी, पूरी तरह से डेक्ड सड़क प्रदान करने तथा सैनिकों की तेज़ आवाजाही सुनिश्चित करने संबंधी कमियां दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह प्रणाली सैनिकों की त्वरित आवाजाही में मदद करेगी और संसाधनों की गतिशीलता को बढ़ाएगी।

उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी: भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों को शत्रुतापूर्ण राडार खतरों और दुश्मन के मिसाइल हमले से बचाने के लिये रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा प्रौद्योगिकी विकसित की गई थी। चैफ एक निष्क्रिय विस्तार योग्य इलेक्ट्रॉनिक प्रतिउपाय तकनीक है जिसका उपयोग दुनिया भर में दुश्मन के राडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी मिसाइल से नौसैनिक जहाज की रक्षा के लिये किया जाता है।

लॉंग रेंज बम: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना ने एक एरियल प्लेटफॉर्म से स्वदेशी रूप से विकसित लॉंग रेंज बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान से छोड़े जाने के बाद इस बम को निर्दिष्ट सीमा के भीतर सटीकता के साथ लंबी दूरी पर एक भूमि आधारित लक्ष्य पर निर्देशित किया गया।

अभ्यास: हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट का आईटीआर, चांदीपुर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया । अभ्यास का उपयोग विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए एक हवाई लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है। यह स्वदेशी लक्ष्य विमान, विकसित हो जाने पर, हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन: राजस्थान के जैसलमेर में चंदन रेंज में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना द्वारा संयुक्त रूप से स्वदेशी रूप से विकसित स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन (एसएएडबल्यू) के दो सफल उड़ान परीक्षण किये गए। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से एसएएडबल्यू को डिजाइन और विकसित किया है, जो रडार, बंकर, टैक्सी ट्रैक और रनवे आदि जैसे दुश्मन की हवाई क्षेत्र की ज़मीनी संपत्ति को नष्ट करने में सक्षम है। यह उच्च परिशुद्धता निर्देशित बम इसी श्रेणी की हथियार प्रणाली की तुलना में हल्के वजन का है।

प्रलयः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'प्रलय' का पहला उड़ान परीक्षण डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक किया। मिसाइल को मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है । यह आधुनिक तकनीक से लैस नई पीढ़ी की मिसाइल थी और इस हथियार प्रणाली के शामिल होने से सशस्त्र बलों को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा।

सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो सिस्टम: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो (स्मार्ट) सिस्टम को ओडिशा के व्हीलर द्वीप से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह प्रणाली अगली पीढ़ी की मिसाइल-आधारित गतिरोध टारपीडो वितरण प्रणाली है। इसे टारपीडो की पारंपरिक सीमा से कहीं अधिक पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली हमारी नौसेना की ताकत को और बढ़ाएगी और रक्षा में आत्मनिर्भरता, विशेषज्ञता और क्षमताएं उन्नत करने में योगदान देगी।

स्टैंड-ऑफ एंटी-टैंक मिसाइल: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय वायुसेना ने पोखरण रेंज से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हेलीकॉप्टर लॉन्च-ऑफ एंटी-टैंक (एसएएनटी) मिसाइल का उड़ान परीक्षण किया। यह मिसाइल अत्याधुनिक एमएमडब्ल्यू सीकर से लैस है जो सुरक्षित दूरी से उच्च सटीकता से हमला करने की क्षमता प्रदान करती है।

पिनाका: पिनाका एमके-I (एन्हांस्ड) रॉकेट सिस्टम (ईपीआरएस) और पिनाका एरिया डेनियल म्यूनिशन (एडीएम) रॉकेट सिस्टम का पोखरण फायरिंग रेंज में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया । ईपीआरएस पिनाका संस्करण का उन्नत संस्करण है जो पिछले एक दशक से भारतीय सेना के साथ सेवा में है । इस सिस्टम को उन्नत तकनीकों के साथ अपग्रेड किया गया है जो आने वाली ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रेंज को बढ़ाता है।

सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट टेक्नोलॉजी: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सफलतापूर्वक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट बूस्टर का उड़ान परीक्षण किया, जिसने जटिल मिसाइल प्रणाली में शामिल सभी महत्वपूर्ण घटकों के विश्वसनीय कामकाज का प्रदर्शन किया। सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट आधारित प्रणोदन मिसाइल को सुपरसोनिक गति से बहुत लंबी दूरी पर हवाई खतरों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम बनाता है। एसएफडीआर के सफल परीक्षण से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की रेंज बढ़ाई जा सकती है।

वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आईटीआर, चांदीपुर में ग्राउंड बेस्ड पोर्टेबल लॉन्चर से वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम की दो सफल परीक्षण उड़ान भरी। यह एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे डीआरडीओ द्वारा उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं विकसित किया गया है।

फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस अनुबंध: ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) ने समुद्र तट पर आधारित एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये। ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। यह अनुबंध जिम्मेदार रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की भारत सरकार की नीति के लिये एक महत्वपूर्ण कदम है।

फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम इंटीग्रेशन कॉम्प्लेक्स: वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु में अत्याधुनिक सात मंजिला उड़ान नियंत्रण प्रणाली एकीकरण सुविधा का निर्माण रिकॉर्ड 45 दिनों में किया गया, जिसमें पारंपरिक, पहले से इंजीनियर्ड और पूर्वनिर्मित पद्धति वाली इन-हाउस हाइब्रिड तकनीक शामिल थी। इस तकनीक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने लार्सन एंड टुब्रो की मदद से विकसित किया है। यह सुविधा एडीई, बेंगलुरु द्वारा किए जा रहे उन्नत मध्यम लड़ाकू विमानों के लिए लड़ाकू विमानों और एफसीएस के लिए एवियोनिक्स विकसित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों का साथ देगी। यह परिसर लड़ाकू विमानों के पायलटों को सिम्युलेटर प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।

  • उद्योग को सक्षम बनाना: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को समर्थन देने वाले वर्तमान उद्योग आधार में डीपीएसयू और बड़े पैमाने के उद्योगों के साथ 1,800 एमएसएमएसई शामिल हैं। डीआरडीओ ने विकास सह उत्पादन भागीदारों के रूप में भारतीय उद्योग को शामिल करने के लिए विभिन्न नीतियों के माध्यम से बड़ी पहल की है, उद्योग को मामूली लागत पर अपनी तकनीक की पेशकश की है और इसके पेटेंट तक मुफ्त पहुंच प्रदान की है। भारतीय उद्योग द्वारा डीआरडीओ पेटेंट की मुफ्त पहुंच के लिए नीति प्रख्यापित की गई है। प्रौद्योगिकी विकास कोष (टीडीएफ) योजना रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में रक्षा प्रौद्योगिकियों के नवाचार, अनुसंधान एवं विकास के लिए उद्योगों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप और एमएसएमई को, 50 करोड़ रुपये तक की धनराशि भी देती है। अब तक विभिन्न एमएसएमई, स्टार्ट-अप और बड़े उद्योगों को टीडीएफ योजना के तहत 64 परियोजनाएं प्रदान की गई हैं, जिनकी कुल परियोजना लागत लगभग 280 करोड़ रुपये थी। डीआरडीओ के पास एआई में अनुप्रयोग उन्मुख अनुसंधान के लिए दो समर्पित प्रयोगशालाएं, सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर), बेंगलुरु और डीआरडीओ यंग साइंटिस्ट लेबोरेटरी (डीवाईएसएल) - एआई, बेंगलुरु हैं।
  • शिक्षा के साथ बेहतर एकीकरण: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा विभिन्न रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आवश्यक सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक ज्ञान, कौशल व योग्यता को प्रभावित करने के लिये रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नियमित एमटेक कार्यक्रम शुरू किया गया है। यह कार्यक्रम इच्छुक इंजीनियरों को रक्षा प्रौद्योगिकी में अपना करियर शुरू करने के लिए प्रेरित करेगा और 'आत्मनिर्भर भारत' का लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा।

भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग

जनवरी 2022 में आरई चरण में सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष (एएफएफडीएफ) के लिए 320 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी। इसने मई 2018 से लंबित 284 करोड़ रुपये के शिक्षा अनुदान के 1.58 लाख आवेदनों के संबंध में सभी बैकलॉग को मंजूरी दे दी थी । फरवरी 2020 से 36 करोड़ रुपये मूल्य के विवाह अनुदान के 7,583 आवेदन लंबित हैं। इस प्रकार इस पहल से कुल 1.66 लाख भूतपूर्व सैनिक लाभान्वित हुए।

