विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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वर्षांत समीक्षा-2022  : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग

Posted On: 25 DEC 2022 5:01PM by PIB Delhi

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की पहलों के नीतिगत स्तर के प्रभाव

 

प्रमुख उपलब्धियां और पिछले 9 वर्षों (2014-दिसंबर 2022) के दौरान शुरू की गई नई पहलें

 

अंतर्राष्ट्रीय मुक्त पहुंच विज्ञान (एससीआई) पत्रिकाओं में प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत की महत्वपूर्ण वृद्धि-2013 में 6वें स्थान से विश्व स्तर पर अब तीसरे स्थान पर है I

संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) और चीन के बाद विज्ञान और इंजीनियरिंग (एसएंडई) में प्रदान की गई शोध उपाधियों  (लगभग 25,000) की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर हैI

विश्व में स्टार्ट-अप्स (77,000) की संख्या और यूनिकोर्न्स (107) की संख्या के मामले में भी भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है I

भारत ने वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स–जीआईआई) की अपनी वैश्विक रैंकिंग में वर्ष 2015 के 81वें स्थान  से 2022 में विश्व की 130 अर्थव्यवस्थाओं में 40वें स्थान पर बड़ी ऊंची छलांग लगाई। जीआईआई के संदर्भ में भारत 34 निम्न मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर है और 10 मध्य एवं  दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में प्रथम स्थान पर हैI

भारत दुनिया में प्रौद्योगिकी विनिमय (ट्रांजेक्शन्स) के लिए सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में तीसरे स्थान पर है।

अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) पिछले 10 वर्षों में तीन गुना से अधिक बढ़ गया है।

पिछले 9 वर्षों में बाह्य अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी भी दोगुनी हो गई है ।

रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग के मामले में भारत 9वें स्थान पर हैI

कार्यक्रम स्तर की उपलब्धियां

 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व्यवस्था में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का निवेश पिछले 8 वर्षों में 2014-15 के लगभग 2900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6002 करोड़ रुपये हो गया है I

2015 के दौरान शुरू किया गया राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन देश भर के विभिन्न संस्थानों में तैनात 24 पीएफ कंप्यूट क्षमता प्रणालियों के साथ 4 प्रवेश स्तरीय और 15 मध्य–स्तरीय प्रणालियों के साथ राष्ट्रीय उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दे रहा है I

दिसंबर 2018 के दौरान अंतर-विषयी साइबर-भौतिक प्रणालियों  पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-इंटर–डिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स–आईसीपीएस) को कुल 3660 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से  शुरू किया गया I यह मिशन अनुसंधान और नवाचार केंद्रों के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), रोबोटिक्स, आईओटी (इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स) जैसे साइबर फिजिकल क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा दे रहा है। मिशन ने देश भर के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में 25 ( टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब– टीआईएच) बनाए हैं जो मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एनएम–आईसीपीएस के अंतर्गत विभिन्न सीपीएस  और इससे जुड़े प्रौद्योगिकी वर्टिकल्स पर विचार किया गया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग, डेटा बैंक और डेटा सर्विसेज, डेटा एनालिसिस, रोबोटिक्स और ऑटोनॉमस सिस्टम, साइबर सुरक्षा और भौतिक अवसंरचना के लिए साइबर सुरक्षा, कंप्यूटर विज़न, ऑटोनॉमस नेविगेशन और डेटा अधिग्रहण प्रणाली (यूएवी,आरओवी आदि), क्वांटम टेक्नोलॉजीज आदि शामिल हैं ।

भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने अखिल भारतीय उच्च चित्रांकन भूस्थानिक मानचित्रण शुरू की है : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन एक अधीनस्थ विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) ने ड्रोन तकनीक जैसी सबसे उन्नत तकनीकों के पैमाने  का  उपयोग करके 10 सेमी के बहुत उच्च रिज़ॉल्यूशन पर देश के अखिल भारतीय उच्च चित्रांकन भूस्थानिक मानचित्रण की शुरुआत की है। इसके साथ ही भारत फाउंडेशन डेटा के रूप में अल्ट्रा हाई-रिज़ॉल्यूशन नेशनल टोपोग्राफिक डेटा रखने वाले कुछ देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो गया है। कई राज्यों के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 1:500 पैमाने पर एक बड़े पैमाने पर मानचित्रण पूरा कर लिया गया है। एसओआई ने आबादी क्षेत्रों में संपत्ति कार्ड के वितरण और 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करने के लिए स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और गांव के आवासीय क्षेत्रों में तात्कालिक तकनीक के साथ मानचित्रण) के हिस्से के रूप में 2,00,000+ गांवों के ग्रामीण आबादी क्षेत्रों का ड्रोन सर्वेक्षण सफलतापूर्वक किया है ।