रक्षा मंत्री ने दिनांक 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस से पहले नवंबर में एएफएफडीएफ के लिये एक नई वेबसाइट (www.affdf.gov.in) लॉन्च की। यह पोर्टल फंड में ऑनलाइन योगदान को बढ़ावा देने के लिये विकसित एक इंटरैक्टिव और उपयोगकर्ता के अनुकूल पोर्टल है।

रक्षा मंत्री भूतपूर्व सैनिक कल्याण कोष (सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष से वित्तपोषित) के तहत पूर्व सैनिकों/ विधवाओं के 100% विकलांग बच्चों को वित्तीय सहायता की दर अगस्त, 01, 2021 से 1,000 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा से बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा कर दी गई है।

सरकार ने रक्षा मंत्री भूतपूर्व सैनिक कल्याण कोष की अनाथ अनुदान योजना के तहत भूतपूर्व सैनिकों (ईएसएम) के अनाथ बच्चों को 1,000 रुपये प्रति माह से 3,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता में संशोधन को मंजूरी दी। इस फैसले से कई ईएसएम परिवार लाभान्वित होंगे। यह दिनांक 01, अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगा।

भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना: प्रतिपूर्ति के आधार पर खुले बाजार से अनुपलब्ध दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों की खरीद के लिए अवधि 15 से बढ़ाकर 30 दिन कर दी गई, बशर्ते कि दवाओं और उपभोग्य सामग्रियों का अधिकतम मूल्य प्रत्येक बार सामान्य परिस्थितियों में 25,000/- रुपये से अधिक न हो और विशेष परिस्थितियों में प्रत्येक बार 75,000/- रुपये से अधिक न हो। कैंसर की दवाओं के लिए खरीद का अधिकतम मूल्य भी हर बार 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है।

सरकार ने स्थायी अवशोषण/ रोजगार पर केंद्रीय सार्वजनिक उद्यमों/ केंद्रीय स्वायत्त निकायों/ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में शामिल होने वाले/ शामिल हो चुके रक्षा सेवाओं के जेसीओ/ अन्य रैंक को यथानुपात पेंशन के प्रावधान का लाभ दिया । यह लाभ पहले केवल कमीशंड अधिकारियों को ही मिलता था । रक्षा सेवा में कम से कम 10 वर्ष की अर्हक सेवा वाले जेसीओ/ अन्य रैंक इस पत्र के प्रावधानों के अनुसार यथानुपात पेंशन प्राप्त करने के हकदार होंगे ।

आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत और स्वतंत्रता दिवस की तैयारी के तहत जुलाई में उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक आउटरीच कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रम में हल्द्वानी क्षेत्र के 1,000 से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों ने भाग लिया । एक दिवसीय आउटरीच कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री ने वीडियो लिंक के माध्यम से राज्य भर के विकासनगर, रायवाला और पौडी गढ़वाल में ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक भवनों की आधारशिला रखी और ईएसएम और उनके आश्रितों को 64-केबी ईसीएचएस स्मार्ट कार्ड वितरित किये । उन्होंने ईएसएम को जॉब लेटर भी बांटे।

1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों/ उनके परिवारीजनों को सम्मानित करने के लिए अप्रैल में असम सरकार के सहयोग से एक सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में की थी। कुल 300 से अधिक युद्ध के पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और उनके परिवारों ने इस सम्मान समारोह में भाग लिया।

सीमा सड़क संगठन

सीमा विकास: 2022 में रक्षा मंत्री ने अक्टूबर में सात राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 75 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। लद्दाख के श्योक गांव में आयोजित एक समारोह में श्री राजनाथ सिंह ने 45 पुलों, 27 सड़कों, दो हेलीपैड और एक कार्बन न्यूट्रल आवास का उद्घाटन किया। इनमें से 20 परियोजनाएं जम्मू और कश्मीर में, 18-18 लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में, पांच उत्तराखंड में और 14 अन्य सीमावर्ती राज्यों यानी सिक्किम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में हैं।

पुलों पर त्वरित कार्य: बीआरओ ने अरुणाचल प्रदेश में अलोंग-यिंकिओंग रोड पर सियोम नदी की सहायक नदी पर 30 मीटर स्पैन पीएससी बॉक्स गर्डर लाइ ब्रिज का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। आठ महीने की अवधि में पूरी तरह से अभिन्न जनशक्ति और संसाधनों द्वारा यह कार्य पूरा  किया गया। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश में मिगिंग-टुटिंग रोड पर 45 मीटर स्पैन का पीएससी बॉक्स गर्डर सिमरब्र भी निर्माणाधीन है तथा इसको दिन और रात की पाली में काम करके छह महीने में पूरा करने की योजना है। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने केवल 90 दिनों के रिकॉर्ड समय में 30.2 मीटर स्पैन बेनाडी ब्रिज और 181.2 मीटर स्पैन पक्का कोठा ब्रिज का निर्माण केवल 212 दिनों के रिकॉर्ड समय में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में दयालचक-रामकोट रोड पर किया है, जिसे पूरी तरह से अभिन्न जनशक्ति एवं संसाधनों द्वारा निष्पादित किया गया है।

  • टनलिंग और रनवे का काम: 2.535 किलोमीटर लंबी सेला और 0.5 किलोमीटर लंबी नेचिपु सुरंगों का निर्माण जोरों पर है। एक बार पूरा हो जाने के बाद, सेला ट्विन सुरंग 13000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी। अरुणाचल में सेला-चब्रेला रोड पर 105 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके अलावा, 2.79 किलोमीटर लंबी सुंगल सुरंग, 0.7 किलोमीटर लंबी नौशेरा सुरंग, 1.1 किलोमीटर लंबी भीमबर्ग गली सुरंग, 0.26 किलोमीटर लंबी कंडी सुरंग सभी केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अखनूर-पुंछ रोड पर और लद्दाख में डी-एस-डीबीओ रोड पर 0.92 किलोमीटर लंबी कट एंड कवर टनल का निर्माण भी चल रहा है।

नई तकनीकों को अपनाना: बीआरओ द्वारा अनेक नई तकनीकों को शामिल किया गया है। इनमें सड़कों के सरफेसिंग कार्य के लिए सीमेंटिशियस बेस तकनीक, सड़क कार्यों के लिए जियो सेल, बिटुमिनस कार्य के लिए प्लास्टिक कोटेड एग्रीगेट, जैविक एंजाइम के माध्यम से मृदा स्थिरीकरण, हिमस्खलन संरक्षण संरचनाएं, प्रबलित अर्थ वॉल के निर्माण के लिये एम50 मॉड्यूलर ब्लॉक एवं प्रीकास्ट कंक्रीट टेक्नोलॉजी (कट एंड फिट टेक्नोलॉजी), प्रीकास्ट ब्रेस्ट वॉल, नालियां, पुलिया और फुटपाथ शामिल हैं।

कार्बन न्यूट्रल हैबिटेट: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने लद्दाख में विभिन्न स्थानों पर एक पायलट परियोजना के रूप में पहल की है । इसका उद्देश्य लद्दाख में कर्मयोगियों को ठंड से होने वाली चोटों के कम जोखिम और बेहतर स्वच्छता के लिहाज से बेहतर स्वास्थ्य मापदंडों के साथ सम्मानित और उपयुक्त आवास प्रदान करना है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक उत्पादकता और कार्य संतुष्टि मिल सके। अक्टूबर में रक्षा मंत्री ने हानले में बीआरओ के पहले कार्बन न्यूट्रल आवास का उद्घाटन किया था।

3डी प्रिंटेड इमारतें: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कर्मियों के प्रयासों को पहचानने और उनकी उपलब्धियां प्रदर्शित करने के लिए लेह में एक समर्पित संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा हवाई मार्ग से आने-जाने से संबंधित विभिन्न पहलुओं के लिहाज से चंडीगढ़ में प्रोजेक्ट हिमांक की एक एयर डिस्पैच सब यूनिट है। वर्तमान में यह उप इकाई अस्थायी आश्रयस्थलों में स्थित है और निवास स्थान को उन्नत करने की आवश्यकता है। लेह में बीआरओ संग्रहालय और चंडीगढ़ में हिमांक वायु प्रेषण इकाई के परिसर का निर्माण 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके किया जाएगा।

सड़क निर्माण में स्टील स्लैग का उपयोग: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) अरुणाचल प्रदेश में स्टील स्लैग का उपयोग करके एक पायलट रोड का निर्माण कर रहा है जो भारी बारिश और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों का सामना कर सकता है। अरुणाचल प्रदेश में प्रोजेक्ट अरुणांक के तहत जोरम-कोलोरियांग रोड पर सीएसआईआर-सीआरआरआई की मदद से परीक्षण करने के लिए एक बहु-अनुशासनात्मक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है।