डीएसटी के कार्यक्रमों ने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के असाधारण प्रदर्शन को गति दी : नवाचार के विकास एवं सम्वर्धन हेतु राष्ट्रीय पहल–निधि(नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन–एनआईडीएचआई–निधि–एनआईडीएचआई) नामक एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया है,  जो नवाचारों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का ध्यान रखता है। इसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा बनाए गए 153  इन्क्यूबेटर्स नेटवर्क के माध्यम से 3,681 स्टार्ट-अप्स का पोषण करके भारत के  नवाचार इकोसिस्टम पर ऐसे कुछ प्रमुख प्रभाव डाला है, जिससे  संचयी प्रत्यक्ष रोजगार के रूप में 65,864 नौकरियों का सृजन हुआ और 27,262 करोड़ रुपये की संपत्ति तैयार करने के साथ ही 1,992 बौद्धिक संपदाएं  उत्पन्न की ।

स्कूलों में नवोन्मेष लाना : 2018 के दौरान लॉन्च किए गए "मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज (मानक)" कार्यक्रम का लक्ष्य देश भर के माध्यमिक और हाई स्कूलों से दस लाख विचारों को लाना है और चयनित प्रतिभाशाली लोगों को जिला, राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी और परियोजना प्रतियोगिता में प्रदर्शन के लिए शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है।

महिला वैज्ञानिकों को सशक्त बनाना: लैंगिक असंतुलन को दूर करने के लिए एक नई योजना अर्थात किरण को प्रारम्भ  किया गया तथा युवा महिलाओं को आकर्षित करने और प्रोत्साहित करने के लिए सीमित पैमाने और अवधि पर एक पायलट योजना विज्ञान ज्योति का भी परीक्षण किया गया।

युवा वैज्ञानिकों को उनकी शोध गतिविधियों पर लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अवसर योजना शुरू की गई ।

विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) ने सभी लोगों के बीच समान रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू कीं हैं : डीएसटी के अंतर्गत  एक सांविधिक निकाय एसईआरबी ने उच्चतम स्तर पर अनुसंधान एवं विकास करने के लिए विशेष रूप से महिला वैज्ञानिकों के लिए "एसईआरबी- पावर अर्थात ( अन्वेषण अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देना)"; अनिवासी भारतीयों सहित सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विज्ञान और वैज्ञानिकों को भारत लाने के उद्देश्य से एसईआरबी-वज्र; राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक मजबूत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम बनाने के लिए राज्य विश्वविद्यालय अनुसंधान उत्कृष्टता (एसईआरबी-श्योर); सार्वजनिक निजी भागीदारी मोड पर उद्योगों के लिए प्रासंगिक महत्वपूर्ण समस्याओं को हल करने के लिए अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिए औद्योगिक अनुसंधान  अनुबंधों लिए कोष (एसईआरबी–एफआईआरई) जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं, जिन्हें  उच्चतम स्तर पर अनुसंधान एवं विकास करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ावा देना: प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) जो भारतीय औद्योगिक संस्थानों और अन्य एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ ही स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास और उनके वाणिज्यिक अनुप्रयोग का प्रयास करता है, या आयातित प्रौद्योगिकी को व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों के अनुकूल बनाता है, ने हाल के वर्ष में कई प्रमुख सफलता के सोपान पार किए हैं।

कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए एक विजयी मार्च: कई स्वायत्त संस्थान, डीएसटी कार्यक्रम और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न होने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए बहुत कम समय में कई घरेलू समाधान पेश किए हैं।

डीएसटी के स्वायत्त संस्थान विभिन्न विषयों में कई सफलताओं के साथ बुनियादी अनुसंधान और अनुवाद संबंधी अनुसंधान दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं I