पासेज़ को खोलना: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने महत्वपूर्ण जोजिला एक्सिस को दिनांक 04 जनवरी तक खुला रखा। यह पहला अवसर है जब लद्दाख में तैनात बलों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक्सिस को जनवरी तक खुला रखा गया था। यह भी इतिहास में पहली बार है कि जोजिला पास को 19 मार्च को यातायात के लिए खोला गया था, अप्रैल/ मई के पारंपरिक मानदंडों के विपरीत इसके बंद होने के सिर्फ 73 दिनों के बाद खोले जाने का एक सर्वकालिक रिकॉर्ड स्थापित किया गया। इसी तरह, मनाली-सरचू एक्सिस को लगभग दो महीने पहले रिकॉर्ड समय सीमा में मार्च में खोला गया था। इसने इस सड़क के बंद होने की अवधि को औसतन 160-180 दिनों से कम कर दिया है, जब सड़क मई में केवल 117 दिनों के लिये खोली जाती थी। हिमालय में अन्य सभी प्रमुख दर्रों को भी या तो साल भर खुला रखा गया था या तय समय से बहुत पहले खोल दिया गया था, जिससे सैनिकों के लिए रसद का जमा होना आसान हो गया।

ऑटोमेशन एवं डिजिटाइजेशन: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने बीआईएसएजी-एन और एनआईसीएसआई की मदद से कार्यों के प्रबंधन, एचआर, ऑटोमेशन और जानकारी के प्रसार और अटल टनल, रोहतांग की यात्रा के लिए बुकिंग की सुविधा के लिए दस प्रमुख सॉफ्टवेयर और एक वेबसाइट विकसित की है। सभी संपत्तियों का बेहतर उपयोग करने के उद्देश्य से संगठन की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिये बीआरओ सड़कों के लिये उपयोग की जाने वाली भूमि का डिजिटलीकरण भी किया गया है।

रक्षा सम्पदा

रक्षा भूमि सर्वेक्षण: रक्षा मंत्रालय के पास छावनियों के भीतर (1.62 लाख एकड़) और बाहर (16.38 लाख एकड़) लगभग 18 लाख एकड़ भूमि है। इस रक्षा भूमि के सर्वेक्षण की पूरी कवायद विभिन्न राज्य सरकारों के राजस्व अधिकारियों के सहयोग से पूरी की गई। सर्वेक्षण के दौरान लगभग 585 एकड़ रक्षा भूमि, जो पहले अनुपयोगी थी, की पहचान की गई और उसका सर्वेक्षण किया गया। इस अभ्यास के लिए आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों जैसे इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन, डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी आधारित सर्वेक्षण का लाभ उठाया गया। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के सहयोग से डिजिटल एलिवेशन मॉडल का उपयोग करके पहाड़ी क्षेत्र में रक्षा भूमि के बेहतर दृश्य के लिए 3डी मॉडलिंग तकनीक भी शुरू की गई। सर्वेक्षण के अंतर्गत रक्षा भूमि पर अतिक्रमण का पता लगाने के लिए टाइम सीरीज़ सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित रियल टाइम चेंज डिटेक्शन सिस्टम की एक परियोजना भी शुरू की गई थी। जीआईएस मैप्स, डिजिटाइज्ड शेप फाइल्स और अपडेटेड लैंड डेटा रक्षा मंत्रालय को रियल टाइम बेसिस पर लैंड डेटा एक्सेस करने में सक्षम बनाएंगे और इस तरह लैंड ऑप्टिमाइजेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए लैंड ट्रांसफर और नए लैंड एक्वीजीशन पर फैसला लेने में होने वाली देरी को काफी हद तक कम कर देंगे। यह सेना, वायुसेना, नौसेना और डीजीडीई को अतिक्रमण रोकने में भी सक्षम बनाएगा।

ड्रोन इमेजरी: राजस्थान में पहली बार लाखों एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण के लिए ड्रोन इमेजरी आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया गया। भारत के महासर्वेक्षक की सहायता से पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कुछ ही सप्ताहों में कर लिया गया, जिसमें पहले वर्षों लग जाते थे।

ई-छावनी: ई-छावनी पोर्टल (https://echhawani.gov.in) में, 17 छावनी बोर्डों में ऑनलाइन भवन योजना अनुमोदन प्रणाली पर मॉड्यूल लाइव किया गया था। छावनी के निवासी पोर्टल के माध्यम से अपने भवन नक्शों के अनुमोदन के लिए आवेदन कर सकते हैं। बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के समयबद्ध और परेशानी मुक्त तरीके से पोर्टल के माध्यम से अपेक्षित अनुमोदन प्रदान किया जाता है।

ऑनलाइन म्यूटेशन: जीवनयापन को आसान बनाने की दिशा में एक कदम के तौर पर 62 छावनी क्षेत्रों में रहने वाले 2.18 लाख से अधिक संपत्ति करदाता ई-छावनी पोर्टल के तहत संपत्ति कर रजिस्टर में म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। संपत्ति कर रजिस्टर में म्यूटेशन की सूचना देते हुए संपत्ति मालिक को ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा । इस प्रक्रिया से देरी, प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को कम करने और लाभार्थी नागरिकों के लिए अनुपालन बोझ को काफी कम करने की उम्मीद है।

ऑनलाइन स्कूल प्रबंधन पोर्टल: छावनी बोर्डों के प्रबंधन के तहत आने वाले स्कूलों के लिये सभी 192 स्कूलों में ऑनलाइन स्कूल प्रबंधन पोर्टल लाइव किया गया था। पोर्टल में ऑनलाइन प्रवेश मॉड्यूल, ऑनलाइन टीसी मॉड्यूल और ऑनलाइन होमवर्क और असाइनमेंट मॉड्यूल शामिल हैं। निवासियों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' को सक्षम करने के लिए, 15 राज्यों में 62 छावनी बोर्डों के प्रबंधन के तहत 194 स्कूलों में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म - स्कूल प्रबंधन प्रणाली लागू की गई थी। रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) ने इन-हाउस एसएमएस विकसित किया, जिससे 61,943 छात्रों और 1,965 शिक्षकों को लाभ हुआ और छावनियों और आसपास के क्षेत्रों के निवासियों को लाभ हुआ।

उत्तराखंड रक्षा संपदा मंडल: मई में रक्षा मंत्री ने विशेष रूप से उत्तराखंड के लिये एक नया रक्षा संपदा मंडल बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। राज्य में रक्षा भूमि के बड़े क्षेत्रों के प्रबंधन में आने वाली कठिनाइयों और उत्तराखंड में स्थित छावनियों के निवासियों की मांग को देखते हुए रक्षा मंत्रालय देहरादून में रक्षा सम्पदा का एक स्वतंत्र कार्यालय स्थापित करेगा। रक्षा मंत्री ने राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के 6 जिलों के साथ विशेष रूप से निपटने के लिये रक्षा संपदा, देहरादून के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत रानीखेत में एक उप-कार्यालय की स्थापना को भी मंजूरी दी।

अनधिकृत निर्माण का पता लगाने के लिए एआई: एनआईडीईएम में डीजीडीई द्वारा स्थापित सैटेलाइट और मानव रहित रिमोट वाहन पहल (सीओई-सर्वेई) पर उत्कृष्टता केंद्र ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो स्वचालित रूप से सैटेलाइट का उपयोग करके अनधिकृत निर्माण और अतिक्रमण सहित जमीन पर किसी परिवर्तन का पता लगा सकता है। सीओई-सर्वेई, प्रभावी भूमि प्रबंधन और शहरी नियोजन के लिए उपग्रह इमेजरी, ड्रोन इमेजरी और भू-स्थानिक उपकरणों जैसी सर्वेक्षण में नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाता है। सीओई-सर्वेई ने भूमि प्रबंधन के लिए खाली भूमि विश्लेषण और पहाड़ी छावनियों के 3डी इमेजरी विश्लेषण के लिए उपकरण भी विकसित किये।