अंतर-मंत्रालयी सहयोग विकसित -

मानव संसाधन मंत्रालय के साथ 50:50 साझेदारी में अनुसंधान नवाचार एवं प्रौद्योगिकी पर प्रभाव–इम्प्रिंट (इम्पैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी–आईएमपीआरआईएनटी)-का उद्देश्य चयनित प्रौद्योगिकी डोमेन में ज्ञान को व्यवहार्य प्रौद्योगिकी (उत्पाद और प्रक्रियाओं) में प्रयोग  करके हमारे देश द्वारा सामना की जाने वाली सबसे प्रासंगिक इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान करना और उनके लिए समाधान प्रदान करना है।

रेल मंत्रालय के साथ रेलवे नवाचार (इनोवेशन मिशन)-आधुनिक कोच फैक्ट्री के लिए साइबर भौतिक उद्योग 4.0 कार्यान्वयन पर पहला चरण

भारत में गहन तकनीक-आधारित अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए अपनी तरह का पहला प्रयास शुरू करने के लिए भारत सरकार के डीएसटी के अधीन एसईआरबी इंटेल इंडिया के साथ 29 जून 2021 से भागीदार बना है : भारतीय अनुसंधान समुदाय जल्द ही गहन प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में उद्योग-प्रासंगिक अनुसंधान अवसरों को प्राप्त करने में सक्षम होगा और जिसका अनूठा, परिवर्तनकारी, और राष्ट्रीय स्तर पर एक क्रांतिकारी प्रभाव हो सकता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक वैधानिक निकाय, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा शुरू की गई 'औद्योगिक अनुबंध के लिए कोष (फंड फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च एंगेजमेंट-एफआईआरई)' नामक अपनी तरह की पहली शोध पहल द्वारा अवसरों की पेशकश की जाएगी।

​​​​ पूर्वोत्तर भारत में उस क्षेत्र की चुनौतियों के स्थायी समाधान के लिए नेक्टर–(एनईसीटीएआर) उस क्षेत्र को केसर उत्पादन का केंद्र बनाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है : अभी तक भारत में केसर का उत्पादन क्षेत्र कश्मीर के कुछ हिस्सों तक ही सीमित था पर अब यह पूर्वोत्तर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग और उसकी पहुंच केंद्र (नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच–एनईसीटीएआर) के केंद्रित प्रयासों के माध्यम से उत्तर पूर्व के कुछ हिस्सों में अपने पंख फैला चुका है। पूर्वोत्तर भारत ने दक्षिण सिक्किम के यांगांग गांव में पहली बार केसर की सफल खेती देखी। अब इसका विस्तार अरुणाचल प्रदेश में तवांग और मेघालय में बारापानी तक किया जा रहा हैI

भारत के स्मार्ट ग्रिड और ऑफ ग्रिड नेतृत्व के साथ नवाचार अभियान कार्यक्रम ( मिशन इनोवेशन  प्रोग्राम )

स्वच्छ ऊर्जा और जल, नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन अनुसंधान और आउटरीच पर कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रगति हुई है ।

अंतर्राष्ट्रीय संपर्क : सर्वोत्तम वैश्विक विज्ञान से जुड़ने के लिए नया अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) सहयोग शुरू किया गया जिसमें 30 मीटर टेलीस्कोप परियोजना और भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार निधि में भागीदारी शामिल है ।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नीति निर्माण : आलोच्य वर्ष के दौरान दो दिशानिर्देश जारी किए गए और दो प्रमुख नीतियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है ।

वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना साझा रखरखाव और नेटवर्क (श्रीमान-एसआरआईएमएएन) दिशानिर्देश

वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) दिशानिर्देश

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) नीति

राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति

अनुसंधान एवं विकास में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं में प्रमुख उपलब्धियां

 

छठी से दसवीं कक्षा के स्कूली बच्चों को 6,39,550 इंस्पायर (प्रेरणादायक शोध के लिए वैज्ञानिक प्रतिभाओं को प्रेरणादायक शोध के लिए नवाचार (इंस्पायर-इनोवेशन इन साइंस परसूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च-आईएनएसपीआईआरई ) पुरस्कार

विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा के लिए 75,000 इंस्पायर छात्रवृत्ति

युवा छात्रों को पिछले 5 वर्षों में 6800 इंस्पायर डॉक्टरेट फैलोशिप दी गई

पिछले 5 वर्षों में युवा शोधकर्ताओं को 1000 इंस्पायर फैकल्टी बनाया गया

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