रक्षा लेखा विभाग

स्पर्श: रक्षा लेखा विभाग ने सीएससी  ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेशन - रक्षा (स्पर्श) पहल के तहत पूरे देश में चार लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) में ऑनबोर्ड पेंशन सेवाएं प्रदान करता है। फरवरी में रक्षा लेखा नियंत्रक (सीडीए) पेंशन और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के सीईओ द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए जिससे जीवन को आसान बनाया जा सके तथा पेंशन से संबंधित मुद्दों को समयबद्ध तरीके से हल किया जा सके। पूरे भारत में 14,000 से अधिक शाखाओं में स्पर्श के तहत सेवा केंद्रों के रूप में ऑनबोर्ड करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा और एचडीएफसी बैंक के साथ सितंबर में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे । वित्त वर्ष 2021-22 में वितरित 11,600 करोड़ रुपये से अधिक के साथ रक्षा पेंशनरों को पेंशन वितरण के लिए वेब-आधारित डिजिटल प्रणाली तेजी से बढ़ी है । स्पर्श के साथ लाभार्थियों की कुल संख्या 11 लाख तक पहुंच गई है, जो स्पर्श के साथ कुल रक्षा पेंशनरों के 33% को कवर करती है । पेंशन निपटान में औसत समय काफी कम होकर लगभग 16 दिन रह गया है ।

प्रदर्शन और दक्षता लेखापरीक्षा: रक्षा मंत्रालय ने अपनी गतिविधियों के विभिन्न पहलुओं में प्रदर्शन और दक्षता लेखापरीक्षा करने के लिए अध्यक्ष के रूप में रक्षा सचिव के साथ एक शीर्ष समिति को शामिल करते हुए एक संस्थागत तंत्र की स्थापना की। इस प्रकार की लेखापरीक्षा से मंत्रालय के शीर्ष प्रबंधन को परियोजनाओं की योजना और निष्पादन में विशिष्ट कमियों, यदि कोई हों, के बारे में मूल्यवान जानकारी उपलब्ध कराने और आंतरिक नियंत्रणों, वित्तीय प्रक्रियाओं की सुदृढ़ता, जोखिम कारकों की पहचान आदि में प्रणालीगत सुधारों का सुझाव देने की अपेक्षा की जाती है ।

डिजिटल शुरुआत: रक्षा मंत्री ने अक्टूबर में अपने 275वें वार्षिक दिवस समारोह के दौरान रक्षा लेखा विभाग की कई डिजिटल पहलों की शुरुआत की। इन शुरुआत में स्पर्श मोबाइल ऐप; अग्निवीरों के लिए भुगतान प्रणाली; रक्षा यात्रा प्रणाली में अंतर्राष्ट्रीय हवाई टिकट बुकिंग मॉड्यूल; रक्षा लेखा रसीदें और भुगतान प्रणाली; रक्षा नागरिक वेतन प्रणाली और रक्षा लेखा मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली शामिल हैं।

सैनिक स्कूल

100 नये सैनिक स्कूलों की स्थापना: सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों/ निजी/ राज्य सरकारों की भागीदारी से श्रेणीबद्ध तरीके से कक्षा 6 से 100 नये सैनिक स्कूलों की स्थापना की पहल को मंजूरी दी। इस पहल के तहत सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा 18 स्कूलों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किये गए। आज तक इन 18 स्कूलों में से 17 में कुल 1,048 (912 लड़के और 136 लड़कियां) छात्रों को प्रवेश मिला है और इन 17 स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शुरू हो गया है।

बालिकाओं का प्रवेश: शैक्षणिक सत्र 2018-19 और 2019-20 में सैनिक स्कूल, छिंगछीप में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद  सरकार ने सैनिक स्कूल छिंगचिप के अलावा शैक्षणिक सत्र 2020-21 से पांच सैनिक स्कूलों- कालीकिरी (आंध्र प्रदेश), कोडागु (कर्नाटक), घोड़ाखाल (उत्तराखंड), चंद्रपुर (महाराष्ट्र) और बीजापुर (कर्नाटक)- में लड़कियों के प्रवेश को लागू करने का निर्णय लिया, जिसके बाद शैक्षणिक सत्र 2021-22 से सभी 33 सैनिक स्कूलों में लड़कियों का प्रवेश हुआ। आज की तारीख में इन स्कूलों में 698 छात्राएं बोर्डर्स के रूप में पढ़ रही हैं। इस कदम को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिलाओं के प्रवेश की दिशा में पहले कदम के रूप में देखा जा सकता है।

राष्ट्रीय कैडेट कोर

पुनीत सागर अभियान: राष्ट्रीय समुद्री दिवस (5 अप्रैल) के अवसर पर एनसीसी के सभी 17 राज्य निदेशालयों के 1.5 लाख से अधिक कैडेटों ने अप्रैल में अपने राष्ट्रव्यापी प्रमुख अभियान 'पुनीत सागर अभियान' के तहत विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया, जिससे 50 लाख की आबादी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह प्रमुख कार्यक्रम पहली बार पिछले साल दिसंबर में आयोजित किया गया था और इसमें समुद्र तटों और नदियों व झीलों समेत अन्य जल निकायों की प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों की सफाई भी शामिल है, जो स्थानीय लोगों को 'स्वच्छ भारत' के बारे में शिक्षित कर रहा है। एनसीसी और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने प्लास्टिक प्रदूषण के मुद्दे से निपटने और 'पुनीत सागर अभियान' और 'टाइड टर्नर प्लास्टिक चैलेंज प्रोग्राम' के माध्यम से स्वच्छ जल निकायों के सार्वभौमिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सितंबर में नई दिल्ली में रक्षा मंत्री की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

डेफएक्सपो 2022: पहली बार, बिहार और झारखंड निदेशालय के एनसीसी कैडेटों ने गांधीनगर में 12वें डेफएक्सपो के दौरान प्रदर्शकों के रूप में भाग लिया और दुनिया के सबसे बड़े वर्दीधारी युवा संगठन की ताकत का प्रदर्शन करते हुए तीन उन्नत प्रौद्योगिकी प्रोटोटाइप प्रदर्शित किये। तीन प्रोटोटाइप यूएवी (एक बहुमुखी मंच जिसका उपयोग दूर से नियंत्रित कैमरों का उपयोग करके टोह लेने के लिए काउंटर इंसर्जेंसी / काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशंस से लेकर सामरिक मिशनों के लिए किया जा सकता है); ऑल टेरेन व्हीकल एंड हैंड जेस्चर सेंसिंग बीओटी (दूर से नियंत्रित रोबोट जो सैनिकों के दुश्मन के संपर्क में आए बिना विविध सैन्य उपयोगों का पता लगा सकता है) थे।

प्रधान मंत्री की रैली 2022: एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर का सबसे प्रतिष्ठित कार्यक्रम प्रधान मंत्री की रैली दिनांक 28 जनवरी को आयोजित किया गया था। मार्च पास्ट में सभी 17 राज्य एनसीसी निदेशालयों की टुकड़ियों ने भाग लिया और सैन्य कार्रवाई, स्लिदरिंग, माइक्रोलाइट फ्लाइंग, पैरासेलिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसी विभिन्न गतिविधियों में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। इस रैली का समापन महाराष्ट्र निदेशालय को प्रधान मंत्री के बैनर के पुरस्कार के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें रक्षा मंत्री भी शामिल थे।

विशेष स्वच्छता अभियान 2.0: स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत लंबित मामलों के निपटान और स्वच्छता अभियान (एससीडीपीएम 2.0) के लिए विशेष अभियान दिनांक 02-31 अक्टूबर के बीच चलाया गया। सैन्य मामलों के विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सहित रक्षा मंत्रालय के सभी विभागों के साथ-साथ सशस्त्र बलों ने अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया। देश भर में हजारों साइटों पर स्वच्छता अभियान चलाए गए, कई नियमों को सरल बनाया गया, लाखों भौतिक फाइलों की समीक्षा की गई और छंटाई की गई। देश भर में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और इकाइयों में 'स्वच्छता' को संस्थागत बनाने के लिए सैन्य मामलों के विभाग द्वारा एक राष्ट्रव्यापी अभियान का आयोजन किया गया था। यह अभियान सेना, नौसेना और वायुसेना द्वारा देश भर के विभिन्न स्थानों पर चलाया गया।

राष्ट्रीय समर स्मारक पर डिजिटल स्क्रीन: वर्ष 2021 में राष्ट्रीय समर स्मारक, नई दिल्ली में डिजिटल अपील में वृद्धि की परियोजना के चरण-I के कार्यान्वयन के बाद वीरगति को प्राप्त हुए नायकों को डिजिटल श्रद्धांजलि देने के लिये चार डिजिटल स्क्रीन स्थापित किये गए थे और उन नायकों के नाम त्याग चक्र पर अंकित किये गए थे, इस वर्ष फेज-2 के तहत परिसर में चार अतिरिक्त स्क्रीन लगाए गए हैं। राष्ट्रीय समर स्मारक में डिजिटल श्रद्धांजलि देने वाले आगंतुकों के पंजीकरण की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। इन डिजिटल स्क्रीन्स पर 10 लाख से ज्यादा डिजिटल श्रद्धांजलियां दी गईं।

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